Sunday 31 January 2021

Netradan : नेत्रदान

मीठी मीठी - 564 : जग से अलविदा पर नेत्रदान

      चक्षु दान महादान बताया जाता है । मृत्यु के बाद आँख की एक झिल्ली (कार्निया) का दान होता है । लोग मृत्युपरांत नेत्रदान इसलिए नहीं करते क्योंकि वे सोचते हैं मृतक के आंखों पर गढ्ढे पड़ जाएंगे । मृतक के चेहरे पर कोई विकृति नहीं आती । हमारे देश में लगभग 11 लाख दृष्टिहीन कार्निया की प्रतीक्षा कर रहे हैं और प्रतिवर्ष लगभग 25 हजार दृष्टिहीनों की बढ़ोतरी भी हो रही है ।

     हमारे कार्निया आंख की पुतली के ऊपर शीशे की तरह एक पारदर्शी झिल्ली होती है । कार्निया का कोई कृत्रिम विकल्प नहीं है । एक नेत्रदान से दो दृष्टिहीनों को रोशनी मिल सकती है । किसी भी मृतक का नेत्रदान हो सकता है भलेही वह चश्मा लगता हो, शूगर केस हो, मोतियाबिंद ऑपरेटेड हो अथवा उच्च रक्तचाप वाला हो ।

     प्रश्न उठता है कैसे होगा नेत्रदान ?  परिवार के सदस्य अपने मृतक का नेत्रदान कर सकते हैं । मृत्यु के 6 से 8 घंटे के दौरान नेत्रदान हो सकता है । सूचना मिलते ही नेत्रबैंक की टीम बताए स्थान पर आकर यह निःशुल्क सेवा करती है । 15- 20 मिनट में मृतक का कॉर्निया उतार लिया जाता है । नेत्रदान एक पुण्यकर्म है । इस पुण्य की चर्चा परिजनों से करनी चाहिए और नेत्रदान में कोई संशय नहीं होना चाहिए । हमेशा याद रखिये -

आंख चिता में जाएगी
तो राख बन जाएगी,
आंख कब्र में जाएगी
तो मिट्टी बन जाएगी,
यहां से विदा लेते समय
नेत्रों का दान करदो,
किसी को अंधकार में
रोशनी मिल जाएगी ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
01.02.2021
(लेखक सेवानिवृत स्वास्थ्य शिक्षक)

Saturday 30 January 2021

Ankekhi ni karo nanaaki : अनदेखी नि करो ननाकि

खरी खरी - 780 : अणदेखी नि करो नना कैं

    गणतंत्र दिवसक दिन चनरदा मिलीं और अच्यालाक ननाक बार में कुछ ज्यादै चिंता में डुबि रौछी | बतूण लागीं, “ के कई जो हो महाराज हम आपण नना देखि डरै फै गोयूं और डरा मारि हमूल नना हैं के लै कौण छोड़ि हालौ | हर दुसार दिन खबर मिलीं या टी वी में हम देखनूं कि इज या बौज्यूकि डांट पड़ण पर फलाण नान घर बै भाजि गो या फंद पर लटकि गो | य डराक वजैल हमूल लै नना हैं के कूण छोडि है जो भलि बात न्हैति | हमूल नना कैं टैम दीण चैंछ | प्यारल समझै बेर लै नान मानि जानी  पर य काम बिलकुल नानछिना यानै शैशव काल बै शुरू हुण चैंछ | जता लै हमू कैं नना में क्वे लै अवगुण नजर ओ, हमूल धृतराष्ट्र या गांधारी नि बनण चैन | दुर्योधनाक अवगुणों कैं वीक इज- बौज्यूल देखीयक अणदेखी करि दे | उनूल गुरु द्रोणाचार्यकि बात कैं लै अणसुणी करि दे |

        जब लै क्वे हमूं हैं हमार नना कि बुराई करनी हमूल नक् मानणक बजाय चुपचाप विकि बात कैं  जांचण –परखण चैंछ | कम उमराक नान लै हमार दिई मोबाइल या कंप्यूटर पर उत्तेजनात्मक दृश्य देखें रईं | देश में 13 साल है कम उम्र क 76 % नान रोज यू ट्यूब में वीडियो देखें रईं जनूल आपण अभिभावकों कि इजाजतल आपण एकाउंट बनै रौछ | ननाकि भाषा लै गन्दी या अशिष्ट हैगे | ऊँ आपण आम- बुबू कैं लै के नि समझन और नै उनरि सुणन | उनुकैं घर का खाण लै भल नि लागन | ऊँ चाउमिन, मोमोज, बर्गर, चिप्स, फिंगर फ्राई और बोतल बंद पेयल म्वाट लै हूं फैगीं या उनरि तंदुरुस्ती बिगड़ण फैगे |  घर में लै हाम नना पर के खाश अनुशासन नि लगून और उनुकें ज्यादै पुतपुतै दिनू | रतै उठण बटि रात स्येतण तक नना लिजी टैमक कैद-क़ानून हुण चैंछ | खेल और टी वी पर एक-एक घंट है ज्यादै टैम दींण ठीक न्हैति | 15 अगस्त या 26 जनवरी कि छुट्टी देर तक स्येतणक लिजी नि हुनि  बल्कि जल्दि उठि बेर य दिन कैं मनूणक लिजी हिंछ |

        कुछ लोग आपण अवयस्क लाडलों कैं स्कूटर, मोटरसाइकिल या कार चलूणकि खुलि छूट दीं रईं |  गली-मुहल्ल में अक्सर यौ दृश्य हाम देखैं रयूं | अवयस्क लाड़िल आपण वाहन ल नजीक में खेलणी नना कैं कुचलि द्युछ | कैकै निर्दोष नान मारी गाय और य लाड़िल कैं सजा लै नि हुनि किलैकि उ अवयस्क मानी जांछ | रात में यूं जोर जोरैल हॉर्न बजै बैर लोगों कैं परेशान करि बेर उड़नछू है जानी | पुलिस सब चैरीं पर चुप भैटी रैंछ | यास ननाक अभिभावकोंक लेसंस रद्द हुण चैंछ | हालकि रिपोटक अनुसार सड़क दुर्घटनाओं में हमार देश में हर साल डेड़ लाख बेक़सूर लोग मारी जानी और तीन लाख लोग घैल है जानी | य संख्या में अवयस्क लाडलों द्वारा मारी गईं निर्दोष लोग लै शामिल छीं |

      नना दगै देशप्रेम और शहीदोंकि चर्चा लै हुण चैंछ | हमूल आपण नना क व्यवहार, बोलचाल, संगत, आदत, आहार और स्वच्छता पर जरूर  नजर धरण चैंछ | अगर शुरू बटि अनुशासन ह्वल तो अघिल जै बेर डांटणक सवाल पैद नि हवा | नना दगै अभिभावकोंक मित्रवत व्यवहारल उनर भविष्य भल रांछ और नान एक समझदार नागरिक बननी | तो अंत में य कूण चानू कि आपण नना लिजी टैम जरूर निकालिया नतर एक दिन पछताण पड़ि सकूं |”

पूरन चन्द्र काण्डपाल 

31.01.2021

Friday 29 January 2021

Bapu ko kyon naheen mila Nobel : बापू को क्यों नहीं मिला नोबेल

बिरखांत 356 : बापू को क्यों नहीं मिला ‘नोबेल पुरस्कार’ ?

( आज 30 जनवरी बापू के शहीदी दिवस पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि । )

     मोहन दास करम चन्द गांधी (महात्मा गांधी, बापू, राष्ट्रपिता) का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ | उनकी माता का नाम पुतली बाई और पिता का नाम करम चन्द था | 13 वर्ष की उम्र में उनका विवाह कस्तूरबा के साथ हुआ | गांधी जी 18 वर्ष की उम्र में वकालत पढ़ने इंग्लैण्ड गए | वर्ष 1893 में वे एक गुजराती व्यौपारी का मुकदमा लड़ने दक्षिण अफ्रीका गए |

     दक्षिण अफ्रीका में उन्होंने रंग- भेद निति का विरोध किया | 7 जून 1893 को गोरों ने पीटरमैरिटजवर्ग रेलवे स्टेशन पर उन्हें धक्का मार कर बाहर निकाल दिया | वर्ष 1915 में भारत आने के बाद उन्होंने सत्य, अहिंसा और असहयोग को हथियार बनाकर अन्य सहयोगियों के साथ स्वतंत्रता संग्राम लड़ा और देश को अंग्रेजों की गुलामी से स्वतंत्र कराया | 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गौडसे ने नई दिल्ली बिरला भवन पर उनकी गोली मारकर हत्या कर दी | इस तरह अहिंसा का पुजारी क्रूर हिंसा का शिकार हो गया | देश की राजधानी नई दिल्ली में राजघाट पर उनकी समाधि है |

      पूरे विश्व में महात्मा गांधी का नाम बड़ी श्रद्धा से लिया जाता है | संसार में बिरला ही कोई देश होगा जहां बापू के नाम पर कोई स्मारक न हो | परमाणु बमों के ढेर पर बैठी हुई दुनिया भी गांधी के दर्शन पर विश्वास करती है और उनके बताये हुए मार्ग पर चलने का प्रयत्न करती है | विश्व की  जितनी भी महान हस्तियां हमारे देश में आती हैं वे राजघाट पर बापू की समाधि के सामने नतमस्तक होती हैं | इतना महान व्यक्तित्व होने के बावजूद भी विश्व को शान्ति का संदेश देने वाले इस संदेश वाहक को विश्व में सबसे बड़ा सम्मान कहा जाने वाला ‘नोबेल पुरस्कार’ नहीं मिला | क्यों ?

     नोबेल पुरस्कार’ प्रदान करने वाली नौरवे की नोबेल समिति ने पुष्टि की है कि मोहनदास करम चन्द गांधी नोबेल शांति पुरस्कार के लिए 1937, 1938, 1939, 1947 और हत्या से पहले जनवरी 1948 में नामांकित किये गए थे | बाद में पुरस्कार समिति ने दुःख प्रकट किया कि गांधी को पुरस्कार नहीं मिला | समिति के सचिव गेर लुन्देस्ताद ने 2006 में कहा, “ निसंदेह हमारे 106 वर्षों से इतिहास में यह सबसे बड़ी भूल है कि गांधी को नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिला | गांधी को बिना नोबेल के कोई फर्क नहीं पड़ा परन्तु सवाल यह है कि नोबेल समिति को फर्क पड़ा या नहीं ?” 

     1948 में जिस वर्ष गांधी जी शहीद हुए नोबेल समिति ने उस वर्ष यह पुरस्कार इस आधार पर किसी को नहीं दिया कि ‘कोई भी योग्य पात्र जीवित नहीं था |’ ऐसा माना जाता है कि यदि गांधी जीवित होते तो उन्हें बहुत पहले ही ‘नोबेल शांति’ पुरस्कार प्रदान हो गया होता | महात्मा गांधी को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ भी नहीं दिया गया क्योंकि वे इस सम्मान से ऊपर हैं |

     सत्य तो यह है कि अंग्रेज जाते- जाते भारत का विभाजन कर गए | गांधी जी ने विभाजन का अंत तक विरोध किया | जिन्ना की महत्वाकांक्षा ने तो विभाजन की भूमिका निभाई जबकि भारत के विभाजन के बीज तो अंग्रेजों ने 1909 में बोये और 1935 तक उन बीजों को सिंचित करते रहे तथा अंत में 1947 में विभाजन कर दिया | भारत में राम राज्य की कल्पना करने वाले गांधी, राजनीतिज्ञ नहीं थे बल्कि एक संत थे | गांधी को ‘महात्मा’ का नाम रवीन्द्र नाथ टैगोर ने और ‘राष्ट्रपिता’ का नाम नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने सम्मान के बतौर सुझाया था | आज भी दुनिया कहती है कि गांधी मरा नहीं है, वह उस जगह जिन्दा है जहां दुनिया शांति और अमन-चैन की राह खोजने के लिए मंथन करती है | बापू के सत्य,अहिंसा और असहयोग के औजारों में आज भी उतनी ही धार है जितनी गोरों को खदेड़ने में थी ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल

30 जनवरी 2021

Thursday 28 January 2021

Baaj aur teerandaaj : बाज और तीरंदाज

खरी खरी - 779 : बाज और तीरंदाज 

    देश के लगभग सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में महिलाओं पर दुराचार घटने का नाम नहीं ले रहे । दुराचारी क़ानून से बेखौप हैं । मीडिया हर रोज महिला अपमान, दुष्कर्म, पड़ताड़ाना, चेन स्नैचिंग, छेड़छाड़ और महिला हत्या के समाचारों से भरा रहता है । राज्यों में किसी भी दल की सरकार हो, महिला सुरक्षा सब जगह खतरे में है । ऐसा क्यों हो रहा है ?  कैसे और कब थमेगा यह सामाजिक कलंक ? बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा तो लगा परन्तु महिला अपराध बढ़ गए ।

      वर्ष 2012 के घृणित निर्भया कांड के दोषियों को फांसी भी हो गई फिर भी महिला अपराध नहीं घटे। कई राज्यों में महिला अपराध चरम पर हैं जिससे देश व्यथित है । राजनैतिक संरक्षण से असामाजिक तत्व गुलजार हैं । साज़िश करके बड़ी साफगोई के साथ दुष्कर्मियों को बचाया जाता है । इस साज़िश की शिकार पीड़िताओं को ही बनाया जाता है ।  इस दौर से डरी - सहमी महिला की व्यथा-वेदना और सिसकियों से हमारी संवेदना पिघलती क्यों नहीं ? कई बार यह चर्चा में आ चुका है कि हमारा देश महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं है । महिलाओं की इस व्यथा से सभ्य समाज तब अधिक व्यथित होता है जब महिलाएं पूछतीं हैं - 

'चीं चीं करती चिड़िया पूछे


कहां जाऊं मैं आज ?


ऊपर पसरा बाज का पंजा


नीचे घूरे तीरंदाज ।'

पूरन चन्द्र काण्डपाल


29.01.2021


Wednesday 27 January 2021

Kreemi post : क्रीमी पोस्ट

खरी खरी - 777 : क्रीमी पोस्ट

बंद करि बेर गिच धरो

मिलौ भ्रष्टों दगै हात,

खितखितानै देते जौ

भ्रष्ट तंत्र क साथ,

भ्रष्ट  तंत्र क साथ

सजा कि फिकर नि करो, 

घुसो भ्रष्टोंक वड्यार में

बनो महाभ्रष्ट नि डरो,

कूंरौ 'पूरन' खूब चलि रौ

घूस माफिया क छंद,

क्रीमी पोस्ट मिललि उकैं

जो धरल आपण गिच बंद ।

पूरन चन्द्र कांडपाल

28.01.2021

Bair aur Mel : बैर और मेल

खरी खरी - 778 : बैर और मेल

मुसलमान औ' हिंदू हैं दो 

एक मगर उनका प्याला, 

एक मगर उनका मदिरालय 

एक मगर उनका हाला ,

दोनों रहते एक न जबतक 

मंदिर मस्जिद हैं जाते, 

बैर बढ़ाते मंदिर मस्जिद 

मेल कराती 'मधुशाला' । 

'लक्ष्मण के मित्र ' लिख कर 

चले गए, आज वे होते 

तो शायद बहुत कुछ लिखते ।

पूरन चन्द्र कांडपाल

28.01.2021

Tuesday 26 January 2021

राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 2021

मीठी मीठी - 563 : राष्ट्रीय बाल पुरस्कार


     हमारे देश में प्रतिवर्ष  गणतंत्र दिवस के अवसर पर 'राष्ट्रीय बाल वीरता पुरस्कार' (सब राष्ट्रीय बाल पुरस्कार)  भारतीय बाल कल्याण परिषद ( वर्ष 2019 के गणतंत्र दिवस से यह सम्मान महिला और बाल विकास मंत्रालय के अंतर्गत ) द्वारा वर्ष 1957 से प्रधानमंत्री के हाथ से प्रदान किये जाते हैं । प्रत्येक राज्य में परिषद की शाखा है । प्रतिवर्ष 1 जुलाई से 30 जून के बीच 6 वर्ष से बड़े और 18 वर्ष से छोटी उम्र के वे बच्चे ग्राम पंचायत, जिला परिषद, प्रधानाचार्य, पुलिस प्रमुख एवं जिलाधिकारी की संस्तुति के बाद परिषद की राज्य शाखा को आवेदन कर सकते हैं जिन्होंने अपनी जान की परवाह नहीं करते हुए दूसरों की जान बचाई ।


     इस पुरस्कार के लिये पुलिस रिपोर्ट एवं अखबार की कतरन प्रमाण के बतौर होनी चाहिए । 1957 से 2020 तक यह पुरस्कार 1038 बहादुर बच्चों को प्रदान किया गया जिनमें 726 लड़के और 312  लड़कियां हैं । अब ये पुरस्कार कला - संस्कृति, शैक्षिक उपलब्धि, नवाचार, खेल, बहादुरी और समाज सेवा श्रेणी में दिए जाते हैं ।  पुरस्कार में चांदी का पदक, नकद राशि, पुस्तक खरीदने के वाउचर और प्रशस्ति पत्र दिया जाता है । सर्वोच्च बहादुरी के लिए स्वर्ण पदक और विशेष बहादुरी के लिए भारत पुरस्कार, संजय चोपड़ा, गीता चोपड़ा सुर बापू गयाधानी पुरस्कार दिया जाता है । ये बच्चे गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेते हैं और राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री से भी मिलते हैं । ( इस वर्ष कोरोना के कारण इन्हें परेड में सम्मिलित नहीं किया गया ।)


    इस वर्ष  के( वर्ष 2020 के पुरस्कार ) गणतंत्र के ये पुरस्कार 32 बहादुर बच्चों को प्रदान किया गया । इन बच्चों में 21 लड़के और 11 लड़कियां देश के 21 विभिन्न राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के हैं । देश में अपने अपने राज्य का नाम ऊँचा करने वाले इन बहादुर बच्चों को बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं । हमें अपने बच्चों से इस पुरस्कार की चर्चा अवश्य करनी चाहिए ।


पूरन चन्द्र काण्डपाल

27.01.2021


Monday 25 January 2021

72 th Gantantr Diwas : 72उं गणतंत्र दिवस

बिरखांत- 355  : 72वां गणतंत्र दिवस  – संकल्प करने का दिन

    प्रतिवर्ष जनवरी महीने में चार विशेष दिवस एक साथ मनाये जाते हैं | 23,  24,  25 और 26  जनवरी |  23 को नेताजी सुभाष जयंती,  24 को राष्ट्रीय बलिका दिवस ( इस दिन 1966 में श्रीमती इंदिरा गाँधी देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनी थी ), 25 को मतदाता जागरूकता दिवस और 26 को गणतंत्र दिवस, इसी दिन 1950 में हमारा संविधान लागू हुआ था | (वर्ष 2016 से 22 जनवरी को ‘बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ’ दिवस भी मनाया जाने लगा था जो  पिछली बार और इस बार शायद मनाना भूल गए ।) हमने विगत 71 वर्षों में बहुत कुछ पाया है और देश में विकास भी हुआ है परन्तु बढ़ती जनसंख्या ने इस विकास को धूमिल कर दिया | 71 वर्ष पहले हम 43 करोड़ थे और आज 135 करोड़ हैं अर्थात उसी जमीन में 92 करोड़ जनसंख्या बढ़ गई |

   हमने मिजाइल  बनाए,  ऐटम बम बनाया, अन्तरिक्ष में धाक जमाई, कृषि उपज बढ़ी, साक्षरता दर जो तब 2.55% थी अब 74.1% है | रेल, सड़क, वायुयान, उद्योग, सेना, पुलिस, अदालत आदि सब में बढ़ोतरी हुई | इतना होते हुए भी हमारी लगभग 20% जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे है जिनकी प्रतिदिन की आय पचास रुपए से भी कम बताई जाती है | देश की सभी जनता के पास अभी भी शौचालय नहीं हैं | कई स्कूलों और आगनबाड़ी केन्द्रों में पेय जल नहीं है और दूर-दराज में कई जगह अभी बिजली नहीं पहुँची है | प्रतिवर्ष हजारों किसान आत्महत्या कर रहे हैं | अदालतों में करीब तीन करोड़ से भी अधिक मामले लंबित हैं और एक केस सुलझाने में कई वर्ष लग जाते हैं | ब्रेन ड्रेन भी नहीं थमा है |

    विदेशों की नजर में हम निवेश के लिए सुरक्षित नहीं हैं | 187 देशों में हमारा नंबर 169 है अर्थात उनकी नजर में 168 देश उनके लिए हमसे अधिक सुरक्षित हैं | विश्व के 200 श्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में हमारा नाम अभी जुड़ना बाकी है | बताने के लिए तो बहुत कुछ है जिससे मनोबल को ठेस लगेगी | प्रतिवर्ष राजपथ पर गणतंत्र दिवस परेड हमारा मनोबल बढ़ाती है | हमारे सुरक्षा प्रहरी हिम्मत और शक्ति के परिचायक हैं जो संदेश देते हैं कि हमारी सीमाएं सुरक्षित और चाकचौबंद हैं | हमें अपने देश में ईमानदारी के पहरुओं पर भी गर्व है | हम अभी विकासशील देश हैं क्योंकि हमारे पास विकसित देशों जैसा बहुत कुछ नहीं है |

      विगत वर्ष कोरोना संक्रमण ने विश्व के 216 देशों के साथ भारत को भी ग्रसित किया जिससे देश के 1.06 करोड़ लोग संक्रमित हुए और 1.53 लाख से अधिक लोग इस रोग के शिकार हो गए जिनमें करीब 80 से अधिक चिकित्सक भी थे। अभी भी संक्रमण थमा नहीं है तथा कोरोना सतर्कता और अनुशासन बहुत जरूरी है । हमारे  वैज्ञानिकों ने कोरोना वैक्सीन बनाकर एक नई उमीद जगाई है । आज दिल्ली में गणतंत्र दिवस परेड के साथ ही देश के किसानों द्वारा तीन कृषि कानूनों के विरोध में ट्रैक्टर परेड भी निकाली जा रही है जिसमें देश के विभिन्न राज्यों से आए हुए हजारों ट्रैक्टर और किसान भाग ले रहे हैं । बताया जा रहा है कि किसान आंदोलन के आज 62वें दिन यह ट्रैक्टर परेड दिल्ली के चार बार्डरों - सिंघू, टिकरी, गाजीपुर और चिल्ला, से दिल्ली में प्रवेश करेगी और  विभिन्न सड़कों से गुजरते हुए परेड के बाद अपने स्थान पर वापस हो जाएगी । किसान एकता मंच ने इस ट्रैक्टर परेड को ऐतिहासिक कहते हुए ' जवान राजपथ पर और किसान सड़क पर '  तथा ' किसान भी हम, जवान भी हम ' के उद्घोष के साथ गणतंत्र में किसान की भागीदारी बताया है ।  दिल्ली की कड़कती ठंड से किसान आंदोलन में भाग लेने वाले अब तक डेढ़ सौ से अधिक किसान अपना जीवन दे चुके हैं जिनमें से कुछ ने तो आत्म बलिदान किया है । किसान आंदोलन का हल शीघ्र निकालना देश के हित में होगा ।

   भारत को विकसित राष्ट्र बनने में देर नहीं लगेगी यदि ये मुख्य चार दुश्मनों – भ्रष्टाचार, बेईमानी, अकर्मण्यता और अंधविश्वास से उसे निजात मिल जाय | इसके अलावा नशा, आतंकवाद, अशिक्षा, गरीबी, गन्दगी, बढ़ती जनसंख्या और साम्प्रदायिकता भी हमारी दुश्मनों की जमात में हैं | यदि हम इन सभी दुश्मनों को जीत लें तो फिर भारत अवश्य ही सुपर पावर समूह में शामिल हो सकता है | इन दुश्मनों की चर्चा हमारे राष्ट्र नायकों सहित देश के कई प्रबुद्ध नागरिकों ने पहले भी कई बार की है और आज भी हो रही है | आइये इस गणतंत्र पर संकल्प करें और इन सभी दुश्मनों को जड़ से उखाड़ फेंकने में सहयोग करते हुए देश को महाशक्ति समूह में शामिल करें | आप सबको 72वें गणतंत्र दिवस की बधाई और शुभकामना ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
26.01.2021

Rashtriya matdata diwas :राष्ट्रीय मतदाता दिवस

मीठी मीठी - 562 : राष्ट्रीय मतदाता दिवस

     देश में प्रतिवर्ष 25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाया जाता है । दुनिया में भारत जैसे सबसे बड़े लोकतंत्र में मतदान को लेकर कम होते रुझान को देखते हुए राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाया जाने लगा । इसके मनाए जाने के पीछे निर्वाचन आयोग का उद्देश्य था कि देश भर के सभी मतदान केंद्र वाले क्षेत्रों में प्रत्येक वर्ष उन सभी पात्र मतदाताओं की पहचान की जाएगी जिनकी उम्र एक जनवरी को 18 वर्ष हो चुकी होगी । इस सिलसिले में 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र के नए मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में दर्ज किए जाएंगे और उन्हें निर्वाचन फोटो पहचान पत्र सौंपे जाएंगे । पहचान पत्र बांटने का काम सामाजिक, शैक्षणिक व गैर-राजनीतिक व्यक्ति करेंगे । इस मौके पर मतदाताओं को एक बैज भी दिया जाएगा जिसमें लोगो के साथ नारा अंकित होगा 'मतदाता बनने पर गर्व है, मतदान को सहर्ष तैयार हैं।'

      भारत निर्वाचन आयोग पूरे देश में इस बार 11वां राष्ट्रीय मतदाता दिवस 25 जनवरी 2021 को मनाएगा । वर्ष 1950 से स्थापित चुनाव आयोग के 61वें स्‍थापना वर्ष पर 25 जनवरी 2011 को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने ‘राष्ट्रीय मतदाता दिवस’ का शुभारंभ किया था। इस आयोजन के दो प्रमुख विषय थे, ‘समावेशी और गुणात्मक भागीदारी’ तथा ‘कोई मतदाता पीछे न छूटे’ । सभी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस की शुभकामना ।

राष्ट्रीय मतदाता दिवस 2021 की थीम : सभी मतदाता बनें : सशक्त, सतर्क, सुरक्षित, जागरूक ।(साभार संपादित )

पूरन चन्द्र कांडपाल
25.01.2021

Saturday 23 January 2021

Balika Diwas : बालिका दिवस

मीठी मीठी - 561 : आज बालिका दिवस

      आज 24 जनवरी 'बालिका दिवस' छ । देश कैं ' जय जवान जय किसान ' नारा दिणी पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न, लाल बहादुर शास्त्री ज्यूक निधन बाद 24 जनवरी 1966 हुणि दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री 'भारत रत्न' इंदिरा गांधी देशकि पैली महिला प्रधानमंत्री बनी । तब बटि देशाक बालिकाओं कैं समर्पित य दिन 'बालिका दिवस' क रूप में  मनाई जांछ । बालिका दिवस कि बधै और शुभकामना ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
24.01.2021

Netaji Subhash Bose : नेताजी सुभाष बोस

स्मृति  - 560 : नेताजी सुभाष बोस जयंती

      आज 23 जनवरी स्वतंत्रता आन्दोलनक अमर सेनानी नेताजी सुभाषचंद्र बोस ज्युकि 125उं जयंती छ । "लगुल " किताब बै उनार बार में लेख उधृत छ । देश कैं "जयहिन्द" नारा दिणी नेताज्यू कैं विनम्र श्रद्धांजलि ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
23.01.2021

Thursday 21 January 2021

Pratham Rashtreeya Pratham kavi sammelan : प्रथम राष्ट्रीय कवि सम्मेलन

मीठी मीठी - 559 : दिल्ली में हमारी भाषा का प्रथम राष्ट्रीय कवि सम्मेलन

       71वें गणतंत्र ( 26 जनवरी 2021 ) दिवस की यादगारी में 20 जनवरी 2021 की संध्या के समय वृंदगान गीत के साथ  कुमाउनी, गढ़वाली और जौनसारी कविताओं का प्रथम राष्ट्रीय कवि सम्मेलन नई दिल्ली स्थित हिंदी भवन में आयोजित किया गया । इस राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन गढ़वाली -कुमाउनी -जौनसारी अकादमी दिल्ली सरकार द्वारा किया गया । दीप प्रज्वलन मुख्य अतिथि दिल्ली सरकार में उपमुख्यमंत्री और अकादमी के अध्यक्ष श्री मनीष सिसोदिया, उपाध्यक्ष अकादमी श्री एम एस रावत, अकादमी सचिव डा. जीतराम भट्ट, आमन्त्रित कविगण आदि मंचासीन मनीषियों द्वारा किया गया । इस कवि सम्मेलन में सभी आमन्त्रित कवियों ने हिंदी भवन दिल्ली में अपनी देशप्रेम भरी इंद्रधनुषी कविताओं से श्रोताओं को आनंदित किया । कविताओं में देशप्रेम, शहीद स्मरण और समसामयिक परिदृश्य कि झलक श्रोताओं को बहुत अच्छी लगी ।  

        काव्यपाठ के लिए आमंत्रित कवि थे सर्वश्री पूरन चन्द्र कांडपाल, दिनेश ध्यानी, रमेश हितैषी, मदन डुकलान , डा. दमयंती शर्मा, डा. केदारखंडी और खजान दत्त शर्मा । कवि सम्मेलन में कएक साहित्यकार, कवि, संस्थाओं के अध्यक्ष - प्रतिनिधि, पत्रकार, गणमान्य व्यक्ति, राजनीतिज्ञ और सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद थे । सम्मेलन को उपमुख्यमंत्री श्री सिसोदिया, उपाध्यक्ष श्री रावत और सचिव डा. भट्ट जी ने संबोधित किया । संचालन डा. एस डी पांडे जी ने किया । कोरोना बचाव संबंधी आदेशों का भी पालन किया गया । हमारी भाषा अकादमी और दिल्ली सरकार को इस प्रथम राष्ट्रीय कवि सम्मेलन के आयोजन हेतु बहुत बहुत धन्यवाद व शुभकामना । 

( 21 जनवरी 2021 को सोसल मीडिया में प्रकाशित चर्चित पत्रकार सी एम पपनै के विश्लेषण के अनुसार हिंदी भवन सभागार में कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे जिन्होंने इस कवि सम्मेलन का भरपूर आनंद लिया । ये सभी नाम विश्लेषण में प्रकाशित हैं । कोरोना आचार संहिता के कारण इनसे मेरा निकट से संपर्क नहीं हो सका जिसका मुझे मलाल है । बसंत फिर आएगा और संपर्क बधिता एक दिन अवश्य मिटेगी । मैं उन सभी श्रोताओं का और इन गणमान्य व्यक्तियों का हार्दिक आभार प्रकट करता हूं जिन्होंने हम सबकी कविताओं को सुना और करतल ध्वनि से सभागार में इस राष्ट्रीय पर्व पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई । आप सभी को एक बार पुनः सलूट के साथ जयहिंद ।)

पूरन चन्द्र कांडपाल

22.01.2021