Thursday 6 July 2017

तीन तलाक : teen talaak

खरी खरी -3 : तीन तलाक की तलवार

     मैं किसी भी नारी के शोषण को उसके धर्म-सम्प्रदाय -जाति के अनुसार नहीं बल्कि एक महिला के शोषण की दृष्टि से देखता हूं । इस्लाम धर्म में करीब छै दर्जन उप-सम्प्रदाय बताए जाते हैं जो शरीयत (इस्लामी धार्मिक विधान) के कानूनों की व्याख्या अपने-अपने दृष्टिकोण से करते हैं । इनमें से कुछ तीन तलाक कानून को इस्लाम विरोधी मानते हैं । जहां विश्व में तीन तलाक को मानने वाले करोड़ों में हैं वहीं कई मुस्लिम देश इसे नहीं भी मानते ।

     एक साथ तीन तलाक देने का स्रोत कुरआन में नहीं बल्कि हदीस (इस्लामी हस्तियों के विचार) में बताया जाता है । वैसे अचानक एक पत्नी को कहीं पर भी मजधार में तीन तलाक कह कर सम्बन्ध विच्छेद कर देना बड़ा ही भयानक हादसा है । आज कई मुस्लिम बुद्धिजीवी तीन तलाक को महिला शोषण कहते हुए इस पर पाबंदी लगाने की मांग कर रहे हैं । कुछ मुस्लिम महिलाएं और छात्राएं तीन तलाक का खुलकर विरोध कर रही हैं और उच्चतम न्यायालय तक पहुंच गईं हैं । तीन तलाक की तलवार से मानवीय अधिकारों का हनन भी स्पष्ट दिखाई देता है । आल इंडिया मुस्लिम परसनल लॉ बोर्ड को इस मुद्दे पर मानवता का ध्यान रखते हुए तथा मुस्लिम नारी की व्यथा-वेदना को समझते हुए खुले मन से पुनर्विचार करना चाहिए ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
21.04.2017

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