Thursday 30 November 2017

Dulha - dulhan : दूल्हा-दुल्हन चाहें तो ?

खरी खरी - 133 : दूल्हा - दुल्हन चाहैं तो हो सकता है ।

      राजधानी में आजकल शादियों का जोर है । शादियों के कारण सड़क पर अक्सर जाम लगा रहता है । इस जाम से प्रदूषण अधिक कष्टदायी हो जाता है । इस प्रदूषण के मुख्य कारकों में डीजल जनरेटर भी थे जिसे न्यायालय ने बंद करवा दिया है । भलेही चोरी से मिलीभगत के साथ अब भी जनरेटर चलाये जा रहे हैं जिनसे खतरनाक प्रदूषण हो रहा है ।

     शादियों में प्रदूषण का एक कारण आतिशबाजी भी है । बरात जहां से चलती है और जहां पहुंचती है इन दोनों जगह पर जम कर आतिशबाजी होती है । जाम के कारण या शराबी बरेतियों के कारण अक्सर बरात गंतव्य तक देरी से पहुंचती है । तब आस - पास के लोग अपने घरों में आराम कर रहे होते हैं या सो गए होते हैं । ठीक इसी समय जमकर आतिशबाजी होने लगती है, जोर -जोर डीजे बजने लगता है । रिपोट करने पर उल्टे पुलिस की छत्रछाया इस अवसर पर बढ़ जाती है । अब लोग किससे कहें ? गसगसाते - मसमसाते हुए तंत्र को गाली देकर अपना क्रोध शांत करते हैं ।

     ऐसी विकट परिस्थितियों में यदि दूल्हा -दुल्हन चाहैं तो पहले से ही आतिशबाजी के लिए अपने अभिभावकों से  मना कर सकते हैं । आतिशबाजी नहीं होने से शादी में कोई फर्क नहीं पड़ेगा बल्कि लोगों को शोर - प्रदूषण से छुटकारा मिल जाएगा और दूल्हा - दुल्हन को आशीर्वाद भी मिलेगा । उम्मीद करते हैं दाम्पत्य डोर में बंधने वाले युवा और युवतियां अपनी मिलन की इस सुमधुर बेला में जन - जन का आशीर्वाद तो लेंगे साथ ही प्रदूषण से हमारे व्यथित पर्यावरण को भी बचाएंगे ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
01.12. 2017

Wednesday 29 November 2017

Ganatuwe : गणतुओं के तुक्के

बिरखांत – 187 : गणतुवों (पुछारियों) के तुक्के 

   अंधविश्वास की जंजीरों में बंधा हमारा समाज गणतुवों या पुछारियों के झांसे में बहुत जल्दी आ जाता है | लोग अपनी समस्या समाधान के लिए गणतुवों के पास आते हैं या भेजे जाते हैं | कभी- कभार उनका तुक्का लग जाता है तो उनके श्रेय का डंका पिटवाया जाता है | तुक्का नहीं लगने पर भाग्य- भगवान्- किसमत –नसीब -करमगति कह कर वे पल्ला झाड़ देते हैं | 
     हाल ही में दिल्ली महानगर में ऐसी ही एक घटना घटी | मेरे एक परिचित का उपचाराधीन मानसिक तनाव ग्रस्त युवा पुत्र अचानक दिन में घर से बिन बताये चला गया | इधर -उधर ढूंढने के बावजूद जब वह देर रात तक घर नहीं आया तो थाने में उसकी रिपोट लिखाई गई | इस तरह परिवार का पहला दिन रोते-बिलखते बीत गया | दूसरे दिन प्रात: किसी मित्र के कहने पर पीड़ित माता- पिता गणत करने वाली एक महिला (पुछारिन) के पास गये | पुछारिन बोली, “आज शाम से पहले तुम्हारा बेटा  घर आ जाएगा | वह सही रास्ते पर है, सही दिशा पर चल रहा है | तुम बिलकुल भी चिंता मत करो |” 

     उसी रात थाने से खबर आती है कि आपके बताये हुलिये के अनुसार एक लाश अमुक अस्पताल के शवगृह (मोरचुरी) में है  | परिजन वहां गए तो मृतक वही था जो घर से गया था | चश्मदीदों ने बताया कि यह व्यक्ति उसी दिन (अर्थात गणत करने के पहले दिन ) रात के करीब साड़े नौ बजे दुर्घटनाग्रस्त होकर बेहोशी हालत में पुलिस द्वारा अस्पताल लाया गया | उसकी मृत्यु लगभग तभी हो गयी थी | दस-ग्यारह घंटे पहले मर चुके व्यक्ति को पुछारिन ने बताया कि ‘वह  सही दिशा में चल कर घर की ओर आ रहा है’ |

      इस धंधे के लोग किस तरह समाज को बरगलाते हैं, यह एक उदाहरण है | यदि पुछारिन के पास कुछ भी ज्ञान होता तो वह कह सकती थी ‘वह व्यक्ति घोर संकट में है या परेशान है, अड़चन में फंसा है |’ पोस्टमार्टम और अंत्येष्टि के बाद पुछारिन को जब यह दुखद समाचार भिजवाया गया तो उसने ‘भाग्य -भगवान्- किसमत- नसीब- करम -परारब्ध- ब्रह्मलेख’ आदि शब्दों को दोहरा दिया | यदि वह व्यक्ति जीवित आ जाता तो यह पुछारिन महिमामंडित हो जाती जबकि उससे आज ‘तूने तो ऐसा बताया था’ पूछने वाला कोई नहीं है |  

     सच तो यह है कि दोषी हम हैं जो इस प्रकार के तंत्रों के जाल में फंसते हैं और कभी सही तुक्का लगने पर इनकी वाह-वाही का डंका पीटते हैं | 
कब जागेगा तू इंसान ? किसी भी प्रकार के अंधविश्वास को महिमामंडित नहीं करने से हम समाज में सुधार ला सकते हैं | चर्चा तो करें | अघली बिरखांत में कुछ और... 

पूरन चन्द्र काण्डपाल
30.11.2017

Tuesday 28 November 2017

Bhrashtaachaar : भ्रष्टाचार का नमूना

खरी ख़री - 132 : भ्रष्टाचार का एक नया नमूना

    हमारे देश में भ्रष्टाचार की दीमक को मारना कठिन ही नहीं असम्भव सा लगता है । ऊपर से नीचे की ओर हो या नीचे से ऊपर की ओर, भ्रष्टाचार की धारा निरन्तर बह रही है । धनी लोग BPL कार्ड लेकर बैठे हैं,  25 % "EWS कैटेगरी के बच्चों की जगह पब्लिक स्कूलों में धनी लोगों के बच्चे सैंध लगाये बैठे हैं, सुहागन स्त्री विधवा पेंसन ले रही है, कुछ लोग बिना वरिष्ठ हुए वरिष्ठ नागरिक की पेंसन खा रहे हैं,  MCD में भूत कर्मचारी ATM कार्ड से धन ले चुके हैं, गरीब की प्रत्येक सुविधा पर अमीर चौकड़ी जमाये बैठे हैं । ऐसा कई जगह पर हुआ है जो मीडिया में कभी न कभी प्रदर्शित हुआ है । 

     अभी हाल ही में दिल्ली नगर निगम में भ्रष्टाचार का एक नया नमूना मीडिया में प्रसारित हुआ । एक आदमी ने अपनी शादी के लिए समुदायिक भवन बुक कराया । बुकिंग के लिए उसने नियत राशि का अधिकांश भाग नकद राशि के रूप में दिया । उसे तत्काल रसीद नहीं दी गई परन्तु भवन बुक कर दिया गया । 

     कुछ दिन बाद जब उस व्यक्ति ने नेट से रसीद  निकाली तो वह रसीद देख स्तब्ध रह गया । रसीद  उस व्यक्ति की रशम -पगड़ी (मृत्युपरांत चौथा की रशम ) के नाम से बनी थी जिसकी बुकिंग राशि शादी की तुलना में बहुत कम थी क्योंकि मृत्युपरांत संस्कार के लिए बहुत कम राशि लगती है । उस व्यक्ति द्वारा दी गई अधिकांश राशि भ्रष्ट कर्मचारी मिल-बांट कर डकार गए । जब उस व्यक्ति की बात कार्यालय में नहीं सुनी गई तो उसने इस बात को पार्षदों तक पहुंचाया । बताया जा रहा है कि इस नए भ्रष्टाचार के लिए सतर्कता विभाग से जांच कराई जा रही है ।

     भलेही कोई कितना ही ताल ठोक कर भाषण दे या आश्वासन दे, देश में कमोवेश हर विभाग में भ्रष्टाचार चरम पर है । हम यह नहीं कहते की तंत्र के सभी लोग भ्रष्ट हैं परंतु कुछ लोगों के लिए तो भ्रष्टाचार की फसल सदाबहार है, खूब फल-फूल रही है । क्या भ्रष्टाचार के नष्ट होने की कल्पना हमारे देश में की जा सकती है ?

पूरन चन्द्र काण्डपाल
29.11.2017

Sab chup kyon :सब चुप क्यों

खरी खरी - 131 : सभी चुप, सिर्फ उपराष्ट्रपति जी बोले

    सेंसर बोर्ड से अभी जिस फ़िल्म 'पद्मावती' को प्रमाणपत्र नहीं मिला, जिस फ़िल्म को अभी तक किसी ने नहीं देखा उस पर हंगामा जारी है । श्रद्धा की देवी पद्मावती का अपमान हमारे देश में कोई नहीं करेगा और न कोई सहेगा । इस बात को दो सौ करोड़ रुपये से फ़िल्म बनाने वाला भी जानता है । फ़िल्म तो फिलहाल राजनीति के पड़पचे में उलझ गई है । 

     इस मुद्दे पर उपराष्ट्रपति एम वेकैंया नायडू जी ने 25 नवम्बर 2017 को बहुत ही सौहार्दपूर्ण टिप्पणी की । उन्होंने कहा कि हिंसक धमकियां देना तथा किसी को शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचाने के लिए इनाम की घोषणा करना लोकतंत्र में स्वीकार्य नहीं है । विरोध प्रदर्शनों में अतिरेक नहीं होना चाहिए ।

     आश्चर्य है कि बात है कि पद्मावती के मुद्दे पर फ़िल्म इंडस्ट्री की बड़ी हस्तियां चुप क्यों हैं ? बिग बी, किंग खान, मिस्टर परफेक्ट, बजरंगी भाईजान, निर्माता- निदेशक, लेखक, गीतकार, लता जी आदि इतना तो कह सकते थे कि 'सिर काटने की बात मत करो और बिना फ़िल्म देखे विरोध भी मत करो ।'   देश में प्रजातंत्र है और शिष्ट भाषा में हम सब अपनी बात कह सकते हैं, सहमति या असहमति भी प्रकट कर सकते हैं ।

     प्रजातंत्र में विरोध करो, आंदोलन करो परन्तु ऐसा हंगामा मत करो जिससे देश का सौहार्द बिगड़े और नफरत  फैले या हिंसा हो । देश में कानून का राज है और कानून सर्वोपरि है । कुछ गलत होने पर वह अपना काम करेगा । फ़िल्म सेंसर बोर्ड की प्रतीक्षा करनी चाहिए । वीरांगना पद्मावती सहित नारी के सम्मान का पक्षधर समाज का कोई वर्ग विशेष अकेले नहीं है बल्कि पूरा राष्ट्र है । विरोध में अतिरेक प्रदर्शित करनेवालों को इस मुद्दे पर मंथन करना चाहिए और सेंसर बोर्ड की प्रतीक्षा करनी चाहिए ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
28.11.2017

Kavi sammelan :कवि सम्मेलन

मीठी मीठी -  48 : कवि सम्मेलन और सम्मान समारोह

    कल 26 नवम्बर 2017 को दो साहित्यिक और सांस्कृतिक आयोजनों में भागीदारी देने का अवसर मिला । प्रथम आयोजन शौकीन वाटिका ओल्ड पालम दिल्ली में खुदेड़ डाँडी - कांठी साहित्य एवं कला मंच संस्था ने आयोजित किया । यह इस संस्था द्वारा पहला कुमाउनी- गढ़वाली कवि सम्मेलन था । इस सम्मेलन में लगभग दो दर्जन नए कवियों ने अपनी कविताएं उद्घोषित की । कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिये संयोजक सहित पूरी टीम को बधाई । मित्रों द्वारा भेजी गई कुछ फोटो संलग्न हैं ।

      दूसरा आयोजन एक सांस्कृतिक और सम्मान अर्पण कार्यक्रम था जो कलश कलाश्री संस्था नई दिल्ली द्वारा ITO प्यारेलाल भवन दिल्ली में आयोजित किया गया । इस अवसर पर एक स्मारिका के विमोचन के साथ समाज में विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने वाले कई गणमान्य व्यक्तियों को 'कलश कलाश्री सम्मान' से सम्मानित किया गया और सासंस्कृतिक कार्यक्रमों का मंचन किया गया ।  इस सफल कार्यक्रम के लिए 'खिमदा' श्री के एन पांडे जी और उनकी पूरी टीम को हार्दिक बधाई ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
27.11.2017

Samvidhan : संविधान

मीठी मीठी - 47 : आज संविधान दिवस

     आज 26 नवम्बर भारत का संविधान दिवस । आज ही के दिन 1949 में हमारा संविधान लेखन पूर्ण हुआ था । 'लगुल' पुस्तक में इस विषय पर तीन भाषाओं (कुमाउनी, हिंदी, अंग्रेजी) में एकसाथ लघु चर्चा उपलब्ध है । सभी मित्रों को संविधान दिवस की शुभकामनाएं ।

पूरन चन्द्र काण्डपा

Bazar mein nahee :बाजार में नहीं

खरी खरी - 130 : ये बाजार में नहीं मिलेंगे !

तुम्हारी कुंठा अहंकार ने
दूर रखा तुम्हें सदाचार से,
 पैसे से यदि मिल जाएं तो
ये चीजें ले आना बाजार से ।

खुशी नींद भूख स्वास्थ्य
संतोष सुमति ले आना,
कुछ दुआ आशीर्वाद देशप्रेम
कुछ संस्कार संस्कृति ले आना ।

मित्रता दोस्ती स्नेह सभ्यता
रिश्तेदार घर परिवार पड़ोस ले आना,
थोड़ा ज्ञान थोड़ी मुस्कान
थोड़ा शिष्टाचार भी ले आना ।

खूब दौड़ -भाग कर लो
तुम ढूंढते रह जाओगे,
परंतु ये सभी वस्तुवें
किसी बाजार में न पाओगे ।

कोई कितना ही मोल देदे
ये बाजार में नहीं मिलते,
मानव संवेदना स्रोत इनका
ये किसी दुकान में नहीं बिकते ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
26.11.2017

Saturday 25 November 2017

Kandaktar ashok : कंडक्टर अशोक का दर्द

खरी खरी - 129 : कंडक्टर अशोक के हाल पर रोना आया !

      गुरुग्राम (हरयाणा) के एक पब्लिक स्कूल में 8 सितंबर 2017 को हुए कक्षा 2 के  7 वर्ष के छात्र  प्रधुम्न हत्याकांड ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था । उसकी हत्या के जुर्म में स्कूल बस के कंडक्टर अशोक ने 72 दिन तक जेल में दर्द भरी यातनाएं झेलीं । अशोक से इकबालिया बयान लेने के लिए हरयाणा पुलिस ने उसे बहुत यातनाएं दीं । सीबीआई ने अशोक की जगह उसी स्कूल के ग्यारहवीं कक्षा के एक छात्र को दोषी पाया । अब अशोक जुर्म मुक्त होकर जमानत पर जेल से बाहर है ।

     जेल से बाहर आने पर अशोक की जख्मी दयनीय दशा देख बहुत दुख होता है, रोना आता है । अशोक ने मीडिया को बताया, 'मुझे जुर्म अपने सिर लेने के लिए पुलिस ने बहुत मारा, उल्टा लटकाया, हाथ-पैर बांध दिए, बेहोशी के इंजेक्सन लगाए, बिजली का करंट लगाया । मैं बहुत रोया,  चिल्लाया फिर वे जैसा कहते गए मैं हामी भरते गया । मुझे बेवजह फंसाया गया । जेल में मेरी कोई सुनने वाला नहीं था । वहां बैठे-बैठे रोते रहता था । अब भी मेरे शरीर के हिस्से -हिस्से में दर्द है, बोलने - सांस लेने में भी दर्द होता है । अब मैं मजदूरी करने लायक भी नहीं रहा । बस उस मालिक के भरोसे जीवित हूं ।'

     स्वतंत्र भारत में अशोक कंडक्टर की यातना की कहानी बहुत पीड़ा पहुँचाती है । आखिर अशोक को बलि का बकरा क्यों बनाया गया ? पुलिस यातना में अशोक ने जो कष्ट झेला उसका जिम्मेदार कौन है ? अब अशोक को सदमे से बाहर लाने और उसका जीवन यापन करने में सहयोग कौन करेगा ? अशोक ने बेवजह जो 72 दिन जेल में काटे, जो कलंक उस पर लगाया गया उसकी भरपाई कौन करेगा ? अशोक को जिन्दी लाश बनाने वालों को कौन दंड देगा ? ये सभी प्रश्न हमारे वातावरण में गूंज रहे हैं । आशा है एक गरीब बेकसूर मजदूर के इन प्रश्नों की सिसकियां हमारे प्रजातंत्र में किसी के संज्ञान में तो आयेंगी और बुरी तरह टूट चुके अशोक को जरूर न्याय मिलेगा ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
25.11.2017

Friday 24 November 2017

Rok kye baat ki : रोक क्ये बात कि

खरी खरी - 128 : रोक क्ये बात कि

पंचैती राज में 
50 % सैणिय,
उं लै बलाल 
टोक क्ये बात कि ।

भल काम करण छा
अघिल औ,
डरण कि जरवत न्है
छोप क्ये बात कि ।

पढ़ो लिखो शिक्षित बनो,
हिम्मत करो खुट उठौ
मुनइ सिदि हौसल बढ़ौ 
घुना में टोप क्ये बात कि ।

घर क मंदिर में
पुज करनी सैणिय,
भ्यार क मंदिर में
रोक क्ये बात कि ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
24.11.2017

Wednesday 22 November 2017

Gali do yaro खूब गली दो यारो

बिरखांत -186 : खूब गाली दो यारो !!

    कुछ मित्रों को बुरा लगेगा और लगना भी चाहिए | अगर बुरा लगा तो शायद अंतःकरण से महसूस भी करेंगे | सोशल मीडिया में अशिष्टता, गाली और भौंडापन को हमने ‘अशोभनीय’ बताया तो कई मित्र अनेकों उदाहरण के साथ इस अपसंस्कृति के समर्थक बन गए | तर्क दिया गया कि रंगमंच में, होली में तथा कई अन्य जगह पर ये सब चलता है | चलता है तो चलाओ भाई | हम किसी को कैसे रोक सकते हैं | केवल अपनी बात ही तो कह सकते हैं | दुनिया तो रंगमंच के कलाकारों, लेखकों, गीतकारों और गायकों को शिष्ट समझती है | उनसे सदैव ही संदेशात्मक शिष्ट कला की ही उम्मीद करती है, समाज सुधार की उम्मीद करती है | मेरे विचार से जो लोग इस तरह अशिष्टता का अपनी वाकपटुता या अनुचित तथ्यों से समर्थन करते हैं वे शायद शराब या किसी नशे में डूबी हुई हालात वालों की बात करते हैं अन्यथा गाली तो गाली है | 
     सड़क पर एक शराबी या सिरफिरा यदि गलियां देते हुए चला जाता है तो उसे स्त्री-पुरुष-बच्चे सभी सुनते हैं | वहाँ उससे कौन क्या कहेगा ? फिर भी रोकने वाले उसे रोकने का प्रयास करते हैं परन्तु मंच या सोशल मीडिया में तो यह सर्वथा अनुचित, अश्लील और अशिष्ट ही कहा जाएगा | क्या हमारे कलाकार या वक्ता किसी मंच से दर्शकों के सामने या घर में मां-बहन की गाली देते हैं ? यदि नहीं तो सोशल मीडिया पर भी यह नहीं होना चाहिए ।

     हास्य के नाम पर चुटकुलों में अक्सर अत्यधिक आपतिजनक या द्विअर्थी शब्दों का प्रयोग भी खूब हो रहा है, यह भी अशिष्ट है | अब जिस मित्र को भी हमारा तर्क ठीक नहीं लगता तो उनसे हम क्षमा ही मांगेंगे और कहेंगे कि आपको जो अच्छा लगे वही बोलो परन्तु अपने तर्क के बारे में अपने शुभेच्छुओं और परिजनों से भी पूछ लें | यदि सभी ने आपकी गाली का समर्थन किया है तो हमें जम कर, पानी पी पी कर गाली दें | हम आपकी गाली जरूर सुनेंगे क्योंकि जो अनुचित है उसे अनुचित कहने का गुनाह तो हमने किया ही है | 

     आजकल अनुचित का खुलकर विरोध नहीं किया जाता | सब मसमसाते हुए निकल लेते हैं | हम गाली का जबाब भी गाली से देने में विश्वास नहीं करते | कहा है -

“गारी देई एक है,
पलटी भई अनेक;
जो पलटू पलटे नहीं,
रही एक की एक |”

साथ ही हम मसमसाने में भी विश्वास नहीं करते-

“मसमसै बेर क्ये नि हुन बेझिझक गिच खोलणी चैनी, अटकि रौ बाट में जो दव हिम्मत ल उकें फोड़णी चैनी ।"

( मसमसाने से कुछ नहीं होता, निडर होकर मुंह खोलने वाले चाहिए, रास्ते में जो चट्टान अटकी है उसे हिम्मत से फोड़ने वाले चाहिए) | अगली बिरखांत में कुछ और...

पूरन चन्द्र काण्डपाल
23.11.2017

 Gaali do yaro : खूब गाली दो यारो

Yamuna : यमुना का संताप

खरी खरी - 127 : यमुना का संताप

स्वच्छ हुई नहीं 
गंदगी बढ़ती गई,
पर्त कूड़े की तट 
मेरे चढ़ती गई,
बढ़ा प्रदूषण रंग
काला पड़ गया,
जल सड़ा तट-तल
भी मेरा सड़ गया ।

व्यथित यमुना रोवे
अपने हाल पर,
पुकारे जन को
मेरा श्रृंगार कर,
टेम्स हुई स्वच्छ
हटा कूड़ा धंसा,
काश ! कोई तरसे
देख मेरी दशा ।

आह ! टेम्स जैसा
मेरा भाग्य कहां ?
उठी स्वच्छता की 
गूंज संसद में वहां,
क्या कभी मेरे लिए
भी यहां खिलेगी धूप ?
कब मिलेगा मुझे
मेरा उजला स्वरूप ?

पूरन चन्द्र काण्डपाल
22.11.2017

Monday 20 November 2017

Padamawati : पद्मावती

खरी खरी -126 : पद्मावत की वीरांगना

    दो सौ करोड़ रुपये के बजट से एक ऐतिहासिक फ़िल्म बनी है  'पद्मावती' जो अभी रिलीज  नहीं हुई और उस पर हंगामा शुरू हो गया । बिना फ़िल्म को  देखे ही विरोध होने लगा है ।  देश में किसी भी फ़िल्म में कुछ गलत नहीं दिखाया जाय इसके लिए सेंसर बोर्ड है, रिव्यू कमिटी है, फिर अदालत है । सेंसर बोर्ड का प्रमाणपत्र तभी मिलता है जब सब ठीक होता है । PK और OMG दोनों फिल्मों को सेंसर बोर्ड का प्रमाणपत्र मिलने के बाद पूरे देश ने जमकर देखा जबकि अंधविश्वास के पोषकों ने इनका भी पहले विरोध किया था ।

     पद्मावती फ़िल्म पर अफवाहों का बाजार गरम है कि इतिहास से छेड़छाड़ की गई है । यह फ़िल्म राजनीति के भंवर में फंसती दिखाई दे रही है । कुछ नेता तो आग में घी डाल रहे हैं । काश ! इतना हंगामा बाल विवाह , कन्याभ्रूण हत्या और दहेज के विरोध में होता तो देश का भला होता । कुछ लोगों ने तो तालिबानी भाषा में सिर और नाक काटने की धमकी तक दे दी । यह हमारे संविधान की अवहेलना है । कलाकारों का नाक - सिर काटने से क्या उस शान की गरिमा बन रही है जिस शान को बचाने के लिए वे अपने को मानते हैं ।

     जायसी ने 'पद्मावत' महाकाव्य की रचना 1540 ई. में की जो अवधी भाषा में है । इस काव्य में कवि की कल्पना की उड़ान बहुत ऊंची है । इतिहास और कल्पना के संगम से कला का जन्म होता है । वीरांगना पद्मावती के प्रति पूरे हिन्द को श्रद्धा है । हम नारी के सम्मान की बात भी करते हैं फिर तालिबानी भाषा के साथ 'नाचनेवाली' बोलकर कलाकार  का अपमान क्यों ? 

     इसी सदी के आरम्भ में मशहूर कलाकार शबाना आजमी (सांसद) के साथ भी कुछ कट्टरवादियों ने इन्हीं शब्दों का फतवा पढ़ा था जिसका पूरे देश ने विरोध किया था । आज सरकार और शासन चुप हैं यह दुखद है । देश का कोई शीर्ष नेता तो बोले कि सेंसर बोर्ड की प्रतीक्षा करो । नेता बोट बैंक के खातिर ऐसा नहीं कहते । 

     मित्रो प्रजातंत्र में विरोध करो, जम कर विरोध करो परन्तु ऐसा हंगामा मत करो जिससे देश का सौहार्द बिगड़े और नफरत पनपे । देश का कानून सर्वोपरि है । कुछ गलत होने पर वह अपना काम करेगा । सेंसर बोर्ड की प्रतीक्षा करनी चाहिए । वीरांगना पद्मावती सहित नारी के सम्मान का पक्षधर समाज का कोई वर्ग विशेष नहीं है बल्कि पूरा राष्ट्र है । 

पूरन चन्द्र काण्डपाल
21.11.2017

Sunday 19 November 2017

Maran k baad : मरण क बाद

खरी ख़री - 125 : मरण बाद याद

मैंसा क मरण बाद
काबिलियत याद ऐं,
वीक ज्यौंन छन
दुनिय चुप रैं ,
गौरदा गिरदा शेरदा क
बार में लै यसै हौ,
उनार जाण बाद
लोगों कैं यौ महसूस हौ ।

क्ये बात नि हइ
क्वे त उनुकैं याद करें रईं,
उनरि याद में कभतै त
गिच खोलें रईं,
अणगणत हुनरदार
चुपचाप यसिक्ये गईं,
शैद दुनिय कि रीत यसी छ
जान जानै यौ बात कै गईं ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
20.11.2017

Indira gandhi : इंदिरा गांधी जन्मदिन

मीठी मीठी - 46 : आज इंदिरा गांधी क जन्मदिन

     देश कि तिसरि और पैल महिला प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी क आज 19 नवम्बर हुणि जन्मदिन छ । देश कैं प्रत्येक क्षेत्र में समृद्धशाली बनूण और देश कैं एकजुट धरण में उनौर नाम सर्वोपरि छ । देश की अखंडता क कारण उनूल  शहीदी लै दी । 1971 क भारत -पाक युद्ध 93000 पाक सेना ल उनरै नेतृत्व में घुन टेकीं और दुनिय क नक्स में बांग्लादेश बनौ । पुस्तक 'महामनखी' बटि उनार बार में एक लघु लेख उधृत छ । इंदिरा ज्यू कैं विनम्र श्रद्धांजलि ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
19.11.2017

Farmulon ki dukan : फार्मूलों की होलसेल मार्किट

खरी खरी - 123 : फार्मूलों की होलसेल मार्केट

फार्मूला ले लो फार्मूला !!
समाधान निकलने का फार्मूला
समाधान न निकलने का फार्मूला
दुकान बंद का फार्मूला
दुकान खुली  का फार्मूला
अड़ंगे का फार्मूला
भिड़ेंगे का फार्मूला
दांवपेंच का फार्मूला
वोट बैंक का फार्मूला
सभा -परिषद का फार्मूला
अखाड़ा -बोर्ड का फार्मूला
एक से बढ़ कर एक फार्मूला
इन सब में दब गया
'हे राम' का फार्मूला
सामाजिक सौहार्द का फार्मूला
जीओ और जीने दो का फार्मूला
प्रेम-प्यार भाईचारे का फार्मूला
रामराज्य का फार्मूला
शबरी - निषाद का फार्मूला
मिटे फसाद का फार्मूला
फार्मूलों के इस बाजार में
खो गया 'मेरे राम' !
तेरे 'धाम' का फार्मूला ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
17.11.2017

Friday 17 November 2017

Eemaandaaree ki saja : ईमानदारी की सजा

खरी खरी - 124 : ईमानदारी की सजा 

     क्या ईमानदार होना गुनाह हो गया है ? 24 वर्ष की सेवा में 51 तबादले ! खेमका साहब मेरा देश महान । ईमानदारी की सजा भुगतने की आपकी शक्ति को सलाम । ईमानदारी के पहरुवे फिर भी नहीं झुकते, नहीं रुकते और नहीं थकते । हम जी आर खैरनार को भी आज याद करते हैं जिन्होंने मुंबई महानगरपालिका के कमिश्नर पद पर रहते हुए भ्रष्टाचार से जमकर लड़ाई लड़ी और उन्हें लोगों ने 'डेमोलेसन मैन' की उपाधि दी ।

     एक समाचार के अनुसार  हरियाणा के चर्चित आईएएस (भारतीय प्रशासनिक सेवा) अधिकारी अशोक खेमका जी का 51वां तबादला हो गया है । भ्रष्टाचार और बेईमानी के खिलाफ लड़ने वाले 1991 के बैच के इस IAS अधिकारी को ईमानदारी की सजा तबादले के रूप में मिलते आई है । जी हजूरी नहीं करने और ईमानदारी की सजा भुगतने की आपकी हिम्मत को सलाम ।

     सीमित इच्छा रखने वाले, संतुष्टि से श्रंगारित, संघर्ष के लिए प्रखर, अपने कार्य में प्रवीण और ईमानदारी के पक्षधर, ऐसे व्यक्तित्व के धनी अशोक खेमका जी भावी पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत हैं । आपकी ईमानदारी, संघर्ष, साहस और श्रम को नमन ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
18.11.2017

Tuesday 14 November 2017

Hawa mein jahar : हवा में जहर

खरी खरी - 122 : हवा में जहर

       7 नवम्बर से 10 नवंबर 2017 तक राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण चरम पर था जो अब भी कई जगहों में वैसा ही है । चिकित्सकों के अनुसार इस दौरान सभी लोग 22 सिगरेट के धुंए के बराबर प्रदूषण सांस में ले रहे थे ।  इस प्रदूषण के कई कारणों में मुख्य हैं इस क्षेत्र में सड़क पर दौड़ने वाले 97 लाख वाहन, निर्माण कार्य, कुछ औद्योगिक इकाइयां, सड़क पर पड़ी हुई धूल, पड़ोसी राज्यों की जलती हुई पराली, जहां- तहां कूड़ा- पत्ते जलाना, जनेरेटर और ढाबों-होटलों के धुआं उगलते सैकड़ों तंदूर । पटाखों का प्रदूषण यहां दीपावली से ही था । इस दौरान यहां 5 दिन तक स्कूल भी बंद रहे । यदि हम  नहीं चेते तो देश के सभी शहरों का यही हाल होगा ।

     इस बीच कुछ मित्रों का प्रदूषण विरोध  जनजागृति मुहीम में शामिल होने के लिए आभार । 14 वर्ष से कम उम्र के 40% बच्चों के फेफड़े राजधानी में प्रभावित हो चुके हैं । फिर भी दीपावली की रात और छट की सुबह खूब पटाखे चले जिससे खूब प्रदूषण हुआ । पटाखों के लिए अभिभावकों ने ही बच्चों को पैसे दिए होंगे या खुद पटाखे लाकर दिए होंगे । थोड़ा- थोड़ा करके सबने बना दिया राजधानी को गैस का चैंबर । NGT के आदेश से उठाये गए कदमों से स्थिति ठीक होने के उम्मीद है जबकि ऑड- ईवन की बात भी चल रही है ।

     जब जागो तब सबेरा । आगे की सुध लो । जीओ और जीने दो । एक-दूसरे पर दोषारोपण से अच्छा है पहले स्वयं सुधरें और जनजागृति करें । केवल सरकारों के भरोसे सुधार होना मुश्किल है । प्रदूषण के विरुद्ध जितने भी कानून बने हैं उन सबकी खुलेआम अवहेलना हम सब करते- देखते हैं । यदि हम अब भी नहीं चेते तो फिर हम ही अपने पैरों में कुल्हाड़ा मार रहे हैं ।  प्रदूषण के विरोध में मुहीम चलाना आज हम सबका सर्वोपरि कर्तव्य बन गया है ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
15.11.2017