Sunday 31 October 2021

Sadak durghatanayen : सड़क दुर्घटनाएं

बिरखांत- 410 : कब थमेंगी सड़क दुर्घटनाएं ?

( 31 अक्टूबर 2021 को चकराता उत्तराखंड में एक ही गांव के 13 व्यक्ति सड़क दुर्घटना की बलि चढ़ गए।  बहुत दुखद । बहुत ही पीड़ादायक। )


 


      देश में एक सर्वे के अनुसार हमारे देश में प्रतिवर्ष सड़क दुर्घटना में करीब एक लाख तीस हजार (350 मृत्यु प्रतिदिन अर्थात प्रति चार मिनट में एक मृत्यु ) लोग अपनी जान गंवाते हैं | इस तरह बेमौत मृत्यु में हमारा देश विश्व में सबसे आगे बताया जाता हैं | कैंसर, क्षय रोग, मधुमेह, हृदय गति व्यवधान आदि रोंगों के बाद देश में सड़क दुर्घटना में मरने वालों के संख्या आती है | इस बेमौत मृत्यु में दुपहिया वाहन चालक/सवार सबसे अधिक हैं जिसमें 18 वर्ष से कम उम्र के किशोरों की मृत्यु दर 12 % है | सड़क दुर्घटना में करीब पांच लाख लोग घायल होते हैं जिनमें अधिकाँश अपंग हो जाते हैं | दो वर्ष पहले केन्द्रीय मंत्री गोपीनाथ मुंडे की अकाल मृत्यु भी 3 जून 2014 को सड़क दुर्घटना में हुयी थी | वर्तमान में कोई भी दिन ऐसा नहीं बीतता जब हम टी वी में क्षत-विक्षत शव तथा चकनाचूर हुए वाहनों के दृश्य नहीं देखते हों |


 


     देश की राजधानी में प्रतिदिन सड़क दुर्घटना में पांच लोग मरते हैं जिनमें औसतन दो पैदल यात्री और दो दुपहिया चालक हैं | प्रति सप्ताह दो  साइकिल चालक तथा एक कार चालक सड़क दुर्घटना में मरता है | सड़क दुर्घटनाओं के मुख्य कारण हैं बिना लाइसेंस के वाहन चलाना, वाहन चलाने का अल्पज्ञान होना, सिग्नल जम्पिंग, वाहन से सिग्नल नहीं देना, ओवर स्पीड (गति सीमा से अधिक ), ओवर लोड, शराब पीकर वाहन चलाना, रोड रेस (एक दूसरे से आगे निकलने की जल्दी), सड़क पर गलत पार्किंग, चालक की थकान या झपकी आना, लापरवाही, डेक का शोर अथवा मोबाइल पर ध्यान बटना आदि | विपरीत दिशा से आरहे वाहन की गलती, हेलमेट कोताही, सड़क के गड्डे, तथा मशीनी खराबी आदि भी भीषण दुर्घटना के अन्य कारण हैं |  


 


     इन सब दुर्घटनाओं का मुख्य कारण है लोगों में क़ानून का डर नहीं होना | हमारे देश के लोग विदेश जाते हैं और वहाँ के नियम-क़ानून का पालन बखूबी करते हैं | स्वदेश आते ही यहां के क़ानून को अंगूठा दिखा देते हैं क्योंकि यहां क़ानून का डर नहीं है | सब जानते हैं कि शराब पीकर वाहन चलाने सहित सभी सड़क सुरक्षा के नियमों की अवहेलना में जुर्माना है परन्तु लोगों को जुर्माने की चिंता नहीं है | उन्हें घूस देकर छूटने का पूरा भरोसा है या जुर्माने की रकम अदा करने के फ़िक्र नहीं हैं | प्रतिवर्ष लाखों चालान भी कटते हैं |

      हमारे देश में बच्चे अपने अभिभावकों का वाहन खुलेआम चला कर दुर्घटना में कई निर्दोषों को मार देते हैं | कई बार बड़ी तेजी से उड़ती मोटरबाइक में एक साथ बैठे छै- सात बच्चे सड़क पर जोर जोर से हॉर्न बजाते हुए देखे गए हैं | इन दुपहियों में कार या ट्रक का हॉर्न लगाकर, रात हो या दिन जोर जोर से हॉर्न बजाते हुए उड़ जाना इन बिगडैल बच्चों का फैशन बन गया है | पुलिस या तो होती ही नहीं या देख- सुन कर भी अनजान बनी रहती है | अब जब दुर्घटनाओं की अति हो गई तब इन नाबालिगों द्वारा वाहन चलाने पर अभिभावकों को दण्डित करने की मांग उठ रही है | सड़कों पर गड्ढे भी दुर्घटना का मुख्य कारण बन गए है जिन्हें शीघ्र भरा जाना चाहिए ।


 


     इस बीच उत्तराखंड में भी सड़क दुर्घटनाएं थम नहीं रही हैं। आए दिन कोई न कोई सड़क दुर्घटना में जान - माल का नुक़सान होता है। कल 31 अक्टूबर 2021 को चकराता के पास एक सड़क दुर्घटना में  बुलेरो में सवार 15 में से 13 व्यक्तियों की जान चली गई। बताया जाता है कि ये सभी 13 व्यक्ति एक ही गांव के थे। यह दुर्घटना ओवर लोडिंग के कारण बताई जा रही है। इतने लोग इस बुलेरो में क्यों बैठे होंगे या क्यों बिठाए होंगे ? यातायात पर नजर रखने वाले कहां होंगे ? इस दुर्घटना से कई घर उजड़ गए हैं | बारात, पर्यटन, तीर्थाटन, व्यवसाय आदि से जुड़े कई वाहन आये दिन दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं | इसका कारण भी सभी सड़क सुरक्षा के नियमों की अवहेलना ही है | इन सभी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए हमें अपने घर से शुरुआत करनी पड़ेगी | अपने नाबालिग बच्चों को भूलकर भी कोई वाहन नहीं दें ताकि सड़क पर कोई अनहोनी न हो | लाइसेंस प्राप्त बालिंग बच्चों का प्रशिक्षण भी उत्तम होना चाहिए | आप स्वयं भी वाहन चलाते समय संयम रखें क्योंकि दुर्घटना से देर भली | स्मरण रहे आपका परिवार प्रतिदिन आपकी सकुशल घर वापसी के इंतज़ार में रहता है |

पूरन चन्द्र काण्डपाल


01.11.2021


Saturday 30 October 2021

Dwi Bharatratn : द्वि भारत रत्न

स्मृति - 661 : आज द्वि भारत रत्नों क स्मरण

      देश में 45 भारत रत्नों में बै आज द्वि भारत रत्नोंक स्मरण दिवस छ । पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ज्यूक आज शहीदी दिवस छ जबकि पूर्व उप-प्रधानमंत्री और पैल गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ज्यूक जन्मदिन छ । इनार बार में पुस्तक 'महामनखी' में तीन भाषाओं में चर्चा छ । यूं द्विये महामनखियों कैं विनम्र श्रद्धांजलि ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल

31.10.2021

Friday 29 October 2021

poojaalay : पूजालय

खरी खरी - 951 : पूजालय

मंदिर-मस्जिद वास नहीं मेरा

नहीं मेरा गुरद्वारे वास,

नहीं मैं गिरजाघर का वासी

मैं निराकार सर्वत्र मेरा वास ।

मैं तो तेरे उर में भी हूं

तू अन्यत्र क्यों ढूंढे मुझे ?

परहित सोच उपजे जिसे हृदय

वह सुबोध भा जाए मुझे ।

काहे जप-तप पाठ करे तू

तू काहे ढूंढे पूजालय?

मैं तेरे सत्कर्म में बंदे

अंतःकरण तेरा देवालय ।

क्यों सूरज को दे जलधार तू

नीर क्यों मूरत देता डार?

अर्पित होता ये तरु पर जो

हित मानव का होता अपार ।

परोपकार निःस्वार्थ करे जो

जनहित लक्ष्य रहे जिसका,

पर पीड़ा सपने नहीं सोचे

जीवन सदा सफल उसका ।

राष्ट्र- प्रेम से ओतप्रोत जो

कर्म को जो पूजा जाने,

सवर्जन सेवी सकल सनेही

महामानव जग उसे माने ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल

30.10.2021

(मेरी पुस्तक 'यादों की कालिका' से)

Shahar ka park : शहर का पार्क

खरी खरी - 950 : शहर का पार्क

क्रिकेटियों ने पार्क की
हरियाली कर दी उजाड़,
कहीं विकेट ईंटों से बनाए
कहीं बनी ट्री गार्ड उखाड़ ।

लावारिश पशु की टोली
घूम-घूम कर चर रही,
कहीं फुटबॉल खिलाड़ी
कहीं साइकिल चल रही ।

पोस्टर टांगे पेड़ों पर
ठोक अगिनत परेक,
रोकने वाला कोई नहीं
देखने वाले अनेक ।

अकड़ पार्क में चल रहा
श्वान मालिक श्वान संग,
श्वान शौच जँह तँह कराए
खुद करे लोगों से जंग ।

कहीं पन्नी गुटके की फैंकी
सिगरेट बिड़ी दी कहीं फैंक,
प्लास्टिक थैली प्लेट दोना
गिलास बोतल कहीं रही रैंग ।

तास टुकड़े कहीं बिखरे
फल छिलके पड़े कहीं,
सांझ होते झुंड शराबी
हो मदहोश गिरते जमी ।

जो भी जन यहां सैर करे
दृश्य उसे नहीं भाता,
किसको रोके क्योंकर टोके
चुप्पी साधे जाता ।

हमने पार्क को अपना न समझा
जाना इसे सरकारी,
सुन्दर स्वच्छ बनाएं इसको
समझी न जिम्मेदारी ।

खोलो अपने मुंह का ताला
धर धीरज इन पर शब्द जड़ो,
दर्शक मूक बने रहो मत
पार्क बचाने आगे बढ़ो !!

पूरन चन्द्र काण्डपाल
29.10.2021

Wednesday 27 October 2021

Neta bhashan : नेता भाषण

खरी खरी - 949 : नेता ज्यू क भाषण

भाषण दिनै जांरी नेता,
बलां रईं सरग-पताव
काम बिलकुल करण नि हय,
बात करण में तेताव

बात करण में तेताव,
बात य बिलकुल सांचि छ
झन करिया यकीन,
य ध्वाक बाजों कि फांचि छ

कूंरौ 'पूरन' नि सुणो,
इनर उगपटांग बासण
कै दियो पैली काम करो,
पै दिया हमुकैं भाषण ।

पूरन चन्द्र कांडपाल
28.10.2021

Patakhon par pabandi : पटाखों पर पाबंदी

बिरखांत - 409 : पटाखों पर हो पूर्ण पाबन्दी

     पटाखों की पाबंदी पर पहले भी कई बार निवेदन कर चुका हूँ, ‘बिरखांत’ भी लिख चुका हूँ  | हर साल दशहरे से तीन सप्ताह तक पटाखों का शोर जारी रहता है जो दीपावली की रात चरम सीमा पर पहुंच जाता है |  शहरों में पटाखों के शोर और धुंए के बादलों से भरी इस रात का कसैलापन, घुटन तथा धुंध की चादर आने वाली सुबह में स्पष्ट देखी जा सकती है | दीपावली के त्यौहार पर जलने वाला कई टन बारूद और रसायन हमें अँधा, बहरा तथा  लाइलाज रोगों का शिकार बनाता है |

     पटाखों के कारण कई जगहों पर आग लगने के समाचार हम सुनते रहते हैं | पिछले साल छै से चौदह महीने के तीन शिशुओं की ओर से उनके पिताओं द्वारा देश के उच्चतम न्यायालय में जनहित याचिका दायर करते हुए कहा कि प्रदूषण मुक्त पर्यावरण में बड़े होना उनका अधिकार है और इस सम्बन्ध में सरकार तथा दूसरी एजेंसियों को राजधानी में पटाखों की बिक्री के लिए लाइसेंस जारी करने से रोका जाय |

      उच्चतम न्यायालय ने केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश भी दिया है कि वह पटाखों के दुष्प्रभावों के बारे में लोगों को शिक्षित करें और उन्हें पटाखों का इस्तेमाल नहीं करने की सलाह दें | न्यायालय ने कहा कि इस सम्बन्ध में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में व्यापक प्रचार करें तथा स्कूल और कालेजों में शिक्षकों, व्याख्याताओं, सहायक प्रोफेसरों और प्रोफेसरों को निर्देश दें कि वे पटाखों के दुष्प्रभावों के बारे में छात्रों को शिक्षित करें |

      यह सर्वविदित है कि सर्वोच्च न्यायालय का रात्रि दस बजे के बाद पटाखे नहीं जलाने का आदेश पहले से ही है परन्तु नव- धनाड्यों एवं काली कमाई करने वालों द्वारा इस आदेश की खुलकर अवहेलना की जाती है | ये लोग रात्रि दस बजे से दो बजे तक उच्च शोर के पटाखे और लम्बी-लम्बी पटाखों के लड़ियाँ जलाते हैं जिससे उस रात उस क्षेत्र के बच्चे, बीमार, वृद्ध सहित सभी निवासी दुखित रहते हैं |

     एक राष्ट्रीय समाचार में छपी खबर के अनुसार सरकार ने स्पष्ट किया है कि इस बार देश में विदेशी पटाखों को रखना और उनकी बिक्री करना अवैध होगा | इसकी अवहेलना करने पर निकट के पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट की जा सकती है | इन विदेशी पटाखों में पोटेशियम क्लोरेट समेत कई खरनाक रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक तो है ही इससे आग भी लग सकती है या विस्फोट हो सकता है | विदेश व्यापार  महानिदेशक ने आयातित पटाखों को प्रतिबंधित वस्तु घोषित किया है |

     कुछ  लोग अपनी मस्ती में समाज के अन्य लोगों कों होने वाली परेशानी की परवाह नहीं करते | उस रात पुलिस भी उपलब्ध नहीं हो पाती या इन्हें पुलिस का अभयदान मिला होता है | वैसे हर जगह पुलिस भी खड़ी नहीं रह सकती | हमारी भी कुछ जिम्मेदारी होती है | क्या हम बिना प्रदूषण के त्यौहार या उत्सव मनाने के तरीके नहीं अपना सकते ? यदि हम अपने बच्चों को इस खरीदी हुई समस्या के बारे में जागरूक करें या उन्हें पटाखों के लिए धन नहीं दें तो कुछ हद तक तो समस्या सुलझ सकती है | धन फूक कर प्रदूषण करने या घर फूक कर तमाशा देखने और बीमारी मोल लेने की इस परम्परा के बारे में गंभीरता से सोचा जाना चाहिए | उच्च शोर के पटाखों की बिक्री बंद होने पर भी ये बाजार में क्यों बिकते आ रहे हैं यह भी एक बहुत बड़ा सवाल है |

      हम अपने को जरूर बदलें और कहें “पटखा मुक्त शुभ दीपावली” | “ SAY NO TO FIRE CRACKERS”. पटाखों के रूप में अपने रुपये मत जलाइए , इस धन से गरीबों को गिफ्ट देकर खुशी बाँटिये । अब समय आ गया है जब पटाखों के उत्पादन, भंडारण और बिक्री पर पूर्ण पाबंदी लगनी चाहिए ।

(आज सुबह जब मैं यह आलेख लिख रहा था तो एक दुखद समाचार से पता चला कि तमिलनाडु में पटाखा दुकान में पटाखा विस्फोट से कुछ जानें चली गई हैं और कई घायल हुए हैं। )

पूरन चन्द्र काण्डपाल
27.10.2021

Shabd sampada : शब्द संपदा

मीठी मीठी - 660 : शब्द सम्पदा
(‘मुक्स्यार’ किताब बटि )

सिदसाद नान छी उ
दगड़ियां ल भड़कै दे /

बूबू कि उमर क ख्याल नि कर
नना चार झड़कै दे /

मान भरम क्ये नि हय
कुकुरै चार हड़कै दे /

खेल खेलूं में अझिना अझिन
नई कुड़त धड़कै दे /

कजिय छुडूं हूं जै भैटू
म्यर जै हात मड़कै दे /

बिराऊ गुसीं यस मर
दै हन्यड़ कड़कै दे /

तनतनाने जोर लगा
भिड़ जस दव रड़कै दे /

गिच जउणी चहा वील
पाणी चार सड़कै दे /

बाड़ में हिटणक तमीज निहय
डाव नउ जस टड़कै दे /

लकाड़ फोड़णियल ठेकि भरि छां
एकै सोस में चड़कै दे / 

गदुवक वजन नि सै सक
सुकी ठांगर पड़कै दे /

बीं हूं काकड़ धरी छी
रात चोरूल तड़कै दे / 

लौंड क कसूर क्ये निछी
खालिमुलि नड़कै दे /

पतरौवे कैं खबर नि लागि
बांजक डाव गड़कै  दे /

पूरन चन्द्र कांडपाल
26.10.2021

Bhagwaan : भगवान

बिरखांत - 408 : जी मैं ‘भगवान’ बोल रहा हूं

        जी हां, मैं भगवान बोल रहा हूं | कुछ लोग मुझे मानते हैं और कुछ नहीं मानते | जो मानते हैं उनसे तो मैं अपनी बात  कह ही सकता हूं | आप ही कहते हो कि कहने से दुःख हलका होता है | आप अक्सर मुझ से अपना दुःख-सुख कहते हो तो मेरा दुःख भी तो आप ही सुनोगे | आपके द्वारा की गयी मेरी प्रशंसा, खरी-खोटी या लांछन सब मैं सुनते रहता हूं और अदृश्य होकर आपको देखे रहता हूं | आपकी मन्नतें भी सुनता हूं और आपके कर्म एवं प्रयास भी देखता हूं | आप कहते हो मेरे अनेक रूप हैं | मेरे इन रूपों को आप मूर्ति-रूप या चित्र-रूप देते हो | आपने अपने घर में भी मंदिर बनाकर मुझे जगह दे रखी है | वर्ष भर सुबह-शाम आप मेरी पूजा-आरती करते हो | धूप- दीप जलाते हो और माथा टेकते हो |

    दीपावली में आप मेरे बदले घर में नए भगवान ले आते हो और जिसे पूरे साल घर में पूजा उसे किसी वृक्ष के नीचे लावारिस बनाकर पटक देते हो या प्लास्टिक की थैली में बंद करके नदी, कुआं या नहर में डाल देते हो | वृक्ष के नीचे मेरी बड़ी दुर्दशा होती है जी | कभी बच्चे मुझ पर पत्थर मारने का खेल खेलते हैं तो कभी कुछ चौपाए मुझे चाटते हैं या गंदा करते हैं | आप मेरे साथ ऐसा वर्ताव क्यों करते हैं जी  ? अगर यही करना था तो आपने मुझे अपने मंदिर में रखकर पूजा ही क्यों ? अब मैं आपका पटका हुआ अपमानित भगवान आप से विनती करता हूं कि मेरे साथ ऐसा व्यवहार नहीं करें | जब भी आप मुझे अपने घर से विदा करना चाहो तो कृपया मेरे आकार को मिट्टी में बदल दें अर्थात मूर्ति को तोड़ कर चूरा बना दें और उस चूरे को आस-पास ही कहीं पार्क, खेत या बगीची में भू-विसर्जन कर दें अर्थात मिट्टी में दबा दें | जल विसर्जन में भी तो मैं मिट्टी में ही मिलूंगा | भू-विसर्जन करने से जल प्रदूषित होने से बच जाएगा | इसी तरह मेरे चित्रों को भी चूरा बनाकर भूमि में दबा दें |

     मेरे कई रूपों के कई प्रकार के चित्र हर त्यौहार पर विशेषत: नवरात्री और रामलीला के दिनों में समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में भी छपते रहे हैं | रद्दी में पहुंचते ही इन अखबारों में जूते- चप्पल, मांस- मदिरा सहित सब कुछ लपेटा जाता है | मेरी इस दुर्गति पर भी सोचिए | मैं और किससे कहूं ? जब आप मुझ से अपना दर्द कहते हैं तो मैं भी तो आप ही से अपना दर्द कहूंगा | मेरी इस दुर्गति का विरोध क्यों नहीं होता, यह मैं आज तक नहीं समझ पाया ? मुझे उम्मीद है अब आप मेरी इस वेदना को समझेंगे और ठीक तरह से मेरा भू-विसर्जन करेंगे | सदा ही आपके दिल में डेरा डाल कर रहने वाला आपका प्यारा ‘भगवान’ |

पूरन चन्द्र कांडपाल
25.10.2021

Saturday 23 October 2021

Karva chauth vrat : करवा चौथ व्रत

मीठी मीठी - 659 : करवा चौथ व्रत !

करवाचौथ व्रत !

सुहाग के लिए 

पति के लिए 

निर्जल निश्छल 

आस्था अविरल।

व्रत श्रद्धा के दीये 

सब  स्त्री के लिए

किसी पति ने कभी 

शायद व्रत नहीं रखा 

पत्नी के लिए।

तुमने सभी धर्मग्रन्थ 

वेद पुराण अनन्त 

शास्त्र श्रुति स्मृति 

लिख डाले मेरे लिए 

स्वयं को मुक्त किए।

रीति रिवाज  मान मर्यादा

कायदे क़ानून संस्कृति सभ्यता 

शर्म  हया नियम परम्परा 

सब का सिकंजा मेरे लिए धरा 

स्त्री होने की यह निर्दयता।

चाह नहीं मेरी 

तुम मेरे लिए व्रत करो 

पर है एक छोटी सी चाह 

तुम जीवन संगीनी का   

कभी न अपमान करो।

मैं अपूर्ण तुम बिन 

तुम्हारी अपूर्णता भी 

बनी रहे मुझ बिन  

मेरे  स्वाभिमान पर 

न आए आंच पल छिन।

पूरन चन्द्र कांडपाल

24.10.2021

Friday 22 October 2021

Me Too Guji : मीटू गुजि

मीठी मीठी - 658: 'मीटू' गुजि कि चपेट (हास्य -व्यंग्य)

     मुणि लेखी कैटेगरी वाव मैंस कभतै लै 'मीटू' गुजि कि चपेट में ऐ सकनी, जरा बचि बेर रया -

सैणियाँ हैं हँसि बेर बलाणी,
सैणियाँ दगै गपसप मारणी,
सैणियाँ उज्यां देर तली घूरणी,
सैणियाँ कैं वाहन में लिफ्ट दिणी,
उनरि ड्रेसकि तारिफ करणी,
'होइ' में उनू पर गुलाल घसोड़णी,
पड़ोसक सागकि तारिफ करणी,
ऑफिस में उनू दगै लंच बांटि खाणी,
पड़ोसवाइ दगै ज्यादै बात मारणी,
बस में सैणियाँ कैं नजीक भटाउणी,
पार्टी में उनार नजीक ठाड़ हुणी,
उनू दगै ज्यादै खितखिताट पाड़णी,
घरेतिय सैणियाँ दगै मजाक करणी,
भीड़ में सैणियाँक ढयस सहन नि करणी ।

(और लै कतू कारण है सकनीं । बखत बदलि गो । आब मैंसों कैं छां लै फुकि- फुकि बेर पिण पड़लि ।)

पूरन चन्द्र काण्डपाल
23.10.2021

Thursday 21 October 2021

Maanyata hae : मान्यता है

ख़री खरी - 948 : "मान्यता है" लिखने वाले नर 

       अतीत में जितना भी महिलाओं को पुरुषों से कमतर दिखाने की बात कही-लिखी गई उसको लिखने वाले नर थे । सबकुछ अपने मन जैसा लिखा, जो अच्छा लगा वह लिखा । एक शब्द है "मान्यता" है । 'बहुत पुरानी मान्यता है' कहा जाता है । ये कैसी मान्यताएं थी जब औरत को बेचा जाता था, जुए के दाव पर लगाया जाता था, बिन बताए गर्भवती को घर से निकाला जाता था, उस पर मसाण लगाया जाता था, उसे लड़की पैदा करने वाली कुलच्छिनी कहा जाता था, उससे सती -जौहर करवाया जाता था और उसे मुँह खोलने से मना किया जाता था । महिला ने कभी विरोध नहीं किया । चुपचाप सुनते रही और सहते रही ।

       अब हम वर्तमान  में जी रहे हैं । अब सामंती राज नहीं, प्रजातंत्र है । 74% महिलाएं शिक्षित हैं । श्रध्दा के साथ किसी भी पूजालाय जाइये, श्रृद्धा प्रकट करिए, नेट विमान चलाइये, जज बनिए, वकील बनिए, चिकित्सक बनिए, शिक्षक/ लेखक/साहित्यकार बनिए, मुख्यमंत्री बनिए,  स्पीकर बनिये, प्रधानमंत्री बनिए, राष्ट्रपति बनिये और बछेंद्री की तरह ऐवरेस्ट पर चढ़िये । देश के लिए ओलंपिक से पदक लाइए । किसी भी क्षेत्र में अब महिलाएं पुरुषों से पीछे नहीं हैं।  आज देश में हमारा संविधान है जिसके अनुसार हम सब बराबर हैं । जयहिंद के साथ सभी सीना तान कर आगे बढ़िए । जय हिन्द की नारी । 

पूरन चन्द्र काण्डपाल


22.10.2021


Wednesday 20 October 2021

Hamari bhasha : हमरि भाषा

खरी खरी -947 : आपणि भाषा में बलौ !

(के खबर न्हैति ?)

दुनिय आपणि भाषा
में बात करीं
हमूकैं शरम लागैं रै,

उत्तराखंडी भाषा
नि बलै बेर हमरि
पछ्याण हरां रै,

तुम दुनिय कि
क्वे लै भाषा सिखो
पर आपणि नि भुलो,

गर्व क साथ कौ कि
हमरि भाषा लै फलो-फूलो,

बलाण -च्वलाण में मिठि
पढ़ण-लेखण में सादि,
आंखरों क लै
के ट्वट न्हैति,

हाम आपणि भाषा में
किलै नि बलां राय
मिकैं के खबर न्हैति ?

पूरन चन्द्र काण्डपाल
21.10.2021

Tuesday 19 October 2021

Pudiya mein jahar ,: पुड़िया में जहर

बिरखांत - 407 : (संस्मरण 9)  पुड़िया में जहर

            अखिल भारतीय स्वतंत्र लेखक समूह में रहकर देश हित में निष्पक्ष कलम चला रहा हूं | स्वास्थ्य शिक्षक होने के नाते कई वर्षों से नशामुक्ति से भी जुड़ा हूं और सैकड़ों लोगों को शराब, धूम्रपान, खैनी, गुट्का, तम्बाकू, मिथ और अन्धविश्वास से छुटकारा दिलाने में मदद कर चुका हूं | एक टी वी चैनल पर मैंने इस बात को स्वीकारा है कि प्रत्येक व्यक्ति अपने तरीके से भी किसी नशा-ग्रसित को नशामुक्त करने में मदद कर  सकता है | इसमें क्रोध नहीं विनम्रता की जरूरत है | नशेड़ी नशे के दुष्प्रभाव से अनभिज्ञ होता है | जिस दिन वह इसके घातक परिणाम को समझ जाएगा, वह नशा छोड़ देगा | 

      कोई भी नशा हम मजाक- मजाक में दोस्तों से सीखते हैं फिर खरीद कर सेवन करने लगते हैं | अपना धन फूक कर स्वास्थ्य को जलाते हुए कैंसर जैसे लाइलाज रोग के शिकार हो जाते हैं | यदि आप किसी प्रकार का नशा कर रहे हैं तो इसे तुरंत छोड़ें | अपने मनोबल को ललकारें और जेब में रखे हुए नशे को बाहर फैंक दें | वर्ष 2004 में मेरी कविता संग्रह ‘स्मृति लहर’ लोकार्पित हुई | जनहित में जुड़ी देश की कई महिलाएं हमें प्रेरित करती हैं | ऐसी ही पांच प्रेरक महिलाओं – इंदिरा गांधी, मदर टेरेसा, किरन बेदी, बचेंद्री पाल और पी टी उषा पर इस पुस्तक में कविताएं हैं | 

      पुस्तक भेंट करने जब में डा. किरन बेदी के पास झड़ोदाकलां दिल्ली पहुंचा तो उन्होंने बड़े आदर से पुस्तक स्वीकार करते हुए मुझे नव- ज्योति नशामुक्ति केंद्र सरायरोहिला दिल्ली में स्वैच्छिक सेवा की सलाह दी | मैं कुछ महीने तक सायं पांच बजे के बाद इस केंद्र में जाते रहा | मेडिकल कालेज पूने की तरह यहां भी बहुत कुछ देखा, सीखा और किया भी | आज भी मैं हाथ में तम्बाकू मलते या धूम्रपान करते अथवा गुट्का खाते हुए राह चलते व्यक्ति से सभी प्रकार के नशे छोड़ने पर किसी न किसी बहाने दो बातें कर ही लेता हूं |

       9 अगस्त 2015 को निगमबोध घाट दिल्ली के नजदीक कश्मीरीगेट, यमुना बाजार, हनुमान मंदिर पर नशेड़ियों से नशा छोड़ने की अपील करने एक महिला नेता पहुँची जिनके सिर पर किसी ने पत्थर मार दिया | बहुत दुःख हुआ | जनहित में मुंह खोलने वाले को असामाजिक तत्व निशाना बना देते हैं यह नईं बात नहीं है | आज भी पूरी दिल्ली में पाउच बदल कर जर्दा- गुट्का, तम्बाकू अवैध रूप से बिक रहा है | 

       कानूनों के धज्जियां उड़ते देख भी बहुत दुःख होता  है | इसका जिम्मेदार कौन है ?  बुराई और असामाजिकता के विरोध में मुंह खोलने में जोखिम तो है | क्या जलजलों की डर से घर बनाना छोड़ दें ? क्या मुश्किलों की डर से मुस्कराना छोड़ दें ? मैं बिरखांत में किसी को सलाह (प्रवचन) देना नहीं चाहता बल्कि  समस्या को उकेर या उजागर  कर इसकी गंभीरता को समझाने  का प्रयास करता हूं | जिस दिन प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी नशा करने वाले या गुटका थूक कर गंदगी करने वाले को टोकेगा उस दिन से ही स्वच्छता का दीदार होने लगेगा ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल 

20.10.2021

Monday 18 October 2021

Shabd : शब्द

खरी खरी - 946 : शब्द

शब्द मुस्कराहट जगा देते हैं


शब्द कड़वाहट भी बड़ा देते हैं,


दिल जो दिखाई नहीं देता


शब्द उसकी बनावट भी बता देते हैं ।

कुछ शब्द कहे नहीं जाते


कुछ शब्द सहे नहीं जाते,


शब्दों के तीर से बने घाव


जीवन में भरे नहीं जाते ।

शब्द दुखड़े भी बांट देते हैं


शब्द खाई भी पाट देते हैं,


शब्दों के धारदार खंजर


उलझी हुई जंजीर काट देते हैं ।

शब्द मिठास भी भर देते हैं


शब्द निरास भी कर देते हैं,


मन में छिपे हुए तूफ़ान की


प्रकट भड़ांस भी कर देते हैं ।

शब्द से अमृत भी बरसता है


शब्द से जहर भी उफनता है,


अपशब्द से घटा जो घिरती है


हर तरफ कहर ही बरपता है ।

शब्द को जो पहले तोलता है


तोल के मुंह जो खोलता है,


मिटे द्वेष द्वंद घृणा ईर्ष्या


कूक कोयल सी मिठास घोल देता है ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल


19.10.2021


Sunday 17 October 2021

patakhe aur bachche : पटाखे और बच्चे

खरी खरी - 945 : बच्चों का स्वास्थ्य बड़ा है या पटाखे ? 

     जब से राजधानी दिल्ली में दीपावली के अवसर पर पटाखों पर उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रतिबंध लगा है कुछ लोग धर्म -सम्प्रदाय के नाम से चिल्लापौं करने लगे हैं । बढ़ते प्रदूषण को देख कर पटाखों पर न्यायालय ने जनहित को देखते हुए यह प्रतिबंध लगाया । निहित स्वार्थ से ग्रसित लोग कई प्रकार के ऊलजलूल तर्क देकर पटाखे जलाने के पक्ष में हैं ।

     चिकित्सा वैज्ञानिकों के अनुसार पटाखों का एक दिन का प्रदूषण बहुत खतरनाक होता है जो पूरे वर्ष तक हमारे फेफड़ों में जमा रहता है । हमारे गुलाबी फेफड़े पटाखों के जहरीले धुंए से काले हो जाते हैं और श्वसन प्रक्रिया में शिथिल या कमजोर पड़ जाते हैं । दीपावली का यह जहरीला धुंआ साल भर तक नहीं मिटता । इस जहर से अल्जाइमर, एपिलेप्सी, दमा जैसे कई रोग पनपने लगते हैं । तेज शोर से माइग्रेन और आंख- कान - गले के कई रोग होने लगते हैं । गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी इस शोर और जहर का असर पड़ता है ।

     अतः लोगों को इस जहर को उगलने वाले पटाखों को स्वेच्छा से त्यागना चाहिए । दीवाली की रात हवा आम दिनों के बजाय नौ गुना प्रदूषित हो जाती है । हमें न्यायालय के आदेश के बावजूद भी स्वेच्छा से यह प्रतिज्ञा करनी चाहिए कि हम अपने बच्चों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ नहीं करेंगे और एक भी पटाखा नहीं जलाएंगे । यदि हम अब भी नहीं चेते तो हमें बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी । 

     हम सिरोमनि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का आभार प्रकट करते हैं जिन्होंने कुछ वर्ष पहले स्वेच्छा से जन अपील की है कि दीपावली और गुरुपूरब पर पटाखे नहीं जलाएंगे । उन्होंने किसी कानून की प्रतीक्षा नहीं की । इसी तरह हम सब एक -दूसरे से अपील करें कि हम अपने बच्चों के खातिर पटाखों की जगह दीप जलाकर दीपावली के पवित्र त्यौहार को मनाएं ।

पूरन चन्द्र कांडपाल


18.10.2021