Tuesday 30 April 2019

Majdoor diwas : मजदूर दिवस

खरी खरी - 421 : कितनी दारू ठीक रहेगी ?


        (देश की अधिकांश शराब की दुकानें और देशी ठेके मजदूरों की बदौलत ही गुलजार हैं । मजदूर दिवस पर मंथन करें कि आख़िर शराब पीने की मजबूरी क्या है ?)


    कुछ दिन पहले  सायँकालीन सैर के समय कुछ दारूबाज रोज की तरह पार्क में दारू गटकाते हुए मिल गए । ''सार्वजनिक स्थान पर यह प्रतिबंधित कर्म क्यों कर रहे हो ?'' कुछ हिम्मत के साथ जब यह सवाल पूछा तो बोले, "जाएं तो जाएं कहां ? घर में पी नहीं सकते, कार्यस्थल पर भी मनाही है और यहां सुनसान में आपको आपत्ति है ?" "पीते ही क्यों हो ? दारू अच्छी चीज नहीं है । स्वास्थ्य, धन, सम्मान, घर -परिवार सब बरबादी ही बरबादी होती है दारू से ।" बहुत देर तक बहस हुई । वे सवा सेर मैं मात्र छटांग भर । अंत में एक बोला, "सर आप हमारे भले के लिए कह रहे हैं , छोड़ने की कोशिश करेंगे ।" दूसरा बोला, "सर कम से कम कितनी दारू ठीक रहेगी ? कई डाक्टर -वैद्य भी तो पीते हैं ।"


      मैंने पुलिस नहीं बुलाई क्योंकि ऐसा करने से पुलिस लाभान्वित होती रही है । समझा कर हृदय परिवर्तन का लक्ष्य था सो समझाया' "शराब हर हाल में नुकसान दायक है । मैं आपको शराब छोड़ने के लिए ही कहूंगा ।" तीसरा बोला, "सर एक पैग तो चलेगा, ज्यादा ठीक नहीं ।" मैने कहा, "एक पैग के बाद ही अगला पैग लगाते हैं आप लोग । एक पैग के बाद बंद करो तब ना ।" वे सुनते रहे । छै लोग थे । बिना नमकीन के बोतल समापन की ओर थी । कुछ सुन रहे थे, कुछ मसमसा रहे थे और कुछ डौन हो चुके थे । मैंने उन्हें चार 'D' की बात समझायी और चला आया ।  


    क्या है ये चार 'D' ?  चार डी दारू के चार पैग की दास्तान है जिससे एक- एक कर चार पैग दारू पीने के परिणाम सामने आते हैं । एक पैग- Delighted खुश, दूसरा पैग- Dejected उदास,  तीसरा पैग- Devilish राक्षस और चौथा पैग - Dead drunk मृतप्राय लंबा लेट गया जमीन पर । चार पैग का क्रमशः अंजाम है खुश, उदास, राक्षस और मृत प्रायः । मुझे दूर तक उनकी आवाज सुन रही थी । एक कह रहा था, "भइ बात सही कह गया ये बंदा । अब दारू कम करनी पड़ेगी ।"


(आज 1 मई मजदूर दिवस है। सभी दारू पीने वाले मजदूरों को/मितुरों को इस उम्मीद के साथ शुभकामना  कि आपकी मजदूरी और स्वास्थ्य दोनों सकुशल रहेंगे यदि आप दारू छोड़ दें तो । दारू छोड़ना कोई असम्भव कार्य भी नहीं है । बस एक बार दृढ़ प्रतिज्ञ होकर ठान लीजिए । धन्यवाद ।)


पूरन चन्द्र काण्डपाल

01.05.2019


Monday 29 April 2019

SAboon alag alag dyaapt : सबूं क अलग अलग द्याप्त

खरी खरी - 420 : सबूं क अलग अलग दयाप्त

गौंनू में मंदिरों कि कमी न्हैति


फिर लै मंदिर बनूं रईं,


हर साल वां जै बेर


घंटी - बाकर चढूं रईं ।

वां सबूं के अलग- अलग


नईं -पुराण दयाप्त देखीं रईं,


क्वे कैहूं क्ये नि कान


एक-दुसरै नकल करैं रईं ।

घंटी कि जाग कैं इस्कूल हुणि


एक बाल्टी लै ऐ सकछी,


बोरिया चेथाड़ में भैटी नना हूँ


एक चटाई लै ऐ सकछी ।

गरीब नना हैं स्टेसनरी


बस्त वर्दी बनैन लै ऐ सकछी,


इस्कूलाक पुस्तकालय हूँ


थ्वाड़ भौत किताब लै ऐ सकछी ।


पूरन चन्द्र काण्डपाल

30.04.2019


Sunday 28 April 2019

Bilkis bano : बिलकिस बानो

खरी खरी - 419 : अंततः बिलकिस को मिला न्याय

(निर्भया को अभी तक नहीं मिला न्याय । )

          उच्चतम न्यायालय ने गुजरात में 2002 के दंगों के दौरान सामूहिक बलात्कार का शिकार हुई बिलकिस बानो को 50 लाख रुपये बतौर मुआवजा, नौकरी और आवास देने का आदेश  सुनाया है । सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को इस संबंध में आदेश दिया है ।  सर्वविदित है कि हिंसक भीड़ ने 5 महीने की गर्भवती बिलकिस बानों के साथ अहमदाबाद के पास रणधीकपुर गांव में 3 मार्च 2002 को सामूहिक बलात्कार किया था और उसके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या कर दी थी ।

      उच्चतम न्यायालय की पीठ को गुजरात सरकार ने सूचित किया कि इस मामले में दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा चुकी है । पीठ को यह भी बताया गया कि पुलिस अधिकारियों के पेंशन आदि लाभ रोक दिए गए हैं । इसी प्रकार बंबई उच्च न्यायालय ने दोषी आईपीएस अधिकारी की दो रैंक पदावनति कर दी है । बिलकिस बानो ने इससे पहले शीर्ष अदालत के समक्ष एक याचिका पर उन्हें पांच लाख रुपये मुआवजा देने की राज्य सरकार की पेशकश ठुकराते हुये ऐसा मुआवजा मांगा था, जो दूसरों के लिये नजीर बने ।

    शीर्ष अदालत ने इससे पहले गुजरात सरकार से कहा था कि बंबई उच्च न्यायालय द्वारा दोषी ठहराए गए आईपीएस अधिकारी सहित सभी दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ दो सप्ताह के भीतर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए । बिलकिस की वकील ने इससे पहले न्यायालय से कहा था कि राज्य सरकार ने दोषी ठहराए गए पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है ।

     बिलकिस की अधिवक्ता ने कोर्ट से यह भी कहा था कि गुजरात में सेवारत एक आईपीएस अधिकारी इस साल सेवानिवृत्त होने वाला है जबकि चार अन्य पहले ही सेवानिवृत्त हो चुके हैं और उनकी पेंशन समेत सेवानिवृत्ति संबंधी लाभ रोकने जैसी कार्रवाई भी नहीं की गई है । राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता तुषार मेहता ने सफाई देते हुए कहा था कि इन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही की जा रही है ।

     बिलकिस ने उसे मिले मुआवजे का एक हिस्सा साम्प्रदायिक हिंसा की शिकार महिलाओं को न्याय दिलाने और उनके बच्चों की पढ़ाई पर खर्च करने का संकल्प किया है । बिलकिस को भलेही न्याय पाने में 17 वर्ष लगे परन्तु उसने न्यायपालिका पर अंत तक भरोसा रखा । बिलकिस के केस से न्यायपालिका पर देश का भरोसा बहुत मजबूत हुआ है ।

(निर्भया को कब न्याय मिलेगा ? हे न्याय !!)

पूरन चन्द्र काण्डपाल
29.04.2019

Saturday 27 April 2019

Bhasha sikhlaaee : भाषा सिखलाई

मीठी मीठी - 268 : हमरि भाषाकि सिखलाई 

     बेई 27 अप्रैल 2019 अपराह्न हुणि मैट्रिक्स अकादेमी शालीमार गार्डन-II, साहिबाबाद, गाजियाबाद उ प्र में कुमाउनी -गढ़वाली कक्षाओंक कएक संस्थाओंल मिलि बेर आयोजन करौ । इनुमें मुख्य संस्था छी उत्तरांचल भ्रातृ समिति, "सृजन से'' पत्रिका, उत्तराखंड यूथ एसोसिएसन, हिमालय रिसोल्यूशन एन्हांसमेंट सोसाइटी आदि । द्विये कक्षाओं में करीब  25- 25 विद्यार्थी ऐ रौछी जनूल हमरि भाषा सिखण भल मन लगा । यूं कक्षाओं में कुमाउनी भाषाक अध्यापक पूरन चन्द्र काण्डपाल और गढ़वाली भाषाक अध्यापक लोकभाषा साहित्य मंच दिल्लीक संयोजक दिनेश ध्यानी ज्यू छी । 


      आयोजनक टैम पर सामाजिक कार्यकर्ता एवं आयोजक दलबीर सिंह रावत ज्यू, कैलाश पांडे ज्यू समेत उनरि टीमक कएक लोग एवं मातृशक्ति मौजूद छी । स्थानीय निगम पार्षद लै य मौक पर आईं । दिल्ली बै सामाजिक कार्यकर्ता नंदन सिंह रावत ज्यू और सुरेन्द्र सिंह हालसी ज्यू लै वाँ पुजि रौछी । यूं कक्षाओंक सूत्रधार नीरज बवाड़ी ज्यूल बता कि यूं कक्षा पुर मई महैंण तक  हर शनिवार और ऐतवार हुणि चलाल । उम्मीद छ संस्थाओंकि य सोच हमरि भाषाक संरक्षण में मददगार बनलि और हमार नान हमरि भाषा कैं जरूर सिखाल । शुभकामना ।


पूरन चन्द्र काण्डपाल

28.04.2019

Budakoti : बुड़ाकोटी

मीठी मीठी - 267 : स्मृति सभा में कवि-सम्मेलन एवं विचारगोष्ठी

     बेई 26 अप्रैल 2019 हुणि गढ़वाल भवन नई दिल्ली में महेश्वरी देवी कुलानंद बुडाकोटी स्मृति न्यास (पं) दिल्ली द्वारा दिवंगत कुलानंद बुड़ाकोटी ज्युकि 7उं पुण्यतिथि पर श्रद्वांजलि सभाक दौरान गैरसैंण एवं भाषा परिचर्चाक दगाड़ कुमाउनी- गढ़वाली कवि सम्मेलन आयोजित करिगो । परिचर्चा में मुख्य वक्ता छी सर्वश्री पत्रकार चारु तिवारी, देवसिंह रावत, ऐडवोकेट संजय शर्मा, पूरन चन्द्र काण्डपाल और नंदन सिंह रावत । काव्यपाठ में मुख्य कवि छी सर्वश्री ललित केशवान, पूरन चन्द्र काण्डपाल, दिनेश ध्यानी, रमेश हितैषी, ओपी आर्य, डा कालेश्वरी, चंदन प्रेमी, दर्शन सिंह रावत, डा केदारखंडी, नीरज बवाड़ी, संतोष जोशी, अनूप रावत, वीरेंद्र जुयाल, प्रदीप खुदेड सहित करीब द्वि दर्जन कवियोंल भाग ल्हे । सुश्री प्रेमा धोनी एवं करुणा भट्ट समेत कएक मातृशक्ति लै य मौक पर मौजूद छी ।

         कार्यक्रमक शुरुआत में दिवंगत बुड़ाकोटी ज्यू कैं विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करिगे । सबै वक्ता एवं कवियोंल आपणि भाषा कैं मान्यता दीण और राजधानी गैरसैण पुजूण कि बात जोरशोरल करी । मंच संचालन वरिष्ठ साहित्यकार दिनेश ध्यानी ज्यूल करौ । आयोजन में आई सबै लोगोंक न्यासक अध्यक्ष मनमोहन बुड़ाकोटी ज्यूल धन्यवाद दगाड़ आभार व्यक्त करौ ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
27.04.2019

Hemwatinandan bahuguna : हेमवतीनंदन बहुगुना

मीठी मीठी - 266 : हेमवती नन्दन बहुगुणा जयंती शताब्दी स्मरण

        बेई 25 अप्रैल 2019 हुणि मंदाकिनी अपार्टमेंट पीतमपुरा नई दिल्ली में गढ़वाल अध्ययन प्रतिष्ठान दिल्ली (अध्यक्ष श्री रमेश घिल्डियाल ज्यू) द्वारा उत्तराखंडक (तब उ प्र ) द्वि ता पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा ज्युकि शताब्दी जयंती मनाइगे । बहुगुणा ज्यूक जन्म 25 अप्रैल 1919 हुणि  गढ़वाल में हौछ । य मौक पर बहुगुणा ज्युकैं श्रद्धांजलि स्वरूप विचार गोष्ठी, कुमाउनी- गढ़वाली कवि सम्मेलन और गीत गायन हौछ ।

        वरिष्ठ साहित्यकार रमेश घिल्डियाल ज्यू द्वारा संचालित य आयोजन में प्रमुख कवि/वक्ता/गायक छी सर्वश्री पं ब्रह्मानंद कगड़ियाल, पूरन चन्द्र काण्डपाल, रमेश चन्द्र घिल्डियाल, दर्शन सिंह रावत, विजय शैलानी, गिरीश चन्द्र बिष्ट, प्रदीप वेदवाल, सुश्री कल्पेश्वरी नैनवाल, मीरा गैरौला, विजय शैलानी, किसन चंद शर्मा, एस एन नैनवाल, डा सुवर्ण रावत, ए पी बलौदी, गिरधारी रावत आदि । कार्यक्रम अध्यक्षता जगमोहन बहुगुणा ज्यूल करी ।

        पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा ज्यूक जयंती शताब्दी समारोह उत्तराखंड में लै राज्य स्तर पर हुण चैंछी जैक बार में के सूचना न्हैति जबकि उनरि च्येलि और च्यल सत्ताधारी दल में छीं । घिल्डियाल ज्यूक अनुसार यस किस्मक आयोजन दिल्ली में लै मात्र द्वि जाग हौछ । बहुआयामी व्यक्तित्व सम्पन्न बहुगुणा ज्यू कैं विनम्र श्रद्धांजलि ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
26.04.2019

Wednesday 24 April 2019

Betaalghaat-Ramnagar : बेतालघट - रामनगर

बिरखांत - 261: उत्तराखंड में यात्री बसों की दशा -बेतालघाट से रामनगर का दृश्य

       बेतालघाट विकास समिति के संयोजक श्री सुरेन्द्र सिंह हालसी जी के निमंत्रण पर तीन दिन ( 19, 20 और 21 अप्रैल 2019 ) के बेतालघाट महोत्सव में सम्मिलित होने का अवसर मिला । कुमाउनी कवि- सम्मेलन की समाप्ति पर मैं 20 अप्रैल 2019 को दिन के ढाई बजे बेतालघाट से के एम ओ यू की बस में बैठकर रामनगर के लिए चल पड़ा ।  बेतालघाट से बस ठीक समय पर चली । कुछ दूर पहुंचते ही इस 28 सीटर बस में भीड़ होने लगी । बस के अंदर यात्री खड़े थे फिर भी भीड़ आते जा रही थी ।

       बस का कंडक्टर बिना टिकट दिए किराया ले रहा था । आधे घंटे के बाद बस में तिल रखने को जगह नहीं थी । कुछ लोग छत में भी बैठे थे । इतने में कंडक्टर ने एक महिला को अगले मोड़ पर बस में प्रवेश दिलाया जिसके पास गैस के भरे हुए 14.2 kg वाले दो सिलिंडर थे । ज्योंही सिलिंडर अंदर रखे मैंने चालक से बस रोकने के लिए कहा । मैंने उसे समझाया कि यह गलत कार्य मत करो, यदि सिलिंडर लीक हो गए तो कोई नहीं बचेगा । सिलिंडर की मालकिन रोने लगी कि मैं सुबह से बस के इंतजार में थी । आप इन्हें मत रोकिए । ये लोग तो हमेशा ही बस में सिलिंडर ले जाते हैं । खचाखच भरी बस में मेरा साथ किसी ने नहीं दिया । अंत में दोनों सिलिंडर को मेरी विनती पर बस की छत में बांध कर रखा गया जिन्हें इनकी मालकिन के साथ गंतव्य गांव के पास उतार दिया गया ।  बस 57 किलोमीटर की दूरी साढ़े तीन घंटे में तय कर  सायं 6 बजे रामनगर बस स्टेसन पर पहुंच गई  । रामनगर में चालक -परिचालक मुझे ऐसे देख रहे थे जैसे मैं एक जघन्य अपराधी हूँ ।

        इस बस पर ये शब्द लिखे थे :- 'जय ग्वेल देवता नमः, जय ईष्ट देवता, जय गर्जिया माता, भाग्य लक्ष्मी ।' जब हम इस तरह 28 सीटर बस में इन पहाड़ी सर्पीली सड़कों पर 50 लोगों को बैठाएंगे तो दुर्घटना तो होगी । ऐसे में जिन देवताओं के नाम बस में लिखे थे लोग उन्हें भी नहीं बख्शते । भगवान क्या करेंगे जब हम खुद जानबूझ कर गलतियां कर रहे हैं । उत्तराखंड में जीप, टैक्सी, बस आदि में दुर्घटना का यही मुख्य कारण है । ओवर लोडिंग करो, खूब कमाओ फिर शराब पिओ और निर्दोषों को बेमौत मारो ।

     राज्य सरकार सब जानती है, देखती है परन्तु जान कर भी अनजान बनी रहती है । कोई पूछने वाला नहीं । पिछले नवम्बर में अल्मोड़ा से हल्द्वानी आने का जीप वालों ने डबल किराया लिया और ओवर लोडिंग भी करी । तब भी मैंने उस मुद्दे को उठाया था जो कूर्मांचल अखबार में छपा भी था । लोग उत्तराखंड आते हैं लेकिन परिवहन व्यवस्था के शोषण का शिकार बनते हैं । ऐसे में राज्य के पर्यटन संचालन के सुप्त तंत्र को लोग दुःखित होकर कोसते हुए चले जाते हैं । क्या कहें, किससे कहें ?  जय देवभूमि, जय शहीद भूमि, जय वीरभूमि, जय उत्तराखंड, जय भारत । जयहिन्द ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
25.04.2019

Janhit sarvopari : जनहित सर्वोपरि

मीठी -मीठी -265 : जनहित ही सर्वोपरि

   खरी -खरी तो लगातार कह ही रहा हूं । संग में मीठी-मीठी भी गतिमान है  । 24 अप्रैल 2017 को जब देश की आंखें सुकमा में जान देने वाले 25 शहीदों के लिए नम हो रहीं थीं , उसी दिन एक पूर्व नियोजित कार्यक्रम के अनुसार 101 गरीब जोड़े विवाह बंधन में बंध गए । इन 101 जोड़ों में 93 हिन्दू, 6 मुस्लिम,1 सिक्ख तथा 1 ईसाई समुदाय से थे ।

     गरीब परिवारों के हित किये गए इस सर्वप्रिय विवाह समारोह का आयोजन सहारा शहर लखनऊ में सहारा इंडिया परिवार द्वारा किया गया । वर्ष 2004 से आरंभ इस सामूहिक विवाह समारोह का यह 12वां आयोजन था जिसमें तब तक 1212 जोड़े विवाह बंधन में बंध गये थे । इन सभी जोड़ों को गणमान्य लोगों ने आशीर्वाद दिया एवं गृहस्थी की बुनियादी वस्तुएं भेंट की गईं ।

    कई लोग समाज में कई तरह के कार्य करते हैं जिनमें जनहित के बजाय आडम्बर, पाखंड, अंधविश्वास, रूढ़िवाद, ढकोसला और दिखावा अधिक होता है ।  ऐसे कृत्यों से दूर रह कर जनहित - देशहित  के कार्यों में योगदान देना ही समाजोपयोगी कार्य कहा जायेगा । जल-स्रोतों का संरक्षण - स्वच्छता और पौध रोपण कर धरा का श्रंगार करना भी सर्वोत्तम कर्म है । सहारा इंडिया एवं इसी तरह की सोच रखने वालों को दिल से साधुवाद ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
24.04.2019

Monday 22 April 2019

Prithwi diwas : पृथ्वी दिवस

खरी खरी - 418 : पृथ्वी दिवस 22 अप्रैल

      अमेरिका के सीनेटर गेलार्ड नेल्सन के प्रयासों से 1970 से लगातार पिछले 49 वर्षों से प्रतिवर्ष 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस मनाया जाता है । इस दिन दिनोदिन पृथ्वी की बिगड़ती दशा की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित किया जाता है क्योंकि इस दौरान प्रदूषण बढ़ता ही गया और जलवायु परिवर्तन से संकट गहराता गया । आज विश्व का औसत तापमान 1.5 डिग्री से.बढ़ गया है और हमारी राजधानी तो अप्रैल में ही 40 डिग्री से. तापमान पार कर गई है ।

     हम न जल बचा रहे हैं और न जंगल । हर साल वनमहोत्सव में रोपित अधिकांश पौधे देखभाल नहीं होने के कारण समाप्त हो जाते हैं । हम में से कई लोग रोज सूर्य को जल चढ़ाते हैं जिससे करोड़ों लीटर जल बह कर बर्बाद होता है । यदि यह जल नीचे न गिरा कर  किसी पौधे के ऊपर डाला जाए तो सूर्य को भी चढ़ जाएगा और पौधा भी जीवित रहेगा । इतना सा काम यदि हम नहीं कर सके तो फिर कागज में पृथ्वी दिवस मनाने का कोई औचित्य नहीं है ।

     इसी तरह जहां शवदाह के लिए CNG या विद्युत प्लांट बने हैं वहाँ शवदाह लकड़ी में नहीं होना चाहिए । दिल्ली के निगम बोधघाट पर सब यमुना को मैली करते हैं, प्रदूषण फैलाते हैं जबकि वहां 6 CNG प्लांट सही हालात में हैं । पृथ्वी बचाने के लिए कई मिथ तोड़ने हैं और नई परंपरा अपनानी है तभी हम अपने बच्चों के लिए इस धरती को बचा पाएंगे और इसे हराभरा रख पाएंगे । पुरातन परम्पराओं को बचाने के बहाने पृथ्वी को बचाने की बात हम क्यों भूल रहे हैं ? जब पृथ्वी बचेगी तभी परम्पराएं भी बचेंगी ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
22.04.2019
पृथ्वी दिवस

Kaise ruke balatkaar ? : आखिर कैसे रुके बलात्कार ?

खरी खरी -417:  'आखिर कैसे रुके बलात्कार ?'

   कानून निर्णताओं से विनम्र सवाल है  कि दुष्कर्म की सजा पाए अपराधी क्यों फांसी पर लटकाए नहीं जाते ? 2012 के निर्भया कांड के चार आरोपी जिन्हें मृत्यु दंड दिया जा चुका है उन्हें कब फांसी होगी ?  न्याय को क्रियान्वित करने में देरी से दुष्कर्मियों के हौंसले बुलंद हैं । उन्हें डर नहीं है । रेप केस का निपटारा शीघ्रता से हो और अपराधी को शीघ्र मृत्युदंड मिले ।

     इस बीच देश में कठुआ, सूरत सहित कएक जगहों पर छोटी छोटी बच्चियों के साथ दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले मीडिया के द्वारा दिखाए-बताए गए । अब तो अखबार इन खबरों से भरे रहते हैं । कोई दिन ऐसा नहीं जब ये दिल दहला देने वाली खबरें नहीं छप रहीं हों । आज का सबसे बड़ा प्रश्न यही है कि इन नरपिशाचों पर लगाम कब लगेगी ? कुर्सी पर बैठे नीतिनियन्ताओं को इस विषय पर गंभीरता से मंथन करने की नितांत आवश्यकता है ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
22.04.2019

Betalghaat kavi sammelan : बेतालघाट कवि सम्मेलन

मीठी मीठी - 264 : बेतालघाट में पैल कुमाउनी कवि सम्मेलन

     20 अप्रैल 2019 हुणि बेतालेश्वर विकास समिति बेतालघाट द्वारा बेतालघाट मिनी स्टेडियम में पैल कुमाउनी कवि सम्मेलन आयोजित करिगो । य कवि सम्मेलन में जो आमंत्रित कवियोंल काव्यपाठ करौ उनमें छी सर्वश्री हेमंत बिष्ट ( नैनताल), शंकरदत्त जोशी (जैती-अल्माड़),  विनोद पंत (हरद्वार), प्रदीप उपाध्याय (हलद्वाणि), राजेन्द्र ढैला (काठगोदाम), नीरज बवाड़ी (फरीदाबाद) और पूरन चन्द्र काण्डपाल (दिल्ली ) । कवि सम्मेलनक काव्य पाठ कैं स्टेडियम में बैठी उपस्थित जनताक खूब समर्थन मिलौ । य सफल आयोजक लिजी मेला संयोजक श्री सुरेन्द्र सिंह हालसी ज्यू और उनरि पुरि टीम कैं भौत -भौत बधै और शुभकामना ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
21.04.2019

Betalghaat mahotsav : बेतालघाट महोत्सव

मीठी मीठी -263 : बेतालघाट महोत्सवक पैल दिन

          बेई 19 अप्रैल 2019 बेतालघाट महोत्सवक पैल दिन छी । रतै 9 बजी बेतालेश्वर मंदिर बटि कीर्तनक बाद नारी शक्ति द्वारा कलश यात्रा कोशी नदी बै पाणि ल्हीबेर बेतालघाट बजार होते हुए महोत्सव स्थल मिनी स्टेडियम पुजी । दिन में स्थानीय नानतिनों और महिलाओं द्वारा अनेक सांसस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करी गईं । ब्यावक टैम में राजेन्द्र सिंह चौहान ज्यू कि टीम द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करिगो । रचना प्रस्तुत करणियाँ में मुख्य छी वरिष्ठ लोकगायक हीरा सिंह राणा ज्यू, सु.कौशल पांडे, सु. आशा नेगी, प्रकाश कहला, वीरेश भारती और पनीराम ज्यू । अपार जन समूहक बीच आयोजन संयोजक सुरेंदर सिंह हालसी ज्युकि पुरि टीमक अथक प्रयासल कार्यक्रम भौत सफल रौछ ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
20.04.2019

Balatkariyon ko saja : बलात्कारियों को सजा

खरी खरी - 416 : बलात्कारियों को सजा क्यों नही ?

   कानून नियंताओं से विनम्र सवाल है कि दुष्कर्म की सजा पाए अपराधी क्यों फांसी पर लटकाए नहीं जाते ? 2012 के निर्भया कांड के चार आरोपी जिन्हें मृत्यु दंड दिया जा चुका है उन्हें कब फांसी होगी ?  न्याय को क्रियान्वित करने में देरी से दुष्कर्मियों के हौंसले बुलंद हैं । उन्हें डर नहीं है । रेप केस का निपटारा शीघ्रता से हो और अपराधियों को शीघ्र मृत्युदंड मिले ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
19.04.2019

Sena ka dil se sammaan : सेना का दिल से सम्मान

बिरखांत- 260 : सेना का दिल से सम्मान

     अक्सर कुछ अलगाववादी और असामाजिक तत्व जानबूझ कर हमेशा ही हमारी सेना को बदनाम करने की फिराक में रहते हैं ताकि सेना का मनोबल टूटे | हमारी अनुशासित सेना का मनोबल इनके षड्यंत्र से कभी भी नहीं गिरेगा | हमारी लाडली सेना से हमें बहुत उम्मीद है | वह राष्ट्र की सीमाओं की रक्षा तो करती है, हमें अन्य गर्दिशों जैसे सूखा, बाड़, भूकंप, दंगे जैसी मुश्किलों में भी मदद करती है | बर्फीला सियाचीन हो या थार का तप्त मरुस्थल, नेफा- लेह- लद्दाख हो या रण-कच्छ का दलदल | पूरब-पश्चिम, उत्तर-दक्षिण सहित देश की दशों दिशाओं में सेना का निरंतर पहरा रहता है जिससे हमारा देश सुरक्षित है ।

     अपने प्राणों को न्यौछावर करके सेना अपना कर्तव्य निभाती है | तिरंगे में लिपट कर जब हम अपने कुछ शहीदों के पार्थिव शरीर देखते हैं तो उनकी वीरता और साहस पर नम आँखों से हमें गर्व होता है | तिरंगे में लिपटा हुआ वह वीर शहीद हम में से किसी का बेटा होता है या किसी का पिता और या किसी का पति | उसके अलविदा कह जाने से कोई अनाथ होता है या कोई विधवा होती है या किसी की कोख सूनी होती है परन्तु पूरा राष्ट्र उस शहीद परिवार के साथ होता है और शहीद परिवार को श्रद्धा से नमन करता है | हम अपने इन शहीद महामानवों को प्रणाम करते हैं, सलाम करते हैं और गर्व से सलूट करते हैं |

     हमारी सेना को बदनाम करने की साजिश कुछ असामाजिक तत्व दुर्भावनावश स्वतंत्रता के बाद से ही करते आये हैं | इन पंक्तियों के लेखक को अपने देश की सीमाओं पर कर्तव्य निभाने का अवसर प्राप्त हुआ है | पंजाब (1970-71), नागालैंड, मणिपुर, मीजोराम, मेघालय (1976-78) तथा जम्मू-कश्मीर (1982-83) आदि जगहों पर स्थानीय जनता के बीच रह कर इन क्षेत्रों को अच्छी तरह देखा है |

     जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर में कुछ उग्रवादी संगठनों के बहकावे में लोग सेना पर जानबूझ कर लांछन लगाते हैं और वहाँ से सेना को हटाने का षड्यंत्र रचते रहते हैं क्योंकि सेना के रहते उनकी नापाक हरकतें कामयाब नहीं होती | वर्ष 1958 से पूर्वोत्तर में तथा 1990 से जम्मू-कश्मीर में आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर ऐक्ट (आफ्सा) लगा है ताकि सेना को कर्तव्य निभाने में रुकावट न रहे | अलगाववादी तत्व इस ऐक्ट को हटाना चाहते हैं, इसी कारण वे सेना पर अक्सर कई तरह के घृणित लांछन लगाते रहते हैं और मानवाधिकार रक्षक संस्थाओं के पास जाने की धमकी भी देते रहते हैं |

     कुछ वर्ष पहले जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के हंदवाड़ा में अलगाववादियों ने सेना पर एक स्कूली छात्रा के साथ छेड़खानी करने का आरोप लगाया | छात्रा ने वीडियो जारी कर इस आरोप को सिरे से खारिज कर दिया और सेना पर लगे लांछन को स्थानीय असामाजिक तत्वों का षड्यंत्र बताया | इस बीच अलगाववादियों ने उपद्रव भी शुरू कर सेना के चौकी पर पथराव कर दिया | सेना को उन्हें तितर-बितर करने के लिए हवा में गोली चलानी पड़ी ।
         हमें सेना को बदनाम करने के लिए षड्यंत्रकारियों के नापाक मंसूबों को समझना पड़ेगा | हमारी सेना पर आरम्भ से ही दाग लगाने की साजिश चल रही है | भारत की सेना विश्व की सबसे अनुशासित सेनाओं में से एक है जिसका चरित्र और मनोबल बहुत ऊँचा है जिस पर इस प्रकार के अमानुषिक आरोप कुछ विकृत मानसिकता के लोग ही लगाते रहे हैं जो कभी भी सिद्ध नहीं हुए | हम अपनी सेना को दिल की गहराइयों से सलूट करते हैं |

पूरन चन्द्र काण्डपाल
18.04.2019