Monday 31 July 2017

Do tang waale kutte : दो टांग वाले कुत्ते

खरी खरी - 56 : दो टांग वाले कुत्ते

     हम सबके परिचित चनरदा बोले, "यकीन करिये मैं दिनभर कई दो टांग वाले कुतों से रूबरू होता हूं । आप ठीक सोच रहे हैं कि कुत्ते की तो चार टांग होती हैं परन्तु ये दो टांग वाले कुत्ते कहां से आ गए ? ध्यान से देखिए ये दो टांग वाले कुत्ते सभी के इर्द-गिर्द हैं । कुत्ता तो एक घरेलू वफादार जानवर है । कहीं यह पालतू है तो कहीं आबारा । कुत्ता जब चाहे कहीं पर भी, सड़क के बीचोंबीच, रास्ते में, गली में, वाहन की आड़ में, घर के आगे, पार्क में, जहां उसका मन करे वहां मल-मूत्र छोड़ देता है । वह नहीं जानता कि उसकी इस हरकत से मानव परेशान होता है, दुखी होता है ।"

     "यदि यही हरकत कोई मनुष्य करे तो उसे कुत्ता ही तो कहेंगे । इन दो टांग वाले कुत्तों में एक विशेष बात यह होती है कि ये किसी भी स्थान पर, सड़क, सीढ़ी, जीना, दफ्तर, नुक्कड़, कोना कहीं पर भी गुटखा-तम्बाकू थूक देते हैं । वह कार सहित किसी भी वाहन से थूक देते हैं । उनके इस गुटखा -मल से वह स्थान लाल हो जाता है । ऐसे कुत्तों की ब्रीड भगाने पर भौकने या काटने आती है जबकि अबारा कुत्ते चुपचाप भाग जाते हैं । यकीन नहीं होता तो ऐसे दो टांग वाले कुत्तों को एक बार चनरदा की तरह हड़काओ -फटकारों तो सही ।"

पूरन चन्द्र काण्डपाल
01.08.2017

Sunday 30 July 2017

Aisee meree soch kahan ?ऐसी मेरी सोच कहां ?

खरी खरी - 55 : ऐसी मेरी सोच कहाँ ?

मंदिर- मस्जिद राम- द्वंद 
मुझे न जिंदा छोड़ेंगे,
राम- रहीम को एक मैं समझूं
ऐसी मेरी सोच कहां ?

हिन्दू मुस्लिम सिक्ख ईसाई
जैन पारसी बौद्ध बहाईं,
रक्त सभी का एक मैं जानूं
ऐसी मेरी सोच कहां ?

जप तप पूजा पाठ का राग
जीवन में अलापता  गया,
8कर्म को ही पूजा में जानू
ऐसी मेरी सोच कहां ?

रूढ़िवाद और अंधविश्वास के
सांकल में हूं जकड़ा गया,
काटूं सांकल मुक्ति पाऊं
ऐसी मेरी सोच कहां ?

शहीद हुए जो मातृभूमि पर
उनको तो में भूल गया,
स्मृति में उनके शीश झुकाऊं
ऐसी मेरी सोच कहां ?

खाली हाथ यहां आया अकेले
ऐसे ही मैं जाऊंगा,
जीवन चार दिनों का जानू
ऐसी मेरी सोच कहां ?

पूरन चन्द्र काण्डपाल
31.07.2017

Saturday 29 July 2017

Masamasai sab raeen : मसमसै सब रईं

खरी खरी -54 : मसमसै सब रईं

मसमसै सब रईं
जोरै ल क्वे क्ये नि कूं रौय,
आपणि आपणि है रै
क्वे कैकि नि सुणै रौय ।

आब नानतिन लै
आपण मना क हैगीं
जता जौस मन औंछ
उता उस करैं फैगीं,
मै बाप कैं हर बखत
बाघ जौस देखैं फैगीं,
समझूण में कै दिनी
तुमार बात पुराण हैगीं,
बाव कैं दे भुलिगो
बुड़ आब रै नि गौय ।
मसमसै....

मसाण  - जागर मैं
सब डुबि रईं,
गणतू - पुछ्यारूं क
पिछलगू बनि गईं,
गांठ- पताव ताबीजों क
माव जपैं रईं,
बकार - कुकुड़ खां रीं
परया जेब काटैं रईं,
अंधविश्वास में डुबि रीं
क्वे कै कं नि रोकैं रौय,
मसमसै सब रईं
जोरै ल क्वे क्ये नि कूं रौय ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
30.07.2017

Friday 28 July 2017

Shabd : शब्द

खरी खरी - 53 : शब्द

शब्द मुस्कराहट जगा देते हैं
शब्द कड़वाहट भी बड़ा देते हैं,
दिल जो दिखाई नहीं देता
शब्द उसकी बनावट भी बता देते हैं ।

कुछ शब्द कहे नहीं जाते
कुछ शब्द सहे नहीं जाते,
शब्दों के तीर से बने घाव
जीवन में भरे नहीं जाते ।

शब्द दुखड़े भी बांट देते हैं
शब्द खाई भी पाट देते हैं,
शब्दों के धारदार खंजर
उलझी हुई जंजीर काट देते हैं ।

शब्द मिठास भी भर देते हैं
शब्द निरास भी कर देते हैं,
मन में छिपे हुए तूफ़ान की
प्रकट भड़ांस भी कर देते हैं ।

शब्द से अमृत भी बरसता है
शब्द से जहर भी उफनता है,
अपशब्द से घटा जो घिरती है
हर तरफ कहर ही बरपता है ।

शब्द को जो पहले तोलता है
तोल के मुंह जो खोलता है,
मिटे -द्वेष -द्वंद -घृणा -ईर्ष्या
कूक कोयल सी मिठास घोल देता है।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
29.07.2017

Thursday 27 July 2017

Kargil yuddh : कारगिल युद्ध कर याद

बिरखांत -169 : कारगिल युद्ध की याद ( विजय दिवस : 26 जुलाई )  

     प्रतिवर्ष 26 जुलाई को हम ‘विजय दिवस’ 1999 के कारगिल युद्ध की जीत के उपलक्ष्य में मनाते हैं | कारगिल भारत के जम्मू-कश्मीर राज्य में श्रीनगर से 205 कि. मी. दूरी पर श्रीनगर -लेह राष्ट्रीय राजमार्ग पर शिंगो नदी के दक्षिण में समुद्र सतह से दस हजार फुट से अधिक ऊँचाई पर स्थित है |  मई 1999 में हमारी सेना को कारगिल में घुसपैठ का पता चला | घुसपैठियों को खदेड़ने के लिए 14 मई को आपरेशन ‘फ़्लैश आउट’ तथा 26 मई को आपरेशन ‘विजय’ और कुछ दिन बाद भारतीय वायुसेना द्वारा आपरेशन ‘सफ़ेद सागर’ आरम्भ किया गया | इन दोनों आपरेशन से कारगिल से उग्रवादियों के वेश में आयी पाक सेना का सफाया किया गया | इस युद्ध का वृतांत मैंने अपनी पुस्तक ‘कारगिल के रणबांकुरे’ ( संस्करण 2000) में लिखने का प्रयास किया है |

     यह युद्ध ग्यारह 11000 से 17000 फुट की ऊँचाई वाले दुर्गम रणक्षेत्र मश्कोह, दरास, टाइगर हिल, तोलोलिंग, जुबेर, तुर्तुक तथा काकसार सहित कई अन्य हिमाच्छादित चोटियों पर लड़ा गया | इस दौरान सेना की कमान जनरल वेद प्रकाश मलिक और वायुसेना के कमान एयर चीफ मार्शल ए वाई टिपनिस के हाथ थी | इस युद्ध में भारतीय सेना ने निर्विवाद युद्ध क्षमता, अदम्य साहस, निष्ठा, बेजोड़ रणकौशल और जूझने की अपार शक्ति का परिचय दिया | 

     हमारी सेना में मौजूद फौलादी इरादे, बलिदान की भावना, शौर्य, अनुशासन और स्वअर्पण की अद्भुत मिसाल शायद ही विश्व में कहीं और देखने को मिलती हो | इस युद्ध में भारतीय सेना के जांबाजों ने न केवल बहादुरी की पिछली परम्पराओं को बनाये रखा बल्कि सेना को देशभक्ति, वीरता, साहस और बलिदान की नयी बुलंदियों तक पहुँचाया | 74 दिन के इस युद्ध में हमारे पांच सौ से भी अधिक सैनिक शहीद हुए जिनमें उत्तराखंड के 74 शहीद थे तथा लगभग एक हजार चार सौ सैनिक घायल भी हुए थे |

     कारगिल युद्ध के दौरान हमारी वायुसेना ने भी आपरेशन ‘सफ़ेद सागर’ के अंतर्गत अद्वितीय कार्य किया | आरम्भ में वायुसेना ने कुछ नुकसान अवश्य उठाया परन्तु आरम्भिक झटकों के बाद हमारे आकाश के प्रहरी ततैयों की तरह दुश्मन पर चिपट पड़े | हमारे पाइलटों ने आसमान से दुश्मन के खेमे में ऐसा बज्रपात किया जिसकी कल्पना दुश्मन ने कभी भी नहीं की होगी जिससे इस युद्ध की दशा और दिशा में पूर्ण परिवर्तन आ गया | वायुसेना की सधी और सटीक बम- वर्षा से दुश्मन के सभी आधार शिविर तहस-नहस हो गए | हमारे जांबाज फाइटरों ने नियंत्रण रेखा को भी नहीं लांघा और जोखिम भरा सनसनी खेज करतब दिखाकर अपरिमित गगन को भी भेदते हुए करशिमा कर दिखाया | हमारी वायुसेना ने सैकड़ों आक्रमक, टोही, अनुरक्षक युद्धक विमानों और हेलिकोप्टरों ने नौ सौ घंटों से भी अधिक की उड़ानें भरी | युद्ध क्षेत्र की विषमताओं और मौसम की विसंगतियों के बावजूद हमारी पारंगत वायुसेना ने न केवल दुश्मन को मटियामेट किया बल्कि हमारी स्थल सेना के हौसले भी बुलंद किये |

     कारगिल युद्ध में असाधारण वीरता, कर्तव्य के प्रति अपने को न्योछवर करने के लिए 15 अगस्त 1999 को भारत के राष्ट्रपति ने 4 परमवीर चक्र (कैप्टन विक्रम बतरा (मरणोपरांत), कैप्टन मनोज पाण्डेय (मरणोपरांत), राइफल मैन संजय कुमार और ग्रेनेडियर योगेन्द्र यादव ( पुस्तक ‘महामनखी’ में इनकी लघु वीर-गाथा तीन भाषाओं में एक साथ है ), 9 महावीर चक्र, 53 वीर चक्र सहित 265 से भी अधिक पदक भारतीय सैन्य बल को प्रदान किये | कारगिल युद्ध से पहले जम्मू -कश्मीर में छद्मयुद्ध से लड़ने के लिए आपरेशन  ‘जीवन रक्षक’ चल रहा था जिसके अंतर्गत उग्रवादियों पर नकेल डाली जाती थी और स्थानीय जनता की रक्षा की जाती थी |

     हमारी तीनों सेनाओं का मनोबल हमेशा की तरह आज भी बहुत ऊँचा है | वे दुश्मन की हर चुनौती से बखूबी जूझ कर उसे मुहतोड़ जबाब देने में पूर्ण रूप से सक्षम हैं | उनका एक ही लक्ष्य है, “युद्ध में जीत और दुश्मन की पराजय |” आज इस विजय दिवस के अवसर पर हम अपने अमर शहीदों को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित कर शहीद परिवारों का सम्मान करते हुए अपने सैन्य बल और उनके परिजनों को बहुत बहुत शुभकामना देते हैं । आज ही हम सबको हर चुनौती में इनके साथ डट कर खड़े रहने की प्रतिज्ञा भी करनी चाहिए । 

पूरन चन्द्र काण्डपाल
26 जुलाई 2017

Kumauni kavita : Maasaip chulfan fareein : मासैप चुल्फन फैरीं

https://youtu.be/N5hNP_ruW2I

Pranav da : प्रणव दा

मीठी मीठी- 19 : प्रणव दा

     देश के 13वें राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी, प्रणव दा, 25 जुलाई 2017 को कोविन्द साहब के राष्ट्रपति बनते ही रिटायर हो गए । वे 25 जुलाई 2012 को राष्ट्रपति बने थे । उनकी पत्नी सुभ्रा जी का निधन 18 अगस्त 2015 को हुआ । अब वे अपने परिजनों सहित 10 राजाजी मार्ग में रहेंगे । कलाम साहब भी इसी बंगले में रहते थे । प्रणव दा की चर्चा मेरी पुस्तक 'लगुल' (कुमाउनी, हिन्दी और अंग्रेजी में एक साथ) में भी देश के सभी राष्ट्रपतियों और प्रधानमंत्रियों के साथ है ।

     राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति के साथ 200 लोग काम करते हैं । अवकाश प्राप्ति के बाद अब प्रणव दा को 5 लोगों की सेवा प्राप्त होगी - एक निजी सचिव, एक अतिरिक्त सचिव, एक निजी सहायक और दो चपरासी । अब उन्हें पिचहत्तर हजार रुपये मासिक पेंसन मिलेगी जबकि उनका वेतन डेड़ लाख रुपया महीने था ।

     मृदुभाषी, कर्मठ, विद्वान, कुशल राजनीतिज्ञ प्रणव दा का कार्यकाल इतिहास भरा रहेगा । वे संविधान ज्ञाता, अच्छे वक्ता, विनम्र होने के साथ ही प्रजातंत्र की अच्छी समझ रखते थे । उनके कार्यकाल में 26/11 के दोषी कसाब, संसद हमले के दोषी अफजल गुरु और 1993 मुम्बई धमाके के दोषी याकूब मेनन की फांसी पर मुहर लगी । उनके पास 37 क्षमा याचिकाएं आई । अधिकांश में उन्होंने न्यायालय की सजा को बरकरार रखा । प्रणव दा ने राष्ट्रपति भवन में लोगों का पहुंचना आसान बनाया और विदेश जाने के बजाय मेजबान बनने में रुचि दिखाई । हम उनके स्वस्थ एवं दीर्घायु रहने की कामना करते हैं ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
28.07.2017

Wednesday 26 July 2017

Ek kamare se 340 kamare tak : एक कमरे से 340 कमरे ठ्यक

मीठी मीठी- 18 : 1 कमरे से 340 कमरे तक

     हमारे देश के गणतंत्र की यह खूबी है कि यहां देश का कोई भी नागरिक देश के सर्वोच्च आसन तक पहुंच सकता है । कानपुर देहात के गांव पौरख में 1 अक्टूबर 1945 को जन्मे बिहार के पूर्व राज्यपाल श्री रामनाथ कोविंद 25 जुलाई 2017 को 12 बजकर 12 मिनट पर देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जे एस केहर  द्वारा शपथ दिलाते ही 21 तोपों की सलामी के साथ देश के 14वें राष्ट्रपति बन गए । अब नई दिल्ली लुटियन जोन स्थित 340 सुसज्जित कमरों वाले राष्ट्रपति भवन में प्रणब दा की जगह कभी  मिट्टी से बने एक कमरे में रहने वाले कोविंद साहब का निवास होगा ।

     दलित समुदाय में पले - बढ़े कोविंद साहब एक विद्वान व्यक्ति हैं जो बीजेपी से जुड़कर संसद सहित विभिन्न पदों से होते हुए बिहार के राज्यपाल बने । अपने प्रथम भाषण में राष्ट्रपति कोविंद जी ने देश के प्रत्येक नागरिक, किसान, जवान, वैज्ञानिक, मजदूर सहित देश की संस्कृति, परम्परा, विविधता, विचारधारा और पूरे देशवासियों पर गर्व जताया । देश के प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने कोविंद जी के प्रथम भाषण की आलोचना करते हुए कहा कि नए राष्ट्रपति जी ने पूर्व राष्ट्रनिर्माताओं सहित देश के प्रथम प्रधानमंत्री का नाम इस अवसर पर जानबूझ कर नहीं लेना निन्दनीय है ।

     हम सब देश के सर्वोच्च पद को सुशोभित करने वाले अपने नए राष्ट्रपति को हार्दिक बधाई और शुभकामना देते हैं ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
27.07.2017

Tuesday 25 July 2017

Transjenders ke din : फिरे दिन ट्रांसजेंडर्स के

मीठी मीठी -17 : फिरेंगे   ट्रांसजेंडर्स (किन्नर) के दिन

      शादी -ब्याह, जन्मदिन, नामकरण आदि शुभ अवसरों पर एक मोटी रकम ऐंठने वाले और नहीं देने पर गाली-गलौज करके नग्न होने की धमकी देने वाले किन्नरों के दिन अब धीरे -धीरे बदलने की उम्मीद है । संविधान द्वारा तीसरे लिंग के रूप में स्वीकारे जा चुके परंतु समाज और परिवार का बहिष्कार झेल रहे किन्नरों को अकादमिक सत्र 2017-18 से इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्व- विद्यालय (इग्नू) ने स्नातक और परास्नातक पाठ्यक्रमों में मुफ्त शिक्षा प्राप्त करने की अनुमति दे दी है । अब किन्नर फीस माफी के बाद उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं ।

     भलेही आजतक या आये दिन किन्नरों ने समाज को आतंकित किया हो परन्तु इनमें कुछ खुद्दार भी हैं जो भीख नहीं मांगते और समाज में एक सम्मानजनक स्थिति में जीये या जी रहे हैं । आतंकित इसलिए कि ये जो इनाम-बख्शीस मिले उसे स्वीकारने के बजाय हजारों रुपए मांगते हैं । नहीं देने पर उधम मचाते हैं । कुछ वर्ष पहले सबनम मौसी के नाम से विख्यात किन्नर 1998 में  मध्यप्रदेश से पहली किन्नर विधायक चुनी गईं । कटनी म प्र की किन्नर कमला जान 2000 में महापौर बनी । किन्नर आशा देवी गोरखपुर से मेयर बनीं और मानवी बंधोपाध्याय पश्चिम बंगाल के नादिया, कृष्णनगर महिला कॉलेज की प्रधानाचार्या बनी ।

     कार्य कठिन है परन्तु किन्नरों को यदाकदा सही राह दिखाई जा सकती है, पढ़ने के लिए प्रेरित किया जा सकता है,और उन्हें कार्य दिया जा सकता है। विकसित देशों में भारत की तरह किन्नर भीख नहीं मांगते या बस-ट्रेन अथवा सड़क के चौराहों पर लोगों को परेशान नहीं करते बल्कि उन्हें काम दिया जाता है और लोग उनके प्रति सहिष्णुता और सदभावना दिखाते हैं ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
25.07.2017

Saturday 22 July 2017

Poojalay : पूजालय

खरी खरी - 52 : पूजालय

मंदिर-मस्जिद वास नहीं मेरा
नहीं मेरा गुरद्वारे वास,
नहीं मैं गिरजाघर का वासी
मैं निराकार सर्वत्र मेरा वास ।

मैं तो तेरे उर में भी हूं
तू अन्यत्र क्यों ढूंढे मुझे,
परहित सोच उपजे जिसे हृदय
वह सुबोध भा जाए मुझे ।

काहे जप-तप पाठ करे तू
तू काहे ढूंढे पूजालय,
मैं तेरे सत्कर्म में बंदे
अंतःकरण तेरा देवालय ।

क्यों सूरज को दे जलधार तू
नीर क्यों मूरत देता डार,
अर्पित होता ये तरु पर जो
हित मानव का होता अपार ।

परोपकार निःस्वार्थ करे जो
जनहित लक्ष्य रहे जिसका,
पर पीड़ा सपने नहीं सोचे
जीवन सदा सफल उसका ।

राष्ट्र- प्रेम से ओतप्रोत जो
कर्म को जो पूजा जाने,
सवर्जन सेवी सकल सनेही
महामानव जग उसे माने ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
23.07.2017
(पुस्तक 'यादों की कालिका' से)

Ghapal-ghotaal : घपल - घोटाल (कुमाउनी कविता)

घपल- घोटाल (कुमाउनी कविता)

जो लै तुम
घोटाल करैं रौछा,
सुणि लियो एक बात
जतू है सकीं करो बेईमानी
लागलि जनता कि घात,
जब आलि होश
तब चाइये रौला
हमूल करौ भ्रष्टाचार
आपण गिच ल कौला,
विकास क नाम पर
खेलैं रौछा उटपटांग खेल
जोड़ें रौछा खूब काइ कमै
एक दिन जरूड़ पुजालि जेल,
भ्रष्टाचार ल जोड़ी जैजात
कभैं काम नि आवा,
मरण ता सब याद आल
जो करीं करम कावा ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
22.07.2017

Thursday 20 July 2017

Vidhawa vivaah : विधवा विवाह

खरी खरी - 51: विधवा विवाह

     हमारे देश में विधवाओं की स्थिति बहुत दयनीय है । धर्म के ठेकेदार उन्हें अशुभ मानते हैं और शुभ अवसरों पर पीछे धकाते हैं । शादी की उम्र होने के बावजूद भी उनका पुनर्विवाह नहीं होने दिया जाता और उन्हें एक परित्यक्त जीवन बिताने पर उन्हें मजबूर किया जाता है ।

      वृंदावन सहित कई शहरों में विधवाओं की दयनीय दशा देखकर सर्वोच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर केंद्र और राज्य सरकारों को इस मुद्दे पर गंभीरता से मंथन करने को कहा है । हमारी रुढ़िवादी सोच ने ही विधवाओं को काशी या वृंदावन पहुँचाया है । वैधव्य की मार झेलती इन परित्यक्ताओं को समाज से स्नेह -आदर की जगह तिरष्कार और अपमान मिला है ।

      विधवा विवाह की कानूनी मान्यता होने के बावजूद भी लोग इन्हें अपनाने से कतराते हैं । काशी वृंदावन इन्हें 'स्वर्ग का पड़ाव' बता कर भेजा जाता है। यहां इनकी दुर्गति किसी से छिपी नहीं है । प्रत्येक दृष्टिकोण से इनका शोषण होता है । परवरिश करने की समस्या तथा जायदाद हथियाने के लालच से इनके सम्बन्धी इन्हें यहां भेजते हैं ।

     सरकार कोई ऐसी नीति बनाये जिससे विधवा को अपनाने वालों को प्रोत्साहन मिले और समाज में विधवा का सम्मान हो तथा माता-पिता या सास-ससुर को भी विधवा बेटी या बहू का पुनर्विवाह अवश्य करना चाहिए ताकि उसे परित्यक्त जीवन न बिताना पड़े । यह काम भलेही कठिन है परंतु यह सबसे बड़ा मानव धर्म है ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
21.07.2017

Wednesday 19 July 2017

Shareef mukhaute waale sharaabi : शरीफ मुखौटे वाले शराबी

बिरखांत- 168 : शरीफ मुखौटे वाले शराबी 

   कुछ बातें कहने -बताने, सुनने-सुनाने की होती हैं जो हमें गिच  खोलने पर मजबूर करती हैं और साथ ही सबसे मंथन करने को कहती हैं |  हमारी अच्छी-बुरी हरकतों को बच्चे देखते हैं फिर अनुकरण करते हैं | हमारे कुछ बच्चे आज शराब, गुटखा, धूम्रपान, सुपारी और बीयर के शौकीन हो चुके हैं जिसका जुगाड़ वे चोरी या ठगी करके कर रहे हैं । घर में रखी हुई खुली बोतल से एक पैग चोरी से निकाल कर उतना ही पानी बोतल में डालने का केस देखने में आया है ।

       कुछ वर्ष पहले मैं गांव (उत्तराखंड) में एक बरात  में गया | मैंने अपने झोले में पजामे के साथ टार्च लपेट रखी  थी | लोगों ने सोचा ‘बापसैप दिल्ली बै ऐ रईं, बोतल हुनलि ‘ | जब सच्चाई का उन्हें पता चला तो वे कहने लगे “एक नंबर का कंजूस है ये | इसके साथ मत जाओ | ये भाषण देकर मूड खराब कर देगा |”  दुल्हन के आंगन पहुंचने तक केवल दूल्हा, एकाद रिश्तेदार, कुछ बच्चे और मैं दारू के दाग से दूर थे, बाकी पूरी बरात शराब में डूब चुकी थी |

      शराबी  बरेतियों ने उस गाँव में जो नाम कमाया  उसकी बिरखांत बताने लायक  नहीं है क्योंकि वह बहुत ही अमर्यादित, अशोभनीय और अनर्गल है | कएक बार झगड़े के बादल उठे और जैसे-तैसे उन बादलों को बरसने से रोका | 'ज्वात लागा लाग इज्जत रै गेइ' | शराब से दूर रहने पर यदि आपको कोई कंजूस कहे तो यह आपका सम्मान है, ऐसा मैं सोचता हूं |  एक न एक दिन, कभी न कभी प्रत्येक शराब सेवनकर्ता, शराब को बुरी चीज बताएगा |  फिर उस दिन का इन्तजार क्यों ? 

     आज ही, अभी से शराब को ‘ना’ कहो और उन पंडितों, मास्टरों (अध्यापकों),विद्यार्थियों, रिश्तेदारों, डंगरियों, जगरियों, रस्यारों, गिदारों, नेताओं, बाबुओं, बाबाओं, अफसरों, हेल्परों, डराइवरों, क्लीनरों, कवि- लेखक- साहित्यकारों आदि पूरी जमात की पोल खोलो जो कभी सरेआम तो कभी लुका-छिपा कर शराब गटक रहे हैं | कुछ तथाकथित कवि तो शराब के विरोध में कविता पढ़ते हैं और कवि-सम्मेलन के तुरंत बाद पौवा -अद्धा गटकते हैं । आयोजक जान कर अनजान बने रहते हैं । हटाओ इनका मुखौटा कि ये कवि नहीं शराबी हैं । अगली बिरखांत में कुछ और...

पूरन चन्द्र काण्डपाल
20.07.2017

Tuesday 18 July 2017

Gattar mein maut. : गटर में मौत

खरी खरी - 50 : गटर- में मौत

     15 जुलाई 2017 को राजधानी के घिटोरनी क्षेत्र में सेप्टिक टैंक की जहरीली गैस से चार सफाई मजदूर बेमौत मारे गए । दिल्ली नगर निगम के सफाई कर्मियों के अनुसार उन्हें बिना सेफ्टी किट के मैनहोल में उतार दिया जाता है जिससे उनकी जान हमेशा जोखिम में रहती है । सेफ्टी किट में मास्क, आक्सीजन सिलिंडर, टार्च, जैकेट, चश्मा, जूते, दस्ताने होते हैं जिससे सफाई मजदूर का जहरीली गैस से बचाव होता है । इस किट के प्रयोग से सीवर की जहरीली गैस की मौजूदगी में वहां मजदूर सफाई कर सकता है ।

     देश में गटर- सीवर- मैनहोल में बिना सेफ्टी किट के जाकर जहरीली गैस से विगत 100 दिनों में बेमौत मरने वालों की संख्या 39 हो गई है । हम बुलेट ट्रेन की बात कर रहे हैं, दूसरे देश के उपग्रह अंतरिक्ष में भेज रहे हैं, हमारे पास अणुबम -मिसाइल भी हैं परंतु इस बेमौत की मौत पर हम हाथ बांधे चुपचाप खड़े हैं । जो लोग गटर- सीवर- मैनहोल में जाते हैं वे भी मनुष्य हैं परन्तु मजबूरी से इस कार्य को करते हैं ।

आज के युग में यह काम मशीन से होना चाहिए । यदि मशीन नहीं हैं तो इन मजदूरों को कम से कम सेफ्टी किट तो दी जानी चाहिए । सरकारों और तंत्र को इस बेमौत को संजीदगी से देखना चाहिए अन्यथा सफाई कर्मी यूं ही बैमौत मरते रहेंगे जो हमारे विकास और तंत्र पर एक धब्बा ही माना जायेगा ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
19.07.2017

Monday 17 July 2017

Paudh ropan mein eemaandaari : पौध रोपण में ईमानदारी

खरी खरी -49 : पौध-रोपण में ईमानदारी 

      समाचार पत्रों के अनुसार आजकल देश में पौध रोपण के कई रिकार्ड बनाये जा रहे हैं । लाखों- करोड़ों पौधे लगाए जाने की बात हो रही है । इनमें परवरिश कितनों की होगी और कितने पौधे वृक्ष का रूप लेंगे ? इस हेतु पूरा रिकार्ड रखा जाना चाहिये ।

    देश में हर साल चातुर मास (मानसून के दौरान) में करोड़ों पौधे रोपे जाते हैं परन्तु बहुत कम ही जीवित रहते हैं क्योंकि रोपाई के बाद कोई इन्हें देखने नहीं आता । पार्कों में इन पर किसी भी प्रकार के ट्री गार्ड भी नहीं लगाए जाते । इस बात की जिम्मेदारी होनी चाहिए तभी देश में हरियाली बनी रहेगी, पौध रोपण का खर्च भी सार्थक होगा और वातावरण के स्वच्छ रहने की भी उम्मीद बनी रहेगी । कम से कम हम इस सीजन में हर व्यक्ति एक पौधे का रोपण कर उसकी परवरिश तो जरूर करें, सुकून भी मिलेगा और पुण्य भी प्राप्त होगा ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
18.07.2017

Sunday 16 July 2017

Vyathit paryawaran : व्यथित पर्यावरण

खरी खरी - 46 : व्यथित पर्यावरण (1)


कर प्रदूषित मेरा तन

तू कहां टिक पाएगा,

संभल जा मानव तेरा

अस्तित्व ही मिट जाएगा,

बर्बादी वह है तेरी

जिसे तरक्की कह रहा,

पर्यावरण की पर्त पर

कहर तू बरपा रहा ।


तूने मेरे पर्वतों को

खोद कर झुका दिया,

बर्फीली चोटियों को

हीन हिम से कर दिया,

दिनोदिन मेरे शिखर का

रूप बिखरने है लगा,

निहारने निराली छटा

जन तरसने है लगा ।


बन के दानव जंगलों को

रौंदता तू जा रहा,

फटती छाती को तू मेरी

कौंधता ही आ रहा,

काट वन-कानन को तू

कंकरीट वन बना रहा,

उखाड़ उपवनों को मेरे

ईंट तरु लगा रहा ।


चीर कर तूने मेरा

रंग हरित उड़ा दिया,

कर अगिनत घाव तन पर

श्रृंगार है छुड़ा दिया ,

तरुस्थल को मेरे तूने

मरुस्थल बना दिया,

जल-जमीन-जंगल खजाना

सारा दोहन कर लिया ।


खरी खरी - 47 : व्यथित पर्यावरण (2)


रसायनों ने क्षीण कर दी

वह उर्वरा शक्ति मेरी,

बढ़ाई उपज फिर भी

भूख न मिट सकी तेरी,

कीटनाशक झाड़नाशक

मुझे विषैला कर रहे,

मिटा कर महक मेरी

जहर मुझ में भर रहे ।


खारापन जमीन का 

खतरा तुझे बता रहा,

बढ़ रही मरुभूमि नित

हरितांश घटता जा रहा,

छतरी ओजोन की थी

छेद उसमें कर दिया,

अणु कचरे विकिरण से

पर्यावरण को भर दिया ।


जल, मल से रंग रहा है

देख पलकें खोल कर,

पी रहा हर घूंट में तू

विष की बूटी घोलकर,

लालसा मृदु पेय जल की

मन में तेरे रह गई,

लुप्त होती शुष्क सरिता

खुद हूं प्यासी कह गई ।


चिमनियां भर-भर ज़हर

नित उगल मुझ में रही,

सांस लेता जिस हवा में

वह भी निर्मल ना रही,

लकीर वाहन के धुंए की

बन के कोहरा छा गई,

शीतल मंद बयार अब तो

स्वप्न बन कर रह गई । 


 खरी खरी-48 : व्यथित पर्यावरण ( 3, अंतिम)


कंद फल जड़ी बूटियां नित

लुप्त होते जा रहे,

जीव मेरे वक्षस्थल के

गुप्त होते जा रहे,

पिक बयन भ्रमर गुंजन को

तरसता रह जायेगा,

प्रकृति के स्वस्थ संतुलन की

जो सोच ना कर पाएगा ।


अश्रुरंजित नैन नित

धुंधले तेरे हैं हो रहे,

बिन परिश्रम ही पथिक के,

होठ नीले हो रहे,

श्वांस है जकड़ी हुई

रोग नित नए लग रहे

स्वच्छ जल और पवन को

मनुख नित तरस रहे ।


चाहता मानव के पग

बढ़ते रहे जहान में,

रुपहली धरा नहीं

बदले कभी वीरान में,

पर्यावरण की पर्त को

संभाल उठ तू जागकर,

सोच और तू जा ठहर

बढ़ न सीमा लांघ कर ।


चाहता तू जी सके

इस धरा में अमन चैन से,

वृक्ष बंधु मान ले

लगा ले अपने नैन से,

कोटि पुण्य पा जाएगा

एक वृक्ष के जमाव से,

स्वच्छ पर्यावरण में फिर

जी सकेगा चाव से ।


पूरन चन्द्र काण्डपल

17.07.2017