मीठी मीठी -17 : फिरेंगे ट्रांसजेंडर्स (किन्नर) के दिन
शादी -ब्याह, जन्मदिन, नामकरण आदि शुभ अवसरों पर एक मोटी रकम ऐंठने वाले और नहीं देने पर गाली-गलौज करके नग्न होने की धमकी देने वाले किन्नरों के दिन अब धीरे -धीरे बदलने की उम्मीद है । संविधान द्वारा तीसरे लिंग के रूप में स्वीकारे जा चुके परंतु समाज और परिवार का बहिष्कार झेल रहे किन्नरों को अकादमिक सत्र 2017-18 से इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्व- विद्यालय (इग्नू) ने स्नातक और परास्नातक पाठ्यक्रमों में मुफ्त शिक्षा प्राप्त करने की अनुमति दे दी है । अब किन्नर फीस माफी के बाद उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं ।
भलेही आजतक या आये दिन किन्नरों ने समाज को आतंकित किया हो परन्तु इनमें कुछ खुद्दार भी हैं जो भीख नहीं मांगते और समाज में एक सम्मानजनक स्थिति में जीये या जी रहे हैं । आतंकित इसलिए कि ये जो इनाम-बख्शीस मिले उसे स्वीकारने के बजाय हजारों रुपए मांगते हैं । नहीं देने पर उधम मचाते हैं । कुछ वर्ष पहले सबनम मौसी के नाम से विख्यात किन्नर 1998 में मध्यप्रदेश से पहली किन्नर विधायक चुनी गईं । कटनी म प्र की किन्नर कमला जान 2000 में महापौर बनी । किन्नर आशा देवी गोरखपुर से मेयर बनीं और मानवी बंधोपाध्याय पश्चिम बंगाल के नादिया, कृष्णनगर महिला कॉलेज की प्रधानाचार्या बनी ।
कार्य कठिन है परन्तु किन्नरों को यदाकदा सही राह दिखाई जा सकती है, पढ़ने के लिए प्रेरित किया जा सकता है,और उन्हें कार्य दिया जा सकता है। विकसित देशों में भारत की तरह किन्नर भीख नहीं मांगते या बस-ट्रेन अथवा सड़क के चौराहों पर लोगों को परेशान नहीं करते बल्कि उन्हें काम दिया जाता है और लोग उनके प्रति सहिष्णुता और सदभावना दिखाते हैं ।
पूरन चन्द्र काण्डपाल
25.07.2017
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