खरी खरी - 43 : क्यों खेती छोड़ रहे हैं किसान ?
हमारे लिए अन्न का निवाला पैदा करने वाला किसान अपनी फसल का सही मूल्य नहीं मिलने, फसल का समय पर क्रय नहीं होने और साहूकार का ऋण नहीं चुकाने से दुखित होकर या तो आत्महत्या कर रहा है या धीरे- धीरे खेती छोड़ रहा है । आत्महत्या अच्छी बात नहीं है फिर भी यह सिलसिला थम नहीं रहा । वर्ष 2009 से 2013 के इन 5 वर्षों में लगभग सत्तर हजार से अधिक किसान खेती से जुड़ी समस्याओं और ऋण नहीं चुका सकने के कारण आत्महत्या कर चुके हैं । 5 राज्यों- महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में किसान आत्महत्या दर अधिक है ।
उपज का न्यूनतम मूल्य नहीं मिलने, फसल का क्रय न होने और भंडारण सुविधा नहीं होने के कारण हर रोज लगभग ढाई हजार किसान खेती छोड़ने पर मजबूर हैं । विशेषज्ञों के अनुसार 2007 से 2012 के बीच लगभग 3.2 करोड़ गांव वाले जिसमें किसान अधिक हैं, गांव छोड़कर शहरों की ओर पलायन कर चुके हैं जिनमें अधिकांश ने अपनी जमीन और घर-बार भी बेच दिया है ।
वर्तमान में देश के किसान की प्रतिमाह औसत आय मात्र एक हजार छै सौ रुपए है । किसान की आमदनी तो दूर उसकी फसल की लागत भी नहीं मिलने से उसका जीवन यापन मुश्किल हो रहा है । केंद्र और राज्य सरकारों को इस गम्भीर समस्या के निवारण पर शीघ्र कदम उठाना चाहिए । यदि कहीं बम्पर फसल होती है तो उसके खरीदने का तुरंत उचित प्रबन्ध होना चाहिए अन्यथा वह दिन दूर नहीं जब किसान निराश होकर खेती करने से सन्यास न ले ले ।
पूरन चन्द्र काण्डपाल
04.07.2017
हमारे लिए अन्न का निवाला पैदा करने वाला किसान अपनी फसल का सही मूल्य नहीं मिलने, फसल का समय पर क्रय नहीं होने और साहूकार का ऋण नहीं चुकाने से दुखित होकर या तो आत्महत्या कर रहा है या धीरे- धीरे खेती छोड़ रहा है । आत्महत्या अच्छी बात नहीं है फिर भी यह सिलसिला थम नहीं रहा । वर्ष 2009 से 2013 के इन 5 वर्षों में लगभग सत्तर हजार से अधिक किसान खेती से जुड़ी समस्याओं और ऋण नहीं चुका सकने के कारण आत्महत्या कर चुके हैं । 5 राज्यों- महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में किसान आत्महत्या दर अधिक है ।
उपज का न्यूनतम मूल्य नहीं मिलने, फसल का क्रय न होने और भंडारण सुविधा नहीं होने के कारण हर रोज लगभग ढाई हजार किसान खेती छोड़ने पर मजबूर हैं । विशेषज्ञों के अनुसार 2007 से 2012 के बीच लगभग 3.2 करोड़ गांव वाले जिसमें किसान अधिक हैं, गांव छोड़कर शहरों की ओर पलायन कर चुके हैं जिनमें अधिकांश ने अपनी जमीन और घर-बार भी बेच दिया है ।
वर्तमान में देश के किसान की प्रतिमाह औसत आय मात्र एक हजार छै सौ रुपए है । किसान की आमदनी तो दूर उसकी फसल की लागत भी नहीं मिलने से उसका जीवन यापन मुश्किल हो रहा है । केंद्र और राज्य सरकारों को इस गम्भीर समस्या के निवारण पर शीघ्र कदम उठाना चाहिए । यदि कहीं बम्पर फसल होती है तो उसके खरीदने का तुरंत उचित प्रबन्ध होना चाहिए अन्यथा वह दिन दूर नहीं जब किसान निराश होकर खेती करने से सन्यास न ले ले ।
पूरन चन्द्र काण्डपाल
04.07.2017
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