Thursday 6 July 2017

अपना अपना शौक apana apana shauk

खरी खरी - 2 : शौक (नशा) अपना अपना

      मेरा एक परिचित रोज शराब पीता है, पीकर मस्त रहता है और अपना काम भी करते रहता है । उसका परिवार उससे दुखी है । उसका शराब का मासिक खर्च तीन हजार रुपये और वार्षिक बजट छत्तीस हजार रुपये है । मेरे अन्य कई परिचित इस धन को सार्थक कार्य पर लगाते हैं जैसे पत्नी को देते हैं, बच्चों पर खर्च करते हैं, भविष्य के लिए जमा करते हैं या किसी सुपात्र (सड़क किनारे श्रद्धा के नाम पर आलू-पूरी मुफ्त खाने की आदत नहीं डालते) को दान करते हैं ।

     सबके अपने -अपने नशे या शौक हैं । कौन नशा अच्छा है यह हमें ही सोचना है । होश आने पर या होश में रह कर पीते हुए हर शराबी ने मुझे बताया , "सर, शराब बहुत बुरी चीज है,  इससे बचना चाहिए । यह घर -परिवार- जिंदगी- सम्मान -समाज सबकुछ बर्बाद कर देती है ।"  अंत में रोज पीने वालों से एक गुजारिश , "रोज पीने वालो ! जरा अपने लीवर (कलेजे) के बारे में भी सोचना । कुछ छेद होने तक तो वह आपका साथ देगा परंतु जब वह छलनी बन जायेगा तो फिर क्या होगा ?"

पूरन चन्द्र काण्डपाल
19.04.2017

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