Tuesday 30 November 2021

Ye bajar mein naheen milte : ये बाजार में नहीं मिलते

खरी खरी - 970 : ये बाजार में नहीं मिलेंगे !

तुम्हारी कुंठा अहंकार ने


दूर रखा तुम्हें सदाचार से,


पैसे से यदि मिल जाएं तो


ये चीजें ले आना बाजार से ।

खुशी नींद भूख स्वास्थ्य


संतोष सुमति ले आना,


कुछ दुआ आशीर्वाद देशप्रेम


कुछ संस्कार संस्कृति ले आना ।

मित्रता दोस्ती स्नेह सभ्यता


रिश्तेदार घर परिवार पड़ोस ले आना,


थोड़ा ज्ञान थोड़ी मुस्कान


थोड़ा शिष्टाचार भी ले आना ।

खूब दौड़ -भाग कर लो


तुम ढूंढते रह जाओगे,


परंतु ये सभी वस्तुएं


किसी बाजार में न पाओगे ।

कोई कितना ही मोल देदे


ये बाजार में नहीं मिलते,


मानव संवेदना स्रोत इनका


ये किसी दुकान में नहीं बिकते ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल


01.12.2021


Monday 29 November 2021

Gharwai ki bhakti : Gharwaiकि भक्ति

खरी खरी - 969 : घरवाइकि भक्ति

भ्यार भलेही सबूं हैं


खूब बागै चार गुगौ,


घर आते ही भिजाई 


बिराउ जास बनि जौ ।

घरवाइक सामणि फन फन


नि करो, मुनव कनौ,


खांहूँ नि लै बनै सकना


भान तब लै चमकौ ।

साग-पात सौद पत्त ल्हीहूँ


उ दगै हमेशा बाजार जौ,


समान उ आफी ख़रीदलि


तुम चुपचाप झ्वल पकड़ि


वीक पिछाड़ि बै ठाड़ हैरौ ।

अगर चांछा हमेशा भलि भांत


चलो गृहस्थी कि गाड़ि,


तो टैम टैम पर ल्याते रौ


वीक मनकसि भलि भलि साड़ि। 

पूरन चन्द्र काण्डपाल


30.11.2021


Sunday 28 November 2021

Mobile gyaan : मोबाइल ज्ञान

खरी खरी - 968 : मोबाइल पर ज्ञान

हमने लोगों को मोबाइल पर
बड़े बड़े संदेश भेजते देखा,
सहिष्णुता की टी वी वार्ता में
बात बात पर लड़ते देखा ।

क्या वे उस पथ चलते होंगे
जिस पथ चल चल कहते होंगे,
ज्ञान बघारने वाले जन की
कथनी करनी में अंतर देखा ।

नशामुक्ति पर बोलते देखा
गुटका छोड़ो कहते देखा,
आंख बचाकर हमने उसको
मुंह में पुड़िया डालते देखा ।

शराब मत पियो कहते देखा
शराब से हानि गिनाते देखा,
जेब जब उसकी हमने पिड़ाई
उसकी जेब में पउवा देखा।

मास्क लगाओ बोलते देखा
मत भीड़ में जाओ कहते देखा,
बिना मास्क के बीच बजार की
सड़क में उसको घूमते देखा ।

चुनाव की रैली करते देखा
तिकड़म से भीड़ जुटाते देखा,
कोरोना के दौर को भूलकर
जीत का जश्न मनाते देखा ।

नेता को गिरगिट बनते देखा
घड़ियाली आंसू बहाते देखा
हमने आज तक किसी भी नेता को
नहीं अपने भाषण पर चलते देखा ।

पूरन चन्द्र कांडपाल
29.11.2021

Saturday 27 November 2021

Aabaara kutte : आबारा कुत्ते

खरी खरी - 967 : आबारा कुत्तों से परेशान हैं लोग

        देश के हर शहर में आबारा कुत्तों से लोग दुःखी हैं जिनकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है । एक समाचार के अनुसार देश में करोड़ों आबारा कुत्ते हैं और प्रतिवर्ष अठारह से बीस हजार लोग कुत्तों के काटने से रेबीज रोग के शिकार होते हैं जबकि कुत्तों के काटने के लगभग दो करोड़ केस होते हैं । यह भयावह स्तिथि महानगरों में अधिक है जिसका विवरण सरकारी और निजी अस्पतालों में देखा जा सकता है । विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार रेबीज एक जानलेवा बीमारी है। 

      स्थानीय निकाय आबारा कुत्तों की संख्या को रोकने में असहाय लगते हैं । श्वान बंध्याकरण निराशाजनक है तभी यह संख्या बढ़ रही है । अबारा कुत्तों को जहां-तहां पोषित किये जाने से भी इनकी संख्या बढ़ रही है । जिस व्यक्ति को कुत्ते ने काटा है वही जानता है कि उसे कितनी पीड़ा होती है और किस तरह उपचार कराना पड़ता है । समाज चाहे तो आबारा श्वान नियंत्रण में सहयोग कर सकता है । आबारा कुत्तों को भोजन देने से बेहतर है कुत्तों को घर में पाला जाए । इस विषय में किसी प्रकार के अंधविश्वास के भंवर में न पड़ा जाय । यह हमारी सामाजिक जिम्मेदारी है । अबारा कुत्ते तो गंदगी करते हैं, पालतू कुत्तों को भी श्वान मालिक बीच सड़क या किसी के भी घर के आगे बेझिझक शौच कराते हैं और मना करने पर 'तुझे देख लूंगा' की धमकी देते हैं । हम भारत माता की जय या वन्देमातरम तो बोलते हैं परन्तु इस भारत माता के प्रति अपनी जिम्मेदारी को नहीं समझते ।  

पूरन चन्द्र काण्डपाल


28.11.2021


Friday 26 November 2021

Anndata krishak : अन्नदाता कृषक

बिरखांत -414  : 'स्मृति लहर 2004 '


में अन्नदाता कृषक

      अन्नदाता कृषक की यह गाथा हम सबको जाननी चाहिए क्योंकि उसके परिश्रम पर ही हमारा जीवन निर्भर है । वायु और जल के बाद मनुष्य को उदर पूर्ति के लिए अन्न और तन ढकने के लिए वस्त्र की मूलभूत आवश्यकता है | यदि ये दोनों वस्तुएं नहीं होतीं तो शायद मनुष्य का अस्तित्व नहीं होता और यदि होता भी तो वह अकल्पनीय होता | 

    आज जब हम अन्न और वस्त्र का सेवन करते हैं तो हमारी मन में यह सोच तक नहीं आता कि ये अन्न के दाने हमारे लिए कौन पैदा कर रहा है, यह तन ढकने के लिए सूत कहां से आ रहा है ? यह सब हमें देता है कृषक | 

    कृषक वह तपस्वी है जो आठों पहर, हर ऋतु, मौसम, जलवायु को साधकर, हमारे लिए तप करता है, अन्न उगाता है और हमारी भूख मिटाता है | वह हमारा जीवन दाता है | मानवता ऋणी है उस अन्नदाता कृषक की जो केवल जीये जा रहा है तो औरों के लिए | अन्न के अम्बार लगा रहा है केवल हमारी उदर-अग्नि को शांत करने के लिए |

      कृषक के तप को देखकर अपनी पुस्तक‘स्मृति लहर (2004) में मैंने ‘अन्नदाता कृषक’ कविता के शीर्षक से कुछ शब्द पिरोयें हैं जिसके कुछ छंद देश में डीएवी स्कूल की कक्षा सात की ‘ज्ञान सागर’ पुस्तक से यहां उद्धृत हैं –

पौ फटते ही ज्यों मचाये 

विहंग डाल पर शोर,

शीतल मंद बयार जगाती 

चल उठ हो गई भोर |

कांधे रख हल चल पड़ा वह 

वृषभ सखा संग ले अपने,

जा पहुंचा निज कर्म क्षेत्र में 

प्रात: लालिमा से पहले|

 

परिश्रम मेरा दीन धरम है 

मंदिर हें मेरे खलिहान,

पूजा वन्दना खेत हैं मेरे 

माटी में पाऊं भगवान् |

तन धरती का बिछौना मेरा

ओढ़नी आकाश है,

अट्टालिका सा सुख पा जाऊं

छप्पर का अवास है|

हलधर तुझे यह पता नहीं है 

कार्य तू करता कितना महान,

तन ढकता, पशु- धन देता, 

उदर- पूर्ति, फल- पुष्प का दान |

कर्मभूमि के रण में संग हैं 

सुत बित बनिता और परिवार,

अन्न की बाल का दर्शन कर

पा जाता तू हर्ष अपार |

मानवता का तू है मसीहा 

सबकी भूख मिटाता है,

अवतारी तू इस मही पर 

परमेश्वर अन्नदाता है |

कृषक तेरी ऋणी रहेगी

सकल जगत की मानवता,

यदि न बोता अन्न बीज तू,

क्या मानव कहीं टिक पाता ?

जीवन अपना मिटा के देता 

है तू जीवन औरों को,

सुर संत सन्यासी गुरु सम,

है अराध्य तू इस जग को |

धन्य है तेरे पञ्च तत्व को 

जिससे रचा है तन तेरा,

नर रूप नारायण है तू 

तुझे नमन शत-शत मेरा |

 

पूरन चन्द्र काण्डपाल

27.11.2021

Thursday 25 November 2021

Samvidhan Diwas : संविधान दिवस

मीठी मीठी - 669 : संविधान दिवस 


      26 नवम्बर 1949 हुणि भारतक संविधान कैं संविधान सभाल स्वीकार करौ । संविधान लेखण में 2 साल 11 महैण 18 दिन लागीं । 'लगुल ' किताब बै संविधान दिवसक बार में एक लेख यां उद्धृत छ । सबूं कैं संविधान दिवस कि बधै और शुभकामना ।

पूरन चन्द्र कांडपाल

26.11.2021

Wednesday 24 November 2021

Gaali : गाली

बिरखांत -415 : अशिष्टता है गाली देना

    कुछ मित्रों को बुरा लगेगा और लगना भी चाहिए | अगर बुरा लगा तो शायद अंतःकरण से महसूस भी करेंगे | सोशल मीडिया में अशिष्टता, गाली और भौंडापन को हमने ‘अशोभनीय’ बताया तो कई मित्र अनेकों उदाहरण के साथ इस अपसंस्कृति के समर्थक बन गए | तर्क दिया गया कि रंगमंच में, होली में तथा कई अन्य जगह पर ये सब चलता है | चलता है तो चलाओ भाई | हम किसी को कैसे रोक सकते हैं | केवल अपनी बात ही तो कह सकते हैं | 

       दुनिया तो रंगमंच के कलाकारों, लेखकों, गीतकारों और गायकों को शिष्ट समझती है | उनसे सदैव ही संदेशात्मक शिष्ट कला की ही उम्मीद करती है, समाज सुधार की उम्मीद करती है | मेरे विचार से जो लोग इस तरह अशिष्टता का अपनी वाकपटुता या अनुचित तथ्यों से समर्थन करते हैं वे शायद शराब या किसी नशे में डूबी हुई हालात वालों की बात करते हैं अन्यथा गाली तो गाली है | 

     सड़क पर एक शराबी या सिरफिरा यदि गालियां देते हुए चला जाता है तो उसे स्त्री- पुरुष- बच्चे सभी सुनते हैं | वहाँ उससे कौन कैसे रोकेगा ? फिर भी रोकने वाले उसे रोकने का प्रयास करते हैं परन्तु मंच या सोशल मीडिया में तो यह सर्वथा अनुचित, अश्लील और अशिष्ट ही कहा जाएगा | क्या हमारे कलाकार या वक्ता किसी मंच से दर्शकों के सामने या घर में मां- बहन की गाली देते हैं ? यदि नहीं तो सोशल मीडिया पर भी यह नहीं होना चाहिए ।

     हास्य के नाम पर चुटकुलों में अक्सर अत्यधिक आपतिजनक या द्विअर्थी शब्दों का प्रयोग भी खूब हो रहा है, यह भी अशिष्ट है | अब जिस मित्र को भी हमारा तर्क ठीक नहीं लगता तो उनसे हम क्षमा ही मांगेंगे और कहेंगे कि आपको जो अच्छा लगे वही बोलो परन्तु अपने तर्क के बारे में अपने शुभेच्छुओं और परिजनों से भी पूछ लें | यदि सभी ने आपकी गाली या अशिष्टता का समर्थन किया है तो हमें जम कर, पानी पी पी कर गाली दें | हम आपकी गाली जरूर सुनेंगे क्योंकि जो अनुचित है उसे अनुचित कहने का गुनाह तो हमने किया ही है ।

     आजकल अनुचित का खुलकर विरोध नहीं किया जाता | लोग डरते हैं और मसमसाते हुए निकल लेते हैं | हम गाली का जबाब भी गाली से देने में विश्वास नहीं करते | कहा है - 

“गारी देई एक है, 

पलटी भई अनेक;

जो पलटू पलटे नहीं, 

रही एक की एक |”

     साथ ही हम मसमसाने में भी विश्वास नहीं करते -  

“मसमसै बेर क्ये नि हुन

 बेझिझक गिच खोलणी चैनी,

 अटकि रौ बाट में जो दव

 हिम्मत ल उकें फोड़णी चैनी |” 

(मसमसाने से कुछ नहीं होता, निडर होकर मुंह खोलने वाले चाहिए, रास्ते में जो चट्टान अटकी है उसे हिम्मत से फोड़ने वाले चाहिए) | इसी बहाने अकेले ही चट्टान तोड़कर सड़क बनाने वाले पद्मश्री दशरथ माझी का स्मरण भी कर लेते हैं ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल

25.11.2021

Tuesday 23 November 2021

Bachchon mein mobile lat : बच्चों में मोबाइल लत

खरी खरी - 966 : बच्चों में मोबाइल की लत

      मोबाइल फोन आज हमारी अभिन्न आवश्यकता बन गया है । हमने अपने स्वार्थ के कारण अपने बच्चों को मोबाइल का शिकार बना दिया है । आरम्भ से ही हम उसके मुंह में दूध की बोतल और हाथ पर मोबाइल थमा रहे हैं । अब बच्चे बिना मोबाइल हाथ में लिए खाना मुंह में नहीं डालने देते । अभिभावक बच्चों को मोबाइल गेम्स लगाकर खाना खिलाने लगे हैं । लगातार मोबाइल प्रयोग से बच्चों पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है । बच्चे बिना मोबाइल के रोने लगते हैं अर्थात वे मोबाइल की लत के शिकार हो गए हैं ।

      चिकित्सकों का कहना है कि मोबाइल से इलेक्ट्रोमैगनेटिक रेडीयेशन निकलता है जो बच्चों की त्वचा और मस्तिष्क एवम् तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है जिससे कई बार बच्चों को चक्कर आना, जी मिचलाना या उल्टी आना देखा गया है । नजर की कमजोरी और आंख की अन्य समस्या भी लगातार मोबाइल प्रयोग से आने लगी है ।

         मोबाइल जनित सभी समस्याओं का निदान है कि बच्चों को मोबाइल नहीं दिया जाय । बच्चों को दोस्तों के बीच  पार्क में खेलने का समय दिया जाय । उन्हें अन्य खिलौने भी दिए जा सकते हैं । अभिभावकों को भी बच्चों के सामने मोबाइल कम प्रयोग करना चाहिए जिससे उन्हें मोबाइल देखने को न मिले । यदि हमने अपनी भावी पीढ़ी को बचाना है, तंदुरुस्त रखना है, उनकी आंखें बचानी हैं, उनका मस्तिष्क बचाना है तो हमें उनके सामने मोबाइल प्रयोग नहीं करने का संकल्प लेना ही होगा । बड़े बच्चों को बहुत कम समय के लिए मोबाइल दिया जा सकता है । मोबाइल में गेम्स, कामेडी, मनोरंजन आदि बच्चों के लिए बहुत हानिकारक है । 

पूरन चन्द्र कांडपाल


24.11.2021


Monday 22 November 2021

Saampradayik ekta : सांप्रदायिक एकता

खरी खरी - 965 : देश में सांप्रदायिक एकता बहुत जरूरी 

     कुछ मित्र ताने मारते हुए मुझ से कहते हैं, 'कभी मुसलमानों के बारे में भी लिखो, क्यों हमेशा हिन्दुओं के पीछे पड़े रहते हो ?' मित्रो, ऐसा नहीं है । मैं हिन्दू से पहले हिंदुस्तानी या भारतीय हूं और मानवीय सरोकारों से वशीभूत होकर कुछ शब्द लिख देता हूं । चार दशक से कलमघसीटी हो रही है । जन- सरोकारों पर लिखते आ रहा हूं । हर विसंगति और विषमता तथा अंधविश्वास के विरोध में लिखता- बोलता हूं ।

 कबीर के दोनों दोहे याद हैं - 

पहला- 'पाथर पूजे हरि मिले, तो मैं पूजूं पहार; 

ता पर ये चाकी भली, पीस खाये संसार ।' 

दूसरा - 'कांकर-पाथर जोड़ के, मस्जिद लेई बनाय; 

ता पर मुल्ला बांघ दे, क्या बहरा हुआ खुदाय ।' 

मोको कहां ढूंढे रे बंदे भी याद है -

'ना तीरथ में ना मूरत में, ना काबा कैलाश में; 

ना मंदिर में ना मस्जिद में, ना एकांत निवास में ।' 

बच्चन साहब की मधुशाला भी कहती है-

"मुसलमान और हिन्दू हैं दो, एक मगर उनका हाला; एक है उनका मदिरालय एक ही है उनका प्याला; दोनों रहते एक न जब तक मंदिर -मस्जिद हैं जाते, बैर कराते मंदिर-मस्जिद मेल कराती मधुशाला ।"

     सभी संप्रदायों को देश और समाज के हित में एक-दूसरे का सम्मान करते हुए मध्यमार्ग से संयम के साथ चलना चाहिए । सत्य तो यह है कि स्वतंत्रता आंदोलन सबने मिलकर लड़ा और हिंदुस्तान का अंतिम बादशाह बहादुर शाह जफर कहता था, "हिंदियों में बू रहेगी जब तलक ईमान की, तख्ते लंदन तक चलेगी तेग हिंदुस्तान की ।" जब फिरंगियों को लगा कि हिंदुस्तान आजाद करना ही पड़ेगा तो उन्होंने हिन्दू -मुस्लिम एकता को भंग करने के कई षडयंत्र रचे और जाते -जाते अपने षड्यंत्र में सफल भी हो गए ।

      हमारे देश का एक संविधान है जो हमारा पग - पग पर मार्गदर्शन करता है जिसे सोच  -समझ कर 2 वर्ष 11 महीने और 18 दिन में संविधान निर्माण समिति द्वारा संविधान सभा के निर्देशन में लिखा गया । देश को स्वतंत्र हुए 74 वर्ष हो गए हैं और देश के दो मुख्य सम्प्रदायों की आपसी नफरत को बढ़ाने का षड्यंत्र आज भी जारी है । यदि यह नफरत प्यार में बदल जाएगी तो अमन-चैन के कई दुश्मनों की दुकानें बंद हो जाएंगी । फिर वे सियासत किस पर करेंगे ? ये लोग नफरत की आग जलाकर अपनी रोटी सेकते आये हैं और सेकते रहेंगे । सर्वोच्च न्यायालय का आभार जो 9 नवम्बर 2019 को सर्वसम्मति से देशहित में अयोध्या का केस सुलटाया । सियासत वाले अपनी दुकान से अब कुछ अन्य आइटम बेचने की सोचेंगे क्योंकि दुकान तो बंद होने से रही ।

     स्पष्ट करना चाहूंगा कि ईश्वर कभी भी पशु -बलि नहीं लेता और न अल्लाह ईद में पशु -कुर्बानी लेता है । धर्म और आस्था के नाम पर किसी पशु की कुर्बानी या बलि एक अमानुषिक कृत्य है । सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने के लिए नफरत का पुलाव पका कर नहीं बांटा जाय । जाति-धर्म- सम्प्रदाय की लड़ाई में हमें झोंक कर अपना उल्लू सीधा करने वालों से सावधान रहना ही वक्त की मांग है ताकि हम कम से कम अगली पीढ़ी को तो इस संक्रामक रोग से बचा सकें ।

पूरन चन्द्र कांडपाल

23.11.2021

Sunday 21 November 2021

Yamuna ka santaap : यमुना का संताप

खरी खरी - 964 : यमुना का संताप

स्वच्छ हुई नहीं
गंदगी बढ़ती गई,
पर्त कूड़े की तट
मेरे चढ़ती गई,
बढ़ा प्रदूषण रंग
काला पड़ गया,
जल सड़ा तट-तल
भी मेरा सड़ गया ।

व्यथित यमुना रोवे
अपने हाल पर,
पुकारे जन को
मेरा श्रृंगार कर,
टेम्स हुई स्वच्छ
हटा कूड़ा धंसा,
काश ! कोई तरसे
देख मेरी दशा ।

आह ! टेम्स जैसा
मेरा भाग्य कहां ?
उठी स्वच्छता की
गूंज संसद में वहां,
क्या कभी मेरे लिए
भी यहां खिलेगी धूप ?
कब मिलेगा मुझे
मेरा उजला स्वरूप ?

पूरन चन्द्र कांडपाल
22.11.2021

Saturday 20 November 2021

Vidroh ki himmat : विद्रोह कि हिम्मत

खरी खरी - 963 : कथां गे विद्रोह कि हिम्मत ?

मि पढ़ी लेखी छयूं

पहाड़ है भ्यार काम करैं रयूं,

पहाड़ में काम नि मिल 

भ्यार धाक- फच्चेक खां रयूं,

घर ऐ बेर गणतु-जगरियां क

चक्कर में ऐ जां रयूं,

उनार कूण पर मंदिरों में

बकार -मुर्ग काटें रयूं,

दुनिय में यस कैं नि हुन

जस पहाड़ में देखै रयूं,

काम य भौत गलत छ

भलीभांत समझण लै रयूं,

विद्रोह करण कि हिम्मत हरैगे

घुटि घुटि बेर मरैं रयूं ।

पूरन चन्द्र कांडपाल

21.11.2021

Friday 19 November 2021

Sikhkhon se seekh : सिक्खों से सीख

मीठी मीठी -668 : सिक्खों से सीख

         मैं एक भारतीय हूँ और सभी धर्मों का सम्मान करता हूँ परन्तु सिक्ख धर्म जिसकी स्थापना गुरु नानक देव जी (1468 - 1539 ) ने ई.1499  में की, हमें बहुत कुछ सिखाता है क्योंकि इसकी निम्न विशेषता है -

1. पूजा मूर्ति की नहीं बल्कि पवित्र पुस्तक 'गुरु ग्रंथ साहब' की होती है । शबद - कीर्तन में कानफोडू शोर नहीं होता ।

2. किसी तरह का आडम्बर -पाखंड नहीं है । शादी -विवाह अक्सर किसी भी रविवार को होती है ।

3. पाठी (पुजारी) किसी भी जाति का हो सकता है।

4. लंगर व्यवस्था निरंतर है । दान स्वेच्छा से दान पात्र में ।

5. कही भी आपदा होने पर सिक्खों को सबसे पहले पहुंचते देखा गया हैं । कोरोना काल में सिक्खों द्वारा की गई सेवा देश कभी नहीं भूलेगा।

6. राशि -कुंडली- अंधविश्वास, पशु बलि आदि कुछ भी नहीं ।

7. किसी गुरुद्वारे में मन्नत नहीं मांगी जाती । स्वच्छता का विशेष ध्यान होता है ।

8. सभी अन्य धर्मों का सम्मान सिखाया जाता है ।

9. प्रत्येक अमीर गरीब साथ बैठकर लंगर छकते हैं ।

10. कोई किसी भी गुरुद्वारे में निःशुल्क रैन-बसेरा कर सकता है ।

(पुनः संपादित -साभार सोसल मीडिया मित्र धीरज कुमार )

पूरन चन्द्र काण्डपाल
20.11.2021

Indira Gandhi Jayanti :इंदिरा गांधी जयंती

स्मृति- 666  : आज इंदिरा गांधी ज्यूक जन्मदिन

     देशकि तिसरि और पैल महिला प्रधानमंत्री, भारत रत्न श्रीमती इंदिरा गांधी ज्यूक आज 19 नवम्बर हुणि जन्मदिन छ । देश कैं प्रत्येक क्षेत्र में समृद्धशाली बनूण और देश कैं एकजुट धरण में उनर नाम सर्वोपरि छ । 1971 क भारत -पाक युद्ध में 93000 पाक सेनाल उनरै नेतृत्व में घुन टेकीं और दुनियक नक्स में बांग्लादेश बनौ । "लगुल" किताब में लै उनरि चर्चा छ । पुस्तक ''महामनखी" बटि उनार बार में मुणि एक नान लेख उधृत छ ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
19.11.2021

Wednesday 17 November 2021

Das samadyayen : दस समस्याएं

खरी खरी- 962 :  हमारी मुख्य दस मुख्य समस्याएं

      हमारे देश की कुछ ऐसी जटिल समस्याएं हैं जो हमें आज भी देश से हटने का नाम नहीं ले रही । आज हमें निम्न 10 प्रमुख समस्याओं से पग-पग पर जूझना पड़ रहा है । यह हमारी अपने पुरखों ( स्वतंत्रता सेनानियों ) को विनम्र श्रद्धांजलि होगी यदि हम इन समस्यओं को उखाड़ने के लिए प्रतिबद्ध हो जाएं और इनको उखाड़ फेंकने के लिए अपने हिस्से के कर्म का क्रियान्वयन करें  ताकि हम अपनी भावी पीढ़ी को एक सुदृढ़ भारत सौंप सकें -

1.भ्रष्टाचार का भष्मासुर

2.अन्धविश्वास की जंजीरे

3.नशे का दलदल

4.आतंकवाद का नासूर

5.अशिक्षा का अंधेरा

6.गंदगी और मैली नदियां

7.गरीबी की मार

8.सांप्रदायिकता का दंश

9. बढ़ती जनसंख्या

10. बच्चों में कुपोषण

     अन्य समस्याएं भी हैं परंतु वे सब इन 10 समस्याओं के काऱण ही हैं । यदि हमारे देश को उक्त प्रमुख 10 समस्याओं से मुक्ति मिल जाये तो हम शीघ्र ही विकसित देशों की सूची में शामिल हो सकते हैं । बातें तो सभी करते हैं परन्तु ईमानदारी से इन्हें मिटाने का कर्म नहीं होता । उम्मीद पर दुनिया कायम है । यदि हमारे नीति नियंता ईमानदारी से ठान लें तो ये समस्याएं समूल नष्ट हो सकती हैं ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
18.11.2021

Tuesday 16 November 2021

Motapa Madhumeh : मोटापा मधुमेह

बिरखांत-413 : मोटापा- मधुमेह- सूगर- डाइबिटीज

     14 नवम्बर को देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं जवाहरलाल नेहरू का जन्मदिन ‘बाल दिवस’ के रूप में मनाया गया | बच्चों के शोषण, कुपोषण, गुमशुदा, भिक्षावृति सहित नोबल पुरस्कृत कैलाश सत्यार्थी के ‘बचपन बचाओ’ आन्दोलन को भी कुछ लोगों ने याद किया | 14 नवम्बर ‘विश्व मधुमेह दिवस’ (वर्ष 1991 से ) भी मनाया जाता है | मधुमेह (डाइबिटीज) अर्थात खून में सूगर (ग्लूकोज) की अधिकता | यह एक ऐसी हालत है जब हमारे शरीर में ग्लूकोज (सूगर) ग्लाइकोजन (सूगर का वह रूप जो खून में होता है) में नहीं बदलने से वह सीधे खून और मूत्र में  बहने लगता है | पंक्रिया ग्रंथि से इन्सुलिन निकलता है जो इस बदलने के कार्य में सक्रीय रहता है | मधुमेह के रोगी को इसी कारण इन्सुलिन दिया जाता है |

     जब हम अधिक मीठा लगातार लेते रहेंगे तो हमारी इन्सुलिन सभी मीठे को ग्लाईकोजन में नहीं बदल सकती | इससे लीवर (कलेजा) के सभी कार्यों पर असर पड़ता है | विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हमारे देश में साड़े सात करोड़ लोगोंको मधुमेह है जिसमें चालीस वर्ष से कम उम्र के 15 % हैं | चीन, अमेरिका सहित पूरा विश्व इस रोग से परेशान है | प्रति वर्ष इस रोग से विश्व में 42 लाख से अधिक लोगों की मौत हो जाती है | इंडियन कौंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च द्वारा की गई “द इंडिया डाइबिटीज स्टडी” में पाया गया कि देश में 15.3 करोड़ आबादी मोटापे से पीड़ित है जो कि 1.3 अरब जनसंख्या का  13% है |  भारत में 7.2 करोड़ लोग मधुमेह से ग्रसित हैं तथा  25 वर्ष से कम उम्र के साठ प्रतिशत से भी अधिक युवा इस रोग से पीड़ित हैं। कोरोना ने भी मधुमेह के रोगियों को अधिक ग्रसित किया।   खान-पान और जीवन शैली जनित यह रोग किसी को भी हो सकता है और माता-पिता से बच्चों में भी जा सकता है |

     यदि आप इस रोग से बचना चाहते हैं तो अपने आहार पर नियंत्रण रखें, प्रतिदिन कम कम से कम 30 मिनट व्यायाम जरूर करें, सुबह पार्क के चक्कर लगाएं अन्यथा डाक्टर के चक्कर लगाने पड़ेंगे | आहार में घी- तेल -मक्खन- मीठा कम लें और मोटापे से बचें | कोल्ड ड्रिंक और जंकफ़ूड -पिजा, बर्गर, चिप्स, मोमोज, फ्राइड फूड्स आदि से बचें | दाल- दलिया- दूध और फल -हरी सब्जियां नियमित लें | बच्चों को ओवरवेट नहीं होने दें क्योंकि सभी रोगों की जड़ मोटापा है | मोटे पेट या कमरा बन गई कमर वाले व्यक्ति को ध्यान से देखें | क्या आप ऐसा बनना चाहेंगे ? निरोग रहना सबसे बड़ी उपलब्धि है | कृपया रोग से स्वयं को, मित्रों को, परिवार को बचाएं तभी भारत तंदुरुस्त रहेगा | अच्छे स्वास्थ्य की चर्चा खास कर अपने पति/पतनी और बच्चों से जरूर करें | किसी ने कहा है – एक न एक समा जला के रखिये, सुबह होने को है माहौल बना के रखिये |

पूरन चन्द्र कांडपाल
17.11.2021