Saturday 30 May 2020

Press ki nishpakshta : प्रेस की निष्पक्षता

खरी खरी - 636 : प्रेस की निष्पक्षता

     (आज लौकडाउन का 68/68वां दिन है । 68 दिन का लौकडाउन 31 मई 2020 को पूरा हुआ । संक्रामक रोग कोरोना पूरे विश्व में बढ़ते जा रहा है । आज तक विश्व में कोरोना संक्रमित/मृत संख्या 61.53+/3.70+ लाख और देश में यही संख्या 1.81 लाख+/5.1+ हजार हो गई है । देश में करीब 71 हजार से अधिक संक्रमित ठीक भी हुए हैं । मास्क ठीक तरह से मुंह और नाक  को ढककर पहनिए । कुछ लोग केवल दिखाने के लिए मास्क लटकाकर चल रहे हैं । कोरोना को हराइए । जीतेगा भारत, हारेगा कोराना ।)

      प्रेस स्वतंत्रता की स्वतंत्रता बनी रहे और प्रेस बेझिझक अपनी बात कहे तथा प्रेस की गुणवत्ता एवं उस पर विश्वास बना रहे ।  प्रेस लोकतंत्र का चौथा स्तंभ होने के नाते निडर, निर्भीक और निष्पक्ष बना रहे तभी हमारे देश का हित होगा और प्रजातंत्र मजबूत रहेगा ।

     वर्तमान में कई बार हम देखते हैं कि प्रेस निष्पक्ष नहीं होती । हमने हाल का  चुनाव प्रचार देखा । ऐसा लग रहा था कि प्रिंट और दृश्य-श्रवण मीडिया कई बार प्रायोजित प्रचार कर रहा है । साक्षात्कारों में मन चाहे प्रश्न पूछे या पुछवाये जा रहे हैं । किसी दल की बात अधिक तो किसी की कम होती है । कार्टून के माध्यम से भी जो बात कही जाती है उसमें कई टीवी चैनलों द्वारा एकतरफा बात कही जाती है अर्थात दूसरे दल या व्यक्ति का उपहास किया जाता है । स्पष्ट दिखाई देता है कि चैनल एकतरफा पक्षकार हो गया है ।

     प्रेस की स्वतंत्रता का मूल मंत्र है निष्पक्षता । हम आशा करते हैं कि हमारे देश की प्रेस स्वतंत्र रहे, अपनी नैतिकता समझे, अपनी आचार संहिता बनाये और राष्ट्रहित में अपना कर्तव्य निभाये । साथ ही जो समाचार पत्र या मीडिया चैनल जेबी बन गए हैं वे जेब से बाहर आकर जनहित में कार्य करें और किसी एक के दब्बू बनकर न रहें । यदि मीडिया दब्बू बन कर रहा तो लोग दुखित -व्यथित होकर कहेंगे कि हमारे देश की प्रेस और मीडिया बिक गए हैं  ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
31.05.2020

Shagunaakhar : शगुनांखर

मीठी मीठी - 464 : शगुन आंखर

      कोरोना लौकडाउनक ध्यान धारिया । आज लौकडाउनक 67/68उं दिन छ । विश्व में संक्रमित/मृतक संख्या 60.26+ लाख/ 3.66+लाख और देश में 1.73+लाख/4.9+ हजार हैगे जो भौत दुखद छ । करीब 71 हजार रोगी ठीक लै हैगीं ।  य भौत दुख छ कि आज अमरीका में मृतक संख्या 1.03 लाख है ज्यादै हैगे और संक्रमित संख्या 17.76 लाख हैगे । य बिमारीक  के इलाज लै न्हैति, सिर्फ आपण बचाव येक इलाज छ । कोरोना कर्मवीरोंक सम्मान जरूर करिया और बेवजह घर बै भ्यार झन अया ।

       कोरोनाक य दौर में अलैबेर कामकाज लै बंद छीं । शुभ कामोंक शुरू करण ता जो शगुन आँखर दिई जांछ विकि बात गिदारों कैं समर्पित आज य वीडियो में देखो और आपण विचार लै बताया ।

पूरन चन्द्र कांडपाल
30.05.2020

Thursday 28 May 2020

Jate samay do रोशनी : जाते समय दो रोशनी

मीठी मीठी - 463 : जाते समय किसी की दे जाओ रोशनी

  (आज लौकडाउन का 66/68वां दिन है । 68  दिन का लौक डा उन 31 मई 2020 को पूरा होगा । संक्रामक रोग कोरोना पूरे विश्व में बढ़ते जा रहा है । आज तक विश्व में कोरोना संक्रमित/मृत संख्या 59.04+/3.62+ लाख और देश में यही संख्या 1.65 लाख+/4.65+ हजार हो गई है । करीब 65 हजार से अधिक संक्रमित ठीक भी हुए हैं । मास्क ठीक तरह से मुंह और नाक  को ढककर पहनिए । कुछ लोग दिखाने के लिए सिर्फ लटकाकर चल रहे हैं । कोरोना को हराइए । जीतेगा भारत ।)

      मृत्यु के बाद आँख की एक झिल्ली (कार्निया) का दान होता है । लोग मृत्युपरांत नेत्रदान इसलिए नहीं करते क्योंकि वे सोचते हैं मृतक के आंखों पर गढ्ढे पड़ जाएंगे । मृतक के चेहरे पर कोई विकृति नहीं आती । हमारे देश में लगभग 11 लाख दृष्टिहीन कार्निया की प्रतीक्षा कर रहे हैं और प्रतिवर्ष लगभग 25 हजार दृष्टिहीनों की बढ़ोतरी भी हो रही है ।

     कार्निया आंख की पुतली के ऊपर शीशे की तरह एक पारदर्शी झिल्ली होती है । कार्निया का कोई कृत्रिम विकल्प नहीं है । एक नेत्रदान से दो दृष्टिहीनों को रोशनी मिल सकती है । किसी भी मृतक का नेत्रदान हो सकता है भलेही वह चश्मा लगता हो, शूगर केस हो, मोतियाबिंद ऑपरेटेड हो अथवा उच्च रक्तचाप वाला हो । मृतक के आंखों पर तुरंत एक साफ कपड़े की गीली पट्टी रख देनी चाहिए ताकि कार्निया सूखे नहीं ।

      कैसे होगा नेत्रदान ?  परिवार के सदस्य अपने मृतक का नेत्रदान कर सकते हैं । मृत्यु के 6 से 8 घंटे के दौरान नेत्रदान हो सकता है । सूचना मिलते ही नेत्रबैंक की टीम बताए स्थान पर आकर यह निःशुल्क सेवा करती है । 15- 20 मिनट में मृतक का कॉर्निया उतार लिया जाता है । नेत्रदान एक पुण्यकर्म है । इस पुण्य की चर्चा परिजनों से करनी चाहिए और नेत्रदान में कोई संशय नहीं होना चाहिए । याद रखिये -

आंख चिता में जाएगी
तो राख बन जाएगी,
आंख कब्र में जाएगी
तो मिट्टी बन जाएगी,
यहां से विदा लेते समय
नेत्रों का दान करदो,
किसी को अंधकार में
रोशनी मिल जाएगी ।

(नेत्रदान के लिए कृपया 8178449226 /011-23234622 गुरु नानक नेत्र केंद्र नई दिल्ली से संपर्क किया जा सकता है ।)

पूरन चन्द्र काण्डपाल
29.05.2020

Wednesday 27 May 2020

Andhkaar se ujaale ki or : अन्धकार से उजाले की ओर

बिरखांत- 320 :  अंधकार से उजाले की

    (आज लौकडाउन का 65/68वां दिन है । 68  दिन का लौक डा उन 31 मई 2020 को पूरा होगा । संक्रामक रोग कोरोना पूरे विश्व में बढ़ते जा रहा है । आज तक विश्व में कोरोना संक्रमित/मृत संख्या 57.88+/3.57+ लाख और देश में यही संख्या 1.57 लाख+/4.5+ हजार हो गई है । करीब 60 हजार से अधिक संक्रमित ठीक भी हुए हैं । मास्क ठीक तरह से मुंह और नाक  को ढककर पहनिए । कुछ लोग दिखाने के लिए सिर्फ लटकाकर चल रहे हैं । कोरोना को हराइए । जीतेगा भारत ।)

       यह बहुत अच्छी बात है कि सोसल मीडिया पर कई लोग ज्ञान का आदान-प्रदान कर रहे हैं, हमें शिक्षित बना रहे हैं परन्तु इसका विनम्रता से क्रियान्वयन भी जरूरी है | जब भी हमारे सामने कुछ गलत घटित होता है, गांधीगिरी के साथ उसे रोकने का प्रयास करने पर वह बुरा मान सकता है | बुरा मानने पर दो बातें होंगी – या तो उसमें बदलाव आ जाएगा और या वह अधिक बिगड़ जाएगा | गांधीगिरी में बहुत दम है | इसमें संयम और शान्ति की जरुरत होती है और फिर मसमसाने के बजाय बोलने की हिम्मत तो करनी ही पड़ेगी |

      हमारा देश वीरों का देश है, राष्ट्र प्रहरियों का देश है, सत्मार्गियों एवं कर्मठों का देश है, सत्य-अहिंसा और सर्वधर्म समभाव का देश है तथा ईमानदारी के पहरुओं और कर्म संस्कृति के पुजारियों का देश है | इसके बावजूद भी हमारे कुछ लोगों की अन्धश्रधा-अंधभक्ति और अज्ञानता से कई लोग हमें सपेरों का देश कहते हैं, तांत्रिकों- बाबाओं के देश कहते हैं क्योंकि हम अनगिनत अंधविश्वासों से डरे हुए हैं, घिरे हुए हैं और सत्य का सामना करने का साहस नहीं जुटा पा रहे हैं |

      हमारे कुछ लोग आज भी मानते हैं कि सूर्य घूमता है जबकि सूर्य स्थिर है | हम सूर्य- चन्द्र ग्रहण को राहू-केतू का डसना बताते हैं जबकि यह चन्द्रमा और पृथ्वी की छाया के कारण होता है | हम बिल्ली के रास्ता काटने या किसी के छींकने से अपना रास्ता या लक्ष्य बदल देते हैं | हम किसी की नजर से बचने के लिए दरवाजे पर घोड़े की नाल या भूतिया मुखौटा टांग देते हैं |

      हम कर्म संस्कृति से हट कर मन्नत मांगने, गले या बाहों पर गंडा-ताबीज बांधते हैं, हम वाहन पर जूता लटकाते हैं और दरवाजे पर नीबू-मिर्च टांगते हैं, सड़क पर जंजीर से बंधे शनि के बक्से में सिक्का डालते हैं, नदी और मूर्ती में दूध डालते हैं और हम बीमार होने पर डाक्टर के पास जाने के बजाय झाड़-फूक वाले के पास जाते हैं |

       वर्ष भर परिश्रम से अध्ययन करने पर ही हमारा विद्यार्थी परीक्षा में उत्तीर्ण होगा, केवल परीक्षा के दिन तिलक लगाने, दही-चीनी खाने या धर्मंस्थल पर माथा-नाक टेकने से नहीं | हम सत्य एवं  विज्ञान को समझें और अंधविश्वास को पहचानने का प्रयास करें | अंधकार से उजाले की ओर गतिमान रहने की जद्दोजहद करने वाले एवं दूसरों को उचित राह दिखाने वाले सभी मित्रों को ये पक्तियां समर्पित हैं-

‘पढ़े-लिखे अंधविश्वासी
बन गए
लेकर डिग्री ढेर,
अंधविश्वास कि मकड़जाल में
फंसते न लगती देर,
पंडित बाबा गुणी तांत्रिक
बन गए भगवान्
आंखमूंद विश्वास करे जग,
त्याग तत्थ – विज्ञान ।

      वर्तमान में पूरे देश में कोरोना, 5 राज्यों में टिड्डियों का आक्रमण, असम में बाड़ और बंगाल - ओडिसा तूफान से ग्रसित हैं । उधर चीन की धमकियां व कायराना हरकत । इन सबसे देश को सामूहिकता से जूझना होगा । सोसल मीडिया में मित्रों द्वारा अब  तक की सभी बिरखांतों पर इन्द्रधनुषी प्रतिक्रियाएं होती रहती हैं | सभी मित्रों एवं टिप्पणीकारों का साधुवाद तथा हार्दिक आभार |

पूरन चन्द्र काण्डपाल
28.05.2020

Kumauni bhadhak vyakaran : कुमाउनी भाषाक व्याकरण

मीठी मीठी - 462 : कुमाउनी भाषाक व्याकरण

      26 मई 2020 हुणि कुमाउनी भाषा में म्येरि 13उं किताब ' कुमाऊनी भाषाक व्याकरण ' प्रिंटिंग प्रेस में भेजि है । य किताब कैं लेखण/पुर करण में द्वि साल है ज्यादै टैम लागौ । कोरोनाक य दौर में किताबोंक कैं लै भेजण या पुजण मुश्किल है रौछ । प्रेस में लै लोग नि पुजैं राय । पत्र/पत्रिका/किताब/पार्सल अच्याल विगत तीन महैंण बै नि पुजैं राय । उम्मीद छ य दौर लै जल्दी निकल जाल तब साहित्य कि फसल फिर लहलहालि ।

किताबक प्रकाशक - कुमाउनी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति प्रसार समिति, कसार देवी , अल्मोड़ा  (उत्तराखंड ) ।

(कोरोना लौकडाउनक ध्यान धारिया । आज लौकडाउनक 64/68उं दिन छ । विश्व में संक्रमित/मृतक संख्या 56.81+ लाख/ 3.52+लाख और देश में 1.50+लाख/4.3+ हजार हैगे जो भौत दुखद छ । भौत  दुख छ कि आज अमरीका में मृतक संख्या एक लाख है ज्यादा हैगे और संक्रमित संख्या 17.25 लाख हैगे । य बीमारीक  के इलाज लै न्हैति, सिर्फ आपण बचाव येक इलाज छ । कोरोना कर्मवीरोंक सम्मान जरूर करिया । )

पूरन चन्द्र कांडपाल
27.05.2020

Monday 25 May 2020

Kargil yuddh ki yaad : कारगिल युद्ध की याद

खरी खरी - 635 : आज कारगिल युद्ध की याद 

   (आज लौकडाउन का 63/68वां दिन है । 68  दिन का लौक डा उन 31 मई 2020 को पूरा होगा । संक्रामक रोग कोरोना पूरे विश्व में बढ़ते जा रहा है । आज तक विश्व में कोरोना संक्रमित/मृत संख्या 55.87+/3.47+ लाख और देश में यही संख्या 1.44 लाख+/4.1+ हजार हो गई है । करीब 54 हजार से अधिक संक्रमित ठीक भी हुए हैं । मास्क ठीक तरह से मुंह और नाक  को ढककर पहनिए । कुछ लोग दिखाने के लिए सिर्फ लटकाकर चल रहे हैं । कोरोना को हराइए । जीतेगा भारत ।)

         ( स्वच्छता हमारी सबसे बड़ी सामाजिक जिम्मेदारी है । जबसे लौकडाउन शुरू हुआ लोगों ने कूड़ा पार्कों में डालना शुरू कर दिया है । लगभग सभी पार्क कूडादान बन गए हैं । सबसे दुखद बात यह है कि मजदूर तो मजबूरी में रोते - बिलखते अपने गांवों को पलायन कर रहे हैं परन्तु शहरों में भी लोग कोरोना को गंभीरता से नहीं ले रहे ( विशेषतः युवा पीढ़ी )। परिणाम स्वरूप आज 63 वें दिन देश में कोरोनाआ संक्रमितों की संख्या 144000 को पार कर चुकी है और 4100 से अधिक ग्रास बन चुके हैं । यदि हम इसे बीमारी को नहीं समझेंगे और मनमानी करते रहेंगे तो देश को बहुत गंभीर संकट से गुजरना पड़ सकता है । सभी अपनी जिम्मेदारी निभाएं ।)

          कारगिल युद्ध ( 1999)  जिसमें हमारे पांच सौ से अधिक सैनिक शहीद हुए उस मुशर्रफ की देन थी जो इस युद्ध से पहले भारत आया था और ताजमहल के सामने अपनी बेगम के साथ बैठ कर फोटो खिचवा कर चला गया | देश के सभी तांत्रिकों ने उस पर मिलकर कोई तंत्र क्यों नहीं किया ? हमारी सीमा पर वर्ष 1989 से अब तक आये दिन उग्रवादी घुसपैठ करते आ रहे हैं | विगत 30 वर्षों में उग्रवाद के छद्म युद्ध में हमारे हजारों सुरक्षाकर्मी शहीद हुए हैं | 

     देश के सभी ज्योतिषी, ग्रह- साधक, तंत्र विद्या और काला जादू में स्वयं को माहिर बताने वाले इस पाक प्रायोजित छद्म युद्ध को क्यों नहीं रोकते और उग्रवादियों पर अपना प्रभाव क्यों नहीं दिखाते ? ये लोग थार के तप्त मरुस्थल में कभी एकाद बारिश ही करा देते | ये सब अंधविश्वास के पोषक हैं और अज्ञान के अन्धकार में डूबे लोगों को अपने शब्द जाल से लूटते हैं | दूसरे शब्दों में ये अंधभक्तों को उल्लू और उल्लुओं को अंधभक्त बनाते हैं |

(26 मई 1999 को कारगिल युद्ध की शुरुआत हुुई जो 26 जुलाई 1999 को समाप्त हुआ । इस युद्ध में हमारे 500 से अधिक सैनिक शहीद हुए । इन शहीदों को शत शत नमन और जयहिंद के साथ बहुत बड़ा सलूट ।)

पूरन चन्द्र काण्डपाल
26.05.2020

Sunday 24 May 2020

I'd ki shubhkamna : ईद की शुभकामना

मीठी मीठी - 461 :  ईद की  शुभकामना

होली दीवाली दशहरा,
पितृ पक्ष नवरात्री,
'ईद' क्रिसमस बिहू पोंगल
गुरुपुरब लोहड़ी,
वृक्ष रोपित एक कर
पर्यावरण को तू सजा,
हरित भूमि बनी रहे
जल जंगल जमीन बचा ।

      सभी मित्रों को ईद की शुभकामना । सोसल मीडिया में एक-दूसरे को ईद की शुभकामनाएं दी जा रही हैं । ईद खुशी, प्रेम, सौहार्द और मिलन का पर्व है । इस अवसर पर अन्य त्यौहारों की तरह एक पेड़ अवश्य रोपित करें, धरती का श्रंगार करें और पृथ्वी को खुशहाल बनाएं तथा लॉकडाउन का सम्मान करें तथा सभी को कोरोना संक्रमण से बचाएं ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
25.05.2020

Korona thamani chaini : कोरोना थामनी चैनी

खरी खरी - 634 : कोरोना में  मजूरों कि रोवारोव थामणी चैनी

     (आज लौकडाउनक  62/68वां दिन छ । संक्रामक रोग कोरोना पुर विश्व में बढ़ते जां रौ । आज तली विश्व में कोरोना संक्रमित/मृत संख्या 54.97+/3.46+ लाख और देश में य ई  संख्या 1.38 लाख+/3.9+ हजार छ  । लौकडाउन क नियम मानो  और कोरोना है बचो ।)

मसमसै बेर क्ये नि हुन
बेझिझक गिच खोलणी चैनी,
अटकि रौछ बाट में जो दव
हिम्मतल उकैं फोड़णी चैनी ।

अन्यार अन्यार कै बेर
उज्याव नि हुन,
अन्यार में  एक मस्याव
जगूणी चैनी ।
मसमसै..

क्ये दुखै कि बात जरूर हुनलि
जो डड़ाडड़ पड़ि रै,
रुणी कैं एक आऊं
कुतकुतैलि लगूणी चैनी ।
मसमसै बेर...

लौकडाउनक य दौर में
कुछ बेसउरि देह दूरी नि धरैं राय
नाक -गिच पर मास्क नि लगूं राय
यूं दुर्योधनों कैं पकड़ि बेर
महाव लगूणी चैनी ...

अच्याल मजूर मजबूरी में गौं जां रईं
हिटन-हिटनै उनार खुटां में छाव पड़ि गईं
भुख -लाचार छीं बिचार डाड़ मारैं रई
यूं लाचारों कि रोवारोव कैं
थामणी चैनी...
मसमसैर बेर के नि हुन...

पूरन चन्द्र कांडपाल
25.05.2020

Saturday 23 May 2020

Swachchhataa video : स्वच्छता वीडियो

खरी खरी  - 633 : हम स्वच्छता का ध्यान नहीं रखते

(आज लौकडाउन का 61/68वां दिन है ।18 मई 2020 से 14 दिन के लिए 31 मई 2020 तक बढ़ा दिया है जिसे चौथा लौकडाउन कहा जाता है, जो अब  कुल 68 दिन का हो गया है । संक्रामक रोग कोरोना पूरे विश्व में बढ़ते जा रहा है । आज तक विश्व में कोरोना संक्रमित/मृत संख्या 54.01+/3.43+ लाख और देश में यही संख्या 1.31 लाख+/3.8+ हजार हो गई है । मास्क ठीक तरह से मुंह और नाक  को ढककर पहनिए । कुछ लोग दिखाने के लिए सिर्फ लटकाकर चल रहे हैं । कोरोना को हराइए । जीतेगा भारत ।)

          आज के वीडियो में मैंने कुछ समय पहले स्वच्छता की चर्चा की थीं । समाज में बदलाव जल्दी नहीं आता । आज भी गंदगी का वही आलम है । लोग अपनी जिम्मेदारी नहीं समझते । स्वच्छता हमारी सबसे बड़ी सामाजिक जिम्मेदारी है । जबसे लौकडाउन शुरू हुआ लोगों ने कूड़ा पार्कों में डालना शुरू कर दिया है । लगभग सभी पार्क कूडादान बन गए हैं । सबसे दुखद बात यह है कि मजदूर तो मजबूरी में रोते - बिलखते अपने गांवों को पलायन कर रहे हैं परन्तु शहरों में भी लोग कोरोना को गंभीरता से नहीं ले रहे ( विशेषतः युवा पीढ़ी )। परिणाम स्वरूप आज 61 वें दिन देश में कोरोनाआ संक्रमितों की संख्या 131000 को पार कर चुकी है और 3800 से अधिक ग्रास बन चुके हैं । यदि हम इसे बीमारी को नहीं समझेंगे और मनमानी करते रहेंगे तो देश को बहुत गंभीर संकट से गुजरना पड़ सकता है । सभी अपनी जिम्मेदारी निभाएं । जयहिंद ।

पूरन चन्द्र कांडपाल
24.05.2020

Chunaav smaran : चुनाव स्मरण

खरी खरी - 632 : 2019 क लोकसभा चुनाव स्मरण

     आज लौकडाउनक  60/68वां दिन छ । संक्रामक रोग कोरोना पुर विश्व में बढ़ते जां रौ । आज तली विश्व में कोरोना संक्रमित/मृत संख्या 53.03+/3.39+ लाख और देश में य ई  संख्या 1.24 लाख+/3.7+ हजार छ  । लौकडाउन  क नियम मानो  और कोरोना है बचो । 2019 लोकसभा चुनाव कि याद आजक वीडियो में ।

पूरन चन्द्र कांडपाल
23.05.2020

Thursday 21 May 2020

Sena ka sammaa n : सेना का सम्मान

बिरखांत- 318 : सेना का दिल से सम्मान 

     (आज लौकडाउन का 59/68वां दिन है ।18 मई 2020 से 14 दिन के लिए 31 मई 2020 तक बढ़ा दिया है जिसे चौथा लौकडाउन कहा जाता है, जो अब  कुल 68 दिन का हो गया है । संक्रामक रोग कोरोना पूरे विश्व में बढ़ते जा रहा है । आज तक विश्व में कोरोना संक्रमित/मृत संख्या 51.94+/3.34+ लाख और देश में यही संख्या 1.17 लाख+/3.5+ हजार हो गई है । लौकडाउन  के नियम मानिए और कोरोना को हराइए ।)

     अक्सर कुछ अलगाववादी और असामाजिक तत्व जानबूझ कर हमेशा ही हमारी सेना को बदनाम करने की फिराक में रहते हैं ताकि सेना का मनोबल टूटे | हमारी अनुशासित सेना का मनोबल इनके षड्यंत्र से कभी भी नहीं गिरेगा | हमारी लाडली सेना से हमें बहुत उम्मीद है | वह राष्ट्र की सीमाओं की रक्षा तो करती है, हमें अन्य गर्दिशों जैसे सूखा, बाड़, भूकंप, दंगे जैसी मुश्किलों में भी मदद करती है | बर्फीला सियाचीन हो या थार का तप्त मरुस्थल, नेफा- लेह- लद्दाख हो या रण-कच्छ का दलदल | पूरब-पश्चिम, उत्तर-दक्षिण सहित देश की दशों दिशाओं में सेना का निरंतर पहरा रहता है जिससे हमारा देश सुरक्षित है ।

     अपने प्राणों को न्यौछावर करके सेना अपना कर्तव्य निभाती है | तिरंगे में लिपट कर जब हम अपने कुछ शहीदों के पार्थिव शरीर देखते हैं तो उनकी वीरता और साहस पर नम आँखों से हमें गर्व होता है | तिरंगे में लिपटा हुआ वह वीर शहीद हम में से किसी का बेटा होता है या किसी का पिता और या किसी का पति | उसके अलविदा कह जाने से कोई अनाथ होता है या कोई विधवा होती है या किसी की कोख सूनी होती है परन्तु पूरा राष्ट्र उस शहीद परिवार के साथ होता है और शहीद परिवार को श्रद्धा से नमन करता है | हम अपने इन शहीद महामानवों को प्रणाम करते हैं, सलाम करते हैं और गर्व से सलूट करते हैं |

     हमारी सेना को बदनाम करने की साजिश कुछ असामाजिक तत्व दुर्भावनावश स्वतंत्रता के बाद से ही करते आये हैं | इन पंक्तियों के लेखक को अपने देश की सीमाओं पर कर्तव्य निभाने का अवसर प्राप्त हुआ है | पंजाब (1970-71), नागालैंड, मणिपुर, मीजोराम, मेघालय (1976-78) तथा जम्मू-कश्मीर (1982-83) आदि जगहों पर स्थानीय जनता के बीच रह कर इन क्षेत्रों को अच्छी तरह देखा है | 

     जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर में कुछ उग्रवादी संगठनों के बहकावे में लोग सेना पर जानबूझ कर लांछन लगाते हैं और वहाँ से सेना को हटाने का षड्यंत्र रचते रहते हैं क्योंकि सेना के रहते उनकी नापाक हरकतें कामयाब नहीं होती | वर्ष 1958 से पूर्वोत्तर में तथा 1990 से जम्मू-कश्मीर में आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर ऐक्ट (आफ्सा) लगा है ताकि सेना को कर्तव्य निभाने में रुकावट न रहे | अलगाववादी तत्व इस ऐक्ट को हटाना चाहते हैं, इसी कारण वे सेना पर अक्सर कई तरह के घृणित लांछन लगाते रहते हैं और मानवाधिकार रक्षक संस्थाओं के पास जाने की धमकी भी देते रहते हैं |

     कुछ वर्ष पहले जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के हंदवाड़ा में अलगाववादियों ने सेना पर एक स्कूली छात्रा के साथ छेड़खानी करने का आरोप लगाया | छात्रा ने वीडियो जारी कर इस आरोप को सिरे से खारिज कर दिया और सेना पर लगे लांछन को स्थानीय असामाजिक तत्वों का षड्यंत्र बताया | इस बीच अलगाववादियों ने उपद्रव भी शुरू कर सेना के चौकी पर पथराव कर दिया | सेना को उन्हें तितर-बितर करने के लिए हवा में गोली चलानी पड़ी । 

         हमें सेना को बदनाम करने के लिए षड्यंत्रकारियों के नापाक मंसूबों को समझना होगा | हमारी सेना पर आरम्भ से ही दाग लगाने की साजिश चल रही है | भारत की सेना विश्व की सबसे अनुशासित सेनाओं में से एक है जिसका चरित्र और मनोबल बहुत ऊँचा है जिस पर इस प्रकार के अमानुषिक आरोप कुछ विकृत मानसिकता के लोग ही लगाते रहे हैं जो कभी भी सिद्ध नहीं हुए | हम अपनी सेना को दिल की गहराइयों से सलूट करते हैं |

पूरन चन्द्र काण्डपाल

22.05.2020

Mandir sab jai sakani : मंदिर सब है सकनी

दिल्ली बै चिठ्ठी ऐ रै

मंदिर में सबै जै सकनी

  (सर्वधर्म समभाव वाल हमार देश में अच्याल कोरोना वजैल मंदिर बंद छीं । विश्व में 51.36 लाख है ज्यादा लोग कोरानाल संक्रमित है गईं और 3.31 लाख लोग दिवंगत है गईं । हमारा देश में लै 1.14 लाख बीमार और 3.4 हजार मृत है गईं । लौकडाउनक  नियम मनिया और आपण बचाव कारिया ।)



        सर्वधर्म समभाव वाल हमार देश में हिन्दू धर्म क चार मठाधीश छीं जनू हैं हाम शंकराचार्य कौनूं| उत्तर में जोशीमठ (उत्तराखंड), दक्षिण में सृन्गेरी (कर्नाटक), पूर्व में पुरी (ओडिशा) और पश्चिम में शारदापीठ द्वारका (गुजरात) | यूं चारों पीठाधीशों में हिन्दू समाज कि भौत श्रधा छ ।


 

          कुछ महैण पैली स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ज्यू कि टेलिविजन पर द्वि विवादास्पद टिप्पणि देखण- सुणण में आईं जनूं कैं पुर देश में अखबारों ल खूब बढ़ि- चढ़ी बेर छापौ | यूं द्विये टिप्पणियों पर लोगों में रोष देखण में आछ | स्वामी ज्यू ल पैल टिप्पणी हरिद्वार में करी जमें उनूल स्यैणियों द्वारा महराष्ट्र क शनि शिगनापुर मंदिर में प्रवेश कैं य कैते हुए गलत बता कि “शनि पूजा करन ल स्यैणियों कि मुसीबत बढ़ि जालि और उनार खिलाफ बलात्कार और छेड़खानी जास अपराध बढ़ जाल |” स्वामी ज्यूल दुसरि टिप्पणी में शिरडी क साईबाबा कि पुज कैं गलत बताते हुए कौ, “साई कि पुज करण गलत च जबकि वास्तविक भगवानों कि अनदेखी करी जांरै और य ई वजैल महाराष्ट्र में अकाव पड़ि रौछ |”

 

         स्वामी ज्यू कि द्विये टिप्पणियों वजैल लोग नाराज हईं । स्यैणियां ल यै कैं ‘घटिय हरकत और अपमानजनक’बताते हुए कौ कि स्वामी ज्यू कैं स्यैणियां हूं बै माफि मांगण चैंछ | कएक महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ल यैकैं संविधान क अपमान बताते हुए प्रदर्शन करण कि बात लै करी | लोग सवाल पूछें रईं कि उत्तराखंड में हर साल कि मौसमी त्रासदी और 2004 में दक्षिण भारत कि सुनामी के क्या कारण छी जमें सोलह हजार है ज्यादै अधिक भारतीय मारी गईं |

 

     उथा सबरीमाला मंदिर में स्यैणियां क प्रवेश पर पाबंदी कैं सर्वोच्च न्यायालय ल मंदिर ट्रस्ट हुणि पुछौ छ कि य संवैधानिक तौर गलत परंपरा छ, य लैंगिक भेदभाव छ | मै कैं मंदिर में जाण है कसी रोकी सकूं ? भगवान त स्यैणि –मैंस में क्ये भेदभाव नि करन | क्ये क्वे स्यैणि कैं दुनिय क सबू है ठुल पहाड़ माउंट ऐवरेस्ट में चढ़ण है रोकी जै सकंछ ?

 

     हमर मानण छ कि स्यैणियां कैं हेय नजर ल देखण, उकैं कमजोर या अपवित्र मानण य मैंसों कि मानसिक संकीर्णता छ| स्यैणि सृष्टि कैं जन्म दिणी छ, पवित्र छ, सहनशील और शक्ति कि पछ्याण छ| वी दगै नफ़रत करण या उकैं अपमानित करणी समाज सांचि बाट कैं समझण में भूल करै रौ और गर्त में जारौ| सर्वोच्च न्यायालय कि टिप्पणी स्वागत योग्य और वन्दनीय छ | स्वामी ज्यूल आपणि बातक दुबार मंथन करण चैंछ ताकि समाज में श्रधा यथावत बनी रौ और आपू कैं लोग स्यैणिय विरोधी प्रचारित नि करै | क्वे साई बाबा कैं मानो या कबीर कैं, राम कैं मानो या रहीम कैं, य श्रद्धाक सवाल छ| श्रधा या अंधश्रद्धाक अंतर कैं केवल ज्ञान और तथ्योंक द्वारा विनम्रताक साथ हाम कैकै सामणि धरि सकनूं |

 

पूरन चन्द्र काण्डपाल, 

21.05.2020