Wednesday 28 February 2018

Bank karj : बैंक कर्ज वसूल

बिरखांत - 201 : क्यों नहीं होता बैंक कर्ज वसूल?

       हमारे देश में तीन प्रकार के बैंक है –सार्वजानिक क्षेत्र के बैंक, निजी क्षेत्र के बैंक और विदेशी बैंक | वर्तमान में 27 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक हैं और कुल मिलाकर देश में लगभग 93 व्यावसायिक (कामार्सिअल) बैंकों की लगभग एक लाख दस हजार शाखाएं हैं जिनका नियंत्रण रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया (भारतीय रिसर्व बैंक) द्वारा होता है और यह पूर्ण तंत्र वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आता है | वर्ष 1969 में पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गाँधी द्वारा बैंकों का राष्ट्रीयकरण हुआ | इससे पहले बैंक आम आदमी की पहुँच से बाहर थे | देश के प्रत्येक व्यक्ति को बैंकों से जोड़ने का कार्य निरंतर चल रहा है |

      बैंकों में लोग धन जमा करते हैं और वह धन देश की प्रगति पर लगाया जाता है, साथ ही नियमानुसार बैंकों से धन व्यापार या कामधंधे कि लिए ब्याज पर उद्यमियों को उधार भी दिया जाता है जिसे हम अग्रीम या एडवांस भी कहते हैं | जनता को अपना जमा किया हुआ धन मांग पर ब्याज सहित लौटाया जाता है| हमारे देश में बैंकों पर जनता को दृढ़ भरोसा है और बैंकों की विश्वसनियता उच्च स्तर की बनी हुई है |पिछले कुछ वर्षों में सार्वजनिक क्षेत्र एवं अन्य बैंकों का ऋण न शर्तानुसार लौटाया जा रहा है और न ही उसका ब्याज मिल रहा है | बैंकिंग भाषा में इस धन को एन पी ए (नान परफॉर्मिंग असेट या गैर उत्पादित आस्तियां ) कहते हैं | आज यह रकम लगभग पैंतालीस हजार करोड़ रूपए से बढ़कर कुछ ही वर्षों में तीन लाख करोड़ रुपए हो गई है |

     बैंकों का कर्ज वसूल न होना चिंता की बात है | एन पी ए बन गयी लगभग यह पूर्ण रकम बड़ी कम्पनियों या तथाकथित बड़े धनाड्य घरानों के पास है | गरीब या आम आदमी कभी भी ऋण नहीं रोकता, वह उधार लिया हुआ ऋण हर हाल में चुकाता है | आम आदमी से ऋण वसूलने में बैंक भी देरी नहीं करते, निश्चित तारीख पर दरवाजा खटखटाने पहुँच जाते हैं | देश के इन बड़े देनदारों पर हमारे बैंक कोई कार्यवाही नहीं करते क्योंकि बड़े घराने जो हुए फिर उन पर ऊपर बैठे हुए ‘बड़ों’ का हाथ भी होता है | मरते किसान से वसूली और बड़े मगरमच्छों को खुली छूट क्यों ?

     क्या जनता क यह धन यों ही डूब जाएगा ? क्या क़ानून केवल गरीब या आम आदमी के लिए ही है ? क्या इस धन को वसूलने की चिंता हमारी सरकार को है ? हाल के दिनों में जो बड़े मगरमच्छ बड़े घोटाले करके देश छोड़ कर भाग गए हैं  क्या वे पकड़े जॉयेंगे ? जिन लोगों ने इन घोटालों नाएं मदद की क्या उन्हें सजा मिलेगी ?  ये घोटाले ऑडिट में क्यों नहीं पकड़े गए ? ये प्रश्न हमारी सांस लेने वाली हवा में घुल कर घुटन महसूस करा रहे हैं क्योंकि इन प्रश्नों के पीछे न्याय की तड़फ है | सरकार को बैंकों का ऋण नहीं लौटाने वालों पर सख्त कार्यवाही  करते हुए इन प्रश्नों के उत्तर जनता को देने चाहिए ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
01.03.2018

Tuesday 27 February 2018

Nau masoom katl: बिहार में 9 मासूम का कत्ल

खरी खरी - 187 : बिहार में नौ मासूम बच्चों का सड़क पर कत्ल

     बिहार के जिला मुजफ्फरपुर के धनपुर गाँव में  24 फरवरी 2018 को एक राष्ट्रीय दल के तथाकथित रसूखदार नेता ने 9 छोटे छोटे स्कूली बच्चों को अपनी बोलेरो कार से कुचल कर मार दिया और 20 बच्चों को घायल कर दिया । बताया जा रहा है कि यह नेता शराब के नशे में धुत्त था । आज 5 दिन बाद भी रसूखदार नेता पकड़ा नहीं गया है ।

     सुनने में आ रहा है कि मुख्यमंत्री जी होली नहीं खेलेंगे । होली खेलो या नहीं खेलो साहब खून के छीटों से राज्य का शराबबंदी वाला शासन- प्रशासन तो रंग गया । नशामुक्त बिहार में शराब पीकर वे नेता मदमस्त हो रहे हैं जिनके दल की बिहार में साझा सरकार है । आप इन नौनिहालों के अभिभावकों को राहत राशि जरूर देंगे । क्या इस राहत से इनके मासूम बच्चे वापस आ जाएंगे ? दुःखद तो यह है कि 5 दिन हो गए हैं परंतु कातिल अभी तक फरार है । मुख्यमंत्री जी इस हत्या से शराबबंदी अभियान की भी हत्या कर दी आपके साझेदारों ने । आप तो अंतरात्मा की आवाज सुनते हैं । इस समय इन शोक-संतप्त परिवारों से आपकी अंतरात्मा की आवाज क्या कह रही है ? हम इन दुःखी परिजनों के दुख में शामिल होते हुए भगवान से प्रार्थना करते हैं कि इन्हें इस असहनीय दुख को सहन करने की शक्ति प्राप्त हो ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
28.02.2018

Monday 26 February 2018

Chandra shekharazad : चंद्र शेखर आजाद

आज 27 फरवरी चंद्र शेखर आज़ाद का बलिदान दिवस

      आजादी के महानायक चन्द्र शेखर आजाद की शहादत दिवस पर उनकी  स्मृति को शतः शतः नमन् । जिस आजादी को हासिल करने के लिए अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद ने मात्र 24 साल की उम्र में  27 फरवरी 1931 को शहादत दी थी, उसकी चर्चा मीडिया में बिलकुल नहीं । मीडिया में तो चार दिन से लगातार चर्चा ही कुछ और है । शहीदों का स्मरण भी करो भाई । देश के लिए अपना सबकुछ लुटा देने वालों की भी तो बात करो । अमर शहीद चन्द्र शेखर आजाद को विनम्र श्रद्धांजलि ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
27.02.2018

Ashleel sight : अश्लील साइट रोको

खरी खरी - 186 : अश्लील साइटों को बंद करे सरकार

  एक राष्ट्रीय हिंदी दैनिक अखबार में छपी एक सर्वे के अनुसार देश की युवा पीढ़ी धड़ल्ले से इन्टरनेट पर अश्लील देख रही है जिससे 76 % देखने वाले रेप के लिए उग्र हो जाते हैं और 40% इसे देखने की लत के शिकार हो गए हैं जिनमें अधिकांश हिंसक अश्लील दृश्य देखते हैं । 2012 के दिल्ली निर्भया कांड के अपराधियों ने  मोबाइल पर अश्लील चित्र और विडियो देख कर ही उन्होंने जघन्य अपराध किया ।

         हमारे देश में इंटरनेट पर अश्लील पाबंदी की मांग उठते रहती है । कुछ देशों जैसे चीन, पाक, द. कोरिया, मिस्र, रूस आदि में इंटरनेट अश्लील पर कानूनी पाबंदी है । हमारी सरकार को भी इस पर शीघ्र पाबंदी लगाने चाहिए ताकि देश में महिलाओं पर होने वाले अपराधों को रोका जा सके और भावी पीढ़ी को इस गर्त में जाने से बचाया जा सके ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
27.02. 2018

Sunday 25 February 2018

Lakh ka khaak : लाख का खाक होना

खरी खरी -185 : लाख क है जां खाक

मंखियैक जिंदगी
लै कसि छ,
हव क बुलबुल
माट कि डेल जसि छ ।

जसिक्ये बुलबुल फटि जां
मटक डेल गइ जां,
उसक्ये सांस उड़ते ही
मनखि लै ढइ जां ।

मरते ही कौनी
उना मुनइ करि बेर धरो,
जल्दि त्यथाण लिजौ
उठौ देर नि करो ।

त्यथाण में लोग कौनी
मुर्द कैं खचोरो,
जल्दि जगौल
क्वैल झाड़ो लकाड़ समेरो ।

चार घंट बाद
मुर्द राख बनि जां,
कुछ देर पैली लाख क छी
जइ बेर खाक बनि जां ।

मुर्दा क क्वैल बगै बेर
लोग घर ऐ जानीं,
घर आते ही जिंदगी की
भागदौड़ में लै जानीं ।

मनखिये कि राख देखि
मनखी मनखी नि बनन,
एकदिन सबूंल मरण छ
यौ बात याद नि धरन ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
26.02.2018

Saturday 24 February 2018

Vot aur baigan : वोट और बैगन

खरी खरी - 184 : वोट और बैगन

      एक समझदार गृहणी टोकरी के सभी बैगन सड़ कर दागी हो जाएं और सब्जी का कोई दूसरा विकल्प नहीं हो तो वह उस बैगन को छांटती है जो कम सड़ा हो और सब्जी का जुगाड़ कर लेती है । हमें अपना वोट भी उस व्यक्ति को देना चाहिए जिसकी छवि बेदाग़ हो या जो अन्य से कम सड़ा या दागी हो । नोटा के प्रयोग से भी लाभ नजर नहीं आया, उलटे उसे वोट अंतर से जीतने का लाभ मिल गया जिसे आपने चाहा नहीं ।

        राज्य की राजधानी गैरसैण बनाने, अपनी भाषा को मान्यता देने, मुजफ्फरनगर के नरपिशाचों को सजा देने, राज्य में चारों रेल मार्गों का निर्माण कार्य तेजी से करने तथा राज्य के प्राइमरी स्वास्थ्य केंद्रों की दशा सुधारने, शिक्षा की गुणवत्ता को बनाने और पलायन पर विराम लगाने सहित भ्रष्टों, दलबदलुओं, चरित्रहीनों और बेपैदे के लोटों का साथ नहीं देने वाले उम्मीदवार ने सिर्फ अपना उल्लू साधा । याद रहे जब भी आपको वोट देने का अवसर मिले, प्रजातंत्र में आपका पवित्र वोट बिके नहीं और बिना लोभ-लालच के उस व्यक्ति को मिले जिसमें आपको देश हित, समाजहित और जनहित दिखाई देता हो ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
25.02.2018

Friday 23 February 2018

Bhrashtachar behd kharaab: भ्रष्टाचार बेहद खराब स्थिति

खरी खरी - 183 : भ्रष्टाचार की बेहद खराब स्थिति

    एक राष्ट्रीय दैनिक हिंदी समाचार पत्र में छपी रिपोर्ट के अनुसार भ्रष्टाचार को लेकर भारत के सरकारी क्षेत्र की छवि दुनिया की निगाह में अब भी खराब है । अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन ट्रांसपेरेंसी इन्टर्नेसनल की ताजा रिपोर्ट के अनुसार ग्लोबल करप्शन इंडेक्स-2017 में दुनिया के 180 देशों में भारत को 81वें स्थान पर रखा गया है । देश को विभिन्न कसौटियों में 100 में से 40 अंक मिले । अंक भ्रष्टाचार के हिसाब से दिये जाते हैं अर्थात जितने कम अंक उतना अधिक भ्रष्टाचार व्याप्त होना माना जाता है ।

     ट्रांसपेरेंसी इन्टर्नेसनल के अनुसार, 'पूरे एशिया- प्रशांत क्षेत्र के कुछ देशों में पत्रकारों, कार्यकर्ताओं, विपक्षी नेताओं और कानून लागू करने वाली एजेंसियों के अधिकारियों को धमकियां दी जाती हैं । कहीं कहीं तो उनकी हत्या भी कर दी जाती है । इन देशों में 6 वर्ष में 15 ऐसे पत्रकारों की हत्या हो चुकी है जो भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्य करते थे ।  इस सूची में चीन 77वें और रूस 135वें स्थान पर हैं जबकि सीरिया, सूडान और सोमालिया क्रमशः 14, 12 और 9 अंक के साथ सबसे नीचे हैं । न्यूजीलैंड और डेनमार्क सबसे कम भ्रष्ट हैं जिन्हें क्रमशः 89 और 88 अंक प्राप्त हुए ।

     हमें अपने देश की चिंता है । हमारे देश में सरकारी क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार कम नहीं हो रहा । वर्तमान PNB बैंक घोटाला बहुत दुःखित करता है जिसमें ऐसा लगता है कि यह कांड सबकी मिलीभगत से हुआ । रेल में पुलिस के वे वीडियो आम हैं जिसमें ड्यूटी करने वाला पुलिसमैन यात्रियों से उघाई करता है । ट्रैफिक पुलिस भी जेब भरती है,  रेड़ी-ठेले वालों को सड़क पर अवैध कब्जा देकर हफ्ता लिया जाता है । कहाँ तक गिनवायें, यत्र - तत्र - सर्वत्र भ्रष्टाचार का ही बोलबाला है । कानून तोड़ने वालों को पुलिस या कर्मचारी सह देते हैं और बदले में कीमत वसूलते हैं  ।  यही भ्रष्टाचार का ऐवरग्रीन चक्र है ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
24.02.2018

Bhrashtaachaar : भ्रष्टाचार भष्मासुर

खरी खरी - 182 : भ्रष्टाचार का भष्मासुर

जड़ भ्रष्टाचार की
मजबूत इतनी हो गई,
उखड़ वह सकती नहीं
शक्ति सारी खो गई ।

रेत के पुल बन रहे हैं
नजरें घुमाए वे खड़े,
खा रहे भीतर ही भीतर
राष्ट्र को दीमक बड़े ।

डिग्रियां तो बिक रही हैं
अब सरे बाजार में,
नाव शिक्षितों की डोली
जा रही मजधार में ।

मंतरी से संतरी तक
बिक रहे हैं खुलेआम,
घोटालों के संरक्षक
घूम रहे हैं बेलगाम ।

बैंक खाली करके वो तो
छोड़ गया है देश को,
थोड़े कर्ज में जो दबा था
वो छोड़ रहा है देह को ।

भ्रष्ट लोगों के घरों में
जल रहे घी के दीये,
रोकने वाले थे जो
वे भी उन्हीं में मिल लिए ।

टूट रहा है मनोबल
कर्मठ निष्ठावान का,
चक्रव्यूह घेरे उसे है
भ्रष्ट चोर शैतान का ।

सत्यवादी सद्चरित्र का
मान पहले था जहां,
आज झूठे चोर बेईमान
पूजे जाते हैं वहां ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
23.02.2018

Shabdkosh : कुमाउनी शब्दकोश

मीठी मीठी - 84 : कुमाउनी शब्दकोश

     वर्ष 2009 में मैंने पहला राष्ट्रीय कुमाउनी भाषा सम्मेलन अल्मोड़ा में अपनी मातृभाषा कुमाउनी के बारे में बहुत कुछ जानकारी प्राप्त की । तब से 2017 तक नौ सम्मेलनों में निरन्तर हाजिरी लगाते  रहा हूं ।अब तक कुमाउनी में 10 किताब लै लेखि हालीं । 2012 में मैंने उत्तराखंड सामान्य ज्ञान पुस्तक "उज्याव" (कुमाउनी में सामान्य ज्ञान कि पैल किताब ) की रचना की । कुमाउनी भाषा "शब्दकोश" रचने का विचार कई वर्षों से मंथन में है । कुछ काम शुरू भी कर दिया है । 

        सभी मित्रों से निवेदन है कि आप अधिक से अधिक कुमाउनी के शब्द हिंदी में अर्थ सहित मेरे पास भेज सकते हैं । सोसल मीडिया फेसबुक या व्हाट्सएप या डाक से भी मेरे पास कुमाउनी भाषा के शब्द-अर्थ भेजे जा सकते हैं । मोब. 9871388815 पर सम्पर्क भी कर सकते हैं ।''शब्दकोश" निर्माण बहुत कठिन कार्य है । देखता हूँ मैं अपने प्रयास में आप सभी के सहयोग से कितना सफल होता हूं । धन्यवाद ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
23.02.2018

Wada : क्या हुआ तेरा वादा

बिरखांत - 200 : क्या हुआ..आ.. तेरा वादा..आ..आ.. ?

( 21 फरवरी मातृभाषा दिवस पर विशेष )

           आज के युग में वायदा करने में लोग देर नहीं लगाते परन्तु निभाने में देर की बात छोड़ो, वायदा ही भूल जाते हैं | एक हजार से अधिक वर्ष पुरानी कुमाउनी-गढ़वाली भाषा जो कभी कत्यूरी और चंद राजाओं की राजकाज की भाषा थी, गोरखा आक्रमण में मार डाली गई | रचनाकार आगे आए और भाषा पुन: पनप गई |

     दो दशक पहले कुछ मित्रों ने कहा, ‘आप हिन्दी में लिख रहे हैं अच्छी बात है परन्तु कुमाउनी मरने लगी है, इसे भी ज़िंदा रखो |’ मैंने प्रयास किया और कुमाउनी की कुछ विधाओं पर दस पुस्तकें लिख दी | दो पुस्तकें ‘उज्याव’ (उत्तराखंड सामान्य ज्ञान, कुमाउनी में ) और ‘मुक्स्यार’ ( कुमाउनी कविताएं ) निदेशक माध्यमिक शिक्षा उत्तराखंड सरकार ने कुमाऊं के पांच जिल्लों- अल्मोड़ा, बागेश्वर, नैनीताल, पिथौरागढ़ और चम्पावत के सभी पुस्तकालयों हेतु खरीदने के लिए इन सभी जिल्लों के मुख्य शिक्षा अधिकारियों को पत्रांक २२४८१-८६/पुस्तकालय/२०१२-१३ दिनांक २३ जून २०१२ के माध्यम से आदेश दिया |

      तब से पांच वर्ष बीत चुके हैं, कई स्मरण पत्र देने पर भी आज तक एक भी पुस्तक नहीं खरीदी गई | नीचे से ऊपर तक कुर्सी में बैठे हुए जिस साहब से भी कहा उसने वायदा किया परन्तु परिणाम शून्य रहा | यही नहीं दिल्ली और उत्तराखंड की कई नामचीन संस्थाओं एवं कई व्यक्तियों ने भी मेरे अनुरोध पर विद्यार्थियों के लिए लिखी गई मेरी पांच पुस्तकों (उज्याव, बुनैद, इन्द्रैणी, लगुल, महामनखी –प्रत्येक का मूल्य मात्र 100/- ) को समाज में पहुंचाने का कई बार बचन दिया, वायदा किया परन्तु इक्का-दुक्का व्यक्तियों ने ही वायदा निभाया |

     इन पुस्तकों में मैंने सूक्ष्म शब्दों में गुमानी पंत, गिरदा, शेरदा, कन्हैयालाल डंड्रीयाल, पिताम्बरदत बड़थ्वाल, शैलेश मटियानी, सुमित्रानंदन पंत, वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली, ज्योतिराम काण्डपाल, बिशनी देवी शाह, टिंचरी माई, लवराज सिंह धर्मशक्तु, सुन्दरलाल बहुगुणा, बछेंद्री पाल, गौरा देवी, विद्यासागर नौटियाल, श्रीदेव सुमन, चंद्रकुंवर बर्त्वाल सहित गंगा, हिमालय, उत्तराखंड राज्य, पर्यटन, स्वतंत्रता सेनानी, किसान, सैनिक, विद्यार्थी, अध्यापक एवं राष्ट्र के कई महापुरुषों, १३ राष्ट्रपतियों, १४ प्रधानमंत्रियों तथा कई अन्य विषयों को छूने का प्रयास किया है |

     विचार गोष्ठियों एवं सम्मेलनों में अक्सर इस साहित्य को गांव-देहात तक पहुंचाने के खूब वायदे सुनता हूं परन्तु क्रियान्वयन शून्य | काश ! हम सब एक-एक पुस्तक भी अपने घर /संस्था में रखते, अपने गांव के अध्यापक- सभापति- सरपंच तक पहुंचाते तो बच्चे अवश्य जानते कि ये ‘गिरदा’-‘ गढ़वाली’ आदि उक्त व्यक्ति कौन हैं और हमारी लिखित भाषा भी उन तक पहुंचती | हम आयोजन में आए, भाषण दिया, भाषण सुना और वापस | बस | निराश नहीं हूं | वसंत जरूर आएगा |

“अभी निराशा का घुप्प
अंधेरा नहीं हुआ है,
आशा के रोशन चिराग
भी हो रहे हैं;
खुदकुशी करने का मन
जब करता है कभी,
पहरे जीने की तम्मन्ना
के भी लग रहे हैं |”

पूरन चन्द्र काण्डपाल
22.02 .2018

Tuesday 20 February 2018

Hamar neta : हमार नेता

खरी खरी - 181 : हमार नेता

अघिल -पिछाड़ि यूं हमूकैं भुलि जानी
चुनाव क टैम गिड़गिड़ानै ऐ जानी,
हात जोड़नी इजा - बाबू कै जानी
वोट पड़ते ही पुठ देखै जानी ।

यूं मुख में राम राम बगल में छुर धरनी
जाड़ काटी नि देखिन टुक सुकिये देखिनी,
इनरि खाल लै मोटि हैं निबुड़न तीर
यौ मनखियौ क रूप छ बिना जमीर ।

उम्मीद निछोड़ण चैनि वोट दिण पड़ल
कभैं त क्वे माई च्यल जरूर पैद ह्वल,
जो वोट दिणियांक नजर में खर उतरल
वोट चुनाव प्रजातंत्र कि लाज धरल ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
21.02.2018

Monday 19 February 2018

Kort mein gandagee : कोर्ट परिसर में गंदगी

खरी खरी - 180 : कोर्ट परिसर में भी कानून अवहेलना

     हमारे देश में कानूनों की कमी नहीं है परन्तु हर कदम पर कानून की अवहेलना एक आम बात है । कानून का लोगों को बिलकुल डर नहीं है क्योंकि अवहेलना खुलेआम है और दंड बिलकुल नहीं । कानून बना कर इसे किनारे पर रख दिया जाता है । कानून लागू करने वालों या कानून के प्रहरियों से कोई पूछने वाला नहीं है । ट्रैफिक का उल्लंघन, रात को हॉर्न बजाना -पटाखे चलाना, कहीं पर भी कूड़ा फेंकना या लघु-दीर्घ शंका मिटाना, कानून की पाबंदी के बाद भी खुलेआम होता है ।

     देश की राजधानी स्थित कड़कड़डूमा कोर्ट परिसर के अंदर धूम्रपान- गुटखा खाना मना है जिसका वर्ष 2004 से कानून तोड़ने पर एक लाख रुपये तक का जुर्माना है । परिसर में इस कानून की जमकर अवहेलना हो रही है और आजतक एक भी चालान नहीं काटा गया । अवहेलना का एक चित्र यहां उधृत है । इस कानून के होर्डिंग्स भी वहां लगे हैं । कोर्ट परिसर में धूम्रपान भी जारी है । वर्ष 2004 के कानून के अनुसार सार्वजनिक जगहों पर धूम्रपान और गुटखा-तम्बाकू खाना मना है ।

      कानून की अवहेलना वह भी न्याय के मंदिर परिसर में अकल्पनीय है, असहनीय है लेकिन फिर भी वहां यह अवहेलना होती है तो इसे कानून का मजाक ही कहा जायेगा ।  उस परिसर में कार्यरत कानून के पहरेदारों की निगहबान बंद आंखें कब खुलेंगी ?

पूरन चन्द्र काण्डपाल
20.02.2018

Ramdev : रामदेव

खरी खरी - 179 : स्वामी रामदेव अब कम बोलने लगे हैं ।

    कुछ लोग कहते हैं रामदेव जी एक साधु हैं, फकीर हैं उन्हें बिजनेस नहीं करना चाहिए । मैं इस बात का समर्थन नहीं करता । यदि रामदेव जी भी कटोरा- कमण्डल लेकर भीख मांगते तो तब क्या अच्छा होता ? कभी नहीं । रामदेव जी ने आज हजारों लोगों को रोजगार दिया है और योग को घर-घर पहुँचाया है जो हमारे लिए गर्व की बात है । अंधविश्वास की हमारे देश में जड़ बहुत गहरी है । रामदेव जी अंधविश्वास के भी घोर विरोधी हैं इसलिए भी मैं उनका सम्मान करता हूं । स्वदेशी मूवमेंट का स्मरण करते हुए मैं यदाकदा पतंजलि के प्रोडक्ट्स भी खरीदता हूं ।
     
     रामदेव जी का नए दो हजार रुपये के नोट पर चुप रहना मुझे अखरता है क्योंकि वे 2014 तक पांच सौ और एक हजार के नोट को हटाने के पक्षधर रहे हैं । दूसरी बात यह है कि वे कालेधन पर भी चुप हैं और वर्तमान नीरव मोदी लूट- भगोड़ा कांड पर भी चुप हैं । उन्होंने जनहित में उस रामदेव को पिजड़े बंद नहीं करना चाहिए जो कभी किसी भी भ्रष्टाचार पर सिंह गर्जना करता था । चाणक्य तो हर परिस्थिति में बोलते थे । कृपया  बोलते रहें स्वामी रामदेव जी, चुप न रहें । साधुवाद ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
19.02.2018

Saturday 17 February 2018

Bachche aur pm : प्रधानमंत्री और बच्चे

खरी खरी - 178 : बच्चे और प्रधानमंत्री

    मुझे अब तक के सभी चौदह  प्रधानमंत्रियों - सर्वश्री जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, श्रीमती इंदिरा गांधी मोरारजी देसाई, चौधरी चरण सिंह, राजीव गांधी, विश्वनाथ प्रताप सिंह, चन्द्र शेखर, पी वी नरसिंम्हा राव, अटल बिहारी वाजपेयी, एच डी देवेगौड़ा, इन्द्र कुमार गुजराल, डा. मनमोहन सिंह और नरेन्द्र दामोदरदास मोदी तथा दो बार कार्यवाहक प्रधानमंत्री रहे गुलजारी लाल नंदा को सुनने -पढ़ने का यदाकदा अवसर मिला । लगभग सभी ने राष्ट्र-निर्माण, तरक्की, खुशहाली, अमन-चैन, सर्व-धर्म समभाव और भाईचारे से मिलजुलकर रहने की बात कही । अपने आह्वान में सभी ने बच्चों को सम्मिलित किया ।

     16 फरवरी 2018 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश भर के विद्यार्थियों से परीक्षा पर चर्चा की । इस चर्चा में उन्होंने बच्चों से आत्मविश्वास बढ़ाने, मन-बुद्धि- आत्मा को एकाग्र करने, दोस्तों से स्पर्धा नहीं करने, माता-पिता-गुरुजनों का सम्मान करने, अभिभावकों को अपना मित्र बनाने, परीक्षा अंकों व परिणाम की चिंता नहीं करने का संदेश  दिया । प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू ने भी बच्चों को लगभग ऐसे संदेश दिये थे । बच्चे उनसे प्यार से 'चाचा नेहरू' कहते थे । उनका जन्मदिन 14 नवम्बर बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है ।

      निःसन्देह मोदी जी की सीख बहुत अच्छी है और बच्चों ने उनकी टिप्पस पर गौर करना चाहिए । कलाम अंकल (पूर्व राष्ट्रपति ए पीजे अब्दुल कलाम) भी बच्चों की अक्सर क्लास लिया करते थे । लगभग सभी बालदिवसों पर प्रत्येक प्रधानमंत्री ने बच्चों को कुछ न कुछ संदेश दिया है । बच्चे तभी अपना भविष्य उज्ज्वल बना पाएंगे जब वे उचित समय प्रबंधन (सभी कार्य समय से)' निष्ठा, निरंतरता, अनुशासन और कठिन परिश्रम से लक्ष्य बनाकर आगे बढ़ेंगे । इसमें अभिभावकों और शिक्षकों एवं स्कूल तथा घर के वातावरण का योगदान भी अति आवश्यकीय है ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
18.02.2018

Friday 16 February 2018

Pakoda : पकोड़ा बहस

खरी खरी - 177 : पकोड़ा- पकोड़ा विमर्श 

     हमारे देश में पकोड़ा - पकोड़ा पर खूब बहस हो रही है । फुटपाथ पर पकोड़ा लाइव प्रदर्शन हो रहा है उधर एक आदमी बैंक की तिजोरी खाली करके भगोड़ा हो गया है । इसे क्या कहेंगे ? बहस का क्या है ? इसे तो असल मुद्दों से भटकाने के उद्देश्य से कालांतर से कराया जाता है । ढाल के रूप में पकोड़े का उपयोग पहली बार हो रहा है ।

     देश में चाय पर चर्चा के साथ अब पकोड़े पर भी चर्चा होने लगी है । राजधानी में केंद्रीय बजट के बाद पकोड़े के चटखारे के साथ बजट को बेहतरीन बजट बताया जा रहा है । राजनैतिक दल एक -दूसरे पर ओछी टिप्पणियां कर रहे हैं । बेरोजगार युवा मुठ्ठी में अपने प्रमाणपत्र लेकर इधर- उधर रोजगार तलासते हुए खानाबदोश बन रहे हैं । कोने में पड़ा हुआ बेचारा पकोड़ा आज राजनीति की चर्चा में आ गया है ।

     राजधानी के पूर्वी नगर निगम शिक्षक संघ के बैनर तले शिक्षकों ने  तीन महीने से वेतन नहीं मिलने से नाराज होकर 12 फरवरी को नगर निगम मुख्यालय के बाहर पकौड़े तलकर अपना विरोध जताया । वहां मौजूद लोगों ने रोष में तले गए इन पकौड़ों का कसैला स्वाद भी चखा । शिक्षक संघ के अध्यक्ष के अनुसार 2015 से सेवानिवृत्त हुए शिक्षकों को न तो पैंसन मिल रही है और न उनकी बचत राशि । 

     कुछ बेरोजगार डिग्री होल्डर स्किल प्राप्त युवाओं का कहना है कि समझ में नहीं आता कि कितने लोग पकोड़े बनाएंगे और उन्हें कहां बेचेंगे ? आसमान पर चढ़े बेसन और तेल का भाव दुनिया देख रही है । कौन उन्हें बेसन और तेल देगा तथा कौन पकौड़े बिकने की गारंटी लेगा ? इस तरह पकोड़ा-पकोड़ा कह कर हमारे जख्मों में नमक छिड़क कर हमारा दर्द मत बढ़ाइए श्रीमान, हमें हमारी योग्यतानुसार कार्य दीजिये जैसा कि आपने कहा था ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
17.02.2018