Wednesday 31 March 2021

Pakshiyon ko dana : पक्षियों को दाना

बिरखांत – 364 : पक्षियों को दाना और पर्यावरण

     अक्सर लोग पक्षियों को दाना- पानी डाल कर पुण्य कमाने की बात करते हैं | प्रकृति का एक नियम है कि यहाँ सबके लिए प्राकृतिक तौर पर भोजन- पानी उपलब्ध है | चिड़िया किसी से कुछ नहीं मांगती, खुद अपने लिए दाना- दुनका चुग लेती है | बाज किसी से नहीं मांगता, अपना शिकार ढूंढ लेता है | चील, उल्लू, चमगादड़ से लेकर कबूतर, गौरैया और हमिंग बर्ड तक सब अपना- अपना भोजन ढूंढ ही लेते हैं | इनकी संख्या प्रकृति से ही संतुलित रहती है बसर्ते लोग इनका शिकार न करें | यदि कभी –गौरैया कम हुई है तो वह भोजन की कमी से नहीं बल्कि मनुष्य द्वारा दवा के नाम पर शिकार हुई है | गिद्ध कम हुए तो किसी ने मारे नहीं बल्कि दवाओं के जहर से मृत पशु को खाने से मर गए | केवल आपदा को छोड़कर कर कुदरत में संख्या संतुलन हमेशा बना रहता है |

     शहरों में विशेषतः महानगरों में कबूतरों को देखा- देखी दाना- पानी डालने की होड़ सी लग गयी है | फलस्वरूप इनकी संख्या तेजी से बढ़ गयी है | इतिहास में भलेही कबूतर कभी डाक पहुंचाने का काम करते होंगे परन्तु आज कबूतर मनुष्य को बीमारी फैला रहे हैं | इनसे प्यार- दुलार मनुष्य के लिए दुखदायी हो सकता है | कबूतरों द्वारा घरों के आस-पास डेरा जमाये जाने से लोग दमा, ऐलर्जी और सांस सम्बन्धी लगभग दर्जनों बीमारियों के चपेट में आ सकते हैं | कबूतर के बीट जिसमें से बहुत दुर्गन्ध आती है, और हवा में फ़ैली उनके सूक्ष्म पंखों (माइक्रोफीदर्स) से जानलेवा श्वसन बीमारियाँ हो सकती हैं |

     दिल्ली विश्वविद्यालय स्थित ‘पटेल चैस्ट इन्स्टीट्यूट दिल्ली’ के अनुसार कबूतर की बीट से ‘सेंसिटिव निमोनाइटिस’ होता है जिसमें बीमार को खांसी, दमा, सांस फूलने की समस्या हो सकती है | कबूतरों के पंखों से ‘फीदर डस्ट’ निकलती है जो कई बीमारियों की जड़ है | यह समस्या कबूतरों के सौ मीटर दायरे तक गुजरने वाले व्यक्ति पर पड़ सकती है | इसके बीट और फीदर डस्ट से करीब दो सौ किस्म की ऐलर्जी होती है | इनके पंखों की धूल से धीरे- धीरे फेफड़े जाम होने लगते हैं और छाती में दर्द या जकड़न होने लगती है |

     पर्यावरणविदों का मानना है कि कबूतरों की संख्या बढ़ने और इनसे जनित रोग लगाने के लिये इंसान ही जिम्मेदार है | जगह- जगह पुण्य के नाम पर दाना डालने से कबूतरों की प्रजनन शक्ति बढ़ रही है जो पर्यवरण  के लिए बेहद खतरनाक है | उनका मानना है कि पक्षियों को दाना खुद ढूढ़ना चाहिए | जब पक्षी अपना भोजन खुद ढूंढ रहा होता है तो उसकी प्रजनन क्षमता संतुलित रहती है | कबूतरों के लिए रखे गये पानी से भे बीमारियाँ फैलती हैं |

     अतः पक्षियों को अपना काम स्वयं करने दें तथा पर्यावरण के प्राकृतिक संतुलन में दखल न दें | कुछ लोग पेड़ों के तने के पास चीटियों को भी आटा डालते हैं | इससे पेड़ उखड़ते है क्योंकि चीटियाँ आटे को जमीन में ले जाती और बदले में मिट्टी बाहर लाती हैं | ऐसे पेड़ हल्के तूफ़ान से ही गिर जाते हैं  | चीटियाँ हमारे दिए भोजन की मोहताज नहीं हैं | वे अपना भोजन खुद तलाश लेती हैं | अबारा कुत्तों को भी लोग बड़े दया भाव से खाना डालते हैं परिणाम यह होता है कि वे भोजन की खोज में नहीं जाते और एक ही स्थान पर उनकी संख्या बढ़ते रहती है जिससे कुत्ते काटने के केस बढ़ते जा रहे हैं | कबूतर, चीटी या कुत्ते के बजाय किसी जनहित संस्था, वृक्ष रोपण, अनाथालय या असहाय की मदद पर खर्च करके भी पुण्य कमाया जा सकता है |

पूरन चन्द्र काण्डपाल
01.04.2021

Tuesday 30 March 2021

Ganesh Ji Ki Aarti : गणेश जी की आरती

मीठी मीठी - 579 :  गणेश जी की आरती के शब्द

        हमारे समाज में चिरकाल से गणेश जी की एक आरती प्रचलन में है, "जय गणेश जय गणेश श्रीगणेश देवा..."। इस आरती की इन पंक्तियों में बदलाव होना चाहिए-

"अंधन को आंख देत, कोड़िन को काया;    
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।"

    आरती में तीन शब्द अप्रिय हैं और अप्रासंगिक हैं । मेरे विचार से आरती इस प्रकार से हो -

" सूरन को आंख देत, रोगिन को काया;
नारी को मातृत्व देत, सबजन को छाया ।" 

      अंधे व्यक्ति को सूर कहते हैं, कोड़ की बात न हो,  प्रत्येक रोग से सभी को दूर रखने की बात हो । बांझ शब्द किसी भी विवाहिता के लिए कटु शब्द है । यहां मातृत्व की बात करें ,पुत्र देत न कहें । पुत्र देत कहने से हम अपनी पुत्रियों का अपमान करते हैं । माया तो मांगनी ही नहीं चाहिए । कर्म करें, उच्च चरित्र रखें, जीओ और जीने दो का सिद्धांत अपनाएं और स्वस्थ जीवन जीएं । ' छाया ' का अर्थ है भगवान की छत्र छाया सब पर बनी रहे ।

      मुझे उम्मीद है सभी मित्र इस बदलाव पर अवश्य मंथन करेंगे और इन तीन शब्दों ( अंधन, कोड़िन और बांझ  ) से आहत होने वाले मनिषियों को इन अप्रिय शब्दों से बचाएंगे तथा इनकी जगह ' सूरन '  रोगिन और मातृत्व ' शब्द प्रयोग करेंगे । इसी उद्देश्य से एक वीडियो में चंद शब्द बोलने का प्रयास किया है, कृपया वीडियो को समय देने का कष्ट करें ।

       (देश में कोरोना का फन फिर से फैलने लगा है।  घर में रहिए और जो लोग कोरोना से जूझ रहे हैं उनको जयहिंद कहिए । मास्क जरूरी है तथा भीड़ से बचिए।  चिकित्सकों और शासन के निर्देश मानिए ।)

पूरन चन्द्र कांडपाल,
31.03.2021

Maya naheen mahaan : माया नहीं महान

खरी खरी - 819 : माया नहीं महान

(पैसा बहुत कुछ है परन्तु सबकुछ नहीं । कुछ चीज़ें पैसे से नहीं खरीदी जा सकती क्योंकि ये बाजार में नहीं मिलती ।)

जग में माया नहीं महान,
फिर तू काहे करे गुमान ।

माया से तुझे मिले बिछौना
नींद न मिलने पाये,
माया से साधन मिल जाते
खुशी न मिलने पाये,
माया से तुझे मिलता मंदिर
मिले नहीं भगवान । जग...

माया से मिले भवन चौबारे
घर नहीं मिलने पाये,
दवा -आभूषण मिले माया से
मुस्कान न मिलने पाये,
माया से पोथी मिल जाए
नहीं मिल पाये ज्ञान । जग...

माया से प्रसाधन मिलते
मिलते नहीं संस्कार,
माया से संस्कृति मिले ना
मिल जाता बाजार,
अंत समय कछु हाथ न लागे
सभी खोखला जान । जग...

'यादों की कलिका से'
पूरन चन्द्र काण्डपाल
30.03.2021

Sunday 28 March 2021

Bura n mano holi hai : बुरा न मानो होली है

खरी खरी -818 : बुरा न मानो ( मानो ) होली है ।

( वे बोले, 'होली' का मतलब है 'शराब' )

गम में शराब खुशी में शराब
जीत में शराब हार में शराब ,
जुदाई में शराब मिलन में शराब
आया वक्त कैसा हर सै पै शराब ।

भरम  में शराब धर्म-करम  में शराब
जन्मदिन में शराब शादी में शराब ,
दिवाली में शराब होली में शराब
जन्म से मरण तक शराब ही शराब ।

कभी था होली पर बसंत का शबाब
रसायनी रंग ने इसे अब कर दिया खराब,
कल तक था होली का मतलब स्नेह मिलन, 
आज तो होली का मतलब है केवल शराब ।

कैसे मनेगा होली के रंग का त्यौहार ?
देश झेल रहा है बेहुदे कोरोना की मार,
मृत हो गए एक लाख इकसठ हजार
सांत्वना हृदय से जो दुखी हैं परिवार ।

घर में ही खेलो होली, मत जाओ बहार
बचो कोरोना से बचें संबंधी मित्र परिवार,
जिंदगी बचाओ तो रंग खिलेंगे हजार
हर पतझड़ के बाद आती है बसंत बहार।

      नशा, शराब, रसायनी रंग, मिलावट और छेड़खानी की बदनीयती से होली को दूर रखने में ही 'शुभ होली' है । सभी (पीने, नहीं पीने वाले ) मित्रों को होली की शुभकामनाएं ।

प्रतिलिपि -  इस आशय से ABBA (अखिल भारतीय बेवड़ा एसोसिएसन ) को भेजी जाती है कि शराब को अपने से अलग कर लें ताकि ये 'बेवड़ा' शब्द तुम से अलग हो जाये ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
29.03.2021

Hoi ki shubhkamna : होइकि शुभकामना

मीठी मीठी - 578 : होइकि शुभकामना

रंगीलि ऋतु बसंत कि ऐजीं
डाव- बोटों में रंगवाइ छैजीं,
घर- घर जैबेर होयार नाचनी
रंग लगूनी पिंगइ चीर बादनी।

होइ में देवर लै घर ऐ जानी
देराणी ज्येठाणी खुशि है जानी,
देवरै पिचकारि रंगिलि धार
भौजी कैं लागीं बसंत बहार ।

देवर भौजी और साव-भिन
रंगनेर हाय आपस में होइक दिन,
छलड़ि दिन मस्कूनी अबीर गुलाल
निरदइ करि दिनी गलाड़ बेहाल ।

रंगीलि होइल हाव महकि जैं
डान -पहाड़ों में होइ चहकि जैं,
भांग शराब होइ बै दूर छटकै दियो
सबूं कैं इंद्रैणीक रंग में रंगै दियो।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
29.03.2021

Saturday 27 March 2021

Tum raah dikhaate ho : तुम राह दिखाते हो

मीठी मीठी - 577 : तुम राह दिखाते हो

( 'खरी खरी' तो प्रतिदिन होती है । आज 'मीठी मीठी' एक भजन/प्रार्थना  'तुम राह दिखाते हो ।' वैसे 2 मिनट प्रभू स्मरण तो प्रतिदिन करता हूं और सबको करना भी चाहिए । प्रभू स्मरण के लिए किसी भी प्रकार के आडंबर या दिखावे की आवश्यकता नहीं है । घर के मंदिर में ही माथा टेकना सर्वोत्तम । )

तुम राह दिखाते हो

तुम ज्योति जगाते हो,

भटके हुए मेरे मन को

प्रभु जी थाह दिलाते हो ।

जब -जब मेरे 

मन में प्रभु जी

अंधियारा घिर आया,

देर नहीं की आकर तुमने

ज्ञान का दीप जलाया,

सुख-दुख जीवन 

के पहलू हैं

तुम्हीं बताते हो । तुम...

संकट के बादल छिटकाये

क्रोध की अग्नि बुझाई,

भंवर से तुमने 

मुझे निकाला

खुद पतवार बनाई,

मेरे मन की चंचल नैया को

तुम पार लगाते हो । तुम...

जीवन मेरा

सफल हो जाये

तुम्हरी कृपा पा जाऊं,

फल की आस 

जगे नहीं मन में

कर्म पै बलि बलि जाऊं,

कर्म ही मेरा दीन धरम 

संदेश बताते हो । तुम...

(आज इस प्रार्थना का वीडियो भेजने का प्रयास करूंगा । वीडियो 27.03.2020 कोरोना के आरंभिक दौर का है।  यह भजन मेरी पुस्तक " यादों की कालिका " ( 2010) में अन्य 51 कविताओं के साथ है ।)

पूरन चन्द्र काण्डपाल

28.03.2021

Friday 26 March 2021

Vyarth ki ghumakkadi : व्यर्थ की घुमक्कड़ी

खरी खरी - 817 : व्यर्थ की घुमक्कड़ी !

     कोरोना बीमारी को गंभीरता से न लेते हुए व्यर्थ बाहर घूमने वालों से एक विनम्र निवेदन -

खुद को तो
तुम मार रहे हो,

सबको खतरे में
डाल रहे हो,

घर में ही अपने
को रोक लो,

क्यों तुम बाहर
भाग रहे हो ?

घर में रहोना
भागे कोरोना ।

     कोरोना पर जानकारी भी जरूरी और सतर्कता भी जरूरी ।  हमारी लापरवाही हमारे लिए, हमारे परिवार और हमारे देश के लिए घातक । कोरोना पुनः तीव्र रफ्तार से बढ़ने लगा है । 26 मार्च 2021 को देश में एक दिन में 59 हजार से अधिक और दिल्ली में डेढ़ हजार से अधिक नए केस होना बहुत गंभीर बात है ।  त्यौहार आते रहेंगे। जिंदगी का रंग रहेगा तो होली का रंग फिर लगते रहेगा। इसलिए घर में ही होली मनाइए। होली की शुभकामनाएं ।

पूरन चन्द्र कांडपाल
27.03.2021

Thursday 25 March 2021

Bhart mahan vyangy : भारत महान व्यंग्य

खरी खरी - 816 : भारत महान का कटु व्यंग्य

राजनेता दागी

अधिकारी भ्रष्ट

व्यापारी बेईमान

मेरा भारत महान ??

घर घर में गुटका

पार्कों में शराब

हर जगह धूम्रपान

मेरा भारत महान ??

सड़क पर छेड़छाड़

थमा नहीं बलात्कार

नारी का अपमान

मेरा भारत महान ??

दल बदलू नेता

चाटुकार अभिनेता

उधर के पापी का इधर सम्मान

मेरा भारत महान??

आंदोलन के महीने चार

सड़क पर किसान लाचार

दो सौ से ज्यादा की गई जान

जाने दो जान, मेरा भारत महान ??

कोरोना एक दिन में 

पचास हजार पार। 

कुंभ होली सब्बे त्यार

रोको संक्रमण को

लगाओ तुरंत विराम

तभी बने भारत महान। 

पूरन चन्द्र कांडपाल

26.03.2021

Wednesday 24 March 2021

Avaidha Dharmik Nirmaan : अवैध धार्मिक निर्माण

बिरखांत-362 : अवैध धार्मिक निर्माण और न्यायालय

        भगवान और धर्म  के नाम पर होने वाले अनुचित कार्यों का मंथन करते हुए हमें धर्म और भगवान को समझना आवश्यक है ।  भगवान महावीर जैन, भगवान् गौतम बुद्ध और गुरु नानक देव जी, हिन्दू धर्म से अलग हुए तीन पंथों की नींव डालने वाले महमनीषियों को हम जानते हैं  | महावीर जैन का जन्म 599 ई.पू. हुआ और 72 वर्ष की आयु में 527 ई.पू. में महाप्रयाण हुआ | ‘जीओ और जीने दो’ के सिद्धांत पर सत्य, अहिंसा एवं कर्म पर चलने तथा लालच, झगड़ा, छल-कपट और क्रोध से दूर रहने का उन्होंने संदेश दिया | भगवान् बुद्ध का जन्म 563 ई.पू. में तथा 80 वर्ष की आयु में 483 ई.पू. में देहावसान हुआ | उन्होंने भी अहिंसा एवं उच्च चरित्र का उपदेश दिया और अंगुलीमाल जैसे मानव हत्यारे का हृदय परिवर्तन कर उसे संत बनाया | गुरुनानक देव जी का जन्म 1469 ई. में हुआ और 70 वर्ष की आयु में 1539 ई. में उनका देहावसान हुआ | उन्होंने ‘ईमानदारी से कमाओ, बाँट कर खाओ और परमात्मा को याद करते हुए जनहित में कर्म करते जाओ’ का संदेश दिया |


 


     इन तीनों ही महामनीषियों ने हिन्दू समुदाय में व्याप्त अंधविश्वास, कुरीतियां, आडम्बर और दिखावा से कुपित होकर नए पंथ की स्थापना की | लगभग 2500 वर्षों से इन्हीं के तरह कई संतों ने हमारी कमियों को उजागर किया, हमें कई बार जगाया परन्तु हम नहीं बदले | आज हमारे ही बीच से आर्य समाज के अनुयायी भी अंधविश्वास और रूढ़िवाद को मिटाने में बहुत संघर्ष के साथ जुटे हैं | अंधविश्वास ने कई धर्म/संप्रदायों को बहुत नुकसान पहुँचाया है | पूजलायों में महिला और दलित प्रवेश पर पाबंदी, पूजालयों में पशु बलि, वर्षा कराने के नाम पर विशालकाय आयोजन,  गंडे -ताबीज और तंत्र के माध्यम से लूट, जल-स्रोतों में शव, शव-राख और अन्य वस्तुओं का विसर्जन आदि जैसे कई अंधविश्वासों के सांकलों में समाज आज भी बंधा है जिसे कुछ को छोड़ सभी का मूक समर्थन प्राप्त है |


 


     धर्म के नाम पर हमारी इन विसंगतियों को देश का सर्वोच्च न्याय मंदिर भी जानता है | कुछ वर्ष पहले एक राष्ट्रीय हिन्दी दैनिक समाचार पत्र में छपी खबर के अनुसार उच्चतम न्यायालय ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की खिचाई इसलिए की क्योंकि इन्होंने अदालत के उस निर्देश का पालन नहीं किया जिसमें कहा गया था कि वे सार्वजनिक सड़कों और फुटपाथों पर बने अवैध धार्मिक निर्माण/ढांचों को हटाने की दिशा में उठाये गए क़दमों की जानकारी दें | न्यायालय वर्ष 2006 में दायर उन याचिकाओं की सुनवाई कर रहा था जिसमें सार्वजनिक स्थानों एवं सड़क के किनारे से पूजास्थल समेत अनाधिकृत ढांचों को हटाने का पहले ही आदेश दिया था | कुछ जगहों पर अब इस आदेश पर कार्य होने के समाचार हैं। 


 


     आज कोई भी व्यक्ति धर्माचार्य बन कर तंत्र और अंधविश्वास को पोषित करता है | गुटखा मुंह में डाले अपने तथाकथित प्रवचन में चोरी से बिजली का कनेक्शन लेकर चोरी नहीं करने और उच्च आचरण रखने का संदेश देता है परन्तु स्वयं अपने प्रवचन के विपरीत आचरण करता है और अंधविश्वास फैलाता है | समय की मांग है कि एक आर एम पी (रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिसनर) की तरह  इनके लिए भी शिक्षा का स्तर और योग्यता सुनिश्चित की जानी चाहिए तथा इसी आधार पर इन्हें लाइसेंस दिया जाना चाहिए जिससे देश और समाज का हित हो तभी दुनिया हमें सपेंरों का देश कहना बंद करेगी | सभी धर्माचार्यों से भी विनम्र अपील है कि वे समाज में व्याप्त हर प्रकार के अन्धविश्वास के विरोध में जनजागृति कर राष्ट्र –हित में योगदान दें | इस मुद्दे पर न्यायालय की अवश्य ही की सराहना की जानी चाहिए। 


 


पूरन चन्द्र काण्डपाल


25.03.2021


          


Tuesday 23 March 2021

Samaaj sewi kaun : समाजसेवी कौन ?

खरी खरी - 815 : समाजसेवी कौन ?

     समाजसेवा उतना आसान काम नहीं है जितना लोग इसे समझते हैं । हमारे चारों ओर एक बहुचर्चित शब्द है 'समाजसेवी' । किसी भी आयोजन या समारोह में माइक में खूब गुंजायमान होता है कि अमुक समाजसेवी हमारे बीच हैं । कई बार तो 01 पैसे का काम पर 99 पैसे का शोर मिश्रित अपचनीय प्रचार होता है ।

     'समाजसेवी' का वास्तविक अर्थ है जो समाज के हित में निःस्वार्थ सेवा करे और अपना मुंह खोले तथा उस दिखाई देने वाली सेवा का बखान अन्य लोग भी करें और उस सेवा से समाज का वास्तव में भला भी हो । हमारे इर्द-गिर्द कुछ लोग ऐसे अवश्य दिखाई देते हैं जिनसे हमें प्रेरणा मिलती है । ऐसे लोग प्रत्येक विसंगति को बड़ी विनम्रता से इंगित करते हैं और परिणाम प्राप्त करते हैं ।

     बिना समाज के लिए कुछ कार्य किये हम क्यों किसी को समाजसेवी कह देते हैं ? जो स्वयं को समाजसेवियों में गिनते हैं उन्हें एक डायरी या कापी अपने लिए भी बनानी चाहिए जिसमें स्वयं द्वारा प्रतिदिन समाज के हित में किये गए कार्य की चर्चा स्वयं लिखी जाए । हमें कुछ ही दिनों में अपने समाज- सेवी होने का प्रमाण स्वतः ही मिल जाएगा । हम 'वन्देमातरम, 'भारतमाता की जय' और 'जयहिन्द' शब्दों को तभी साकार या सार्थक कर सकते जब हम अपनी क्षमता के अनुसार समाज, देश और प्रकृति/पर्यावरण के लिए कुछ न कुछ आंशिक योगदान देते रहें । जयहिन्द ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
24.03.2021

Shaheed Bhagat Singh स्मृति : शहीद भगतसिंह स्मृति

स्मृति- 576 : शहीद भगतसिंह स्मृति दिवस

      शहीदे आजम भगतसिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को लायलपुर में हुआ था और 23 मार्च 1931 को शाम 7.23 पर भगत सिंह, सुखदेव तथा राजगुरु को फांसी दे दी गई थी । 23 मार्च यानि, देश के लिए लड़ते हुए अपने प्राणों को हंसते-हंसते न्यौछावर करने वाले तीन वीर सपूतों का शहीद दिवस है । यह दिवस न केवल देश के प्रति सम्मान और हिंदुस्तानी होने वा गौरव का अनुभव कराता है, बल्कि वीर सपूतों के बलिदान को भीगे मन से श्रृद्धांजलि देता है।

       उन अमर क्रांतिकारियों के बारे में आम मनुष्य की वैचारिक टिप्पणी का कोई अर्थ नहीं है। उनके उज्ज्वल चरित्रों को बस याद किया जा सकता है कि ऐसे मानव भी इस दुनिया में हुए हैं, जिनके आचरण किंवदंति हैं। भगतसिंह ने अपने अति संक्षिप्त जीवन में वैचारिक क्रांति की जो मशाल जलाई, उनके बाद अब किसी के लिए संभव न होगी। "आदमी को मारा जा सकता है उसके विचार को नहीं। बड़े साम्राज्यों का पतन हो जाता है लेकिन विचार हमेशा जीवित रहते हैं और बहरे हो चुके लोगों को सुनाने के लिए ऊंची आवाज जरूरी है।" बम फेंकने के बाद भगतसिंह द्वारा फेंके गए पर्चों में यह लिखा था।

      भगतसिंह चाहते थे कि इसमें कोई खून-खराबा न हो तथा अंग्रेजों तक उनकी आवाज पहुंचे। निर्धारित योजना के अनुसार भगतसिंह तथा बटुकेश्वर दत्त ने 8 अप्रैल 1929 को केंद्रीय असेम्बली में एक खाली स्थान पर बम फेंका था। इसके बाद उन्होंने स्वयं गिरफ्तारी देकर अपना संदेश दुनिया के सामने रखा। उनकी गिरफ्तारी के बाद उन पर एक ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जेपी साण्डर्स की हत्या में भी शामिल होने के कारण देशद्रोह और हत्या का मुकदमा चला। यह मुकदमा भारतीय स्वतंत्रता के इतिहास में लाहौर षड्यंत्र के नाम से जाना जाता है। करीब 2 साल जेल प्रवास के दौरान भी भगतसिंह क्रांतिकारी गतिविधियों से भी जुड़े रहे और लेखन व अध्ययन भी जारी रखा। फांसी पर जाने से पहले तक भी वे लेनिन की जीवनी पढ़ रहे थे।

     पंजाब के जिला फिरोजपुर में सतलज नदी के किनारे हुसैनीवाला के पास इन तीन अमर शहीदों - सरदार भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की मूर्तियां हैं जहां 1971 के युद्ध से पहले मुझे इन्हें नमन करने का अवसर मिला। आज भगत सिंह जी की 90वीं पुण्यतिथि है । हम विनम्रता के साथ उन्हें हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं ।

पूरन चन्द्र कांडपाल
23.03.2021

Sunday 21 March 2021

22 March 2020 : 22 मार्च 2020 जनता कर्फ्यू दिवस

खरी खरी - 814 : उस दिन 2020 में (जनता कर्फ्यू 22 मार्च)

जनता कर्फ्यू को सबने है समझना
जगे अपनी हिम्मत दहशत न करना

22 मार्च 2020 सब घर में है रहना
खुद से कहना और खुद की है सुनना

शासन का दिल से सहयोग है करना
घड़ी है परीक्षा की बिलकुल न डरना

दुनिया में कोरोना ने ढाया है कहर
चीन से चला है ये महामारी बनकर

हमने कोरोना की तोड़नी है कमर
निज संयम संकल्प से जीतेंगे समर

कोई यात्रा नहीं भीड़ से है बचना
सुनो न अफवाह हाथ धोते रहना

पांच से ज्यादा एक जगह खड़े न होना
होगा बेहतर  घर से बाहर न निकलना

हम सब मिलकर इस बला से लड़ेंगे
हारेगा कोरोना जंग हम ही जीतेंगे

पांच बजते ही सांय बजे जोर से ताली
उनके लिए संघर्ष डोर जिसने संभाली।

(याद करिए 22 मार्च 2020 'जनता कर्फ्यू दिवस ' को सायं 5 बजे हमने कोरोना फ्रंट लाइन कर्मियों के लिए ताली और थाली बजाई थी। एक वर्ष में करीब 1.6 करोड़ लोग कोरोना से ग्रसित हुए और 1.59 लाख लोग कोरोना के ग्रास बन गए। संक्रमण पुनः बढ़ने लगा है । इसे गंभीरता से लीजिए और अपना बचाव कीजिए।  )

पूरन चन्द्र कांडपाल
22 मार्च 2021

Saturday 20 March 2021

Haath na milaayein : हाथ न मिलाएं

खरी खरी 813- हाथ न मिलाएं, दूर से हाथ हिलाएं

     क्या आप जानते हैं कि मनुष्य के शरीर का सबसे अधिक अस्वच्छ अंग कौनसा है ? जी वह है हमारा दांया हाथ । एक अध्ययन के अनुसार हमारे देश में 47 % लोग शौच के बाद साबुन से हाथ नहीं धोते हैं । 62 % लोग भोजन करने से पहले और 70 % लोग भोजन पकाने से पहले हाथ नहीं धोते हैं ।

     हम दिन भर सबसे हाथ मिलाते हैं, रेल- मेट्रो- बस- टैक्सी के डंडे-दरवाजे पकड़ते हैं, सीड़ियों के रैलिंग पकड़ते हैं, नाक- कान- मुंह में हाथ डालते हैं, कार्यालय के काउंटर- टेबल- खिड़की- कुंडी पर हाथ लगाते हैं, स्विच- रिमोट- मोबाइल- पैन- सार्वजनिक बेंच-कुर्सी, करंसी नोट-सिक्के आदि सब पर दिन भर हाथ रगड़ते रहते हैं । पसीना पोछते हैं, विसर्जनांग स्पर्श करते हैं, खांसते- छींकते मुंह पर हाथ रखते हैं । सारा दिन हमारा दांया हाथ इन सभी जगहों से पूरी तरह दूषित- अस्वच्छ हो जाता है ।

     गंदे हाथ से हमें जुकाम, डायरिया, हैपेटाइटिस, आंख की बीमारी, हैजा, टाइफाइड, वाइरल जैसे कई रोग हो सकते हैं । सौ बातों की एक बात यह है कि भोजन करने और खाना बनाने से पहले, स्कूल- कार्यालय से घर पहुंचते ही सबसे पहले साबुन से अच्छी तरह रगड़कर हाथ धोने चाहिए । अभिवादन करने के लिए हाथ मिलाने के बजाय हाथ जोड़कर अभिवादन करने की आदत डालिये । यदि हमने ऐसा कर लिया तो 90% रोगों से हमने स्वयं को बचा लिया । सोचिए मत, आज ही से हाथ धोकर इस पुनीत आदत को अपनाने का संकल्प करिए ।

      यह लेख 6 जुलाई 2017 को सोसल मीडिया में लिखा और तब से कई बार कुछ बदलाव के साथ पुनः लिखा तथा शिल्पकार टाइम्स में भी छपा । विगत वर्ष भी कुछ बदलाव के बाद लिखा ।  आज इस लेख की प्रासंगिकता बढ़ गई है । वर्तमान में कोरोना बीमारी से बचाव का हाथ न मिलाना एक कारगर उपाय है । समाचारों के अनुसार दिल्ली सहित देश के कई भागों में कोरोना पुनः फन फैलाने लगा है । वैक्सीन भी लगने लगी है । बचाव के तरीके भूलिए मत - मास्क, देह दूरी, हस्त प्रक्षालन और भीड़ से बचाव। 

समझो और समझाओ,


हाथ नहीं मिलाओ । 


मुस्कराते हुए केवल,


दूर से हाथ हिलाओ ।

(देश में अब तक कोराना संक्रमण से 1.59 लाख लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। यह समाचार बहुत दुखित करता है। )

पूरन चन्द्र कांडपाल


21.03.2021