Thursday 31 January 2019

Bahadur bachche : बहादुर बच्चे

मीठी मीठी -228 : हमारे बहादुर बच्चे

     हमारे देश में प्रतिवर्ष  गणतंत्र दिवस के अवसर पर 'राष्ट्रीय बाल वीरता पुरस्कार' भारतीय बाल कल्याण परिषद ( वर्ष 2019 के गणतंत्र दिवस से यह सम्मान महिला और बाल विकास मंत्रालय के अंतर्गत ) द्वारा वर्ष 1957 से प्रधानमंत्री के हाथ से प्रदान किये जाते हैं । प्रत्येक राज्य में परिषद की शाखा है । प्रतिवर्ष 1 जुलाई से 30 जून के बीच 6 वर्ष से बड़े और 18 वर्ष से छोटी उम्र के वे बच्चे ग्राम पंचायत, जिला परिषद, प्रधानाचार्य, पुलिस प्रमुख एवं जिलाधिकारी की संस्तुति के बाद परिषद की राज्य शाखा को आवेदन कर सकते हैं जिन्होंने अपनी जान की परवाह नहीं करते हुए दूसरों की जान बचाई ।

     इस पुरस्कार के लिये पुलिस रिपोर्ट एवं अखबार की कतरन प्रमाण के बतौर होनी चाहिए । 1957 से 2018 तक यह पुरस्कार 984 बहादुर बच्चों को प्रदान किया गया जिनमें 693 लड़के और 291 लड़कियां हैं । पुरस्कार में चांदी का पदक, नकद राशि, पुस्तक खरीदने के वाउचर और प्रशस्ति पत्र दिया जाता है । सर्वोच्च बहादुरी के लिए स्वर्ण पदक और विशेष बहादुरी के लिए भारत पुरस्कार, संजय चोपड़ा, गीता चोपड़ा सुर बापू गयाधानी पुरस्कार दिया जाता है । ये बच्चे गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेते हैं और राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री से भी मिलते हैं ।

    इस वर्ष यह पुरस्कार 21 बहादुर बच्चों को प्रदान किया गया जिनमें 1 मरणोपरांत हैं । इन बच्चों में 13 लड़के और 8 लड़कियां हैं । इस वर्ष गणतंत्र दिवस परेड में ये बच्चे जीपों में बैठकर राजपथ से गुजर रहे थे । देश में अपने अपने राज्य का नाम ऊँचा करने वाले इन बहादुर बच्चों को बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं । हमें अपने बच्चों से इस पुरस्कार की चर्चा अवश्य करनी चाहिए ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
01.02.2019

Wednesday 30 January 2019

Rasik ramaul : रसिक रमौल

मीठी मीठी - 227 : पर्वतीय कला केन्द्र के स्वर्ण जयंती वर्ष पर "रसिक रमौल"

     राष्ट्रीय रंगमंच के जानेमाने संगीत निर्देशक रहे दिवंगत  मोहन उप्रेती व उत्तराखंड के अनेको प्रबुद्ध प्रवासियों द्वारा सन 1968 दिल्ली प्रवास में स्थापित सांस्कृतिक संस्था पर्वतीय कला  केद्र का तीन दिनी कार्यक्रम 29 जनवरी को दिल्ली के मंडीहाउस स्थित एल टी जी सभागार में अपनी स्थापना के 50 वर्ष पूर्ण होने पर भव्य  नाट्य-मंचन  देेेखने का अवसर मिला ।

       इस अवसर पर संस्था से निरंतर जुड़े रहे कलाकारों, दिल्ली प्रवास मे उत्तराखंड की लोकसंस्कृति को विगत कई दशकों से नित नए आयाम दे रही संस्थाओं व प्रसिद्ध लोकगायकों को सम्मानित होते हुए भी देखा ।

     पर्वतीय कला केंद्र द्वारा दिवंगत ब्रजेन्द्र लाल साह रचित व दिवंगत मोहन उप्रेती द्वारा संगीतवद्ध उत्तराखंड का सुप्रसिद्ध गीत नाट्य "रसिक रमौल'' का बहुत शानदार मंचन हुआ । इस गीत नाट्य का निर्देशन अमित सक्सेना व संगीत संयोजन डॉ पुष्पा बग्गा ने किया । अभिनय की दृष्टि से सभी कलाकारों का उत्कृष्ट अभिनय था । "द्वि भाई रमौला....सिदुवा बिदुवा...." गीत की धुन और सुर बहुत ही लुभावने लगे । 'कफुवा' पक्षी, तितलियां, सभी सुंदर । गीत-नाटिका में रूपसज्ज़ा, ड्रेस, अस्त्र औऱ दृश्य भी अद्भुत ।  कार्यक्रम 31 जनवरी को भी होगा ।

     उत्तराखंडी लोकधुनों पर आधारित गीत- संगीत भी बहुत कर्णप्रिय था तथा अमित सक्ससेना जी का निर्देशन और डॉ पुष्पा तिवारी बग्गा का संगीत संयोजन भी दर्शकों को खूब भाया । इस सुंदर गीत-नाटिका के सफल मंचन के लिए पर्वतीय कला केन्द्र दिल्ली के सी डी तिवारी, जनरल सेक्रेटरी महेन्द्र सिंह लटवाल तथा पूरी टीम को बधाई और शुभकामना ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल


31.01.2019


Tuesday 29 January 2019

Gandhi ko nobel : ,गांधी को क्यों नहीं मिला नोबेल?

बिरखांत- 249 :  गांधी को क्यों नहीं मिला ‘नोबेल पुरस्कार’ ?

( आज 30 जनवरी बापू के शहीदी दिवस पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि । )

     मोहन दास करम चन्द गांधी (महात्मा गांधी, बापू, राष्ट्रपिता) का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ | उनकी माता का नाम पुतली बाई और पिता का नाम करम चन्द था | 13 वर्ष की उम्र में उनका विवाह कस्तूरबा के साथ हुआ | गांधी जी 18 वर्ष की उम्र में वकालत पढ़ने इंग्लैण्ड गए | वर्ष 1893 में वे एक गुजराती व्यौपारी का मुकदमा लड़ने दक्षिण अफ्रीका गए |

     दक्षिण अफ्रीका में उन्होंने रंग- भेद निति का विरोध किया | 7 जून 1893 को गोरों ने पीटरमैरिटजवर्ग रेलवे स्टेशन पर उन्हें धक्का मार कर बाहर निकाल दिया | वर्ष 1915 में भारत आने के बाद उन्होंने सत्य, अहिंसा और असहयोग को हथियार बनाकर अन्य सहयोगियों के साथ स्वतंत्रता संग्राम लड़ा और देश को अंग्रेजों की गुलामी से स्वतंत्र कराया | 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गौडसे ने नयी दिल्ली बिरला भवन पर उनकी गोली मारकर हत्या कर दी | इस तरह अहिंसा का पुजारी क्रूर हिंसा का शिकार हो गया | देश की राजधानी नयी दिल्ली में राजघाट पर उनकी समाधि है |

      पूरे विश्व में महात्मा गांधी का नाम बड़ी श्रद्धा से लिया जाता है | संसार में बिरला ही कोई देश होगा जहां बापू के नाम पर कोई स्मारक न हो | परमाणु बमों के ढेर पर बैठी हुयी दुनिया भी गांधी के दर्शन पर विश्वास करती है और उनके बताये हुए मार्ग पर चलने का प्रयत्न करती है | विश्व की  जितनी भी महान हस्तियां हमारे देश में आती हैं वे राजघाट पर बापू की समाधि के सामने नतमस्तक होती हैं | इतना महान व्यक्तित्व होने के बावजूद भी विश्व को शान्ति का संदेश देने वाले इस संदेश वाहक को विश्व में सबसे बड़ा सम्मान कहा जाने वाला ‘नोबेल पुरस्कार’ नहीं मिला | क्यों ?

     नोबेल पुरस्कार’ प्रदान करने वाली नौरवे की नोबेल समिति ने पुष्टि की है कि मोहनदास करम चन्द गांधी नोबेल शांति पुरस्कार के लिए 1937, 1938, 1939, 1947 और हत्या से पहले जनवरी 1948 में नामांकित किये गए थे | बाद में पुरस्कार समिति ने दुःख प्रकट किया कि गांधी को पुरस्कार नहीं मिला | समिति के सचिव गेर लुन्देस्ताद ने 2006 में कहा, “ निसंदेह हमारे 106 वर्षों से इतिहास में यह सबसे बड़ी भूल है कि गांधी को नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिला | गांधी को बिना नोबेल के कोई फर्क नहीं पड़ा परन्तु सवाल यह है कि नोबेल समिति को फर्क पड़ा या नहीं ?” 

     1948 में जिस वर्ष गांधी जी शहीद हुए नोबेल समिति ने उस वर्ष यह पुरस्कार इस आधार पर किसी को नहीं दिया कि ‘कोई भी योग्य पात्र जीवित नहीं था |’ ऐसा माना जाता है कि यदि गांधी जीवित होते तो उन्हें बहुत पहले ही ‘नोबेल शांति’ पुरस्कार प्रदान हो गया होता | महात्मा गांधी को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ भी नहीं दिया गया क्योंकि वे इस सम्मान से ऊपर हैं |

     सत्य तो यह है कि अंग्रेज जाते- जाते भारत का विभाजन कर गए | गांधी जी ने विभाजन का अंत तक विरोध किया | जिन्ना की महत्वाकांक्षा ने तो विभाजन की भूमिका निभाई जबकि भारत के विभाजन के बीज तो अंग्रेजों ने 1909 में बोये और 1935 तक उन बीजों को सिंचित करते रहे तथा अंत में 1947 में विभाजन कर दिया | भारत में राम राज्य की कल्पना करने वाले गांधी, राजनीतिज्ञ नहीं थे बल्कि एक संत थे | गांधी को ‘महात्मा’ का नाम रवीन्द्र नाथ टैगोर ने और ‘राष्ट्रपिता’ का नाम नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने सम्मान के बतौर सुझाया था | आज भी दुनिया कहती है कि गांधी मरा नहीं है, वह उस जगह जिन्दा है जहां दुनिया शांति और अमन-चैन की राह खोजने के लिए मंथन करती है | 

पूरन चन्द्र काण्डपाल


30 जनवरी 2019


Monday 28 January 2019

Rana ji negi ji : राणा जी और नेगी जी

मीठी मीठी - 226 : उत्तराखंड की दो बहुआयामी धरोहर


       27 जनवरी 2019 को उत्तराखंड महाकुम्भ रास विहार ( मंडावली ) नई दिल्ली में सातवें 'कन्हैयालाल डंडरियाल साहित्य सम्मान' -2018 अर्पण समारोह के दौरान उत्तराखंड की दो बहुआयामी धरोहरों से भेंट हुई । कुमाऊँ और गढ़वाली भाषा के लोकगायकी, लोकसाहित्य, कविता और गीत- संगीत के दो अद्वितीय धरोहर हीरा सिंह राणा जी और नरेन्द्र सिंह नेगी जी के साथ एक लघु भेंट के अवसर पर गीत-कविता के साथ ही अपनी भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की चर्चा भी हुई । दोनों विभूतियों के साथ मिलन मेरे लिए एक अविष्मरणीय पल था ।

        इन दोनों के काव्य -साहित्य समंदर में से कुछ मोती चुने हैं मैंने: - 

     'शहीदों नमन छीं, तुमुकैं धन छीं'

     'लसका कमर बादा, हिम्मतक साथा'

     'उत्तराखंडकि भूमि त्येरी जै जै कार'

     'म्यर मानिलै डानि त्येरि बल्याई ल्युल'

     'अहारे जमाना, ओ हो रे जमाना'... ।
     (राणा ज्यू..... अनंत)

     'म्यर गढ़ देशा हे...'

     'भल लागन्द भानुली तेरो...'

     'उठा जागा उत्तराखंडियों...'

     'तेरा जुल्मों को हिसाब चुकौला एक दिन'

     'एकजुट एकमुठ ह्वै जावा..'
     (नेगी ज्यू......अनंत)

पूरन चन्द्र काण्डपाल
29.01.2019

     

Kanaihyalal Dandriyal sammaan: कन्हैयालाल डंडरियाल सम्मान

मीठी मीठी - 225 : कन्हैयालाल डंडरियाल सम्मान अर्पण

(बीना बेंजवाल और गणेश खुगशाल 'गणी' सम्मानित)

     27 जनवरी 2019 हुणि उत्तराखण्ड लोकभाषा साहित्य मंच दिल्ली द्वारा हिन्दी -गढ़वालिक रचनाकार बीना बेंजवाल और हिन्दी- गढ़वाली क रचनाकार एवं पत्रकार गणेश खुगशाल 'गणी' कैं वर्ष 2018 क महाकवि कन्हैयालाल डंडरियाल सम्मान रास विहार नई दिल्ली में प्रदान करिगो । सम्मान में द्विये विदुुुजनों कैं शाल, प्रशस्ति  पत्र और ₹ 21000/- क चैक भैंट करिगो ।

     सम्मान अर्पण लोकगायक  नरेन्द्र सिंह नेगी एवं हीरा सिंह राणा ज्यू और दिल्ली प्रदेशक कएक राजनेताओंक सानिध्य में हौछ । यौ सम्मान क प्रायोजक छी दिल्ली पैरामेडिकल मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट (DPMI) जैक प्रबंध निदेशक छीं डॉ विनोद बछेती और उत्तराखंड एकता मंच दिल्ली । व्यक्तिगत तौर पर मी सोचनू कि यौ हमरि भाषा कुमाउनी और गढ़वालिक साथ यूं भाषाओंक पाठकों और हमरि भाषाप्रेमियोंक सम्मान छ । आयोजन में नेगी ज्यू और राणा ज्यूक लोकप्रिय गीतोंक लै लोगोंल खूब आंनद ल्हे । य मौक पर उत्तराखंड लोकभाषा साहित्य मंच (संयोजक  साहित्यकार दिनेश ध्यानी एवं संरक्षक डॉ विनोद बछेती) ) दिल्ली द्वारा अपार जनसमूहक बीच केंद्र सरकारक प्रतिनिधियों कैं हमरि भाषाओं कैं संविधानक आठूँ अनुसूची में शामिल करणक लिजी प्रस्ताव पारित करि बेर लै भैंट करौ ।

    महाकवि कन्हैयालाल डंडरियाल सम्मान हर साल कुमाउनी - गढ़वाली- जौनसारीक एक साहित्यकार कैं वर्ष 2012 बटि दिई जांरौ । य सातूं सम्मान छी । समारोहक पैल सत्र में कुमाउनी- गढ़वाली सिखणी नना कैं प्रमाणपत्र, मैडल और बस्त दि बेर सम्मानित करिगो । य आयोजनक लिजि उत्तराखंड लोकभाषा साहित्य मंच दिल्ली और DPMI साधुवादक पात्र छीं । अलंकरण समारोह आयोजन में आई सबै भाषाप्रेमियों, नारी शक्ति, साहित्यकारों, कवियों, विद्वानों, पत्रकारों, आयोजन समितिक सदस्यों, राजनीतिज्ञों समेत सबै युवाओं एवं भाषा सिखणी नानतिनोंक आयोजकोंल विनम्रताक साथ धन्यवाद और आभार प्रकट करौ ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
28.01.2019

Sunday 27 January 2019

Bhratri mandal : भ्रातृ मंडल

मीठी मीठी - 224 : उत्तराखंड भ्रातृ मंडल अवंतिका, रोहिणी में गणतंत्र दिवस

       कल 26 जनवरी अर्थात राष्ट्र का 70वां गणतंत्र दिवस उत्तराखण्ड भ्रातृ मंडल (पं) अवंतिका सेक्टर-1,रोहिणी दिल्ली-85 ने बड़ी धूमधाम से मनाया । आयोजन में ध्वज रोहण, सांस्कृतिक कार्यक्रम और विभिन्न पुरस्कार वितरण किया गया । सांस्कृतिक कार्यक्रम हिंदी अकादमी, दिल्ली सरकार के सहयोग से आयोजित हुआ । कार्यक्रम का शुभारम्भ हिंदी अकादमी दिल्ली सरकार के सचिव डॉ जीतराम भट्ट जी द्वारा किया गया । इस अवसर पर अपराह्न सत्र में कई गणमान्य व्यक्तियों से मिलन हुआ जिनमें प्रमुख थे सर्वश्री गूगन सिंह रंगा (चेयरमैन खादी ग्रामोद्योग बोर्ड दिल्ली सरकार), विधयाक महेंद्र गोयल,  स्थानीय निगम पार्षद, प्रेम सिंह बिष्ट (निदेशक बायोफ्रेश), के एस बिष्ट (निदेशक बिष्ट प्रॉपर्टीज), पान सिंह बिष्ट, दाता राम जोशी, पत्रकार सुनील नेगी, लोकगायक गोपाल मठपाल, प्रकाश काल्हा, मंगलेश डबराल, बसंती बिष्ट एवं संस्था के अध्यक्ष एन डी लखेड़ा सहित उनकी टीम के सभी पदाधिकारीगण मुख्य थे ।

       70वें गणतंत्र दिवस के इस आयोजन में देश के स्वतंत्रता सेनानियों और अमर शहीदों का स्मरण भी किया गया । अब तक के सभी 48 भारत रत्न सम्मानितों, सभी 21 परमवीरचक्र औऱ सभी 68 अशोकचक्र विजेताओं सहित अन्य सम्मानितों का भी बड़ी विनम्रता के साथ स्मरण किया गया । सुश्री बचेन्द्री पाल, प्रीतम भरतवाण और अनूप साह को इस वर्ष पद्मसम्मान मिलने पर अपार जनसमूह के बीच बहुत प्रसन्नता प्रकट की गई । भ्रातृ मंडल की पूरी टीम को इस सफल आयोजन के लिए बधाई और शुभकामना ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
27.01.2019

Padmshree : पद्मश्री

मीठी मीठी - 223 : चाहिए दो अदद पद्मश्री

        हमारे देश में गणतंत्र दिवस के अवसर पर चार नागरिक सम्मान दिए जाते हैं – भारत रत्न, पद्मविभूषण, पद्मभूषण और पद्मश्री | भारत रत्न को छोड़ अन्य तीनों को पद्म सम्मान कहते हैं | पद्म सम्मान प्रति वर्ष अधिकतम 120 लोगों को दिए जा सकते हैं । वर्ष 2016 में ये 112 विभूतियों को, 2017 में 89 विभूतियों को और 2019 में 112 विभूतियों को दिए गए | किसी एक व्यक्ति को ये तींनों सम्मान मिल सकते हैं लेकिन इसे पाने में कम से कम पांच वर्ष का अंतर होना चाहिए | पद्म सम्मान मरणोपरांत नहीं दिए जाते |

        इस सम्मान का नामांकन प्रति वर्ष 1 मई से 15 सितम्बर तक किया जाता है जो राज्य या केंद्र सरकार के माध्यम से होता है | राज्य सरकारें जिला प्रशासन से नामांकन मांगती है | इसके अलावा कोई सांसद, विधायक, गैर सरकारी संगठन (एन जीओ ) या कोई व्यक्ति भी अपने स्तर पर किसी को इस सम्मान के लिए नामंकित कर सकता है |  प्रधानमंत्री कार्यालय के अंतर्गत बनी एक समिति इसे अंतिम रूप देती है और अंत में प्रधानमंत्री तथा राष्ट्रपति इस पर अपनी मुहर लगाते हैं |

         उत्तराखंड में दो ऐसी लोकप्रिय विभूतियाँ हैं जिन्हें लोकप्रियता और जन-मानस की भावना के आधार पर पद्म सम्मान दिया जाना चाहिए | ये दो लोकप्रिय सितारे हैं श्री हीरा सिंह राणा (हिरदा ) और श्री नरेंद्र सिंह नेगी ( नरेन्दा या नरुदा ) | हिरदा का जन्म 13 सितम्बर 1942 को मनीला (अल्मोड़ा, उत्तराखंड) में हुआ | वे विगत 50 वर्षों से अपनी गीत- कविताओं के माध्यम से लोक में छाये हुए हैं | उनकी कुछ पुस्तकें हैं- प्योलि और बुरांश, मानिलै डानि और मनखों पड़ाव में |

      नरेन्दा (नरुदा) का जन्म 12 अगस्त 1949 को गाँव पौड़ी (पौड़ी, उत्तराखंड) में हुआ | नरूदा भी विगत 45 वर्षों से अपने गीत-संगीत-कविता के माध्यम से लोकप्रियता के चरम पर हैं | नरुदा की रचनाएँ हैं- खुचकंडी, गांणयूं की गंगा स्याणयूं का समोदर, मुट्ठ बोटी की रख और तेरी खुद तेरु ख्याल |

        इन दोनों में लगभग कई समानताएं हैं | वर्तमान में दोनों क्रमश: कुमाउनी और गढ़वाली के शीर्ष गायक हैं, दोनों बहुत लोकप्रिय हैं, दोनों ही राज्य आन्दोलन से जुड़े रहे, दोनों भाषा आन्दोलन में संघर्षरत हैं, दोनों ही समाज सुधारक हैं, दोनों की कई कैसेट –सीडी हैं, दोनों के ही गीत संग्रह हैं, दोनों ही कविता पाठ भी करते हैं, दोनों का उच्च व्यक्तित्व है और दोनों ही कई सम्मान- पुरस्कारों से विभूषित हैं |

      इन दोनों की संघर्ष गाथा पुस्तक रूप में प्रकाशित है | हिरदा की संघर्ष यात्रा ‘संघर्षों का राही’ (संपादक-चारु तिवारी, प्रकाशक- उत्तराखंड लोकभाषा साहित्य मंच दिल्ली) और नरुदा की संघर्ष यात्रा ‘नरेंद्र सिंह नेगी की गीत यात्रा’ (संपादक- डा.गोविन्द सिंह, उर्मिलेश भट्ट, प्रकाशक- बिनसर पब्लिशिंग क.देहरादून ) का लोकार्पण हो चुका है | इन पंक्तियों के लेखक को इन दोनों विभूतियों के साथ काव्यपाठ करने का अवसर प्राप्त हुआ है | अत: उत्तराखंड की इन दोनों विभूतियों को वर्ष 2017 के गणतन्त्र दिवस पर पद्मश्री सम्मान से अलंकृत किया जाना चाहिए | इस हेतु उत्तराखंड सरकार को शीघ्र से शीघ्र उचित कदम उठाने चाहिए |

(यह लेख पुनः संपादित है जिसे पहली बार 02.02.2016 को प्रकाशित किया गया । 28.01.2017 को पुनः प्रकाशित किया गया और कई मंचों पर इसकी विस्तृत चर्चा भी हुई । आज 27.01.2019 को इसे पुनः प्रकाशित कर रहा हूँ ।)

पूरन चन्द्र काण्डपाल,
27.01.2019

Bachendri पाल : बचेन्द्री पाल

मीठी मीठी - 222 : बचेन्द्री पाल को पद्मभूषण सम्मान

     पर्वतारोही बचेन्द्री पाल जी को 'पद्मभूषण' सम्मान मिलने पर बहुत-बहुत बधाई और शुभकामना । कविता संग्रह 'स्मृति लहर' (2004) में जिन पांच महिलाओं के बारे में कविताएं लिखी उनमें एक कविता 'सागर माथा की वीरांगना' बचेद्री पाल जी की बारे में भी है । मुझे आज बहुत खुशी हुई कि 23 मई 1984 को ऐवरेस्ट जीतने वाली उत्तरकाशी की इस अदम्य साहसी महिला को 'पद्मभूषण' सम्मान दिया गया । उन्हें 'पद्मश्री' सम्मान पहले ही प्राप्त है ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
26.01.2019

Friday 25 January 2019

26 january : 26 जनवरी

मीठी मीठी - 221 : छब्बीस जनवरी

       आज 26 जनवरी 2019 को हम सब अपना 70वां गणतंत्र दिवस मना रहे हैं । आप सबको इस पावन राष्ट्र पर्व की बहुत बहुत शुभकामना । कविता संग्रह "यादों की कालिका" से कविता 'छब्बीस जनवरी' यहाँ उधृत है ।


पूरन चन्द्र काण्डपाल

26 जनवरी 2019


Thursday 24 January 2019

70waan gantantr : 70वां गणतंत्र

बिरखांत-248  : 70वां गणतंत्र दिवस  – संकल्प करने का दिन

    प्रतिवर्ष जनवरी महीने में चार विशेष दिवस एक साथ मनाये जाते हैं | 23,  24,  25 और 26  जनवरी |  23 को नेताजी सुभाष जयंती,  24 को राष्ट्रीय बलिका दिवस ( इस दिन 1966 में श्रीमती इंदिरा गाँधी देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनी थी ), 25 को मतदाता जागरूकता दिवस और 26 को 1950 में हमारा संविधान लागू हुआ था | वर्ष 2016 से 22 जनवरी को ‘बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ’ दिवस भी मनाया जाने लगा है | हमने विगत 69 वर्षों में बहुत कुछ पाया है और देश में विकास भी हुआ है परन्तु बढ़ती जनसंख्या ने इस विकास को धूमिल कर दिया | 69 वर्ष पहले हम 43 करोड़ थे और आज 130 करोड़ हैं अर्थात उसी जमीन में 87 करोड़ जनसंख्या बढ़ गई |

   हमने मिजाइल  बनाए,  ऐटम बम बनाया, अन्तरिक्ष में धाक जमाई, कृषि उपज बढ़ी, साक्षरता दर जो तब 2.55% थी अब 74.1% है | रेल, सड़क, वायुयान, उद्योग, सेना, पुलिस, अदालत आदि सब में बढ़ोतरी हुई | इतना होते हुए भी हमारी लगभग 25 % जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे है जिनकी प्रतिदिन की आय पचास रुपए से भी कम बताई जाती है | देश की सभी जनता के पास अभी भी शौचालय नहीं हैं | कई स्कूलों और आगनबाड़ी केन्द्रों में पेय जल नहीं है और दूर-दराज में कई जगह अभी बिजली नहीं पहुँची है | प्रतिवर्ष हजारों किसान आत्महत्या कर रहे हैं | अदालतों में करीब तीन करोड़ से भी अधिक मामले लंबित हैं और एक केस सुलझाने में कई वर्ष लग जाते हैं | ब्रेन ड्रेन भी नहीं थमा है |

    विदेशों की नजर में हम निवेश के लिए सुरक्षित नहीं हैं | 187 देशों में हमारा नंबर 169 है अर्थात उनकी नजर में 168 देश उनके लिए हमसे अधिक सुरक्षित हैं | विश्व के 200 श्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में हमारा नाम नहीं है | बताने के लिए तो बहुत कुछ है जिससे मनोबल को ठेस लगेगी | प्रतिवर्ष राजपथ पर गणतंत्र दिवस परेड हमारा मनोबल बढ़ाती है | हमारे सुरक्षा प्रहरी हिम्मत और शक्ति के परिचायक हैं जो सन्देश देते हैं कि हमारी सीमाएं सुरक्षित और चाकचौबंद हैं | हमें अपने देश में ईमानदारी के पहरुओं पर भी गर्व है | हम अभी विकासशील देश हैं क्योंकि हमारे पास विकसित देशों जैसा बहुत कुछ नहीं है |

   भारत को विकसित राष्ट्र बनने में देर नहीं लगेगी यदि ये मुख्य चार दुश्मनों – भ्रष्टाचार, बेईमानी, अकर्मण्यता और अंधविश्वास से उसे निजात मिल जाय | इसके अलावा नशा, आतंकवाद, अशिक्षा, गरीबी, गन्दगी और साम्प्रदायिकता भी हमारी दुश्मनों की जमात में हैं | यदि हम इन दस दुश्मनों को जीत लें तो फिर भारत अवश्य ही सुपर पावर समूह में शामिल हो सकता है | इन दुश्मनों की चर्चा हमारे राष्ट्र नायकों सहित देश के कई प्रबुद्ध नागरिकों ने पहले भी कई बार की है और आज भी हो रही है | आइये इस गणतंत्र पर संकल्प करें और इन सभी दुश्मनों को जड़ से उखाड़ फेंकने में सहयोग करते हुए देश को महाशक्ति समूह में शामिल करें | आप सबको 70वे गणतंत्र दिवस की बधाई | अगली बिरखांत में कुछ और... 

पूरन चन्द्र काण्डपाल
25.01.2019

Balika diwas : बालिका दिवस

मीठी मीठी - 220 : आज बालिका दिवस

      आज 24 जनवरी 'बालिका दिवस' छ । आजक दिन 1966 में दिवंगत प्रधानमंत्री 'भारत रत्न' इंदिरा गांधी देशकि पैली महिला प्रधानमंत्री बनी । तब बटि य दिन कैं 'बालिका दिवस' क रूप में  मनाई जांछ । इन्दिरा ज्यूक बार में किताब "महामनखी'' बै याँ लेख उधृत छ । विनम्र श्रद्धांजलि ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
24.01.2019

Netaji subhash : नेताजी सुभाष

मीठी मीठी - 219 : नेताजी सुभाष बोस जयंती

      आज 23 जनवरी स्वतंत्रता आन्दोलनक अमर सेनानी नेताजी सुभाषचंद्र बोस ज्युकि जयंती छ । "बुनैद" किताब बै उनार बार में लेख उधृत छ । देश कैं "जयहिन्द" नारा दिणी नेताज्यू कैं विनम्र श्रद्धांजलि ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
23.01.2019

Monday 21 January 2019

Gutkha : गुटखा

खरी खरी- 376 :  मिकैं क्ये खबर न्हैति (गुट्क खणी)

गुट्क खणियां ल
सब जागि करि है लाल,
उनार सड़ि गईं  दांत-
मिरि चिमोड़ी गईं गाल,
गिच भरिये रांछ उनौर
उं कैहूं कसी बलाल,
मिठ जहर खै बेर
करैं रईं आपण हलाल,
कतुक्वे समझौ उनुहैं
क्वे नि सक जिती,
यूं क्यलै खांरीं जहर ?
मिकैं क्ये खबर न्हैति ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
22.01.2019

Sunday 20 January 2019

Bhakti ka danka : भक्ति का डंका

खरी खरी- 375 : भक्ति का डंका

कन्हैया तेरो जन्मदिन
ऐसो मनायो,
तेरी भक्ति को घर-घर
हमने डंका खूब पिटायो ।

लाइट के लिए कटिया डाली
जगमग भवन बनायो,
तूने तो माखन ही चुराया
हम बिजली में हाथ अजमायो ।

धार्मिक आयोजन हमने किन्हा,
मीटर नहीं लगवायो,
लोगन हमरी चुगली किन्हीं
छापो है डलवायो ।

भगत बगूला लोग कहें
अब बिजली चोर कहायो,
अब सब हमहीं को दुत्कारे
आडम्बरी बतायो ।

जनम जहां पर तुमने लीन्हा
वहां पुलिस हमें भिजवायो
तुम तो कन्हैया बाहर आ गये
हमको अन्दर करवायो ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
21.01.2019