मीठी मीठी - 13 : सफाई कर्मी से टी सी
यदि मनुष्य ठान ले और लगन, ईमानदारी और साहस के साथ परिश्रम करे तो वह सफलता के मुकाम को देर-सबेर जरूर छू सकता है । इस बात को सिद्ध किया है रेलवे के एक युवा सफाई कर्मचारी ने टी सी (टिकट कलक्टर) बन कर ।
एक गरीब युवा आर्ट से ग्रेजुएसन करने के बाद घर की परिस्थिति खराब होने के कारण रेलवे में बतौर सफाई कर्मी भर्त्ती हो गया । वह लगातार चार वर्ष तक ईमानदारी से बेझिझक पहले मुरैना और बाद में डबरा रेलवे स्टेसन की सफाई करते हुए कड़ी मेहनत से नियमित परीक्षा की तैयारी भी करता रहा । उत्तर प्रदेश के बलिया का रहने वाले इस युवक राजू का वर्ष 2013 में रेलवे में सफाई कर्मचारी के रूप में चयन हुआ था । जून 2017 में राजू ने टी सी की विभागीय परीक्षा में 270 अभ्यर्थियों में झांसी मंडल में टौप किया ।
राजू के जीवन में टिकट कलक्टर बनते ही बदलाव आ गया । उसकी मेहनत रंग लायी । 'मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती' वाली बात सत्य हो गई । इस दृश्य से एक युक्ति याद आई-
"सुर्खरू होता है इंसां
ठोकरें खाने के बाद,
रंग लाती है हिना
पत्थर पै पिस जाने के बाद ।"
पूरन चन्द्र काण्डपाल
08.07.2017
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