Wednesday 31 October 2018

Patakhon kee poorn pabandi : पटाखों की पूर्ण पाबंदी

बिरखांत - 236 : पटाखों पर हो पूर्ण पाबन्दी

     पटाखों की पाबंदी पर पहले भी कई बार निवेदन कर चुका हूँ, ‘बिरखांत’ भी लिख चुका हूँ  | हर साल दशहरे से तीन सप्ताह तक पटाखों का शोर जारी रहता है जो दीपावली की रात चरम सीमा पर पहुंच जाता है |  शहरों में पटाखों के शोर और धुंए के बादलों से भरी इस रात का कसैलापन, घुटन तथा धुंध की चादर आने वाली सुबह में स्पष्ट देखी जा सकती है | दीपावली के त्यौहार पर जलने वाला कई टन बारूद और रसायन हमें अँधा, बहरा तथा  लाइलाज रोगों का शिकार बनाता है |

     पटाखों के कारण कई जगहों पर आग लगने के समाचार हम सुनते रहते हैं | पिछले साल छै से चौदह महीने के तीन शिशुओं की ओर से उनके पिताओं द्वारा देश के उच्चतम न्यायालय में जनहित याचिका दायर करते हुए कहा कि प्रदूषण मुक्त पर्यावरण में बड़े होना उनका अधिकार है और इस सम्बन्ध में सरकार तथा दूसरी एजेंसियों को राजधानी में पटाखों की बिक्री के लिए लाइसेंस जारी करने से रोका जाय |

      उच्चतम न्यायालय ने केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश दिया है कि वह पटाखों के दुष्प्रभावों के बारे में लोगों को शिक्षित करें और उन्हें पटाखों का इस्तेमाल नहीं करने की सलाह दें | न्यायालय ने कहा कि इस सम्बन्ध में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में व्यापक प्रचार करें तथा स्कूल और कालेजों में शिक्षकों, व्याख्याताओं, सहायक प्रोफेसरों और प्रोफेसरों को निर्देश दें कि वे पटाखों के दुष्प्रभावों के बारे में छात्रों को शिक्षित करें |

      यह सर्वविदित है कि सर्वोच्च न्यायालय का रात्रि दस बजे के बाद पटाखे नहीं जलाने का आदेश पहले से ही है परन्तु नव- धनाड्यों एवं काली कमाई करने वालों द्वारा इस आदेश की खुलकर अवहेलना की जाती है | ये लोग रात्रि दस बजे से दो बजे तक उच्च शोर के पटाखे और लम्बी-लम्बी पटाखों के लड़ियाँ जलाते हैं जिससे उस रात उस क्षेत्र के बच्चे, बीमार, वृद्ध सहित सभी निवासी दुखित रहते हैं |

     एक राष्ट्रीय समाचार में छपी खबर के अनुसार सरकार ने स्पष्ट किया है कि इस बार देश में विदेशी पटाखों को रखना और उनकी बिक्री करना अवैध होगा | इसकी अवहेलना करने पर निकट के पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट की जा सकती है | इन विदेशी पटाखों में पोटेशियम क्लोरेट समेत कई खरनाक रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक तो है ही इससे आग भी लग सकती है या विस्फोट हो सकता है | विदेश व्यापार  महानिदेशक ने आयातित पटाखों को प्रतिबंधित वस्तु घोषित किया है | ऑनलाइन पटाखा बिक्री पर भी अब रोक लग गई है ।

     कुछ  लोग अपनी मस्ती में समाज के अन्य लोगों कों होने वाली परेशानी की परवाह नहीं करते | उस रात पुलिस भी उपलब्ध नहीं हो पाती या इन्हें पुलिस का अभयदान मिला होता है | वैसे हर जगह पुलिस भी खड़ी नहीं रह सकती | हमारी भी कुछ जिम्मेदारी होती है | क्या हम बिना प्रदूषण के त्यौहार या उत्सव मनाने के तरीके नहीं अपना सकते ? यदि हम अपने बच्चों को इस खरीदी हुई समस्या के बारे में जागरूक करें या उन्हें पटाखों के लिए धन नहीं दें तो कुछ हद तक तो समस्या सुलझ सकती है | धन फूक कर प्रदूषण करने या घर फूक कर तमाशा देखने और बीमारी मोल लेने की इस परम्परा के बारे में गंभीरता से सोचा जाना चाहिए | उच्च शोर के पटाखों की बिक्री बंद होने पर भी ये बाजार में क्यों बिकते आ रहे हैं यह भी एक बहुत बड़ा सवाल है |

      हम अपने को जरूर बदलें और कहें “पटखा मुक्त शुभ दीपावली” | “ SAY NO TO FIRE CRACKERS”. पटाखों के रूप में अपने रुपये मत जलाइए , इस धन से गरीबों को गिफ्ट देकर खुशी बाँटिये । इस बार उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार पटाखों की बिक्री पर पाबंदी होने से दीपावली की रात कुछ प्रदूषण कम होने की उम्मीद है जिसके लिए सभी नागरिक धन्यवाद के पात्र हैं । अब समय आ गया है जब पटाखों के उत्पादन, भंडारण और बिक्री पर पूर्ण पाबंदी लगनी चाहिए । आप सभी को दीपावली की शुभकामनाएं ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
01.11.2018

Bharat ratnon ka smaran : भारत रत्नों का स्मरण

मीठी - 177 : आज द्वि भारत रत्नों क स्मरण

      देश में 45 भारत रत्नों में बै आज द्वि भारत रत्नों का स्मरण दिवस छ । पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ज्यू क आज शहीदी दिवस छ जबकि पूर्व उप-प्रधानमंत्री और पैल गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ज्यू क जन्मदिन छ । इनार बार में पुस्तक 'महामनखी' में तीन भाषाओं में चर्चा छ । यूं द्विये महामनखियों कैं विनम्र श्रद्धांजलि ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
31.10.2018

Monday 29 October 2018

इंसानियत की डोर : insaniyat kee dor

खरी खरी - 332 :  इंसानियत की डोर

मेरे चारों ओर सब
चोर-लुटेरे ही नहीं हैं,
कुछ इंसानियत की डोर
थामे भी चल रहे हैं ।
मिलावट के धंधे में
व्यस्त नहीं हैं सभी,
कुछ काले कारनामों को
बेनकाब भी कर रहे हैं ।

सब कौवे बगुले गिद्ध
नहीं  बने  हैं  अभी,
कुछ कोयल बुलबुल मोर
की तरह  जी  रहे  हैं,
सूकर गिरगिट मगरमच्छ
नहीं  हुए  हैं  सभी,
कुछ अश्व श्वान गज सी
वफ़ा भी कर रहे हैं ।

घूस-भ्रष्टाचार में अभी
नहीं बिके हैं सब,
ईमानदारी से भी कुछ
गुजारा कर रहे हैं,
अभी सब बेईमानी में
लिप्त नहीं हुए हैं ,
कुछ इसे पाप की
कमाई भी समझ रहे हैं ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
30.10.2018

Sunday 28 October 2018

Bahoo kahan se aayegi : बहू कहां से आएगी

खरी खरी - 331 : बहू कहां से आएगी ?

लड़की को है मार रहे
देना पड़े जो दहेज,
बेटा मेरा खाएगा जो
रखा है मैंने सहेज,
रखा है मैंने सहेज
बहू संग मौज करेगा,
वो भी तो कुछ लाएगी
घर उससे भरेगा,
कह 'पूरन' गुर्राए
मारे जोर से नड़की,
बहू कहां से आएगी
जब मारे तू लड़की ?

पूरन चन्द्र काण्डपाल
29.10.2018

Shabd sampada : शब्द संपदा

मीठी मीठी -176 : शब्द सम्पदा
(‘मुक्स्यार’ किताब बटि )

सिदसाद नान छी उ
दगड़ियां ल भड़कै दे,

बूबू कि उमर क ख्याल नि कर
नना चार झड़कै दे,

मान भरम क्ये नि हय
कुकुरै चार हड़कै दे,

खेल खेलूं में अझिना अझिन
नई कुड़त धड़कै दे,

कजिय छुडूं हूं जै भैटू
म्यर जै हात मड़कै दे,

बिराऊ गुसीं यस मर
दै हन्यड़ कड़कै दे,

तनतनाने जोर लगा
भिड़ जस दव रड़कै दे,

गिच जउणी चहा वील
पाणी चार सड़कै दे,

बाड़ में हिटणक तमीज निहय
डाव नउ जस टड़कै दे,

लकाड़ फोड़णियल ठेकि भरि छां
एकै सोस में चड़कै दे, 

गदुवक वजन नि सै सक
सुकी ठांगर पड़कै दे,

बीं हूं काकड़ धरी छी
रात चोरूल तड़कै दे,

लौंड क कसूर क्ये निछी
खालिमुलि नड़कै दे,

पतरौवे कैं खबर नि लागि
बांजक डाव गड़कै  दे,

पूरन चन्द्र काण्डपाल
28.10.2018

Friday 26 October 2018

Karwa chauth : करवा चौथ

खरी खरी -330 : करवाचौथ 

करवाचौथ व्रत!
सुहाग के लिए
पति के लिए
निर्जल निश्छल
आस्था अविरल ।

व्रत श्रद्धा के दीये
सब स्त्री के लिए
किसी पति ने कभी
शायद व्रत नहीं रखा
पत्नी के लिए ।

तुमने सभी धर्मग्रन्थ
वेद पुराण अनंत
श्रुति शास्त्र स्मृति
लिख डाले मेरे लिए
स्वयं को मुक्त किये ।

रीति रिवाज मान मर्यादा
कायदे क़ानून संस्कृति सभ्यता
शर्म हया नियम परम्परा
सब का सिंकजा मेरे लिए धरा
स्त्री होने की यह निर्दयता  ।

चाह नहीं मेरी
तुम मेरे लिए व्रत करो
पर है एक छोटी सी चाह
तुम जीवन संगीनी का
कभी न अपमान करो ।

स्मरण है मुझे
मेरा पत्नी धर्म निश्छल
यही आशा-अपेक्षा
तुम्हें भी याद रहे
पति धर्म हर पल ।

मैं अपूर्ण तुम बिन
तुम्हारी अपूर्णता भी
बनी रहे मुझ बिन
मेरे स्वाभिमान पर
न आये आंच पल छिन ।

है जो तुमने मुझे
अपनाया तन मन से
समझा अर्धांगिनी ह्रदय से
तो चीज वस्तु कठपुतली
शब्द न फूटें मुख से ।

नहीं है प्रश्न मेरी
पूजा सम्मान सत्कार का
न किसी भवन दरबार का
बस सहचरी समझो मुझे
चाह नहीं धन अम्बार का ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल 
27.10.2018

Thursday 25 October 2018

Ham bachchon se darane lage: हम बच्चोंसे डरने लगे

बिरखांत-235 : हम बच्चों से डरने लगे हैं |

    अपने बच्चों से डर कैसा ? यदि हम डर रहे हैं तो कहीं न कहीं हमारी परवरिश में कमी है । आज की बिरखांत बच्चों को समर्पित है | हम अपने बच्चों से डरने लगे हैं और डर के मारे हमने अपने बच्चों से कुछ भी कहना छोड़ दिया है | आए दिन समाचार पत्र या टी वी में हम देखते हैं कि अमुक बच्चा मां या पिता के डांटने पर घर से भाग गया या फंदे पर लटक गया | इस डर के मारे हमने भी बच्चों से कुछ भी कहना छोड़ दिया जो अनुचित है | हमने बच्चों को समय देना चाहिए | प्यार से समझा कर भी बच्चे मान जाते हैं परन्तु यह कार्य शैशव काल से शुरू होना चाहिए | ज्योंही हमें बच्चों में कोई भी अवगुण नजर आने लगे, हमें धृतराष्ट्र या गांधारी नहीं बनना चाहिए | दुर्योधन के अवगुणों को उसके माता-पिता ने नजरअंदाज कर दिया था | गुरु द्रोणाचार्य की बात को भी उन्होंने अनसुना कर दिया |

        जब भी कोई हमसे हमारे बच्चे की बुराई करे हमने बुरा मानने के बजाय चुपचाप उसकी बात को जांचना-परखना चाहिए | कम उम्र के बच्चे भी हमारे दिए हुए मोबाइल या कंप्यूटर पर उत्तेजनात्मक दृश्य देख रहे हैं | देश में 13 साल से कम उम्र के 76 % बच्चे रोज यू ट्यूब में वीडियो देख रहे हैं जिन्होंने अपने अभिभावकों की अनुमति से अपने एकाउंट बना रखे हैं |

     बच्चों की भाषा भी अशिष्ट हो गयी है | उन्हें घर का खाना कम पसंद आने लगा है | वे चाउमिन, मोमोज, बर्गर, चिप्स, फिंगर फ्राई और बोतल बंद पेय से मोटे होने लगे हैं | घर में भी हम बच्चों को  अनुशासित नहीं रख रहे हैं | प्रात: उठने से लेकर रात्रि में सोने तक बच्चों के लिए समय प्रबंधन होना बहुत जरूरी है | खेल और टी वी पर एक-एक घंटे से अधिक समय अनुचित है | 15 अगस्त या 26 जनवरी की छुट्टी देर तक सोने के लिए नहीं होती |

        कुछ लोग अपने अवयस्क लाडलों को स्कूटर, मोटरसाइकिल या कार चलाने की खुली छूट दे रहे हैं | गली-मुहल्ले में अक्सर यह दृश्य देख जा सकता है | अवयस्क लाडला अपने वाहन से पास ही खेल रहे बच्चों को कुचल देता है | किसी के निर्दोष बच्चे मारे गए और इस लाडले को सजा भी नहीं होती | रात में ये तरह-तरह के हॉर्न बजा कर लोगों को दुखित कर उड़नछू हो जाते हैं | पुलिस सब कुछ देखती है परन्तु चुप रहती है | ऐसे बच्चों के अभिभावकों के लाइसेंस और वाहन जफ्त होने चाहिए | हाल ही की रिपोट के अनुसार सड़क दुर्घटनाओं में हमारे देश में प्रति वर्ष डेड़ लाख बेक़सूर लोग मारे जाते हैं और तीन लाख लोग घायल होते हैं | इस संख्या में अवयस्क लाडलों द्वारा मारे गए निर्दोष भी शामिल हैं |

      बच्चों के साथ देशप्रेम और शहीदों की चर्चा भी होनी चाहिए | हमें अपने बच्चों के व्यवहार, बोलचाल, संगत, आदत, आहार और स्वच्छता पर अवश्य नजर रखनी चाहिए | यदि अनुशासन आरम्भ से होगा तो आगे चल कर डांटने का प्रशन ही नहीं उठेगा | बच्चों के साथ अभिभावकों का मित्रवत व्यवहार ही उन्हें उज्ज्वल भविष्य की ओर अग्रसर करता है | बच्चों के लिए समय जरूर निकालें अन्यथा एक दिन अभिभावकों को स्वयं बच्चों के साथ किये गए अपने व्यवहार-वर्ताव पर पछतावा होगा ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
26.10.2018

Wednesday 24 October 2018

Patakhon par nakel : पटाखोंपर नकेल

मीठी मीठी - 175 : पटाखों पर नकेल

    23 अक्टूबर 2018 को बढ़ते हुए प्रदूषण को रोकने और पर्यावरण को बचाने के लिए देश के सर्वोच्च न्यायालय ने दिवाली और अन्य अवसरों पर आतिशबाजी के लिए दिशा-निर्देश दिए हैं जिनके पालन करवाने की जिम्मेदारी क्षेत्रीय थाना प्रभारी की होगी । इन निर्देशों की अवहेलना पर थाना प्रभारी न्यायालय की अवमानना के दोषी माने जाएंगे ।

        सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार  दीपावली को रात 8 से 10 बजे तक और क्रिसमस -नया साल को रात 11.55 से 12.30 तक ही कम प्रदूषण और कम शोर वाले पटाखे ही जलाए जाएंगे । लाइसेंस धारक दुकानदार ही पटाखे बेच सकेंगे । पटाखों की ऑनलाइन बिक्री नहीं होगी । पटाखों की बिक्री से जुड़े निर्देश सभी त्योहारों और शादियों पर भी लागू होंगे । NCR क्षेत्र में सामुदायिक आतिशबाजी की जगह निर्धारित होनी चाहिए । लिथियम, आर्सेनिक, एंटीमनी (अंजन, सुरमा), सीसा और पारा युक्त पटाखे पूरी तरह प्रतिबंधित रहेंगे ।

     बम -पटाखों की आवाज पहले से निर्धारित 12 सितम्बर 2017 के आदेश के अनुसार होगी । न्यायालय ने पटाखों से पर्यावरण को भारी खतरा बताया । देशभर में कम प्रदूषण उत्पन्न करने वाले हरित पटाखे बनाने की अनुमति दे दी गई है । ये सभी आदेश पटाखों पर प्रतिबंध लगाने संबंधी एक याचिका के निस्तारण पर दिए गए ।

     समाज को जनहित और अपने बच्चों के हित में पटाखे नहीं जलाने चाहिए । प्रथा-परम्परा में भी सिर्फ दीप जलाकर रोशनी के साथ दीपावली मनाई जाती थी । पटाखों का प्रचलन वर्तमान में होने लगा जिससे स्वास्थ्य को खतरा पैदा हो गया । हमें पटाखे खरीदने, भेंट करने और जलाने से बचना चाहिए । यह हमारा प्रदूषण घटाने और पर्यावरण बचाने में अपनी भावी पीढ़ी के लिए बहुत बड़ा योगदान होगा ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
25.10.2018

UNO : संयुक्त राष्ट्र संघ

मीठी मीठी -174 : संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) दिवस

     आज 24 अक्टूबर संयुक्त राष्ट्र संघ (यूनाइटेड नेसन ऑर्गनाइजेशन) दिवस छ । 'लगुल' पुस्तक बटि लेख उधृत । आज UNO क 193 सदस्य छीं । विश्व शांति एकमात्र लक्ष्य । शुभकामना ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
24.10.2018

Monday 22 October 2018

Hawa mein 5 guna jahar : हवा में 5 गुना जहर

खरी खरी - 329 : हवा में 5 गुना जहर

       19 अक्टूबर से, जिस रात राजधानी में रावण परिवार के अनगिनत पटाखों युक्त पुतले दहन हुए, आज तक राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण चरम पर है जो बढ़कर सामान्य से 5 गुना अधिक हो गया है । चिकित्सकों के अनुसार इस दौरान सभी लोग 22 सिगरेट के धुंए के बराबर प्रदूषण सांस में ले रहे थे ।  इस प्रदूषण के कई कारणों में मुख्य हैं इस क्षेत्र में सड़क पर दौड़ने वाले 97 लाख वाहन, निर्माण कार्य, कुछ औद्योगिक इकाइयां, सड़क पर पड़ी हुई धूल, पड़ोसी राज्यों की जलती हुई पराली, जहां- तहां कूड़ा- पत्ते जलाना, जनेरेटर और ढाबों-होटलों के धुआं उगलते सैकड़ों तंदूर । पटाखों का प्रदूषण अत्यधिक रहा । प्रथा-परम्परा के नाम पर पटाखों से भरे पुतलों का दहन बंद करने पर भी मंथन होना जरूरी है ।

     इस बीच कुछ मित्रों का प्रदूषण विरोध  जनजागृति मुहीम में शामिल होने के लिए आभार । 14 वर्ष से कम उम्र के 40% बच्चों के फेफड़े राजधानी में प्रभावित हो चुके हैं ।  पटाखों के लिए अभिभावकों ने ही बच्चों को पैसे दिए होंगे या खुद पटाखे लाकर दिए होंगे । थोड़ा- थोड़ा करके सबने बना दिया राजधानी को गैस का चैंबर । NGT के आदेश से उठाये गए कदमों से स्थिति ठीक होने के उम्मीद है जबकि ऑड- ईवन की बात भी चल रही है ।

     जब जागो तब सबेरा । आगे की सुध लो । जीओ और जीने दो । एक-दूसरे पर दोषारोपण से अच्छा है पहले स्वयं सुधरें और जनजागृति करें । केवल सरकारों के भरोसे सुधार होना मुश्किल है । प्रदूषण के विरुद्ध जितने भी कानून बने हैं उन सबकी खुलेआम अवहेलना हम सब करते- देखते हैं । रावण के अन्दर अंधाधुंध पटाखे हम ही डाल रहे हैं । अमृतसर में 19 अक्टूबर 2018 को रावण दहन के समय 61 लोगों का ट्रेन से रौंदा जाने के अन्य कारणों में एक कारण पुतलों में जलने वाले पटाखों का शोर भी था ।  यदि हम अब भी नहीं चेते तो फिर हम ही अपने पैरों में कुल्हाड़ा मार रहे हैं ।  प्रदूषण के विरोध में मुहीम चलाना आज हम सबका सर्वोपरि कर्तव्य बन गया है ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
23.10.2018

Sunday 21 October 2018

Ramnagar bhasha sammelan : रामनगर भाषा सम्मेलन

मीठी मीठी - 173 : रामनगर (नैनीताल)में हमरि भाषा सम्मेलन


       य भौत खुशि कि बात छ कि रामनगर (जिला नैनीताल) में 18 अक्टूबर बटि 20 अक्टूबर 2018 तली तीन दिनी कुमाउनी -गढ़वाली भाषा सम्मेलनक आयोजन 'भोर सोसाइटी' और'दुदबोलि रामनगर' द्वारा नगर पालिका आडिटोरियम में  आयोजित करीगो । मुख्य विचार बिंदु छी भाषाक मानकीकरण, व्यवहारीकरण और प्रसार । वक्ताओंल यूं मुद्दों पर विस्तृत वार्ता करी और आपणि भाषा कुमाउनी -गढ़वालि कैं इस्कूलों में पढूण, यैकैं रोजगार दगै जोड़ण, पाठ्क्रम बनूंण और साहित्य लेखण पर जोर दे । संदर्भ बतौर कुमाउनी मासिक पत्रिका 'पहरू', 'कुमगढ़' औऱ 'कुर्मांचल अखबार' कि लै चर्चा हैछ ।


       य तीन दिनी भाषा सम्मेलन में कुमाउनी और गढ़वालीक कएक साहित्यकारोंल आपण विचार धरीं जनूं मुख्य छी 'दुदबोलिक' संपादक श्री मथुरादत्त मठपाल ( रामनगर), जगदीश चन्द्र जोशी (हलद्वाणी), पूरन चन्द्र काण्डपाल (दिल्ली), कैलाश चन्द्र लोहनी, प्रोफेसर शेखर पाठक ('पहाड़' नैनताल), डॉ योगम्बर सिंह बर्त्वाल, डॉ नागेंद्र ध्यानी (देहरादून), दामोदर जोशी 'देवांशु' ('कुमागढ़' क संपादक कठगोदाम ), डॉ प्रयागदत्त जोशी (हलद्वाणी), कृपाल सिंह शीला (भिकियासैंण बासोट ), जहूर आलम (नैनताल), अशोक पांडे, संजय रिखाड़ी, अजेंद्र सुंदरियाल (भोर सोसाईटी, रामनगर )। सम्मेलनक संचालन धर्मेंद्र नेगी ज्यूल करौ । सम्मेलन में सर्वश्री नवीन चन्द्र तिवारी (गाजियाबाद), धर्मानंद शर्मा (काशीपुर) और प्रेम चन्द्र जोशी (चोरपानी) आदि जास कएक वरिष्ठजन लै मौजूद छी । सम्मेलन कि व्यवस्था में 'भोर सोसाइटी'क संजय रिखाड़ी, अजेंद्र सुंदरियाल, अमित तिवारी, निषाद, नवीन शर्मा आदि समेत पुरि टीमक सहयोग छी ।


     सम्मेलनक सांध्यकालीन सत्रों में 'भोर सोसाइटी' रामनगर द्वारा मंचित रामलीलाक फिल्मांकन लै देखौ । यैक अलावा लोकगायिका कबूतरी देवी पर लै एक डॉक्युमेंट्री फ़िल्म दिखाइगे । 19 अक्टूबर अपरान्ह सत्र में लघुनाटिका 'गोरा साधु' क मंचन 'भोर सोसाइटी' क कलाकरों द्वारा करीगो । य नाटिका में जिम कॉर्बेट कि बाघ संरक्षण पर विचारधारा क भौत शानदार संदेश दिईगो । नाटिका क निर्देशन संजय रिखाड़ी द्वारा करीगो । सबै कलाकारों कि दर्शकोंल भौत सराहना करी । सम्मेलनक आखिरी सत्र में कुमाउनी -गढ़वाली कवि सम्मेलन हौछ जमें सबै कवियोंल कविता पाठ करौ । कुमाउनीक वरिष्ठ साहित्यकार मथुरादत्त मठपाल ज्यूक मार्गदर्शन पर य तीन दिनी भाषा सम्मेलन भौत सफल रौछ ।


पूरन चन्द्र काण्डपाल

22.10.2018

Saturday 20 October 2018

Maanyta hai : मान्यता है

ख़री खरी - 328 : "मान्यता" लिखने वाले नर 


       अतीत में जितना भी महिलाओं को पुरुषों से कमतर दिखाने की बात कही-लिखी गई उसको लिखने वाले नर थे । सबकुछ अपने मन जैसा लिखा, जो अच्छा लगा वह लिखा । एक शब्द है "मान्यता" है । 'बहुत पुरानी मान्यता है' कहा जाता है । ये कैसी मान्यताएं थी जब जब औरत को बेचा जाता था, जुए के दाव पर लगाया जाता था, बिन बताए गर्भवती को घर से निकाला जाता था, उस पर मसाण लगाया जाता था, उसे लड़की पैदा करने वाली कुलच्छिनी कहा जाता था, उसे सती -जौहर करवाया जाता था और उसे मुँह खोलने से मना किया जाता था । महिला ने कभी विरोध नहीं किया । चुपचाप सुनते रही और सहते रही ।

       अब हम वर्तमान  में जी रहे हैं । अब सामंती राज नहीं, प्रजातंत्र है । 74% महिलाएं शिक्षित हैं । श्रध्दा के साथ किसी भी मंदिर जाइये,  नारियल फोड़िये, नेट विमान चलाइये, स्पीकर बनिये, राष्ट्रपति बनिये और बछेंद्री की तरह ऐवरेस्ट पर चढ़िये । देश के लिए ओलंपिक से केवल दो पदक आये 2016 में, दोनों ही पदक महिलाएं लाई । पुरुष खाली हाथ आये । आज देश में हमारा संविधान है जिसके अनुसार हम सब बराबर हैं । जयहिंद के साथ सभी सीना तान कर आगे बढ़िए । जय हिन्द की नारी । 

पूरन चन्द्र काण्डपाल

21.10.2018


Friday 19 October 2018

Rawan ki khari khoti : रावण की खरी -खोटी

खरी खरी - 327 : जब रावण ने सुना दी मुझे खरी-खोटी

      कल 19 अक्टूबर 2018 को दहन से पहले दिल्ली में रावण से आमने-सामने भेंट हो गई । रावण की विद्वता, ज्ञान और पराक्रम की याद दिलाते हुए मैंने पूछा, " इतना सबकुछ होते हुए आप युद्ध में मारे जाते हैं और लोग आज भी आपकी बुराई करते हैं । इतने पराक्रमी होने पर भी आपने छल से सीता का हरण क्यों किया ?

     अजी साहब इतना सुनते ही रावण साहब उछल पड़े और गरजते हुए बोले, "आपने सुना नहीं युद्ध और प्यार में सब जायज है । किसी की बहन की नाक कट जाय तो भाई कैसे चुप रह सकता है । मेरी बहन सूपनखा भी तो नारी थी । मानता हूं उसने गलती की पर उस गलती की इतनी बड़ी सजा तो नहीं होनी चाहिए थी ।"

     मशाल की तरह धधकती रावण की आंखों को देख कर मुझ से बोला नहीं गया । रावण का पारा सातवे आसमान पर था । वह गरजना के साथ बोलता गया, " क्यों मुझे बदनाम करते हो ? मैंने एक मंदोदरी के सिवाय कभी किसी दूसरी नारी की ओर नहीं देखा । सीता को उठाकर ले तो गया परंतु अपने महल के बाहर अशोक वाटिका में रखा उसे । उसके आँचल को छुआ तक नहीं । उसके सम्मान पर आंच नहीं आने दी ।"

     रावण अपनी जगह सही था । वह आगे बोलता गया, " मैंने कभी नारी पर लाठीचार्ज नहीं किया और कभी किसी नारी का बलात्कार भी नहीं किया । न कभी किसी नारी का उत्पीड़न किया और न अपमान किया । मुझे बुरा समझ कर कोसते हो तो पहले अपने अंदर छुपे हुए रावण को तो बाहर निकालो फिर जलाना मेरा पुतला । 94 % बलात्कारी पीड़िता के किसी न किसी तरह से परिचित या सम्बन्धी होते हैं तुम्हारे इस  समाज में । पहले इनके अंदर के राक्षस को मारो । मैंने तो अपनी मौत और मौत का तरीका खुद ढूंढा था । बलात्कारियों संग मेरा नाम मत जोड़ो ।"

     रावण की इस 24 कैरट सच्चाई से मैं वाकशून्य हो गया था । उसकी इस कटु सत्यता से मैं हिल चुका था । इसी बीच रामलीला डायरेक्टर की सीटी बजी और दनदनाते हुए रावण मंच पर पहुंच गया । रावण वास्तव में सत्य कह रहा था । हमें अपने अंदर की बुराइयों के रावण का दहन सबसे पहले करना होगा  ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
20.10.2018

Nasha mukti sambhaw : नशा मुक्ति संभव

बिरखांत -234 : नशे से मुक्ति सम्भव

            अखिल भारतीय स्वतंत्र लेखक समूह में रहकर देश हित में निष्पक्ष कलम चला रहा हूं | स्वास्थ्य शिक्षक होने के नाते कई वर्षों से नशामुक्ति से भी जुड़ा हूं और सैकड़ों लोगों को शराब, धूम्रपान, खैनी, गुट्का, तम्बाकू, मिथ और अन्धविश्वास से छुटकारा दिलाने में मदद कर चुका हूं| एक टी वी चैनल पर मैंने इस बात को स्वीकारा है कि प्रत्येक व्यक्ति अपने तरीके से भी किसी नशा-ग्रसित को नशामुक्त करने में मदद कर  सकता है | इसमें क्रोध नहीं विनम्रता की जरूरत है | नशेड़ी नशे के दुष्प्रभाव से अनभिज्ञ होता है | जिस दिन वह इसके घातक परिणाम को समझ जाएगा, वह नशा छोड़ देगा |

      कोई भी नशा हम मजाक-मजाक में दोस्तों से सीखते हैं फिर खरीद कर सेवन करने लगते हैं | अपना धन फूक कर स्वास्थ्य को जलाते हुए  कैंसर जैसे लाइलाज रोग के शिकार हो जाते हैं | यदि आप किसी प्रकार का नशा कर रहे हैं तो इसे तुरंत छोडें | अपने मनोबल को ललकारें और जेब में रखे हुए नशे को बाहर फैंक दें | वर्ष 2004 में मेरी कविता संग्रह ‘स्मृति लहर’ लोकार्पित हुई | जनहित में जुड़ी देश की कई महिलाएं हमें प्रेरित करती हैं | ऐसी ही पांच प्रेरक महिलाओं – इंदिरा गांधी, मदर टेरेसा, किरन बेदी, बचेंद्री पाल और पी टी उषा पर इस पुस्तक में कविताएं हैं |

      पुस्तक भेंट करने जब में डा. किरन बेदी के पास झड़ोदाकलां दिल्ली पहुंचा तो उन्होंने बड़े आदर से पुस्तक स्वीकार करते हुए मुझे नव-ज्योति नशामुक्ति केंद्र सरायरोहिला दिल्ली में स्वैच्छिक सेवा की सलाह दी | मैं कुछ महीने तक सायं पांच बजे के बाद इस केंद्र में जाते रहा | मेडिकल कालेज पूने की तरह यहां भी बहुत कुछ देखा, सीखा और किया भी | आज भी मैं हाथ में तम्बाकू मलते या धूम्रपान करते अथवा गुट्का खाते हुए राह चलते व्यक्ति से सभी प्रकार के नशे छोड़ने पर किसी न किसी बहाने दो बातें कर ही लेता हूं |

       9 अगस्त 2015 को निगमबोध घाट दिल्ली के नजदीक कश्मीरीगेट, यमुना बाजार, हनुमान मंदिर पर नशेड़ियों से नशा छोड़ने की अपील करने एक महिला नेता पहुँची जिनके सिर पर किसी ने पत्थर मार दिया | बहुत दुःख हुआ | जनहित में मुंह खोलने वाले को असामाजिक तत्व निशाना बना देते हैं यह नईं बात नहीं है | आज भी पूरी दिल्ली में पाउच बदल कर जर्दा- गुट्का, तम्बाकू अवैध रूप से बिक रहा है |

       कानूनों के धज्जियां उड़ते देख भी बहुत दुःख होता  है | इसका जिम्मेदार कौन है ?  बुराई और असामाजिकता के विरोध में मुंह खोलने में जोखिम तो है | क्या जलजलों की डर से घर बनाना छोड़ दें ? क्या मुश्किलों की डर से मुस्कराना छोड़ दें ? मैं बिरखांत में किसी को सलाह (प्रवचन) देना नहीं चाहता बल्कि  समस्या को उकेर या उजागर  कर इसकी गंभीरता को समझाने  का प्रयास करता हूं |  अगली बिरखांत में कुछ और ...

पूरन चन्द्र काण्डपाल
18.10.2018