मीठी मीठी -15 : हरेले की बात,पौधे की याद
आज हरेला त्यौहार है । हरेला अर्थात पर्यावरण बचाने का दिन । आज पौध रोपण का दिन भी ही, वनमहोत्सव की ऋतु है । जिसके पास थोड़ी जगह है, या बेनाप जगह है उसमें एक फलदार पेड़ या चीड़ को छोड़कर कोई भी अन्य पेड़ जरूर लगाएं और उसकी परवरिश करें ।
हरेले की टोकरी तो दस दिन में लवारिश हो जाती है लेकिन पेड़ इस धरती का श्रृंगार आजीवन करता रहेगा । हरेले का मतलब ही हरियाली से है । पेड़ लगाने की नई परम्परा का स्वागत करें । चाहे पहाड़ रहें या मैदान, करें धरा को विटप दान ।
पौध रोपण हमें अपनी आदत में सुमार करना होगा तभी यह धरा हमारे और हमारी भविष्य की पीढ़ियों के रहने लायक रहेगी ।
होली दिवाली दशहरा
पितृपक्ष नवरात्री, ईद
क्रिसमश बिहू पोंगल
गुरुपूरब लोहड़ी ।
पौध रोपित एक कर
पर्यावरण को तू बचा,
उष्मधरती हो रही
शीतोष्णता इसकी बचा ।
प्रत्येक त्यौहार पर एक पौधा अवश्य लगाकर उसकी निरंतर परवरिश करना हमारा कर्तव्य होना चाहिए । हमारे देश की गंगा -जमुनी संस्कृति जो हमारी धरोहर है उसे पौध रोपण के साथ बचाये रखना हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है ।
सभी मित्रों को' हरेला' (हरयाव) त्यौहार की शुभकामना ।
पूरन चन्द्र काण्डपाल
16.07.2017
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