Sunday 30 July 2017

Aisee meree soch kahan ?ऐसी मेरी सोच कहां ?

खरी खरी - 55 : ऐसी मेरी सोच कहाँ ?

मंदिर- मस्जिद राम- द्वंद 
मुझे न जिंदा छोड़ेंगे,
राम- रहीम को एक मैं समझूं
ऐसी मेरी सोच कहां ?

हिन्दू मुस्लिम सिक्ख ईसाई
जैन पारसी बौद्ध बहाईं,
रक्त सभी का एक मैं जानूं
ऐसी मेरी सोच कहां ?

जप तप पूजा पाठ का राग
जीवन में अलापता  गया,
8कर्म को ही पूजा में जानू
ऐसी मेरी सोच कहां ?

रूढ़िवाद और अंधविश्वास के
सांकल में हूं जकड़ा गया,
काटूं सांकल मुक्ति पाऊं
ऐसी मेरी सोच कहां ?

शहीद हुए जो मातृभूमि पर
उनको तो में भूल गया,
स्मृति में उनके शीश झुकाऊं
ऐसी मेरी सोच कहां ?

खाली हाथ यहां आया अकेले
ऐसे ही मैं जाऊंगा,
जीवन चार दिनों का जानू
ऐसी मेरी सोच कहां ?

पूरन चन्द्र काण्डपाल
31.07.2017

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