कुमाउनी कविता : भुलीबेर निभुलनी :
पूरन चन्द्र काण्डपाल
भुलीबेर निभुलनी
आपणियां कि याद,
याद में बसिए रैजीं
जाग आपणी थात ।
प्योरोड़ी का फूला
पाणी भरी कूला
आमा डावां झूला
निमूवां ठूला ठूला ।
सुवाल पथाई
ब्या की रताई
ऐपण गड़ाई
पिछौड़ रंगवाई । भुलिबेर...
डबडबान नौला
पुराण कस्यर तौला
चौमासा का रौला
गीत - भगनौला ।
नौ पाटै घागरी
पाणी कि गागरी
बरयातै नांगरी
लगुल ठाँगरी । भुलीबेर...
पाउवै की आंठी
लासण की गांठी
घिंगारु की जांठी
बाकर की पाठी ।
कफुवै रणमणी
शिसुणै झणझणी
घामै चणचणी
बिन बातै गणगणी । भुलिबेर...
कौतिक कि भीड़
नानतिना क क्वीड़
लम्ब लम्ब चीड़
पलायनै पीड़ ।
गीदारों का गीत
बिनबाज क संगीत
पखोव कि रीत
निटुटणी प्रीत । भुलिबेर...
दिवाई का खीला
असोजै रामलीला
कौतक्यार रंगीला
नखार छबीला ।
दै-दूदा सिन्दूक
झट्यालू बंदूक
भदुवा - मिनूक
निमुव क चूक । भुलि...
भुलीबेर निभुलनी
आपणियां कि याद,
याद में बसिए रैजीं
जाग आपणी थात ।
पूरन चन्द्र काण्डपाल
11.07.2017
www.kandpal.blogspot.in
good
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