Friday 30 April 2021

कितनी दारू ठीक रहेगी ? Kitani daru theek rahegi :

खरी खरी - 840 : कितनी दारू ठीक रहेगी ?

        (देश की अधिकांश शराब की दुकानें और देशी ठेके मजदूरों की बदौलत ही गुलजार रहती हैं । मजदूर दिवस पर मंथन करें कि आख़िर शराब पीने की मजबूरी क्या है ? आज दिल्ली में कोरोना कर्फ्यू का 12वां दिन है। ( पिछले साल 01 मई 2020 को देश में लौकडाउन का 38/40वां दिन था ।) घर में रहिए । जिम्मेदार नागरिक बनिए । हालात बिगड़ते जा रहे हैं । सहयोग करिए और कर्म वीरों को नमन करिए । मजदूर दिवस पर आज देश ही नहीं विश्व के सभी मजदूर परेशान हैं । निराश न हों । यकीन मानिए एक ठीक से पहना हुआ मास्क कोरोना को हरा सकता है।  कोरोना हारेगा और मानव जीतेगा । मजदूर दिवस की शुभकामना ।)

    कुछ दिन पहले (जब कोरोना का दौर नहीं था )  सायँकालीन सैर के समय कुछ दारूबाज रोज की तरह पार्क में दारू गटकाते हुए मिल गए । ''सार्वजनिक स्थान पर यह प्रतिबंधित कर्म क्यों कर रहे हो ?'' कुछ हिम्मत के साथ जब यह सवाल मैंने पूछा तो बोले, "जाएं तो जाएं कहां ? घर में पी नहीं सकते, कार्यस्थल पर भी मनाही है और यहां सुनसान में आपको आपत्ति है ?" "पीते ही क्यों हो ? दारू अच्छी चीज नहीं है । स्वास्थ्य, धन, सम्मान, घर -परिवार सब बरबादी ही बरबादी होती है दारू से " मैंने कहा।  बहुत देर तक बहस हुई । वे सवा सेर मैं मात्र छटांग भर । अंत में एक बोला, "सर आप हमारे भले के लिए कह रहे हैं , छोड़ने की कोशिश करेंगे ।" दूसरा बोला, "सर कम से कम कितनी दारू ठीक रहेगी ? कई डाक्टर -वैद्य भी तो पीते हैं ।"

      मैंने पुलिस नहीं बुलाई क्योंकि ऐसा करने से पुलिस लाभान्वित होती रही है । समझा कर हृदय परिवर्तन का लक्ष्य था सो समझाया, "शराब हर हाल में नुकसान दायक है । मैं आपको शराब छोड़ने के लिए ही कहूंगा ।" तीसरा बोला, "सर एक पैग तो चलेगा, ज्यादा ठीक नहीं ।" मैने कहा, "एक पैग के बाद ही अगला पैग लगाते हैं आप लोग । एक पैग के बाद बंद करो तब ना ।" वे सुनते रहे । छै लोग थे । बिना नमकीन के बोतल समापन की ओर थी । कुछ सुन रहे थे, कुछ मसमसा रहे थे और कुछ डौन हो चुके थे । मैंने उन्हें चार 'D' की बात समझायी और चला आया ।  

    क्या है ये चार 'D' ?  चार डी दारू के चार पैग की दास्तान है जिससे एक- एक कर चार पैग दारू पीने के परिणाम सामने आते हैं । एक पैग- Delighted खुश, दूसरा पैग- Dejected उदास,  तीसरा पैग- Devilish राक्षस और चौथा पैग - Dead drunk मृतप्राय लंबा लेट गया जमीन पर - लमपसार । चार पैग का क्रमशः अंजाम है खुश, उदास, राक्षस और मृत प्रायः । मुझे दूर तक उनकी आवाज सुन रही थी । एक कह रहा था, "भइ बात सही कह गया ये बंदा । अब दारू कम करनी पड़ेगी ।"

(आज 1 मई मजदूर दिवस है। सभी दारू पीने वाले मजदूरों को/मितुरों को इस उम्मीद के साथ शुभकामना कि आपकी मजदूरी, परिवार और स्वास्थ्य दोनों सकुशल रहेंगे यदि आप दारू छोड़ दें तो । दारू छोड़ना कोई असम्भव कार्य भी नहीं है । बस एक बार दृढ़ प्रतिज्ञ होकर ठान लीजिए । मां के गर्भ से तो हम दारूबाज नहीं थे, दुनिया में आने पर ऐसे यार/दोस्त मिले जिन्होंने हमें दारुबाज/नशेड़ी बना दिया । प्रतिदिन एक पव्वा गटकने वाला एक वर्ष में ₹ 36000/- की शराब गटक जाता है।  )

पूरन चन्द्र काण्डपाल


01.05.2021


Thursday 29 April 2021

Sankalp lene ki himmat : संकल्प लेने की हिम्मत

बिरखांत -367 : संकल्प लेने की हिम्मत

     हमने कई लोगों को कहते हुए सुना है के इस वर्ष गंगा स्नान करने हरिद्वार गया था और बीड़ी-सिगरेट-तम्बाकू छोड़ आया या चाय छोड़ आया या मांसाहार छोड़ आया | अपने प्रण को पूरा करने के लिए लोग गंगा स्नान या कसम का सहारा लेते हैं परन्तु उच्च मनोबल के कमी से  कुछ ही दिनों में प्रण से फिसल जाते हैं | इधर सोशल मीडिया में में भी न्यू ईयर रिसोल्यूसन (संकल्प) की बात कई अनुज-अग्रज कर रहे हैं | दर्जन भर संकल्प यहां दे रहा हूं | ‘जब जागो तब सवेरा’ के मंत्र से अपने मनोबल के सहारे हम इन पर खरे उतर सकते हैं |

     1. सपने (कल्पना) देखें, बिना सपने के हम योजना नहीं बना सकते और न कर्म कर सकते हैं ।

2. फौंक अर्थात बड़बोलापन न करें, जो कहें उसे जरूर करें | कथनी को करनी में जरूर बदलें |

 3. ईमानदारी से कार्य करें जिसका हमें पारिश्रमिक मिल रहा है | रात को सोने से पहले इस बारे में अपने से सवाल जरूर करें | 

4. समय प्रबंधन जरू करें | सेकेंड के दसवे भाग से मिल्खा सिंह और सेकेंड के सौवे भाग से पी टी उषा को  ओलम्पिक पदक से वंचित होना पड़ा | जो समय को बरबाद करेगा उसे समय कभी माफ़ नहीं करेगा |

5. स्वस्थ रहें, स्वस्थ रहने के लिए भोजन और जीवन शैली पर अनुशासन रखें, जंक फ़ूड न खाएं, नियमित व्यायाम जरूर करें |

 6. मुंह को राक्षसी गुफा न बनाएं बल्कि सुख का द्वार बनाएं, जो मिले सो नहीं खाएं, मोटापे से बचें क्योंकि सारी बीमारियों की जड़ मोटापा है | 

7. आलस त्यागें, आलस्य मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन है | प्रातः बिस्तर जल्दी छोड़ें |

 8. शराब, धूम्रपान, गुट्का, तम्बाकू, पान मसाला आदि ये सब हमारे दुश्मन हैं | इनसे अपने को दूर रखें | जो आपके निकट भी इन्हें प्रयोग करता हैं उसे गांधीगिरी से मना करें | 

9. अपने ऊपर किये गए सहयोग का आभार अवश्य व्यक्त करें तथा अभिवादन करने में पहल करें | ‘आभार’, 'क्षमा करें’, और ‘धन्यवाद’ शब्दों का प्रयोग जरूर करें | इससे ईगो (घमंड,अहंकार) नहीं पनपेगी | 

10. चिंता न करें बल्कि चिंतन करें | चिंतन से युक्ति या राह मिलती है |

 11. शिष्ट भाषा बोलें, हास्य रस-पान करते रहें तथा प्रसन्न रहें | सैनिक, शिक्षक और शहीद को न भूलें ।

 12. व्यस्त रहें, अस्त-व्यस्त नहीं | पुस्तक-समाचार पत्र-पत्रिका से नाता अवश्य जोड़ें | 

13. राष्ट्र की सम्पति को अपनी सम्पति समझें चाहे वह पेड़, पार्क, सड़क, बस, रेल कुछ भी हो |

14.भावी पीढ़ी को मोबाइल प्रदूषण से बचाएं । वे क्या देख रहे हैं आपको पता होना चाहिए ।

15. विगत मार्च 2020 से पूरा देश कोरोना से जूझ रहा हैै जिसने वर्तमान में भयंकर रूप रख लिया है। जिनकी गलतियों से भी यह हुआ वे तो पश्चाताप नहीं करेंगे परन्तु हम संकल्प करें कि हम इस बिकराल समस्या से सभी हिदायतों का पालन करते हुए हिम्मत से लड़ेंगे और कोरोना को हराएंगे। 

         इन सभी बातों की चर्चा बच्चों एवं परिजनों से जरूर करें | ये सभी संकल्प हमारी जीवन में साहस, कर्मठता, निडरता, राष्ट्र-प्रेम और सामाजिकता का संचार करते हैं | इन संकल्पों को हम बिना किसी की मदद के आसानी से क्रियान्वित भी कर सकते हैं | फिर देर किस बात की है ? करिए संकल्प और निखारिये अपना व्यक्तित्व |

पूरन चन्द्र काण्डपाल


30.04.2021


Wednesday 28 April 2021

Rone se kuchh naheen milta : रोने से कुछ नहीं मिलता

खरी खरी - 839 : रोने से कुछ नहीं मिलता

( यह एक कौकटेल कविता है, कुछ पुरानी, कुछ नई, कुछ वर्तमान की आपके दिल में उठने वाली उमड़ - घुमड़ कुछ इसी तरह चल रही है इस दौर में । जीत के लिए सबसे बड़ी दवा है हिम्मत की सुई । घर बैठकर अपने वीरों को सलाम करते हुए चलो कविता की ओर रुख करते हैं । आज भारत बंद का दूसरा दिन है । हिम्मत के साथ घर में रहो, भागेगा कोरोना । जयहिंद । )

रोने से कभी
कुछ नहीं मिलता,
रह नहीं  गए अब
आंसू  पोछने वाले ।
.
दूर क्यों जाते हो
खोजने -ढूढने उन्हें,
तुम्हारे सामने ही हैं
पीठ पीछे बोलने वाले।

भरोसा मत करो
दिल अजीज कह कर,
शरीफ से लगते हैं
छूरा घोपने वाले।

संभाल अपने को
मतलब परस्तों से,
देर नहीं लगायेंगे
भेद खोलने वाले।

साथ देने की कसम पर
यकीन मत कर इनकी,
बहाना ढूढ़ लेते हैं
साथ छोड़ने वाले।

धर्म और मजहब सब
एक ही सीख देते हैं,
मतलब जुदा निकाल लेते हैं
समाज तोड़ने वाले।

अपने घर की बात
घर में ही रहने दो,
लगाकर कान बैठे हैं
घर को फोड़ने वाले।

दो बोल प्रेम के
बोल संभल के ,
नुक्ता ढूढ़ ही लेंगे
तुझे टोकने वाले।

आजकल घर से बाहर तू
भूल से भी मत निकल,
घुस सकते हैं तुझ में
वायरस कोरोना वाले ।

एक नज़र उनकी
तरफ भी देख जी भर,
बड़ी हिम्मत से जूझ रहे हैं
क्रूर कोरोना से लड़ने वाले।

करते हैं दिल से सलूट
इन साहसी कर्मवीरों को,
अथाह हिम्मत वाले हैं
ये कोरोना को भगाने वाले ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
29.04.2021

Ye Korona se ladane wale : ये कोरोना से लडने वाले

मीठी मीठी - 584 : ये कोराना से लड़ने वाले

( सड़क से लेकर अस्पताल तक कोरोना रोगियों की सेवा में एकजुट कर्मवीरों के लिए आज की यह कविता।  )

  कर खुद अपना संचालन तू
  कोरोना बचाव संसाधन तू ।

  तू सड़क में अस्पताल में
  तू एम्बुलेंस में श्मशान में
  खुद को भुलाकर जुट रहा
  आठों पहर सेवा कर्मन तू। कर...

   नित जारी रख अपना संघर्ष
   तेरे साहस में तेरा उत्कर्ष,
   शालीन मधुर ओजस्वी बन
   बन प्रेरक कर नव सृजन तू। कर...

   जिस दिन उत्साह तेरा जागेगा
   तुझे देख अँधेरा भागेगा,
   विपरीत हवा थम जाएगी
   कर नूतन रश्मि आलिंगन तू । कर...

   काँटों में राह बनाना सीख
   चट्टानों से टकराना सीख,
   है वक्त अभी तू जाग जरा
   कर आशा आँख में अंजन तू । कर..

   झुंझलाहट पास न आये तेरे
   तुझे व्याकुलता न कभी घेरे,
   जिज्ञासा ज्योति जगे जिसमें 
   कर नाटक ऐसा मंचन तू । कर...

   तेरी मेहनत जब रंग लाएगी
   संतोष सुगंध बिखराएगी ,
  तेरा बहता शोणित तुझसे कहे
   काया अपनी कर कंचन तू । कर...

   दरिया की तरह तू बहता चल
   बीहड़ में राह बनाता चल,
   भटका राही जो देखे तुझे
   कर उसका पथ प्रदर्शन  तू। कर...

   बन कर्मठ धीर सदा निश्छल
   तू गीत शहीदों के गाता चल ,
   जग में पहचान बना अपनी
   करके बस में अपना मन तू । कर...

   हो सदाचार श्रंगार तेरा
   हो मानवता संस्कार तेरा,
   बन शिष्ट सहज उदार प्रबल
   अपना करके अनुशासन तू।  कर...

   तेरी हिम्मत तेरे साथ रहे
   विजय पताका तेरे हाथ रहे,
   दस्तक देता उपहार लिए
   कर नव प्रभात अभिनन्दन तू ।

   कर खुद अपना संचालन तू
   कोरोना बचाव संसाधन तू ।

( विगत एक वर्ष एक माह से जूझते कोरोना फ्रंट लाइन वर्कर को दिल्ली में आज लाकडाउन के 8वें दिन सादर समर्पित । )

पूरन चन्द्र कांडपाल
28.04.2021

Is majnar mein kuchh bhale log : इस मंजर में कुछ भले लोग

खरी खरी -838 : इस मंजर में कुछ भले लोग

सप्ताह का दिन सोमवार
सन् दो हजार इक्कीस
अप्रैल की छब्बीस तारीख
दिल्ली में लाकडाउन का सातवां दिन
नए कोरोना केस चौबीस हजार पार
आज मौत भी तीन सौ पचास से पार
सुनसान सड़क, बंद पूरी बाज़ार
नीरवता में एम्बुलेंस का चेताता हॉर्न
पुलिस मोटर साइकिल का डराता हॉर्न
पेड़ों पर कुछ चिड़ियों की उदास चहक
अबारा कुत्तों का बेसुरी दर्दीली दरक
पार्क खाली गली- मुहल्ले चुप
सवाल पूछते बच्चे घरों में बंद
यह सब महामारी फैलने के बाद
काश ! होते हम पहले सतर्क
नहीं करते बात बात पर कुतर्क
लगा देते कुंभ चुनाव पर रोक
धार्मिक सामाजिक मिलन पर टोक
नहीं होता आज यह दर्दीला मंजर
निराशा का नहीं आता यह अंधड़
लोकलुभावन दिलाशा समाचारों में
नहीं उतरी जमीन पर रही कागजों में
बिन दवा आक्सीजन के अस्पताल
हर तरफ मारामारी हालत बिकराल
दम तोड़ते असहाय कोरोना बीमार
बीमारों के बिलखते परिजन लाचार
एम्बुलेंस किराए में मनमानी लूट
कालाबाजारी दवा में रहे धन कूट
लोग कराहते जिम्मेदार कौन
किससे कहें नहीं उठते फौन
मद्रास हाई कोर्ट की कड़ी फटकार
इस कहर का चुनाव आयोग जिम्मेदार
हाहाकार- मुनाफाखोरी के ठौर में
दहशत भरे कोरोना के इस दौर में
देखे जख्मों पर मलहम लगाते लोग
सड़क पर मुफ्त आक्सीजन देते लोग
खाना पानी और सहारा देते लोग
हिम्मत बढ़ाते अस्पताल पहुंचाते लोग
गांधारी दुर्योधनों को फटकारते लोग
मास्क बांटते बेझिझक मुंह खोलते लोग
अस्पताल में कोरोना से बेडर लड़ते लोग
श्मशान में कोरोना तांडव झेलते लोग
चिता जलाते गमगीन कब्र खोदते लोग
सर्वहारा की दिल से दुआ पाते लोग
समाज में अभी जिंदा हैं कुछ भले लोग।

पूरन चन्द्र कांडपाल
27.04.2021

Sunday 25 April 2021

Himnat Batov : हिम्मत बटोव

खरी खरी - 837: हिम्मत बटोव

भौत लोग कोरोनाल बेचैन
टेस्ट करणियांकि लामि लैन
हमर सिस्टम लाचार
चौतरफां पड़ हाहाकार
आक्सीजन हैगे लापता
दवाइ लै झणि कां भरमता
ब्लैक में सिलिंडर भराइ
ब्लैक में मिलैं रै दवाइ
मौतोंल भर शमशान
जाग न्हैति कब्रिस्तान
लोग कूंरीं के लै लि लियो
हमुकैं आक्सीजन दि दियो
कोर्ट कि जबरजस्त फटकार
को छ य हालतक जिम्मेदार?
यां बिकराल होते गे बीमारी
ऊं करते रईं चुनाव तैयारी
उनूल करी बड़ि बड़ि बात
रित हात खालि बातै बात
कसि य नेताओंकि नाकामी
इनार वजैल कोरोना सुनामी
दयो हल सबूंल जांणि
बजर पड़ल कैल नि जांणि
कोर्टल बताय भौत बेहाल
य छ कोरोना आपातकाल
को सुनो जनता कि डाड़
नेता सब जनता है टाड़
हुमणा चार कुंभ गाय
मनखी छी भेड़ बनि गाय
य साल कुंभ रोकण चैंछी
राज्योंक चुनाव टालण चैंछी
खूब देईं अफलतून भाषण
जनर खुद नि कर पालन
डेढ़ गजक छी लाम जिबड़
नि थाक झुटि करि बड़ बड़
आठ चरणों में कर चुनाव
रैलियों में किटि अंगवाव
बखत पर काम नि कर
तबै लोग बेमौत मर
नेता खुद लुकी जांरीं
हगण ता लोटिय चांरीं
आब अस्पताव पुछरीं
बाग गोठ घुस तब हु ढुंनरीं
हमारा नेता यास डगमगाय
काटी में मुतणा काम नि आय
अरे मनखिया नि हौ निराश
जब तली सांस तब तली आस
भली भांत आपूं कैं टटोव
टुटिए झन हिम्मत बटोव
माथ वाव कैं दिलल याद कर
डरणी माहौल छ पर तू नि डर
जतनल कर आपण बचाव
थमी जाल त्यर मनक उमाव
आब बीमारीकि वैक्सीन ऐगे
जिंदगी कि उम्मीद जगि गे
ढंगल मास्क लगा जरूर
भीड़ है आपुकैं धरिए दूर
एक दिन जरूर हल कोरोनाक अंत
पतेल झड़ी फंगा पर आल बसंत।

पूरन चन्द्र कांडपाल
26.04.2021

Saturday 24 April 2021

Mat ho nirash : मत हो निराश

खरी खरी - 836 : मत हो निराश !

कई कोरोना बीमार
टेस्ट की लंबी कतार
सिस्टम लाचार
प्रबंधन बेकार
न हवा (आक्सीजन)
न दवा ( रेमडिसीविर)
ब्लैक में आक्सीजन
जन जन का क्रंदन
मौतों का अंबार
परिजन लाचार
हमसे कुछ भी लेलो
हमें आक्सीजन देदो
भर गए शमशान
लद गए कब्रिस्तान
कौन जिम्मेदार ?
कोर्ट की फटकार
फ़ैल रही बीमारी
उधर चुनाव तैयारी
बड़े दावे तमाम
जमीन पर नहीं काम
कोर्ट जगाए बार बार
क्यों नहीं तैयार ?
ये कैसी नाकामी ?
आई कोरोना सुनामी
न्यायालय बताए हाल
ये कोरोना आपतकाल
क्यों जनता लाचार ?
ये कैसा हाहाकार ?
कुंभ नहीं टोका
चुनाव नहीं रोका
सामाजिक आयोजन
धार्मिक आयोजन
राजनैतिक आयोजन
ये कैसे प्रयोजन ?
जो दिए भाषण
खुद नहीं पालन
होते रहे चुनाव
रैली में कांव कांव
चिड़िया चुग गई खेत
कोई न जताए खेद
अब हे सर्वहारा ! सुन
उस मालिक को गुन
खुद को संभाल
मत हो बेहाल
पतझड़ जाएगा
बसंत आएगा
वो जो चला गया
लौट नहीं आएगा
देश का यह दर्द
कौन भुला पाएगा?
वैक्सीन लगा
खुद को बचा
भीड़ से बच
देह दूरी रख
मास्क लगाले
सबको बचाले
जिंदी कर आस
मत हो निराश !

पूरन चन्द्र कांडपाल
25.04.2021

Friday 23 April 2021

Kya yah sach naheen hae : क्या यह सच नहीं है?

खरी खरी - 835 : क्या यह सच नहीं ?

      आज से 12 वर्ष पहले 2009 में मेरी पुस्तक ' यथार्थ का आईना ' प्रकाशित हुई । उसके पृष्ठ आवरण पर 11 बातें लिखी हैं । मुझे लगता है ये 11 बातें आज भी उतनी ही सत्य हैं जितनी तब थीं । इस पुस्तक में मैंने राष्ट्रहित के 101 मुद्दे उनके समाधान  सहित बहुत ही लघु रूप में लिखे हैं ।

     आज 24 अप्रैल 2021, दिल्ली में कोरोना कर्फ्यू का 5वां दिन है । विश्व में 14.58 करोड़ लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं और 30.9 लाख इसके ग्रास बन चुके हैं । हमारे देश में भी 1.65 करोड़ से अधिक संक्रमित हो चुके हैं और 1.88 लाख से अधिक लोग ग्रास बन चुके हैं । दिल्ली में पिछले 24 घंटे में 26169 नए केस हुए हैं और इसी दौरान 306 रोगी कोरोना काल कवलित जो चुके हैं।  कुछ दुर्योधन घर से बाहर बेवजह किसी न किसी बहाने निकल रहे हैं । उन्हें  किसी तरह रोकिए । हिम्मत से मुंह खोलिए  और अपने लाडले दुर्योधनों को कोरोना का मुकाबला करने वाले कर्मवीरों की मेहनत पर पानी नहीं फेरने दे सकते । हमारी सर्वत्र लापरवाही और बेफिक्री से देश में कोरोना आज बिकराल रूप ले चुका है। सिस्टम को दवा और हवा (आक्सीजन )का समुचित प्रबंध शीघ्र करना होगा।  फिर भी हारेगा कोरोना, जीतेगा भारत । सब मिलकर सहयोग करें।

पूरन चन्द्र काण्डपाल,
24.04.2021

Laadale Duryodhanon ke beech : लाडले दुर्योध नों के बीच

बिरखांत-366 : लाडले दुर्योधनों के बीच

       महाभारत महाकाव्य के रचना में महर्षि व्यास जी ने कुछ ऐसे चरित्रों का वर्णन किया है जो आज भी हमारी इर्द- गिर्द घूमते हैं | ऐसा ही एक चरित्र है ‘दुर्योधन’ | कुरुवंश के राजकुमारों को जब आचार्य द्रोण शिक्षा देते थे तो इस पात्र को उनकी अवहेलना करते हुए बचपन में ही देखा गया | साथ ही इस पात्र ने न कभी बड़ों का सम्मान किया और न शिष्टाचार की परवाह की | महाभारत महाकाव्य का पौराणिक या राजवंशी कथानक जो भी हो इसमें पारिवारिक एवं सामाजिक मान-मर्यादाओं का विशिष्ट उल्लेख है | दुर्योधन ने पूरे महाकाव्य में अशिष्टता के पायदान पर चलते हुए बड़बोलेपन से अन्याय को गले लगाया | उसने कुल की मान-मर्यादाओं की खिल्लियाँ उड़ाते हुए नारी को भरी सभा में निर्वस्त्र करने का जो दुस्साहस किया, इससे बड़ा घृणित और पिशाचिक कुकृत्य कोई हो ही नहीं सकता | यदि अदृश्य योगेश्वर श्रीकृष्ण ने द्रोपदी को वसन विहीन होने से नहीं बचा लिया होता तो भरी सभा में पांच पांडवों और अन्य महारथियों के साथ बैठे भीष्म, द्रोणाचार्य, कृपाचार्य और महात्मा विदुर कौन सा दृश्य देखते ?”

     वहाँ विद्यमान पारिवारिक बड़ों में धृतराष्ट्र भी थे परन्तु उनके पास तो अंधा होने का प्रमाण था | दुर्योधन के आदेश पर जब दुशासन द्रोपदी को भरी सभा में बाल पकड़ कर घसीट लाया और निर्वस्त्र करने लगा तो उपरोक्त चारों महारथियों ने स्वयं को विवश पाया और गर्दन झुका ली | यहाँ कई प्रश्न उत्पन्न होते हैं कि ये महारथी उस सभा से उठकर चले क्यों नहीं गए या उन्होंने दुर्योधन को रोका क्यों नहीं ? क्या ये चारों मिलकर भी दुर्योधन पर प्रहार नहीं कर सकते थे ? अकेले भीष्म ही काफी थे | आखिर ऐसी कौन सी विवशता थी जो इनके हाथ बंधे रह गए ? मैं काव्य के अन्तरंग पहलू पर नहीं जाता | कथानक से प्रतीत होता है कि दुर्योधन इन सबके नियंत्रण से बाहर हो गया था | वह जानता था कि भीष्म हस्तिनापुर से बंधे हैं, विदुर राजशाही के मंत्री हैं तथा दोनों आचार्य राजघराने में दखल न देना ही उचित समझते हैं | इस तरह दुर्योधन एक जिद्दी, निरंकुश, हठधर्मी, महत्वाकांक्षी एवं अन्याय का पक्ष लेने वाला कुपात्र बन गया |

     क्या दुर्योधन को बाल्यकाल से ही पथभ्रष्ट होने से रोका नहीं जा सकता था ? धृतराष्ट्र अपने बेटे की गलती को अनसुना कर देते थे और मां गांधारी ने तो आँखों पर पट्टी बाँध ली थी | यदि उसे रोका जाता तो महाभारत काव्य का अंत कुरुवंश के नाश के साथ नहीं होता | आज हमारे घरों में भी दुर्योधनों की पौध उत्पन्न होने लगी है और हम सब लगभग धृतराष्ट्र- गांधारी बन गए हैं | हम अपने बच्चों के दोषों को अनदेखा करते हैं | बच्चों द्वारा अध्यापकों अथवा किसी अन्य की बुराई हम चुपचाप सुन लेते हैं | बच्चों की असभ्य भाषा और अमर्यादित व्यवहार पर भी हम चुप रहते हैं | बड़ों का आदर न करने, उनका मजाक उड़ाने तथा छोटों का उपहास करने पर हम आखें मूँद लेते हैं जो अनुचित है | घर के काम में हाथ बंटाने, सामाजिक और मितव्ययी बनने तथा अच्छी संगत करने की निरंतर सलाह बच्चों के लिए जरूरी है |

     बच्चों में देशप्रेम की उदासीनता, स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस से  बेपरवाही, भोजन और पहनावे में मनमानी, भाई या बहन के प्रति खींझ आदि हम सब देख रहे हैं जो दुखदायी है | बच्चों का अड़ियल, असहिष्णु, असंयमी, संवेदना हीन होना और प्रत्येक बात में कुतर्क करना उनमें सार्थक व्यक्तित्व नहीं पनपने देगा | ‘गलती हो गयी’, ‘दोबारा ऐसा नहीं होगा’, ‘क्षमा करें’, ’मैं करता हूँ आप रहने दो’, जैसे शब्द बच्चों के मुंह से लुप्त हो गए हैं | वाणी में मिठास की जगह कर्कशता छा गयी है | कुछ बच्चे गुटका, धूम्रपान, पान- मशाला और शराब भी पीते देखे गए हैं | यहाँ तक कि स्कूल में भी कुछ बच्चों के बैग में शराब मिली है | मोबाइल में भी वे अश्लील देख रहे हैं |

     कबूतर की तरह आँख बंद कर लेने से हमारे बच्चे अंधकार में भटक जायेंगे | औलाद के मुंह से निकले कटु शब्द पीड़ा पहुँचाते हैं | हमें अपने  दिशाहीन बच्चों को पुचकार कर समझाने- सहलाने की राह अपनानी होगी | यदि हम डर गए या हार गए तो अंततः नुकसान हमारा ही होगा | हमें समय रहते अपने बच्चों पर चौकस निगाह रखनी ही होगी और अपना व्यवहार विनम्र रखना होगा ताकि एक दिन वे समझ सकें कि उनके माता- पिता उनके भविष्य के लिए ही कबाब की तरह सिंकते –सिंकते सिकुड़ जाते हैं |

     (  आज 23 अप्रैल 2021, दिल्ली कोरोना कर्फ्यू का आज चौथा दिन है । विश्व में 14.38 करोड़ लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं और 30.6 लाख इसके ग्रास बन चुके हैं । हमारे देश में भी 1.56 करोड़ से अधिक संक्रमित हो चुके हैं और 1.82 लाख से अधिक लोग ग्रास बन चुके हैं । दिल्ली में पिछले 24 घंटे में 24638 नए केस हुए हैं और इसी दौरान 249 रोगी कोरोना काल कवलित जो चुके हैं।  कुछ दुर्योधन घर से बाहर बेवजह किसी न किसी बहाने निकल रहे हैं । उन्हें  किसी तरह रोकिए । हिम्मत से मुंह खोलिए । आज हम हस्तिनापुर से नहीं बल्कि भारत देश के राष्ट्रप्रेम से बंधे हैं और अपने लाडले दुर्योधनों को कोरोना का मुकाबला करने वाले कर्मवीरों की मेहनत पर पानी नहीं फेरने दे सकते । हारेगा कोरोना, जीतेगा भारत । )

पूरन चन्द्र काण्डपाल,
23.04.2021

Thursday 22 April 2021

Prithivi diwas : पृथ्वी दिवस 22 अप्रैल

खरी खरी - 834 : पृथ्वी दिवस 22 अप्रैल

      अमेरिका के सीनेटर गेलार्ड नेल्सन के प्रयासों से 1970 से लगातार पिछले 51 वर्षों से प्रतिवर्ष 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस मनाया जाता है । इस दिन दिनोदिन पृथ्वी की बिगड़ती दशा की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित किया जाता है क्योंकि इस दौरान प्रदूषण बढ़ता ही गया और जलवायु परिवर्तन से संकट गहराता गया । आज विश्व का औसत तापमान 1.5 डिग्री से.बढ़ गया है और हमारी राजधानी तो अप्रैल में ही 40 डिग्री से. तापमान पार कर गई है ।

     हम न जल बचा रहे हैं और न जंगल । हर साल वनमहोत्सव में रोपित अधिकांश पौधे देखभाल नहीं होने के कारण समाप्त हो जाते हैं । हम में से कई लोग रोज सूर्य को जल चढ़ाते हैं जिससे करोड़ों लीटर जल बह कर बर्बाद होता है । यदि यह जल नीचे न गिरा कर  किसी पौधे के ऊपर डाला जाए तो सूर्य को भी चढ़ जाएगा और पौधा भी जीवित रहेगा । इतना सा काम यदि हम नहीं कर सके तो फिर कागज में पृथ्वी दिवस मनाने का कोई औचित्य नहीं है ।

     इसी तरह जहां शवदाह के लिए CNG या विद्युत प्लांट बने हैं वहाँ शवदाह लकड़ी में नहीं होना चाहिए । दिल्ली के निगम बोधघाट पर सब यमुना को मैली करते हैं, प्रदूषण फैलाते हैं जबकि वहां 6 CNG प्लांट सही हालात में हैं । पृथ्वी बचाने के लिए कई मिथ तोड़ने हैं और नई परंपरा अपनानी है तभी हम अपने बच्चों के लिए इस धरती को बचा पाएंगे और इसे हराभरा रख पाएंगे । पुरातन परम्पराओं को बचाने के बहाने पृथ्वी को बचाने की बात हम क्यों भूल रहे हैं ? जब पृथ्वी बचेगी तभी परम्पराएं भी बचेंगी ।

        आज देश में कोरोना बहुत भयंकर रूप ले चुका है। देश में पिछले 24 घंटे में 2.95 लाख से अधिक केस हुए हैं और दो हजार से अधिक मृत हो गए हैं। दिल्ली में पिछले 24 घंटे में  28398 जबकि 277 कोरोना के ग्रास बन गए हैं । आज देश की यह हालत  उन नेताओं के कारण हुई है जिन्होंने समय रहते सही कदम नहीं उठाए और सभी धार्मिक, राजनैतिक, चुनाव रैलियों व सामाजिक आयोजनों पर प्रतिबंध नहीं लगाए। जनता ने भी सभी नियम तोड़े जिसके कारण महामारी नियंत्रण से बाहर हुई है। हमने पृथ्वी का बहुत दोहन किया । दोहन की एक सीमा होती है । यदि हम नहीं रुके तो धर्ती हमें क्षमा नहीं करेगी । जल, जंगल और जमीन का दोहन नए नए दुखों का कारण बन रहा है। घर में रहें और कोरोना को बढ़ने से रोकें तथा कोरोना कर्मवीरों का मनोबल बढ़ाएं ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
22.04.2021
पृथ्वी दिवस