Tuesday 4 July 2017

एक राष्ट्र एक टैक्स ek raashtr ek tax

मीठी मीठी - 11 : एक राष्ट्र एक टैक्स

     01 जुलाई 2017 से gst (goods and services tax, वस्तु एवं सेवा कर) से पूरा देश एक बाजार बन गया । आज तक देश में 17 टैक्स और 23 सेस थे जो लगातार 14 वर्ष की वार्ता से और सभी दलों के साझा प्रयास के परिणाम स्वरूप एक टैक्स में बदल गया । gst बिल संसद ने पहले ही पास कर दिया था जिसे लागू आज किया गया । इस कार्यक्रम को सरकार ने संसद के सेंट्रल हाल में एक मेघा इवेन्ट की तरह आयोजित किया ।

     आरम्भ में इसमें अड़चनें भी आ सकती हैं । कुछ व्यापारी वर्ग ने देश में इसका विरोध इसलिये किया कि वे आज तक टैक्स नहीं देते थे या कुछ लोग कर देने से बचने की तरकीब निकाल लेते थे । बताया जा रहा है कि देश में करीब 80 लाख व्यापारी हैं जिनमें से अबतक 66 लाख ने ही टैक्स नंबर लिया है । 14 लाख व्यापारी भी इस नंबर को देर सबेर लेंगे ही ।

    सरकार इसे आम आदमी के अनुकूल, व्यापार-उद्योग के लिए लाभकारी, अर्थव्यवस्था के लिए लाभप्रद, सरल और राष्ट्रवादी बता रही है । भले ही यह बिल सर्वसम्मति से संसद में पास हुआ फिर भी कांग्रेस सहित अधिकांश विपक्षी दलों ने इस आयोजन का बहिष्कार किया । उनके अनुसार इस आयोजन को मेघा शो बनाकर राजनैतिक लाभ लिया जा रहा है और यह एक व्यर्थ का खर्चा है ।

     प्रजातंत्र में पक्ष और विपक्ष दोनों की ही बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका है । जब वर्तमान पी एम साहब गुजरात के मुखिया थे तो उन्होंने gst का जोरदार विरोध किया था । सोसल मीडिया पर इस तरह के वीडियो और टिप्पणियां खूब प्रचारित हो रही हैं । आज पी एम बनने पर उन्होंने उस दौर के पक्ष को जो आज विपक्ष है, gst पास करने हेतु मनाने में बहुत मसक्कत की । विपक्ष भी यह कहते हुए राजी हो गया कि इस gst क्रांति के लेखक तो वे ही हैं । उम्मीद करें इस बदलाव से देश की जीडी पी बढ़े और अमनचैन के साथ देश तरक्की करे । सभी दलों के सहयोग से राष्ट्रहित में उठे इस कदम की सबको शुभकामना ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
01 जुलाई 2017

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