Saturday 8 January 2022

pyaar kariye : प्यार करिए

खरी खरी - 991 : प्यार करिए मगर... 

     लव मैरेज या प्रेम विवाह पर पूछे गए एक प्रश्न पर कहना चाहूंगा कि प्रेम विवाह में अभिभावकों को विश्वास में लेना जरूरी है । कुछ लोग जोखिम उठा रहे हैं जो तब तक सफल नहीं होते जब तक विनम्रता से सुलह नहीं कर लेते । शादी के लिए मात्र 6 लोग चाहिए । 2 वे प्रेमी खुद,  2 उधर के अभिभावक और 2 इधर के । बाकी सब तो उत्सव में नुक़्तेदार भागीदारी निभाते हैं । इसलिए शादी करने वालों ने उधर के 2 और इधर के 2 (दोनों ओर के माता-पिता या अभिभावकों ) को जरूर विश्वास में लेना चाहिए या तब तक प्रतीक्षा करनी चाहिए जब तक वे मान न जाएँ और हरी झंडी न दिखा दें । माँ-बाप आपका भला सोचते हैं । उनका अनुभव होता है । उनसे विद्रोह करना अनुचित । उनका दृष्टिकोण जरूर ठन्डे दिमाग से सोचें । देर- सबेर आप कहेंगे कि मेरे माता- पिता सही थे । बाद में यह न कहना पड़े "सबकुछ लुटा के होश में आये तो क्या किया ।"

     स्मरण रहे यहां प्रेम -विवाह का विरोध नहीं किया जा रहा है । किसी भी विवाह की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि विवाह के पश्चात यह युगल एक- दूसरे के साथ कितना एडजस्ट (निभाना) कर सकता है । यह कटु सत्य है कि विवाह का एक नाम समझौता भी है क्योंकि  दोनों को ही यदाकदा ऐसा लगता है कि उनकी स्वतंत्रता, विचार और व्यवहारिकता का हनन हो रहा है । निष्कर्ष यह है कि प्यार करिये, अपनों को विश्वास में लीजिये, प्यार के बाद विवाह करिये और अंत तक निभाइए ताकि बेचारे प्रेम -विवाह पर कोई अंगुली न उठा सके ।

       बूबू कालिदास से लेकर बूबू शेक्सपियर तक सबने कहा है कि प्यार करना गुनाह नहीं है परंतु इन्होंने प्यार को अँधा भी बताया है । हम अंधे प्यार करने वाले न बनें । कुछ लोग कहते हैं प्यार किया नहीं जाता हो जाता है । जब तक दिल का आदेश नहीं होगा तब तक यह कैसे हो जाएगा ? ऐसा भी नहीं होना चाहिए कि मन लगा गधी पर तो परी क्या चीज है ? हम पेड़ या पत्थर से तो नहीं उगे । दिल-दिमाग से सोचना चाहिए कि हम क्या कर रहे हैं और किधर जा रहे हैं ?

      हम बालिग़ या बड़े केवल इसी स्वच्छंदता के लिए तो नहीं हुए । यह विषय बहुत बड़ा है, गूढ़ है और मंथनीय है। मां-बाप को भुला देना इतना आसान भी नहीं है । इस बात का पता प्यार का खुमार उतरने के बाद चलता है । इसलिये प्यार करिये, प्यार को मंजिल तक पहुंचाइये मगर उन्हें मत बिसारिये जिन्होंने आपको प्यार करने लायक बनाया । हमें याद रखना चाहिए कि हमें कहाँ तक स्वीकारा जा सकता है और कहाँ तक नहीं ।

पूरन चन्द्र कांडपाल

09.01.2022

Monday 3 January 2022

Apne apne patient : अपने अपने पेटेंट

खरी खरी - 987: सबके अपने अपने पेटेंट

       'अंध' शब्द एक उपसर्ग माना जाता है जो किसी शब्द के आगे जुड़ने से उस शब्द के अर्थ को उलट देता है जैसे भक्त का अंधभक्त, भक्ति का अंधभक्ति, विश्वास का अंधविश्वास और श्रृद्धा का अंधश्रद्धा । सोसल मीडिया में अंधभक्ति के पेटेंट की होड़ लगी है । एक कहता है तू अंधभक्त है तो दूसरा कहता तू महा अंधभक्त है । राजनीतिक समर्थकों और विरोधियों में यह वाक् युद्ध आजकल बहुत जोरों पर है । गाली का उत्तर गाली नहीं होता । गाली का उत्तर धैर्य और संयम से शिष्टता के साथ भी दिया जा सकता । यदि एक व्यक्ति यह कहे कि झूठ नहीं बोलना चाहिए तो अंधभक्ति से सराबोर अंधभक्त सोचेगा यह मुझ से कह रहा है और कीचड़ सनित गाली की पिचकारी उस पर छोड़ देगा । सांच को तप और झूठ को पाप तो कबीर बहुत पहले बता गया एक दोहे में - सांच बराबर....। अंधभक्ति के प्रभाव से ही मनुष्य अंधविश्वासी भी बन जाता है । वह योगेश्वर श्रीकृष्ण की बताई हुई कर्म की राह में चलने के बजाय तांत्रिकों के मकड़जाल की ओर अग्रसर होकर अंततः उस जाल में फंस जाता है ।

        सवाल उठता है कि कौन अंधभक्त है या कौन अंधभक्ति कर रहा है इस का फैसला कौन करेगा ? अपने अपने पेटेंट वाले अंधभक्त किसी की नहीं सुनते क्योंकि अंधभक्ति का प्रभाव बहुत गहरा होता है और अंधभक्ति एक ऐसा क्रोनिक रोग है जो भक्त के विवेक को जड़ से उखाड़ देता है । जब भक्त विवेकहीन हो गया तो फिर वह किसी की नहीं सुनता । सभी जानते हैं कि कुछ असाधू आजकल जेल में हैं लेकिन उनके अंधभक्तों को इन असाधुओंं की करतूत आज भी भलि लगती है क्योंकि विवेक - बुद्धि में तो अंधभक्ति का लेप चढ़ा हुआ है । यदि लेप नहीं होता तो वे जिद की जंजीर से बंधी हुई अंधभक्ति से मुक्त हो जाते । 

        हमारा मानना है कि अंधभक्ति की जगह पर विवेक से भक्ति होनी चाहिए । सच और झूठ की परख होनी चाहिए और जो उचित है उसे मानना चाहिए । हमारी भक्ति अपने संविधान पर एकाग्रित होनी चाहिए जिसे करीब 389 सदस्यों की संविधान सभा में गहरे मंथन के बाद संविधान निर्माण समिति ने  2 साल 11 महीने और 18 दिन में लिखा । संविधान सभा में देशवासियों के सभी वर्ग का प्रतिनिधित्व था । संविधान को लचीला बनाया गया ताकि जरूरत पढ़ने पर अमुक कानून को हटाया जाए या उसमें सुधार किया जाय । अब तक लगभग 121 बार ऐसा हो चुका है । 

        अतः हमें अंधभक्ति के भंवर से बाहर निकलकर देशहित में सोचना चाहिए तथा अंधभक्ति की जगह भक्ति के पेटेंट की बात  करनी चाहिए । अंधभक्त बनकर अंधभक्ति की चालीसा पढ़ते हुए हम अपने कई अजीज मित्रों से व्यर्थ की दुश्मनी भी ले लेते हैं जिससे बरसों की सिंचित मित्रता से एक झटके में हाथ धो बैठते हैं । दूसरी ओर जिनकी अंधभक्ति हो रही है वे तो मौज कर रहे हैं और अंधभक्त आपस में अपना चैन हराम किए हुए हैं । अंधभक्ति के रोग का उपचार भी हमारे पास ही है । हम अपने विवेक की ग्रंथि को जागृत करें और अंधभक्ति का पाठ पढ़ाने वाले असाधुओं की भक्ति से स्वयं को मुक्त करते हुए अपने संविधान, अपने राष्ट्रध्वज, अपने कर्तव्य और अपने अधिकारों के भक्त बनें तथा संविधान प्रदत्त इंद्रधनुषी संस्कृति जिसमें सौहार्द्र, समरसता और अनेकता में एकता है, से स्वयं को सराबोर रखें । जयहिंद ।

पूरन चन्द्र कांडपाल

04.01.2022

Sunday 2 January 2022

vaishno devi bhsgdad : वैष्णो देवी भगदड़

खरी खरी - 986 : वैष्णो देवी मंदिर में दुखद भगदड़

     पहली जनवरी 2022 को जब हम नए वर्ष के आगमन की प्रतीक्षा कर रहे थे एक दुखद समाचार आया।  करीब एक - दो बजे अपराह्न (प्रातः से पहले ) के बीच वैष्णो देवी मंदिर जम्मू - कश्मीर में एक दुखद हादसा हुआ जिससे पूरा देश स्तब्ध रह गया। मंदिर में दर्शन हेतु जाते समय भगदड़ मच गई। समाचारों के अनुसार 12 व्यक्ति भगदड़ में दबकर मर गए और करीब डेढ़ दर्जन घायल हो गए। हादसे की जांच बैठा दी गई है। उम्मीद है कहां चूक हुई उस पर ध्यान दिया जाएगा। दर्शकों के अनुसार भीड़ बहुत थी । नियमित संख्या से अधिक लोग मंदिर में प्रवेश कर गए थे।  विगत समय मध्य प्रदेश के दतिया रतनगढ़ मंदिर में हुई भगदड़ में 115 श्रद्धालुओं की दर्दनाक असामयिक मौत हुई थी । धार्मिक स्थलों पर अक्सर ऐसी भगदड़ के समाचार मिलते रहते हैं जिसकी जांच बैठा दी जाती है। रतनगढ़ में भी जांच बैठा दी गई थी। वैष्णो देवी मंदिर की यह दर्दनाक घटना जिसकी गलती से भी हुई यह तो जांच के बाद सामने आएगा। आज कई धर्मस्थल धनोपार्जन के स्रोत बन गए हैं जहां भोली-भाली जनता की धर्म-आस्था के नाम पर अन्धाधुंध लूट होती है और जनता कुप्रबंधन के कारण शोषण या असामयिक काल की ग्रास बन जाती है । नियम तो बने हैं परन्तु उनका पालन नहीं होता।  इस क्षेत्र में कोताही वरतने वालों को सख्त सजा दी जानी चाहिए। मृतक श्रद्धालु अब वापस नहीं आएंगे। इनके दुखद परिजनों के साथ सबकी सहानुभूति है। मृतकों को व्यथित हृदय से दुखद श्रद्धांजलि। आशा करते हैं भविष्य में किसी भी धर्मस्थल ऐसी भगदड़ न मचे, ऐसी दुखद घटना न घटे। 

पूरन चन्द्र कांडपाल

03.01.2022

Saturday 1 January 2022

Mere aankhar : मेरे आंख र

मीठी मीठी - 685 : मेरे आँखरों के शीर्षक ( बिरखांत,  खरी - खरी, मीठी - मीठी और ट्वीट )

         सोसल मीडिया के सभी मित्रों को सपरिवार नववर्ष 2022 के आगमन पर पुनः बहुत -बहुत शुभकामनाएं । आपने अन्य वर्षों की तरह बीते वर्ष 2021 में भी पूरे साल (अविरल 365 दिन ) मेरी खरी -खरी, मीठी -मीठी, बिरखांत और ट्वीट को समय दिया और पढ़ा । विगत कुछ वर्षों से सोसल मीडिया में निरंतर लिखते हुए अब तक 421 बिरखांत  (साप्ताहिक वर्णनात्मक लेख ), 985 खरी - खरी ( साप्ताहिक कटु सत्य लेख ), 684 मीठी - मीठी ( खरी खरी के साथ बीच बीच में सूचनापरक लेख) और 1408 ट्वीट ( प्रतिदिन कम शब्दों में अपनी बात ) लिख चुका हूं । हिंदी और कुमाउनी में लिखे गए मेरे सभी आँखरों को आपने समय दिया, आप सभी का हार्दिक आभार । पूर्ण आशा है इस वर्ष भी आप चाहे -अनचाहे मेरे शब्दों को जरूर समय देंगे,  पढ़ेंगे और मेरा मार्गदर्शन करते रहेंगे । मुझे आपकी टिप्पणियों की प्रतीक्षा रहती है । धन्यवाद के साथ पुनः नववर्ष की शुभकामनाएं ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
02.01.2022