Tuesday 30 July 2019

Misal : दो डिप्टी कलकटेर की मिसाल

मीठी मीठी - 322 : दो डिप्टी कलेक्टरों की मिसाल

     हम समय समय पर सरकारी स्कूलों की दशा और दिशा सुधारने के लिए जन जागृति करते रहते हैं । इसी संदर्भ में कई बार लिखा कि जब तक सरकारी अफसर, कर्मचारी और राजनीतिज्ञ अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में  प्रवेश नहीं कराते तबतक इन स्कूलों का सर्वांगीण विकास नहीं हो सकता । सरकार को इस मुद्दे पर कानून बनाने चाहिए और कानून को दृढ़ता से लागू करना चाहिए ।

      30 जुलाई 2019 के एक समाचारपत्र के अनुसार छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में कार्यरत दो डिप्टी कलेक्टरों ने अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में प्रवेश दिलाया है । इनमें एक D C की पत्नी तो एक स्कूल में कुछ घंटे निःशुल्क कक्षाएं भी लेतीं हैं । इनका मानना है कि सरकारी और निजी स्कूलों में कोई अधिक अंतर नहीं है और इस अंतर को समाप्त किया जा सकता है ।

       अतः सरकार को सरकारी स्कूलों की दशा और दिशा यदि ईमानदारी से सुधारनी है तो सभी सरकारी वेतन भोगियों और चुने हुए जनप्रतिनिधियों के बच्चों को सरकारी स्कूलों में ही पढ़ाना अनिवार्य किया जाय । यह शिक्षा के क्षेत्र में उठाया जाने वाला अभूतपूर्व कदम होगा । आशावाद जिंदाबाद !

पूरन चन्द्र कांडपाल
31.07.2019

Monday 29 July 2019

Kukritya kee saja maut : कूकृत्यकी सजा मौत

खरी खरी -  467 : कुकृत्य की सजा-ए-मौत में रुकावट क्यों ?

     दुष्कर्म (रेप) ने हमारे देश में अब एक समस्या का रूप ले लिया है । 95% आरोपी तो पीड़िता के रिश्तेदार, पड़ोसी, सहपाठी, सहकर्मी या पहचान वाले होते हैं । अब किस पर भरोसा करें । आज हम उस दौर से गुजर रहे हैं जब नारी वर्ग को हर किसी भी पुरुष को संदेह की दृष्टि से देखना चाहिए कि वह उसके लिए कभी भी घातक हो सकता है ।

     अधिक दुःखद तो तब होता है जब ये नरपिशाच दुधमुंही बच्चियों को इस कुकृत्य का शिकार बनाते हैं । कुछ दिन पहले इंदौर में एक 26 वर्षीय नरपिशाच ने एक 4 माह की बच्ची के साथ दुष्कर्म करके उसकी हत्या कर दी । यह नरपिशाच उस बच्ची के परिजनों को जानता था ।

     वारदात के 22 दिन बाद 12 मई 2018 को इंदौर की जिला अदालत ने इस नरपिशाच हत्यारे को फांसी की सजा सुनाई है ।  मानवता को शर्मसार करने वाले इस कांड में पुलिस ने बड़ी तेजी से जांच पूरी की और आरोप पत्र अदालत में पेश कर दिया । न्यायालय ने अपने 51 पृष्ठ के फैसले में इसे जघन्य, वीभत्स, क्रूर और जंगली कृत्य बताते हुए आरोपी को मृत्युदंड दिया । अब आगे भी इस कांड पर द्रुत कार्यवाही हो और सजा का क्रियान्वयन शीघ्रता से हो । 7 वर्ष हो गए हैं  2012 के निर्भया कांड के दोषी अभी भी जिंदा हैं ।  अदालत का फैसला तो मात्र 22 दिन में आ गया, अब देखते हैं कि इंदौर के इस बालात्कारी हत्यारे को कब फांसी पर लटकाया जाता है ?

     देश में यौन उत्पीड़न में मृत्युदंड पाए एक बलात्कारी हत्यारे जिंदा हैं । एक सर्वे के अनुसार देश में हर तीन में से एक किशोरी सार्वजनिक स्थानों पर यौन उत्पीड़न को लेकर चिंतित रहती है जबकि 5 में से एक किशोरी बलात्कार सहित अन्य शारीरिक हमलों को लेकर डर के साये में जीती है । वर्तमान में नारी यौन उत्पीड़न में देश का बहुत बुरा हाल है ।

     देश की 40% लड़कियों को लगता है कि पुलिस उनकी शिकायत को गंभीरता से नहीं लेगी या उल्टे उन पर ही आरोप लगाएगी । 25% लड़कियों को लगता है कि उनका कभी भी शारीरिक शोषण और बलात्कार हो सकता है । इस तरह का डर प्रत्येक लड़की के मन में चौबीसों घण्टे मौजूद रहता है । इस भयावह स्तिथि के लिए हम सब जिम्मेदार हैं क्योंकि इस अपराध को करने वाला कोई पुरूष ही तो है । अपनी बेटियों की इस भयावह हालत की चर्चा हम अपने बेटों से तो कर ही सकते हैं ।

पूरन चन्द्र कांडपाल
30.07.2019

Sunday 28 July 2019

Khoda aayojan : खोड़ा भाषा आयोजन

मीठी मीठी - 320 : हमरि भाषा सिखलाई आयोजन प्रताप विहार,  खोड़ा कालोनी ।

       बेई 28 जुलाई 2019 हुणि डी ब्लाक प्रताप विहार, खोड़ा कालोनी, गाजियाबाद उ प्र में हमरि भाषा सिखलाई कक्षाओं क समापन हौछ ।  य आयोजन श्री मनोहरदत्त देवतल्ला ज्यू कि टीम ल आयोजित करौ जैक संयोजक लै देवतल्ला ज्यूु छी । कार्यक्रम में नना ल कुमाउनी और गढ़वाली भाषा में  जे लै सिखौ वीक बार में बारि  - बारि कै बता । नना ल सांस्कृतिक कार्यक्रम लै पेश करौ । य आयोजन कैं सफल बनूण में महिला शक्ति क लै भल सहयोग रौछ । आयोजन में 40 नना कैं "हमरि भाषा हमरि पछयाण "  किताब टीम द्वारा भेंट करिगे । नना कैं अन्य इनाम लै देई गईं । कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ विनोद बछेती ( चेयर मैन डीपीएमआइ ) छी । य सफल आयोजन क मंच संचालन कुमाउनी कवि श्री ओम प्रकाश आर्या ज्यू ल करौ । पुरि  टीम कैं शुभकामना ।

पूरन चन्द्र कांडपाल
29.07.2019

Lokarpan : लोकार्पण

मीठी मीठी -  321 :  दो पुस्तकों का लोकार्पण

      कल 28 जुलाई 2019 को DPMI में  दो पुस्तकों का लोकार्पण हुआ । पहली पुस्तक - " बचपन एक उड़ान " ( लेखिका सुश्री रामेश्वरी नादान - 15 बाल कहानियों का संग्रह ) और दूसरी पुस्तक " राष्ट्र चेतना और रोशन " ( लेखक श्री सुनील सिंधवाल - कविता संग्रह )। इस लोकार्पण समारोह में साहित्य जगत के कई लेखक, कवि, साहित्यकार, राजनीतिज्ञ, सामाजिक कार्यकर्ता, एवम् साहित्य प्रेमी और DPMI के निदेशक उपस्थित थे जिन्होंने दोनों ही रचनाकारों को शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर कई कलमकारों को सम्मानित भी किया गया । समारोह की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार  विनय सक्सेना जी ने की और मंच संचालन साहित्यकार दिनेश ध्यानी जी ने किया । दोनों ही रचनाकारों को शुभकामना । 

पूरन चन्द्र कांडपाल


29.07.2019


Saturday 27 July 2019

Alag alag dyapt: अलग अलग दयप्त

खरी खरी - 466 : अलग मंदिर अलग दयाप्त

गौंनू में मंदिरों कि कमी न्हैति
फिर लै मंदिर बनूं रईं,
हर साल वां जै बेर
घंटी - बाकर चढूं रईं,
वां सबूं के अलग- अलग
नईं -पुराण दयाप्त देखीं रईं,
क्वे कैहूं क्ये नि कान
एक-दुसरै नकल करैं रईं ।

घंटी कि जाग कैं इस्कूल हैं
एक बाल्टी लै ऐ सकछी,
बोरिया चेथाड़ में भैटी नना हैं
एक चटाई लै ऐ सकछी,
गरीब नना हैं स्टेसनरी
बस्त वर्दी बनैन लै ऐ सकछी,
इस्कूलाक पुस्तकालय हैं
थ्वाड़ भौत किताब लै ऐ सकछी ।

टैम मिलल तो सोचिया,
नई प्रथा शुरू कारिया ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
28.07.2019

Friday 26 July 2019

Super 30 ka Anand : सुपर 30 का आनंद

मीठी मीठी - 319 : सुपर 30 का आनंद

     नाम तो सुना होगा परंतु बहुत से लोग सुपर- 30 के बारे में नहीं जानते । सुपर-30 एक संस्थान है पटना में जिसे चलाते हैं महामानव गणितज्ञ आनंद कुमार जी । वर्ष 2002 से आरंभ इस संस्थान को 17 वर्ष हो चुके हैं । इन 17 वर्षों में आनंद जी ने 480 छात्रों को IIT/JEE टेस्ट के लिए तैयार किया जिनमें 422 पास हो गए । 2018 सहित 4 बार इन्होंने 30/30 रिजल्ट दिया । संस्थान में मात्र 30 ही वे छात्र लिए जाते हैं जो गरीब या आर्थिक तौर से कमजोर होते हैं । संस्थान में कोई फीस नहीं ली जाती और खाना, रहना, कोचिंग सब मुफ्त है । सुपर 30 के नाम पर अब एक फिल्म भी बन चुकी है जिसे कुछ राज्यों में कर  - मुक्त कर दिया है ।

     सुपर-30 में प्रवेश के लिए एक एंट्रेन्स टेस्ट  (फीस मात्र ₹ 50/-) होता है जिसमें फिजिक्स, कैमेस्ट्री और मैथ के 45 ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न होते हैं जिन्हें डेड़ घंटे में हल करना होता है । इलीजिबिलिटी के लिए नेट पर देखें -

www.super30.org । पता - रामानुज स्कूल ऑफ मैथ्स, Sandlapur, super 30, Patana-800016 (Bihar). यह संस्थान अन्य छात्रों को पढ़ा कर खर्च चलाता है जिसके पास अध्यापकों की एक सुपर टीम है ।

     सुना है इस वर्ष से यह संस्थान बिहार से बाहर के छात्रों को भी प्रवेश देगा । अधिक नहीं लिखूंगा । खुद खोजिए, जानिए, जनहित में किसी को बताइए । उपलब्ध समय ऐसे कार्यों पर लगाना भगवान की आराधना या पूजा- पाठ करने से कहीं बढ़ कर  है । जहां चाह वहां राह । आनंद कुमार जैसे तो बिरले ही होते हैं, तभी तो दुनिया वाले उन्हें सुपर थर्टी कहते हैं । आनंद कुमार जैसा काम करना तो बहुत मुश्किल है लेकिन कुछ तो समाजहित में हम और  आप भी कर ही सकते हैं ।

पूरन चन्द्र कांडपाल
27.07.2019

Thursday 25 July 2019

Kargil yudh ki yaad : कारगिल युद्ध की याद

बिरखांत - 274 :कारगिल युद्ध की याद ( विजय दिवस : 26 जुलाई ) 

     प्रतिवर्ष 26 जुलाई को हम ‘विजय दिवस’ 1999 के कारगिल युद्ध की जीत के उपलक्ष्य में मनाते हैं | कारगिल भारत के जम्मू-कश्मीर राज्य में श्रीनगर से 205 कि. मी. दूरी पर श्रीनगर -लेह राष्ट्रीय राजमार्ग पर शिंगो नदी के दक्षिण में समुद्र सतह से दस हजार फुट से अधिक ऊँचाई पर स्थित है |  मई 1999 में हमारी सेना को कारगिल में घुसपैठ का पता चला | घुसपैठियों को खदेड़ने के लिए 14 मई को आपरेशन ‘फ़्लैश आउट’ तथा 26 मई को आपरेशन ‘विजय’ और कुछ दिन बाद भारतीय वायुसेना द्वारा आपरेशन ‘सफ़ेद सागर’ आरम्भ किया गया | इन दोनों आपरेशन से कारगिल से उग्रवादियों के वेश में आयी पाक सेना का सफाया किया गया | इस युद्ध का वृतांत मैंने अपनी पुस्तक ‘कारगिल के रणबांकुरे’ ( संस्करण 2000) में लिखने का प्रयास किया है |

     यह युद्ध ग्यारह 11000 से 17000 फुट की ऊँचाई वाले दुर्गम रणक्षेत्र मश्कोह, दरास, टाइगर हिल, तोलोलिंग, जुबेर, तुर्तुक तथा काकसार सहित कई अन्य हिमाच्छादित चोटियों पर लड़ा गया | इस दौरान सेना की कमान जनरल वेद प्रकाश मलिक और वायुसेना के कमान एयर चीफ मार्शल ए वाई टिपनिस के हाथ थी | इस युद्ध में भारतीय सेना ने निर्विवाद युद्ध क्षमता, अदम्य साहस, निष्ठा, बेजोड़ रणकौशल और जूझने की अपार शक्ति का परिचय दिया |

     हमारी सेना में मौजूद फौलादी इरादे, बलिदान की भावना, शौर्य, अनुशासन और स्वअर्पण की अद्भुत मिसाल शायद ही विश्व में कहीं और देखने को मिलती हो | इस युद्ध में भारतीय सेना के जांबाजों ने न केवल बहादुरी की पिछली परम्पराओं को बनाये रखा बल्कि सेना को देशभक्ति, वीरता, साहस और बलिदान की नयी बुलंदियों तक पहुँचाया | 74 दिन के इस युद्ध में हमारे पांच सौ से भी अधिक सैनिक शहीद हुए जिनमें उत्तराखंड के 74 शहीद थे तथा लगभग एक हजार चार सौ सैनिक घायल भी हुए थे |

     कारगिल युद्ध के दौरान हमारी वायुसेना ने भी आपरेशन ‘सफ़ेद सागर’ के अंतर्गत अद्वितीय कार्य किया | आरम्भ में वायुसेना ने कुछ नुकसान अवश्य उठाया परन्तु आरम्भिक झटकों के बाद हमारे आकाश के प्रहरी ततैयों की तरह दुश्मन पर चिपट पड़े | हमारे पाइलटों ने आसमान से दुश्मन के खेमे में ऐसा बज्रपात किया जिसकी कल्पना दुश्मन ने कभी भी नहीं की होगी जिससे इस युद्ध की दशा और दिशा में पूर्ण परिवर्तन आ गया | वायुसेना की सधी और सटीक बम- वर्षा से दुश्मन के सभी आधार शिविर तहस-नहस हो गए | हमारे जांबाज फाइटरों ने नियंत्रण रेखा को भी नहीं लांघा और जोखिम भरा सनसनी खेज करतब दिखाकर अपरिमित गगन को भी भेदते हुए करशिमा कर दिखाया | हमारी वायुसेना ने सैकड़ों आक्रमक, टोही, अनुरक्षक युद्धक विमानों और हेलिकोप्टरों ने नौ सौ घंटों से भी अधिक की उड़ानें भरी | युद्ध क्षेत्र की विषमताओं और मौसम की विसंगतियों के बावजूद हमारी पारंगत वायुसेना ने न केवल दुश्मन को मटियामेट किया बल्कि हमारी स्थल सेना के हौसले भी बुलंद किये |

     कारगिल युद्ध में असाधारण वीरता, कर्तव्य के प्रति अपने को न्योछवर करने के लिए 15 अगस्त 1999 को भारत के राष्ट्रपति ने 4 परमवीर चक्र (कैप्टन विक्रम बतरा (मरणोपरांत), कैप्टन मनोज पाण्डेय (मरणोपरांत), राइफल मैन संजय कुमार और ग्रेनेडियर योगेन्द्र यादव ( पुस्तक ‘महामनखी’ में इनकी लघु वीर-गाथा तीन भाषाओं में एक साथ है ), 9 महावीर चक्र, 53 वीर चक्र सहित 265 से भी अधिक पदक भारतीय सैन्य बल को प्रदान किये | कारगिल युद्ध से पहले जम्मू -कश्मीर में छद्मयुद्ध से लड़ने के लिए आपरेशन  ‘जीवन रक्षक’ चल रहा था जिसके अंतर्गत उग्रवादियों पर नकेल डाली जाती थी और स्थानीय जनता की रक्षा की जाती थी |

     हमारी तीनों सेनाओं का मनोबल हमेशा की तरह आज भी बहुत ऊँचा है | वे दुश्मन की हर चुनौती से बखूबी जूझ कर उसे मुहतोड़ जबाब देने में पूर्ण रूप से सक्षम हैं | उनका एक ही लक्ष्य है, “युद्ध में जीत और दुश्मन की पराजय |” आज इस विजय दिवस के अवसर पर हम अपने अमर शहीदों को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित कर शहीद परिवारों का सम्मान करते हुए अपने सैन्य बल और उनके परिजनों को बहुत बहुत शुभकामना देते हैं । आज ही हम सबको हर चुनौती में इनके साथ डट कर खड़े रहने की प्रतिज्ञा भी करनी चाहिए । मेरी पुस्तक " कारगिल के रणबांकुरे " कारगिल युद्ध के रणबांकुरों को समर्पित है ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
26 जुलाई 2019

Atari border : अटारी बॉर्डर

मीठी मीठी - 316 :  हमारा अटारी बौर्डर

      यह जानना बहुत आवश्यक है कि पंजाब के अमृतसर जिले में अमृतसर से 28 किलोमीटर दूर वाघा बॉर्डर पाकिस्तानी की तरफ का नाम है जबकि भारत की तरफ का नाम अटारी बॉर्डर है। इस सीमा पर वर्ष 1959 से प्रतिदिन सायं के समय हमारी बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल )और पाक रेंजर्स द्वारा रिट्रीट परेड होती है जिसे देखने हजारों दर्शक पहुंचते हैं । हमारा मीडिया उसे वाघा बॉर्डर के नाम से ही संबोधित करता है जो अनुचित है । अटारी बॉर्डर का नाम अटारी गांव के रहने वाले  जनरल " श्याम सिंह अटारीवाला " के नाम पर रखा गया था जो महाराजा रंजीत सिंह के सेना प्रमुख थे और जिन्होंने मुग़लों को युद्ध मे कई बार धूल चटाई थी । अटारी बॉर्डर को वाघा बॉर्डर नाम से बुलाना महान " श्याम सिंह अटारीवाला " का अपमान है । कृपया इस सीमांत भारतीय गांव को "अटारी सीमा" या "अटारी बार्डर " के नाम से ही पुकारें ।

पूरन चन्द्र कांडपाल
25.07.2019

Wednesday 24 July 2019

Dwi adad padmshrre : द्वि अदद पद्मश्री

मीठी मीठी  - 318 :द्वि अदद पद्मश्री चैंछ

   हमार देश में गणतंत्र दिवस क मौक पर चार नागरिक सम्मान दिई जानी – भारत रत्न, पद्मविभूषण, पद्मभूषण और पद्मश्री | भारत रत्न कैं छोड़ अन्य तीनों हुणि पद्म सम्मान कई जांछ | पद्म सम्मान हर साल ज्यादै है ज्यादै 120 लोगों कैं दिई जै सकूं और वर्ष 2016 में य 112 विभूतियों को दिई गो | क्वे लै एक झणी कैं यूं तीनै सम्मान मिल सकनी लेकिन यैक लिजी कम से कम पांच वर्ष का अंतर हुण चैंछ | पद्म सम्मान मरणोपरांत नि दिई जान |

      य सम्मान क नामांकन हर साल 1 मई बै 15 सितम्बर तक करी जै सकूं जो राज्य या केंद्र सरकार क माध्यम ल हुंछ | राज्य सरकार जिला प्रशासन बै नामांकन मगींछ | यैक अलावा क्वे लै सांसद, विधायक, गैर सरकारी संगठन (एन जी ओ ) या क्वे अन्य व्यक्ति लै आपण स्तर पर कैकणी लै य सम्मान क लिजी नामंकित करि सकूं | प्रधानमंत्री कार्यालय क अंतर्गत बनी एक समिति यैकैं अंतिम रूप दींछ और अंत में प्रधानमंत्री एवं राष्ट्रपति यै पर आपणी मुहर लगूनी |

      उत्तराखंड में द्वि यास लोकप्रिय विभूति छीं जनूकैं लोकप्रियता और जन-मानस कि भावना क आधार पर पद्म सम्मान दिई जाण चैंछ |  यूं द्वि लोकप्रिय विभूति छीं श्री हीरा सिंह राणा (हिरदा ) और श्री नरेंद्र सिंह नेगी ( नरेन्दा या नरुदा ) | हिरदा क जन्म 13 सितम्बर 1942 हुणि मनीला (अल्मोड़ा, उत्तराखंड) में हौछ | ऊँ विगत 50 वर्षों बटि आपण गीत- कविताओं क माध्यम ल लोगों क चहेता बनि रईं | उनार कुछ किताब छीं- प्योलि और बुरांश, मानिलै डानि और मनखों पड़ाव में |

      नरेन्दा (नरुदा) क जन्म 12 अगस्त 1949 हुणि गाँव पौड़ी (पौड़ी, उत्तराखंड) में हौछ | नरूदा लै विगत 45 वर्षों बटि आपण गीत-संगीत-कविता क माध्यम ल भौत लोकप्रिय है रईं | नरुदा क कुछ रचना छीं -  खुचकंडी, गांणयूं की गंगा स्याणयूं का समोदर, मुट्ठ बोटी की रख और तेरी खुद तेरु ख्याल |

      यूं द्विनूं में करीब करीब कएक समानता छीं | वर्तमान में द्विये  क्रमश: कुमाउनी और गढ़वाली क शीर्ष गायक छीं, द्विये भौत लोकप्रिय छीं, द्विये राज्य आन्दोलन दगै जुड़ी रईं, द्विये भाषा आन्दोलन में संघर्षरत छीं, द्विये समाज सुधारक छीं, द्विनूं कै कएक कैसेट –सी डी छीं, द्विनूं कै गीत संग्रह लै छीं, द्विये कविता पाठ लै करनीं, द्विनूं कै   उच्च व्यक्तित्व लै छ और द्विये कएक सम्मान और पुरस्कारों ल लै  विभूषित छीं |

        यूं द्विनूं की संघर्ष गाथा पुस्तक रूप में प्रकाशित लै है रै | हिरदा कि संघर्ष यात्रा ‘संघर्षों का राही’ (संपादक-चारु तिवारी, प्रकाशक- उत्तराखंड लोकभाषा साहित्य मंच दिल्ली) और नरुदा कि संघर्ष यात्रा ‘नरेंद्र सिंह नेगी की गीत यात्रा’ (संपादक- डा.गोविन्द सिंह, उर्मिलेश भट्ट, प्रकाशक- बिनसर पब्लिशिंग क.देहरादून ) क लोकार्पण है चुकि गो | यूं  पंक्तियों क लेखक कैं यूं द्विये विभूतियों क दगाड़ काव्यपाठ करण क मौक लै मिलौ | अत: उत्तराखंड क यूं द्विये विभूतियों कैं वर्ष 2020 क गणतन्त्र दिवस पर पद्मश्री सम्मान ल अलंकृत करी जाण चैंछ | यैक लिजी उत्तराखंड सरकार कैं जल्दि है जल्दि उचित कदम उठूण चैंछ | 

( य चिठ्ठी 2016 बटि  हर साल लेखनू । कभैं त सुनाल माथ भैटी सैब लोग ।)

पूरन चन्द्र काण्डपाल, रोहिणी दिल्ली 
11.02.2016 /24.07.2019

Tuesday 23 July 2019

Gicha kholani chainee : गिच खोलनी चैनी

खरी खरी - 465  :  गिच खोलणी चैनी

मसमसै बेर क्ये नि हुन
बेझिझक गिच खोलणी चैनी,
अटकि रौछ बाट में जो दव
हिम्मतल उकैं फोड़णी चैनी ।

अन्यार अन्यार कै बेर
उज्याव नि हुन,
अन्यार में  एक मस्याव
जगूणी चैनी ।
मसमसै..

जात  - धरम पर जो
लडूं रईं हमुकैं,
यास हैवानों कैं भुड़ जास
चुटणी चैनी ।
मसमसै ...

गिरगिट जस रंग
जो बदलैं रईं जां तां,
उनुकैं बीच बाट में
घसोड़णी  चैनी ।
मसमसै...

क्ये दुखै कि बात जरूर हुनलि
जो डड़ाडड़ पड़ि रै,
रुणी कैं एक आऊं
कुतकुतैलि लगूणी चैनी ।
मसमसै बेर...

पूरन चन्द्र काण्डपाल
24.07.2019

Monday 22 July 2019

Bachchon se badhakar kaun : बच्चों से बढ़कर कौन ?

मीठी मीठी - 315 :  बच्चों से बढ़कर कुछ भी नहीं

          ध्यान से सोचें तो बच्चों से बढ़कर हमारे लिए क्या हो सकता है ?  कुछ भी नहीं । यदि हम अपनी भावी पीढ़ी को ठीक से संवार सके तो समझो हमने सबकुछ पा लिया । कुछ संपादित बातें एक सोसल मीडिया मित्र के सौजन्य से साभार यहां उद्धृत हैं । बच्चों के अभिभावक इन शब्दों पर मंथन जरूर करें ।

1. उसके पढ़ते समय टीवी बंद कर दें । टी वी के चलते पढ़ाई नहीं हो सकती । टीवी पर आपके बच्चे से ज्यादा महत्वपूर्ण कुछ नहीं होता है। उसके लिए टी वी देखने के नियम बनाएं और समय निश्चित करें ।

2. अपने बच्चे की स्कूल डायरी और स्कूल कार्य देखने के लिए कुछ समय जरूर निकालिए। उसके गृहकार्य पूरे कराइए।

3. रोज सभी विषयों में उनका प्रदर्शन देखिए। उन विषयों का खास ध्यान रखिए जिसमें वह कमजोर है ।

4. उनकी बुनियादी शिक्षा जैसे शिष्ट भाषा, अभिवादन करना, अधिक जोर से न बोलना, चीजों को उचित जगह पर रखना, भोजन करने में देर न लगाना, बहुत जरूरी है।

5. उन्हें रात को जल्दी सोने और सुबह जल्दी उठने की आदत डालिए । समय स्वयं निर्धारित करिए । 30 - 40 मिनट का खेल और व्यायाम भी बहुत महत्वपूर्ण है ।

6. अगर आप पार्टी - आयोजन में जाते हैं और बच्चों के साथ इसमें देर रात तक मजे करते हैं तो अगले दिन बच्चे को आराम करने दीजिए (स्कूल मत भेजिए) अगर आप चाहते हैं कि बच्चा अगले दिन स्कूल जाए तो रात 10:00 बजे तक घर लौट आइए।

7. अपने बच्चे में पौधे लगाने और उनका ख्याल रखने की आदत का विकास कीजिए। उस पर्यावरण का ज्ञान भी दें ।

8. सोने के समय अपने बच्चों को पंचतंत्र, तेनाली राम आदि जैसी चरित्र निर्माण की कहानी सुनाइए।

9. हर साल गर्मी की छुट्टी में (अपने बजट के अनुसार) कहीं घूमने जाइए। इससे वे अलग लोगों के साथ और अलग जगहों पर रहना सीखते हैं।

10. अपने बच्चे की प्रतिभा का पता लगाइए और उसे इसे निखारने में सहायता कीजिए (वह किसी विषय, संगीत, खेल, अभिनय, चित्रांकन, नृत्य आदि में दिलचस्पी रख सकता है)। इससे उसका जीवन आनंददायक हो जाएगा।

       हम में से कई अभिभावक इनमें से कुछ बिंदुओं पर पहले से ही व्यावहारिक हैं । जो नहीं है वे परिस्थिति के अनुसार व्यवहारिक बनें । यदि हम बच्चों पर ध्यान रखेंगे तो वे पथभ्रष्ट नहीं होंगे और आगे चलकर एक अच्छा नागरिक बनेंगे ।

पूरन चन्द्र कांडपाल
23.07.2019
( साभार संपादित )

Sunday 21 July 2019

Dahej ka danav : दहेज का दानव

मीठी मीठी - 312 : दूल्हे ने दहेज के दानव  को मारा

    'दहेजलोभी परिवार ने दहेज नहीं मिलने पर बारात वापस गई या थाने पहुंच गई', हम आए दिन इस तरह के समाचार सुनते हैं । दहेज नहीं लेने की बात तो सब करते हैं परंतु परोक्ष रूप से दहेज के लिए दबाव भी डालते हैं । कुछ दूल्हे कहते हैं 'जो दोगे अपनी बेटी को दोगे, मुझे कुछ नहीं चाहिए' और दहेज स्वीकार कर लेते हैं ।

      कुछ महीने पहले बैतूल (म प्र) में हाल ही में एक दूल्हे ने दहेज में दिया हुआ सामान लेने से इनकार कर दिया । विवाह गायत्री परिवार से जुड़े रीति-रिवाजों के साथ हुआ । सभी लोग दूल्हा-दुल्हन के लिए उपहार लाये थे लेकिन दूल्हे ने दहेज में आये कपड़े, गहने और बर्तन सहित सभी सामान लेने से इनकार कर दिया और एक रुपया भी नहीं लिया । दूल्हा बोला, "मेरे लिए दुल्हन ही सबकुछ है, दहेज व्यर्थ है ।" 

      समारोह के अंत में दूल्हे के आग्रह को मान लिया गया और बिना दहेज के दुल्हन की खुशी खुशी विदाई हुई । आशा है  हमारे समाज में जड़ जमाई दहेज प्रथा को उखाड़ने के लिए अविवाहित युवक इस उदाहरण से कुछ तो सीखेंगे । कुछ दूल्हे तो अवश्य इस मार्ग पर चलेंगे ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
22.07.2019

Saturday 20 July 2019

Guthali ropo : गुठली रोपो

मीठी मीठी - 314 : बारिश में गुठली रोपो


       जहां मानसूनी बारिश का आगमन हो गया है वहां लोग फलों की गुठलियां रोप सकते हैं । जिस ओर भी आप जा रहे हैं - निवास, कार्यालय, फैक्ट्री, स्कूल - कालेज, पार्क, पूजालय, जंगल, नदी किनारे, पहाड़ी स्थान आदि रास्ते में उचित स्थान देख कर किसी भी फल की गुठलियों को रोपा जा सकता है । बहुत ही कम समय में हम धरती का श्रृंगार मुफ्त में थोड़े परिश्रम से कर सकते हैं । धरती बचेगी तो तभी हम बचेंगे । विगत 14 वर्षों से इस और थोड़ा कर्म करता हूं । पार्क में 10 आम के पौधों में से 7 पेड़ बन चुके हैं । 2 पेड़ों पर इस बार फल भी आए । यह बात अलग है कि शैशव अवस्था में ही लोगों ने फल तोड़ दिए । फल की चिंता नहीं है । पेड़ होने चाहिए । इस बार भी कोशिश जारी है । कुछ आम और कुछ लीची की गुठलियां रोपने का विचार है । सभी मित्र यथा संभव प्रयास करेंगे इसी वजह से शब्दों को गुठलियों सहित पोस्ट कर रहा हूं । भारत माता की जय करनी है और जगह जगह गुठली रोपनी है । जयहिंद ।

पूरन चन्द्र कांडपाल

21.07.2019