Saturday 31 October 2020

Andhvishwas ki jakad : अंधविश्वास की जकड़

खरी खरी - 725 : अन्धविश्ववास की जकड़

पढ़े-लिखे अंधविश्वासी
बन गए
लेकर डिग्री ढेर,
अंधविश्वास कि म टककड़जाल में
फंसते न लगती देर ।

औघड़ बाबा गुणी तांत्रिक
बन गए भगवान्
आंखमूंद विश्वास करे जग,
त्याग तत्थ – विज्ञान ।

लूट करे पूजा दर्शन में
प्रसाद में लूट मचावे,
धर्म के नाम पर जेब तराशे
मृदु उपदेश सुनावे ।

उलझन सुलझे करके हिम्मत
और नहीं मंत्र दूजा,
सार्थक सोच विश्वास दृढ़
मान ले कर्म को पूजा ।

अंधविश्वास ने जकड़ा जग को
यह जकड़ मिटानी होगी,
कूप मंडूक की जंजीरों से
मुक्ति दिलानी होगी ।

अंधियारा ये अंधविश्वास का
मुंह बोले नहीं भागे,
शिक्षा का हो दीप प्रज्ज्वलित
तब अंधियारा भागे ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
01.11.2020

Friday 30 October 2020

Bahoo kahan se aayegi :बहू कहां से आएगी

खरी खरी - 724 : बहू कहां से आएगी ?

लड़की को है मार रहे
देना पड़े जो दहेज,
बेटा मेरा खाएगा जो
रखा है मैंने सहेज,

रखा है मैंने सहेज
बहू संग मौज करेगा,
वो भी तो कुछ लाएगी
घर उससे भरेगा,

कह 'पूरन' गुर्राए
मारे जोर से नड़की,
बहू कहां से आएगी
जब मारे तू लड़की ?

( कन्या भ्रूण हत्या के कसाइयों,
दहेज लोभियों, पुत्र सिंड्रोम रोग ग्रसितों, लड़की को दूसरे दर्जे का  नागरिक समझने वालों, पिंडदान - सराद के अभिलाषियों को समर्पित ।)

पूरन चन्द्र काण्डपाल
30.10.2020

Poojalaya :पूजालय

खरी खरी - 723 : पूजालय

मंदिर-मस्जिद वास नहीं मेरा
नहीं मेरा गुरद्वारे वास,
नहीं मैं गिरजाघर का वासी
मैं निराकार सर्वत्र मेरा वास ।

मैं तो तेरे हर में भी हूं
तू अन्यत्र क्यों ढूंढे मुझे,
परहित सोच उपजे जिसे हृदय
वह सुबोध भा जाए मुझे ।

काहे जप-तप पाठ करे तू
तू काहे ढूंढे पूजालय,
मैं तेरे सत्कर्म में बंदे
अंतःकरण तेरा देवालय ।

क्यों सूरज को दे जलधार तू
नीर क्यों मूरत देता डार,
अर्पित होता ये तरु पर जो
हित मानव का होता अपार ।

परोपकार निःस्वार्थ करे जो
जनहित लक्ष्य रहे जिसका,
पर पीड़ा सपने नहीं सोचे
जीवन सदा सफल उसका ।

राष्ट्र- प्रेम से ओतप्रोत जो
कर्म को जो पूजा जाने,
सवर्जन सेवी सकल सनेही
महामानव जग उसे माने ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
29.10.2020
(मेरी पुस्तक 'यादों की कालिका' से)

Tuesday 27 October 2020

Shahar ka park : शहर का पार्क

खरी खरी - 722 : शहर का पार्क

क्रिकेटियों ने पार्क की

हरियाली कर दी उजाड़,

कहीं विकेट ईंटों से बनाए

कहीं बनी ट्री गार्ड उखाड़ ।

लावारिश पशु की टोली

घूम-घूम कर चर रही,

कहीं फुटबॉल खिलाड़ी

कहीं साइकिल चल रही ।

पोस्टर टांगे पेड़ों पर

ठोक अगिनत परेक,

रोकने वाला कोई नहीं

देखने वाले अनेक ।

अकड़ पार्क में चल रहा

श्वान मालिक श्वान संग,

श्वान शौच जँह तँह कराए

खुद करे लोगों से जंग ।

कहीं पन्नी गुटके की फैंकी

सिगरेट बिड़ी दी कहीं फैंक,

प्लास्टिक थैली प्लेट दोना

गिलास बोतल कहीं रही रैंग ।

तास टुकड़े कहीं बिखरे

फल छिलके पड़े कहीं,

सांझ होते झुंड शराबी

हो मदहोश गिरते जमी ।

जो भी जन यहां सैर करे

दृश्य उसे नहीं भाता,

किसको रोके क्योंकर टोके

चुप्पी साधे जाता ।

हमने पार्क को अपना न समझा

जाना इसे सरकारी,

सुन्दर स्वच्छ बनाएं इसको

समझी न जिम्मेदारी ।

खोलो अपने मुंह का ताला

धर धीरज इन पर शब्द जड़ो,

दर्शक मूक बने रहो मत

पार्क बचाने आगे बढ़ो !!

पूरन चन्द्र काण्डपाल

28.10.2020

Monday 26 October 2020

naree maanyta : नारी मान्यता

ख़री खरी - 721 :  अब "मान्यताओंं" को समझने लगी है नारी ।

       अतीत में जितना भी महिलाओं को पुरुषों से कमतर दिखाने की बात कही-लिखी गई उसको लिखने वाले नर थे । सबकुछ अपने मन जैसा लिखा, जो अच्छा लगा वह लिखा । एक शब्द है "मान्यता" है । 'बहुत पुरानी मान्यता है' कहा जाता है । ये कैसी मान्यताएं थी जब जब औरत को बेचा जाता था, जुए के दाव पर लगाया जाता था, बिन बताए गर्भवती को घर से निकाला जाता था, उस पर मसाण लगाया जाता था, उसे लड़की पैदा करने वाली कुलच्छिनी कहा जाता था, उसे सती -जौहर करवाया जाता था और उसे मुँह खोलने से मना किया जाता था । महिला ने कभी विरोध नहीं किया । चुपचाप सुनते रही और सहते रही ।

       अब हम वर्तमान  में जी रहे हैं । अब सामंती राज नहीं, प्रजातंत्र है । 74% महिलाएं शिक्षित हैं । श्रध्दा के साथ किसी भी मंदिर जाइये,  नारियल फोड़िये, नेट विमान चलाइये, स्पीकर बनिये, प्रधानमंत्री बनिये, राष्ट्रपति बनिये और बछेंद्री की तरह ऐवरेस्ट पर चढ़िये । देश के लिए ओलंपिक से केवल दो पदक आये 2016 में, दोनों ही पदक महिलाएं लाई । पुरुष खाली हाथ आये । आज देश में हमारा संविधान है जिसके अनुसार हम सब बराबर हैं । जयहिंद के साथ सभी सीना तान कर आगे बढ़िए । जय हिन्द की नारी । 

(कोरोना से पूरा विश्व संक्रमित है । विश्व में 4.35 करोड़ लोग संक्रमित हैं जबकि 11.62 लाख लोग इसके ग्रास बं चुके हैं ।  हमारे देश में संक्रमितों की संख्या 79 लाख पार कर गई है जबकि 1.19 लाख  लोग इसके ग्रास बन चुके हैं । मास्क पहनो, देह दूरी रखो, हाथ धोते रहो और इस संक्रमण की गंभीरता को समझो । यही इससे बचाव है ।)

पूरन चन्द्र काण्डपाल


27.10.2020

Shabd sampada : शब्द संपदा

मीठी मीठी - 525 :शब्द सम्पदा
(  मेरि ‘मुक्स्यार’ किताब बटि )

सिदसाद नान छी उ
दगड़ियां ल भड़कै दे /

बूबू कि उमर क ख्याल नि कर
नना चार झड़कै दे /

मान भरम क्ये नि हय
कुकुरै चार हड़कै दे /

खेल खेलूं में अझिना अझिन
नई कुड़त धड़कै दे /

कजिय छुडूं हूं जै भैटू
म्यर जै हात मड़कै दे /

बिराऊ गुसीं यस मर
दै हन्यड़ कड़कै दे /

तनतनाने जोर लगा
भिड़ जस दव रड़कै दे /

गिच जउणी चहा वील
पाणी चार सड़कै दे /

बाड़ में हिटणक तमीज निहय
डाव नउ जस टड़कै दे /

लकाड़ फोड़णियल ठेकि भरि छां
एकै सोस में चड़कै दे / 

गदुवक वजन नि सै सक
सुकी ठांगर पड़कै दे /

बीं हूं काकड़ धरी छी
रात चोरूल तड़कै दे / 

लौंड क कसूर क्ये निछी
खालिमुलि नड़कै दे /

पतरौवे कैं खबर नि लागि
बांजक डाव गड़कै  दे /

पूरन चन्द्र काण्डपाल
26.10.2020

Saturday 24 October 2020

Rawan ka interview : रावण का इंटरव्यू

खरी खरी - 720 : एक इंटरव्यू रावण का

      रामलीला में दहन से पहले दिल्ली में रावण से आमने-सामने भेंट हो गई । रावण की विद्वता, ज्ञान और पराक्रम की याद दिलाते हुए मैंने पूछा, " इतना सबकुछ होते हुए आप युद्ध में मारे जाते हैं और लोग आज भी आपकी बुराई करते हैं । इतने पराक्रमी होने पर भी आपने छल से सीता का हरण क्यों किया ?

     अजी साहब इतना सुनते ही रावण साहब उछल पड़े और गरजते हुए बोले, "आपने सुना नहीं युद्ध और प्यार में सब जायज है । किसी की बहन की नाक कट जाय तो भाई कैसे चुप रह सकता है । मेरी बहन सूपनखा भी तो नारी थी । मानता हूं उसने गलती की पर उस गलती की इतनी बड़ी सजा तो नहीं होनी चाहिए थी ।"

     मशाल की तरह धधकती रावण की आंखों को देख कर मुझ से बोला नहीं गया । रावण का पारा सातवे आसमान पर था । वह गरजना के साथ बोलता गया, " क्यों मुझे बदनाम करते हो ? मैंने एक मंदोदरी के सिवाय कभी किसी दूसरी नारी की ओर देखा तक नहीं । सीता को उठाकर ले तो गया परंतु अपने महल के बाहर अशोक वाटिका में रखा उसे । उसके आँचल को छुआ तक नहीं । उसके सम्मान पर आंच नहीं आने दी ।"

     रावण अपनी जगह सही था । वह आगे बोलता गया, " मैंने कभी नारी पर लाठीचार्ज नहीं किया और कभी किसी नारी का बलात्कार भी नहीं किया । न कभी किसी नारी का उत्पीड़न किया और न अपमान किया । मुझे बुरा समझ कर कोसते हो तो पहले अपने अंदर छुपे हुए रावण को तो बाहर निकालो फिर जलाना मेरा पुतला । 94 % बलात्कारी पीड़िता के किसी न किसी तरह से परिचित या सम्बन्धी होते हैं तुम्हारे इस  समाज में । पहले इनके अंदर के राक्षस को मारो । मैंने तो अपनी मौत और मौत का तरीका खुद ढूंढा था । बलात्कारियों संग मेरा नाम मत जोड़ो ।"

     रावण की इस 24 कैरट सच्चाई से मैं वाकशून्य हो गया था । उसकी इस कटु सत्यता से मैं हिल चुका था । इसी बीच रामलीला डायरेक्टर की सीटी बजी और दनदनाते हुए रावण मंच पर पहुंच गया । मंच की ओर जाते हुए वह मुझे कुछ पाखंडी बाबाओं, दुष्कर्मी जनप्रतिनिधियों, नरपिशाच आचार्यों, घूसखोर अफसरों, मिलावट करने वाले दुकानदारों, ठगविद्या से भ्रमित करनेवालों और भ्रष्ट नेताओं के नाम गिना गया जो आजकल या तो जेल में हैं या बाहर खुल्ले आम घूम रहे हैं ।  वर्तमान कोरोना काल में नियमों की अनदेखी करने वालों और मास्क न पहनने वालों को भी उसने समाज के उदंडी रावण बताया ।  रावण वास्तव में सत्य कह रहा था । हमें अपने अंदर की बुराइयों के रावण का दहन सबसे पहले करना होगा ।

(आज 25 अक्टूबर 2020, विजयदशमी की सभी मित्रों को शुभकामनाएं ।)

पूरन चन्द्र काण्डपाल
25.10.2020

Dheema jahar : धीमा जहर

खरी खरी - 719 : धूम्रपान, गुटखा मतलब धीमे जहर से मौत

   वैज्ञानिकों के एक शोध के अनुसार फेफड़े के कैंसर के दो तिहाई मामले के लिए धूम्रपान , हम और पर्यावरण  जिम्मेदार है । हम नियमित प्रतिदिन कसरत करने, संतुलित भोजन ग्रहण करने , धूम्रपान और गुटखा से दूर रहने एवं मोटापा कम करने से कैंसर जैसे खतरनाक रोग पर विजय पा सकते हैं । हम इस बात की चर्चा अपने घर में, रिश्तदारों में, मित्रों में और किसी को सेवन करते हुए देखकर तो कर ही सकते हैं ।

उड़ा रहा है जो तू धुंआं
खोद रहा है मौत कुँआ,
भष्म कलेजा कर रहा है
कब तक बना रहे अनजान
गुटखा तम्बाकू धूम्रपान
लहू तेरा पी रहे सुनसान ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
24.10.2020

Roti ki kadr : रोटी की कद्र

खरी खरी - 718 :  रोटी की कद्र

     हम सब रोटी के लिए ही तो दर दर भटक रहे हैं । कहीं रोटी मिलती नहीं तो किसी को रोटी पचती नहीं । कोई किसी की आंच में रोटी सेक रहा है तो कोई रोटी को चौबाट में फेंक रहा है । किसी की रोटी भद्र नहीं है तो कहीं रोटी की कद्र नहीं है । कोई रोटी की बाट देख रहा है तो कोई रोटी के लिए जेब काट रहा है । कुछ लोग रोटी कमाने के लिए दौड़ रहे हैं तो कुछ रोटी पचाने के लिए दौड़ रहे हैं । सुबह से लेकर देर रात तक, कहीं कहीं तो रात भर भी लोग रोटी के लिए ही भाग रहे हैं । जिस आटे की रोटी देश का सबसे धनी आदमी खाता है उसी आटे की रोटी देश का सबसे गरीब आदमी भी खाता है । जब यही रोटी बेकद्री से सड़क पर पड़ी रहती है तो कई बातें उस व्यक्ति के दिल को चीरने लगती हैं जो दो जून की रोटी के लिए कभी तड़फा हो या तड़फ रहा हो ।

        महानगर की एक पॉश कालोनी के पार्क के गेट पर फेंकी हुई रोटियों के ढेर हम प्रतिदिन देखते हैं । प्रश्न उठता है किसने फेंकी होंगी इतनी बेकद्री से ये रोटियाँ ? जिस घर से इन्हें फेंका गया होगा क्या वहाँ कोई रोटी की कद्र नहीं जानता होगा ?  शायद उसे रोटी कमाने का ज्ञान नहीं होगा या वह अब तक कभी भूख से तड़फा नहीं होगा । हम दिन में कम से कम तीन बार तो अपने पेट की आग इस रोटी से बुझाते हैं । एक बार रोटी न मिलने पर हमारी हालत बिगड़ने लगती है ।

        हमारे देश में आज भी करीब 20% लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं । कई लोग तो दिन में केवल एक बार की रोटी भी बड़ी मुश्किल से प्राप्त कर पाते हैं । मेरा मानना है रोटियाँ उसी घर से फेंकी जाती हैं जहाँ भोजन का अनुशासन नहीं है । जब रोटियाँ हिसाब से बनेंगी तो बचेंगी नहीं और जब बचेंगी नहीं तो फेंकी भी नहीं जाएंगी । वैसे भी सुबह की बची रोटी रात को और रात की बची रोटी वह व्यक्ति तो अवश्य खा सकता है जो जीवन में रोटी के लिए कभी न कभी तड़फा हो । रोटी हमारी जिंदगी है और रोटी ईश्वर का दिया हुआ एक अमूल्य उपहार है । हमें हमारे लिए रोटी उगाने वाले अन्नदाता कृषक को प्रणाम करते हुए रोटी की कद्र करनी चाहिए और रोटी नहीं फैंकनी चाहिए ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
23.10.2020

Wednesday 21 October 2020

Pudiya mein jahar : पुड़िया में ज़हर

बिरखांत -341 : पुड़िया में जहर


 


            अखिल भारतीय स्वतंत्र लेखक समूह में रहकर देश हित में निष्पक्ष कलम चला रहा हूं | स्वास्थ्य शिक्षक होने के नाते कई वर्षों से नशामुक्ति से भी जुड़ा हूं और सैकड़ों लोगों को शराब, धूम्रपान, खैनी, गुट्का, तम्बाकू, मिथ और अन्धविश्वास से छुटकारा दिलाने में मदद कर चुका हूं | एक टी वी चैनल पर मैंने इस बात को स्वीकारा है कि प्रत्येक व्यक्ति अपने तरीके से भी किसी नशा-ग्रसित को नशामुक्त करने में मदद कर  सकता है | इसमें क्रोध नहीं विनम्रता की जरूरत है | नशेड़ी नशे के दुष्प्रभाव से अनभिज्ञ होता है | जिस दिन वह इसके घातक परिणाम को समझ जाएगा, वह नशा छोड़ देगा | 

      कोई भी नशा हम मजाक-मजाक में दोस्तों से सीखते हैं फिर खरीद कर सेवन करने लगते हैं | अपना धन फूक कर स्वास्थ्य को जलाते हुए कैंसर जैसे लाइलाज रोग के शिकार हो जाते हैं | यदि आप किसी प्रकार का नशा कर रहे हैं तो इसे तुरंत छोडें | अपने मनोबल को ललकारें और जेब में रखे हुए नशे को बाहर फैंक दें | वर्ष 2004 में मेरी कविता संग्रह ‘स्मृति लहर’ लोकार्पित हुई | जनहित में जुड़ी देश की कई महिलाएं हमें प्रेरित करती हैं | ऐसी ही पांच प्रेरक महिलाओं – इंदिरा गांधी, मदर टेरेसा, किरन बेदी, बचेंद्री पाल और पी टी उषा पर इस पुस्तक में कविताएं हैं | 

      पुस्तक भेंट करने जब में डा. किरन बेदी (आजकल पुद्दुचेरी की उपराज्यपाल)  के पास झड़ोदाकलां दिल्ली पहुंचा तो उन्होंने बड़े आदर से पुस्तक स्वीकार करते हुए मुझे नव-ज्योति नशामुक्ति केंद्र सरायरोहिला दिल्ली में स्वैच्छिक सेवा की सलाह दी | मैं कुछ महीने तक सायं पांच बजे के बाद इस केंद्र में जाते रहा | मेडिकल कालेज पूने की तरह यहां भी बहुत कुछ देखा, सीखा और किया भी | आज भी मैं हाथ में तम्बाकू मलते या धूम्रपान करते अथवा गुट्का खाते हुए राह चलते व्यक्ति से सभी प्रकार के नशे छोड़ने पर किसी न किसी बहाने दो बातें कर ही लेता हूं |

       9 अगस्त 2015 को निगमबोध घाट दिल्ली के नजदीक कश्मीरीगेट, यमुना बाजार, हनुमान मंदिर पर नशेड़ियों से नशा छोड़ने की अपील करने एक महिला नेता पहुँची जिनके सिर पर किसी ने पत्थर मार दिया | बहुत दुःख हुआ | जनहित में मुंह खोलने वाले को असामाजिक तत्व निशाना बना देते हैं यह नईं बात नहीं है | आज भी पूरी दिल्ली में पाउच बदल कर जर्दा- गुट्का, तम्बाकू अवैध रूप से बिक रहा है | गुटका का प्रचार टीवी चैनलों और प्रिंट मीडिया में खूब होता है । नेता भाषण में स्वास्थ्य की बात करते हैं परन्तु इस जहर पर प्रतिबंध नहीं लगाते ।

       कानूनों के धज्जियां उड़ते देख भी बहुत दुःख होता  है | इसका जिम्मेदार कौन है ?  बुराई और असामाजिकता के विरोध में मुंह खोलने में जोखिम तो है | क्या जलजलों की डर से घर बनाना छोड़ दें ? क्या मुश्किलों की डर से मुस्कराना छोड़ दें ? मैं बिरखांत में किसी को सलाह (प्रवचन) देना नहीं चाहता बल्कि  समस्या को उकेर या उजागर  कर इसकी गंभीरता को समझाने  का प्रयास करता हूं | जब जागो तब सवेरा । पुड़िया के जहर को आज ही छोड़िए ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल 


22.10.2020


Tuesday 20 October 2020

Gich kholani chaini : गिच खोलानी चैनी

खरी खरी - 717  :  गिच खोलणी चैनी

मसमसै बेर क्ये नि हुन


बेझिझक गिच खोलणी चैनी,


अटकि रौछ बाट में जो दव


हिम्मतल उकैं फोड़णी चैनी ।

अन्यार अन्यार कै बेर


उज्याव नि हुन,


अन्यार में  एक मस्याव


जगूणी चैनी । 


मसमसै..

जात  - धरम पर जो


लडूं रईं हमुकैं,


यास हैवानों कैं भुड़ जास


चुटणी चैनी ।


मसमसै ...

गिरगिट जस रंग


जो बदलैं रईं जां तां,


उनुकैं बीच बाट में


घसोड़णी  चैनी ।


मसमसै...

क्ये दुखै कि बात जरूर हुनलि


जो डड़ाडड़ पड़ि रै,


रुणी कैं एक आऊं 


कुतकुतैलि लगूणी चैनी ।


मसमसै बेर...

पूरन चन्द्र काण्डपाल


21.10.2020

Monday 19 October 2020

Nafarat ka pulav : नफ़रत का पुलाव

खरी खरी - 716 : नफ़रत का पुलाव

अन्धविश्वास की हांडी में.
झूठ-पाखण्ड का पानी डाल कर
क्रोध के चूल्हे में
ईष्र्या का ईंधन जलाकर
घृणा वैमनस्य और
राग-द्वेष ऊपर से छिड़क कर
कुटिलता अश्लीलता और
अपसंस्कृति का अर्क मिलाकर
अकर्मण्यता स्वछंदता और
अज्ञान का तड़का लगाकर
नफ़रत का जो पुलाव तुम खा रहे हो
उससे अपना चैन सकून गंवा रहे हो
भूल गए हो इस जमीन का
तुमने अन्न जल किया
तुम्हारे पास कुछ नहीं था
सब यहीं से लिया
एक दिन चले जाओगे
मुठ्ठी  खोल कर
जिसे अपना समझते थे
उसे यहीं  छोड़ कर
इसलिए सारे अपकृत्य त्याग
काम कुछ भले कर लो
और यदि भला न कर सको तो
अपकृत्यों से तो मुंह मोड़ लो !

पूरन चन्द्र काण्डपाल
20.10.2020

Sunday 18 October 2020

Baal prahari kavi sammelan : बाल प्रहरी कवि सम्मेलन

मीठी मीठी - 524 : बाल प्रहरी और बाल साहित्य संस्थान अल्मोड़ा द्वारा आयोजित राष्ट्रीय कवि सम्मेलन

    17 अक्टूबर 2020 को बाल प्रहरी और बाल साहित्य संस्थान अल्मोड़ा द्वारा राष्ट्रीय ऑन लाइन बाल कवि सम्मेलन आयोजित किया गया ।  इस संबंध में एक समाचार रिपोर्ट आज की मीठी मीठी में साभार उद्धृत है ।

 "बच्चों को मातृभाषा से जोड़ा जाना जरूरी है।


                  - पूरन चंद्र कांडपाल

अल्मोड़ा, 18 अक्टूबर। बच्चों को अपनी संस्कृति तथा भाषा से जोड़ा जाना जरूरी है। ये बात बालप्रहरी तथा बालसाहित्य संस्थान अल्मोड़ा द्वारा आयोजित ऑन लाइन बाल कवि सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए दिल्ली से वरिष्ठ साहित्यकार पूरन चंद्र कांडपाल ने कही । उन्होंने कहा कि आज अधिकतर अभिभावक नौकरी की दृष्टि से अपने बच्चों को अंगरेजी तथा दूसरी भाषा सीखने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि नौकरी व ज्ञान के लिए अंगेजी तथा दूसरी विदेशी भाषाएं सीखनी चाहिए तथा सिखाई जानी चाहिए। परंतु अपनी दुधबोली मातृभाषा  से भी हमको बच्चों को जोड़ना चाहिए। 

    मुख्य अतिथि बाबा कानपुरी (नौएडा) ने कहा कि शहरीकरण तथा इलैक्ट्रॉनिक मीडिया के वर्तमान दौर में अब बच्चों को दादा-दादी तथा नाना-नानी की कहानियां  सुनने का नहीं मिलती हैं । बच्चे प्रकृति से दूर होते जा रहे हैं। अब बच्चे मिट्टी, पानी व पत्थर से खेलने के बजाय मोबाइल तथा कंप्यूटर से खेल रहे हैं। ये सुखद है परंतु बच्चों को अपने परिवेश व प्रकृति से जोड़ा जाना भी जरूरी है। 




     मुख्य अतिथि बाबा कानपुरी ने अपनी बाल कविता पढ़ते हुए कहा, ‘‘ बारिश के पानी में छप-छप, कर लेती है कपड़े गीले/खाती टपकाती कपड़ों पर चूस-चूसकर आम रसीले।’’ 


      दुर्ग(छत्तीसगढ) से बलदाऊ राम साहू  ने अपनी कविता पढ़ते हुए कहा, ‘‘ जाति धर्म की तोड़ दीवारें, बच्चो मिलकर गाओ/देश हमारा छुए शिखर को,ऐसा कुछ कर जाओ।’’


      जबलपुर( म.प्र.) की डॉ. सलमा जमाल ने अपनी कविता कुछ इस प्रकार पढ़ी, ‘‘मेरी प्यारी गुड़ियारानी, हरदम करती है मनमानी/कौन सुनाता तुम्हें कहानी, तुम्हें याद करती है नानी।’’


    सेवानिवृत्त शिक्षक खुशालसिंह खनी ने स्कूल की घंटी पर अपनी कविता सुनाते हुए कहा,‘‘स्कूल की घंटी बजी टन-टन-टन/दौड़ आए बच्चे दन-दन-दन।’’ 


      कानपुर के संजीव द्विवेदी ने अपनी कविता सुनाते हुए कहा,‘‘स्कूल तुम्हें भेजा है मां ने,स्कूल नहीं ये मंदिर है/बच्चो मेरे खूब तुम पढ़ना, यहीं तुम्हारी मंजिल है।’’ 

     नरसिंहनपुर (म.प्र.) के नरेंद्र श्रीवास्तव ने अपनी कविता पढ़ते हुए कहा,‘‘करो प्रतिज्ञा बच्चो तुम भी,काम देश के आओ/वीर साहसी त्यागी बनकर, जग में नाम कमाओ।’’ इसके अतिरिक्त डॉ. रितु गुप्ता (जम्मू), डॉ. अमित कुमार (पीलीभीत), डॉ. वर्षा महेश ’गरिमा’ (मुंबई),रूपा राय ‘मौली’(लखनऊ), ओमषरण आर्य ‘चंचल’(रामनगर), डॉ. खेमकरन सोमन (चौखुटिया) आदि ने अपनी बाल कविताएं पढ़ी। 

     इस अवसर पर सर्वश्री ओम क्षिप्रा, मुन्नू लाल, रूबी शर्मा, संतोष कुमार, सुधा भार्गव, वीरेंद्र लोढ़ा, राजू गुप्ता सहित दीपांशु पांडे , सृष्टि बिष्ट आदि कई बच्चों ने भी सहभागिता की। ऑनलाइन कवि सम्मेलन का संचालन संदर्भ समीक्षा समिति भीलवाड़ा (राजस्थान) की रेखा लोढ़ा ‘स्मित’ ने किया। कार्यक्रम के प्रांरभ में बालप्रहरी संपादक तथा बालसाहित्य संस्थान अल्मोड़ा के सचिव उदय किरौला ने सभी अतिथियों एवं कवि/कवयित्रियों का परिचय कराते हुए सभी का स्वागत किया।"

       यह एक सफल आयोजन था । वर्तमान में कोरोना संक्रमण के दौर में जहां साहित्यिक गतिविधियां रुक गई हैं वहीं इस तरह के वर्चुअल आयोजन से साहित्य की सृजनता बनी रहती है ।

पूरन चन्द्र कांडपाल


19.10.2020


Saturday 17 October 2020

Shabd : शब्द

खरी खरी - 715 : शब्द


शब्द मुस्कराहट जगा देते हैं

शब्द कड़वाहट भी बड़ा देते हैं,

दिल जो दिखाई नहीं देता

शब्द उसकी बनावट भी बता देते हैं ।

कुछ शब्द कहे नहीं जाते

कुछ शब्द सहे नहीं जाते,

शब्दों के तीर से बने घाव

जीवन में भरे नहीं जाते ।

शब्द दुखड़े भी बांट देते हैं

शब्द खाई भी पाट देते हैं,

शब्दों के धारदार खंजर

उलझी हुई जंजीर काट देते हैं ।

शब्द मिठास भी भर देते हैं

शब्द निरास भी कर देते हैं,

मन में छिपे हुए तूफ़ान की

प्रकट भड़ांस भी कर देते हैं ।

शब्द से अमृत भी बरसता है

शब्द से जहर भी उफनता है,

अपशब्द से घटा जो घिरती है

हर तरफ कहर ही बरपता है ।

शब्द को जो पहले तोलता है

तोल के मुंह जो खोलता है,

मिटे द्वेष द्वंद घृणा ईर्ष्या

कूक कोयल सी मिठास घोल देता है ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल

18.10.2020

Friday 16 October 2020

Navratri : नवरात्रि

मीठी मीठी - 523 : नवरात्रि की शुभकामना

होली दिवाली दशहरा 

पितृपक्ष नवरात्री, ईद                 

क्रिसमश बिहू पोंगल 

गुरुपूरब लोहड़ी ।    

पौध रोपित एक कर 

पर्यावरण को तू बचा,                

उष्मधरती हो रही 

शीतोष्णता इसकी बचा । 

     देश में पेड़ जलाने के दो त्यौहार हैं - लोहड़ी और होली परंतु पेड़ रोपने का कोई त्यौहार नहीं । सभी त्यौहारों पर प्रकृति को बचाने के लिए पौधे रोपने चाहिए । आज  ( 17 अक्टूबर 2020 ) से नवरात्रि आरम्भ हैं । नौ दिन के इस पावन अवसर पर पौध रोपण जरूर कीजिए । देवी की प्रतिमाएं मोबाइल से पोस्ट करने से पहले प्रकृति के प्रति अपने कर्तव्य को भी हमें समझना होगा । सोसल मीडिया में धार्मिक होने से अच्छा है कम से कम एक पेड़ रोपने के कार्मिक बनें और पृथ्वी माता का हरित श्रंगार करें । नवरात्रि की बहुत बहुत शुभकामनाएं ।

पूरन चन्द्र कांडपाल

17 अक्टूबर 2020

प्रथम नवरात्रि