Friday 31 January 2020

Maan se badhkar kaun ? :मां से बढ़कर कौन ?

मीठी 419 : मां से बढ़कर कौन ?

           माँ को याद करने के लिए एक विधा काव्य भी है । मां को याद करने के लिए किसी खास दिन की प्रतीक्षा भी क्यों हो ? मातृ - पितृ स्मरण तो हर सांस में होना चाहिए । काव्यांजलि के माध्यम से याद करना या  श्रद्धांजलि अर्पित करना सुकून देता है । माँ के बारे में जितना अधिक कहा जाय वह कम है । कुछ छंद प्रस्तुत हैं -

स्नेह वात्सल्य ममता करुणा की
सबसे सुंदर सूरत तू,
त्याग तपस्या स्व-अर्पण की
जीती-जागती मूरत तू ।

जग सेवा में तत्पर माँ की
सेवा कहाँ कोई कर पाया,
जग से गई सिधार जिस दिन
त्याग स्मरण उसका आया ।

अंतिम क्षण तक थकी नहीं तू
सेवा जग की करती रही,
जग के उजियारे के खातिर
सदा दीप सी जलती रही ।

माँ के कर्ज से महीं में कोई
उऋण नहीं हो सकता है,
आँचल की उस अमृत बूंद का
मोल चुका नहीं सकता है ।

( मेरा हिंदी कविता संग्रह "स्मृति - लहर" की कविता 'माँ से बढ़कर कौन' से उधृत ।)

पूरन चन्द्र काण्डपाल
01.02.2020

Bachchon ke liye ho kaarykram : बच्चों के लिए हो कार्यक्रम

मीठी मीठी - 418 : बच्चों के लिए भी हो कुछ सांस्कृतिक आयोजनों में

      अक्सर जब भी हम सांस्कृतिक कार्यक्रमों में जाते हैं तो इक्का-दुक्का जगहों को छोड़कर वहां सांस्कृतिक या सृजनात्मक तौर पर बच्चों के लिए कुछ भी आयोजन नहीं होता । अधिकांश सांस्कृतिक आयोजन सिर्फ नृत्य -गीत -संगीत तक ही सीमित रहते हैं । सुनने- कहने में यह बुरा जरूर लगेगा परन्तु यह सत्य है । अपवाद को छोड़ दें तो बच्चे इन कार्यक्रमों में रुचि नहीं ले रहे और इसी कारण वे वहां जाने में आनाकानी भी करते हैं । बच्चों के लिए चित्रकला, सामान्य ज्ञान, कविता उच्चारण, फैन्सी ड्रेस, नाटक आदि कुछ तो होना ही चाहिए ।

     30 जनवरी 2020 को वसंत पंचमी के अवसर पर इंद्रप्रस्थ मैथिल मंच (पंजी.) रोहिणी दिल्ली ने महासरस्वती पूजनोत्सव कार्यक्रम किया जहां यज्ञ, पूजा, नृत्य, सांस्कृतिक आयोजन के साथ ही बच्चों के लिए चित्रकला, सामान्य ज्ञान और फैन्सी ड्रेस प्रतियोगिता कराई गई । इन तीनों ही विधाओं में दो- दो ग्रुप थे - जूनियर और सीनियर । बच्चों ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया और सभी श्रेणियों में प्रथम, द्वितीय और तृतीय पुरस्कार दिए गए ।

      इन विधाओं में संस्था द्वारा दी गई भागीदारी निभाने का मुझे भी अवसर मिला । एक शानदार अनुभव के साथ मैं कह सकता हूं कि यह एक अत्यंत ही सफल आयोजन रहा । संस्था के अध्यक्ष श्री अजीत कुमार सिंह एवं कार्यक्रम संचालक श्री टी एन झा और इनकी समस्त टीम ने एकजुटता का एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया । सभी प्रतियोगिता सम्पन्न करने में मुझे श्रीमती वंदना जी एवम् संजीव कुमार जी (दोनों अध्यापन से जुड़े हुए व्यक्ति) का भरपूर सहयोग मिला ।

     इंद्रप्रस्थ मैथिल मंच रोहिणी दिल्ली को बधाई और शुभकामनाएं देते हुए अन्य सभी संस्थाओं से भी निवेदन करूंगा कि बच्चों के लिए भी सांस्कृतिक आयोजनों में कुछ विधाओं का समावेश अवश्य करें तभी भावी पीढ़ी का सार्थक निर्माण होगा और बच्चों में सामाजिकता, एकजुटता तथा देशप्रेम की फुनगियां पनपने लगेंगी और बच्चो का सांस्कृतिक विकास भी होगा ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
31.01.2020

Wednesday 29 January 2020

Gandhi ko kyon naheen mila Nobel ? :गांधी को क्यों नहीं मिला नोबेल?

बिरखांत - 303 : गांधी को क्यों नहीं मिला ‘नोबेल पुरस्कार’ ?

( आज 30 जनवरी बापू के शहीदी दिवस पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि । )

     मोहन दास करम चन्द गांधी (महात्मा गांधी, बापू, राष्ट्रपिता) का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ | उनकी माता का नाम पुतली बाई और पिता का नाम करम चन्द था | 13 वर्ष की उम्र में उनका विवाह कस्तूरबा के साथ हुआ | गांधी जी 18 वर्ष की उम्र में वकालत पढ़ने इंग्लैण्ड गए | वर्ष 1893 में वे एक गुजराती व्यौपारी का मुकदमा लड़ने दक्षिण अफ्रीका गए |

     दक्षिण अफ्रीका में उन्होंने रंग- भेद निति का विरोध किया | 7 जून 1893 को गोरों ने पीटरमैरिटजवर्ग रेलवे स्टेशन पर उन्हें धक्का मार कर बाहर निकाल दिया | वर्ष 1915 में भारत आने के बाद उन्होंने सत्य, अहिंसा और असहयोग को हथियार बनाकर अन्य सहयोगियों के साथ स्वतंत्रता संग्राम लड़ा और देश को अंग्रेजों की गुलामी से स्वतंत्र कराया | 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गौडसे ने नयी दिल्ली बिरला भवन पर उनकी गोली मारकर हत्या कर दी | इस तरह अहिंसा का पुजारी क्रूर हिंसा का शिकार हो गया | देश की राजधानी नयी दिल्ली में राजघाट पर उनकी समाधि है |

      पूरे विश्व में महात्मा गांधी का नाम बड़ी श्रद्धा से लिया जाता है | संसार में बिरला ही कोई देश होगा जहां बापू के नाम पर कोई स्मारक न हो | परमाणु बमों के ढेर पर बैठी हुयी दुनिया भी गांधी के दर्शन पर विश्वास करती है और उनके बताये हुए मार्ग पर चलने का प्रयत्न करती है | विश्व की  जितनी भी महान हस्तियां हमारे देश में आती हैं वे राजघाट पर बापू की समाधि के सामने नतमस्तक होती हैं | इतना महान व्यक्तित्व होने के बावजूद भी विश्व को शान्ति का संदेश देने वाले इस संदेश वाहक को विश्व में सबसे बड़ा सम्मान कहा जाने वाला ‘नोबेल पुरस्कार’ नहीं मिला | क्यों ?

     नोबेल पुरस्कार’ प्रदान करने वाली नौरवे की नोबेल समिति ने पुष्टि की है कि मोहनदास करम चन्द गांधी नोबेल शांति पुरस्कार के लिए 1937, 1938, 1939, 1947 और हत्या से पहले जनवरी 1948 में नामांकित किये गए थे | बाद में पुरस्कार समिति ने दुःख प्रकट किया कि गांधी को पुरस्कार नहीं मिला | समिति के सचिव गेर लुन्देस्ताद ने 2006 में कहा, “ निसंदेह हमारे 106 वर्षों से इतिहास में यह सबसे बड़ी भूल है कि गांधी को नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिला | गांधी को बिना नोबेल के कोई फर्क नहीं पड़ा परन्तु सवाल यह है कि नोबेल समिति को फर्क पड़ा या नहीं ?”

     1948 में जिस वर्ष गांधी जी शहीद हुए नोबेल समिति ने उस वर्ष यह पुरस्कार इस आधार पर किसी को नहीं दिया कि ‘कोई भी योग्य पात्र जीवित नहीं था |’ ऐसा माना जाता है कि यदि गांधी जीवित होते तो उन्हें बहुत पहले ही ‘नोबेल शांति’ पुरस्कार प्रदान हो गया होता | महात्मा गांधी को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ भी नहीं दिया गया क्योंकि वे इस सम्मान से ऊपर हैं |

     सत्य तो यह है कि अंग्रेज जाते- जाते भारत का विभाजन कर गए | गांधी जी ने विभाजन का अंत तक विरोध किया | जिन्ना की महत्वाकांक्षा ने तो विभाजन की भूमिका निभाई जबकि भारत के विभाजन के बीज तो अंग्रेजों ने 1909 में बोये और 1935 तक उन बीजों को सिंचित करते रहे तथा अंत में 1947 में विभाजन कर दिया | भारत में राम राज्य की कल्पना करने वाले गांधी, राजनीतिज्ञ नहीं थे बल्कि एक संत थे | गांधी को ‘महात्मा’ का नाम रवीन्द्र नाथ टैगोर ने और ‘राष्ट्रपिता’ का नाम नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने सम्मान के बतौर सुझाया था | आज भी दुनिया कहती है कि गांधी मरा नहीं है, वह उस जगह जिन्दा है जहां दुनिया शांति और अमन-चैन की राह खोजने के लिए मंथन करती है |

पूरन चन्द्र काण्डपाल
30 जनवरी 2020

Aigo vasant : ऐगो वसंत

मीठी मीठी - 417 : ऐगो  बसंत - आज बसंत पंचिमी

बजूरै  पौन बसंती राग 


चौतरफ़ा उडैरै बसंती फाग, 


ब्योली जसि छाजि रै बसोधरा 


कैं रंगवाई पिछौड़ कें पिङ्गइ पाग।

फूलों में मौ कि है रै बहार 


को छ य रंगरेज बन अप्छ्याण, 


कैल फोक हुनल  य अबीर गुलाल 


को बौरै  गो आमों कैं लगै  तराण।

'पूरन' पूंछें रौ  कस  य बसंत 


लेखण   बतूंण  कठिन बसंत, 


मांघ -फागुण  राग बसंत 


रितू  चैत  बैसाग बसंत।

(सबूं कैं बसंत पंचिमीकि शुभकामना )

पूरन चन्द्र काण्डपाल


30.01.2020


Tuesday 28 January 2020

Rakhi aur guldad :राखी और गुलदाड़

मीठी मीठी - 414 : राखी और गुलदाड़

      वीरता की पराकाष्ठा तब होती है जब कोई अपनी जान की परवाह किए बिना कर्तव्य की ललकार को सुनता है । स्वयं की जान की बाजी लगाकर गुलदार के हमले से भाई की जान बचाने वाली उत्तराखंड की बहादुर बेटी राखी रावत को सामाजिक सरोकारों के लिए प्रतिबद्ध संस्था 'नई पहल नई सोच ' ने  नई दिल्ली में सम्मानित किया। संस्था के संस्थापक और वरिष्ठ अधिवक्ता एवं समाज सेवी संजय दरमोड़ा ने राखी रावत एवं उनके पूरे परिवार को दिल्ली में सम्मानित किया। इस अवसर पर दरमोड़ा ने कहा पहाड़ की इस बहादुर बेटी ने अपनी बहादुरी से न केवल अपने छोटे भाई की जान बचाई बल्कि विश्व पटल पर उत्तराखंड का नाम रोशन किया।

     दस वर्षीय राखी रावत को गणतंत्र दिवस के अवसर पर महामहिम राष्ट्रपति भारत सरकार द्वारा अन्य 21 वीरता पुरस्कार विजेता बच्चों के साथ राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया। गर्व महसूस करते हुए अधिवक्ता संजय शर्मा दरमोडा ने कहा कि हमें अपने बहादुर बच्चों पर गर्व है। हमने निर्णय लिया है कि इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का शुभारंभ इस वीर बालिका को सम्मानित कर किया जाएगा। इस मौके पर मौजूद राखी के माता जी ने कहा कि राखी ने उन्हें एक नई पहचान दिलाई है। हमने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि हमारी बेटी को एक दिन इतना सम्मान मिलेगा। हम आदरणीय संजय दरमोड़ा एवं नई पहल नई सोच के सभी कार्यकर्ताओं का आभार प्रकट करते है कि आप सब ने हमें इतना सम्मान दिया।

     बाल्यकाल में अदम्य साहस से सराबोर राखी और गुलदार की कहानी कुछ इस तरह है - पौड़ी गढ़वाल के बीरोंखाल ब्लॉक के देव कुंडई गाँव निवासी राखी रावत पुत्री दलवीर सिंह रावत चार अक्टूबर 2019 को अपने चार साल के भाई राघव और मां के साथ खेत में गई थी। खेत से घर लौटते समय गुलदार ने राखी के भाई पर हमला किया, भाई को बचाने के लिए राखी उससे लिपट गई थी। आदमखोर गुलदार के लगातार हमले से लहूलुहान होने के बाद भी राखी ने भाई को नहीं छोड़ा जिस पर राखी की मां के चिल्लाने की आवाज से गुलदार भाग गया था। राखी की इस बहादुरी के लिए राखी को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार के तहत मार्कंडेय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। भारतीय बाल कल्याण परिषद (आईसीसीडब्ल्यू ) की ओर से दिल्ली में आयोजित भव्य समारोह में राखी को यह पुरस्कार असम राइफल्स के ले. कर्नल रामेश्वर राय के करकमलों से दिया गया।

(संपादित लेखांश सोसल मीडिया से साभार ।)

पूरन चन्द्र कांडपाल
28.01.2020

kya kya baantoge ? :क्या क्या बांटोगे ?

खरी खरी - 554 : क्या-क्या बांटोगे ?

राजनीति के हाट में
बंट गए भगवान
देखा नहीं था आजतक
ऐसा अद्भुत ज्ञान,

ऐसा अद्भुत ज्ञान
बांटो सूरज चांद सितारे,
धरती जल आकाश बांटो
बांटो प्रकृति नजारे,

जात धर्म संप्रदाय की
क्यों रचे चुनाव रणनीति ?
मुद्दों से मत भटको नेता
करो जनहित राजनीति ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
28.01.2020

Sunday 26 January 2020

Bahadur bachche : बहादुर बच्चे

मीठी मीठी -415 : हमारे बहादुर बच्चे

     हमारे देश में प्रतिवर्ष  गणतंत्र दिवस के अवसर पर 'राष्ट्रीय बाल वीरता पुरस्कार' भारतीय बाल कल्याण परिषद ( वर्ष 2019 के गणतंत्र दिवस से यह सम्मान महिला और बाल विकास मंत्रालय के अंतर्गत ) द्वारा वर्ष 1957 से प्रधानमंत्री के हाथ से प्रदान किये जाते हैं । प्रत्येक राज्य में परिषद की शाखा है । प्रतिवर्ष 1 जुलाई से 30 जून के बीच 6 वर्ष से बड़े और 18 वर्ष से छोटी उम्र के वे बच्चे ग्राम पंचायत, जिला परिषद, प्रधानाचार्य, पुलिस प्रमुख एवं जिलाधिकारी की संस्तुति के बाद परिषद की राज्य शाखा को आवेदन कर सकते हैं जिन्होंने अपनी जान की परवाह नहीं करते हुए दूसरों की जान बचाई ।

     इस पुरस्कार के लिये पुलिस रिपोर्ट एवं अखबार की कतरन प्रमाण के बतौर होनी चाहिए । 1957 से 2019 तक यह पुरस्कार 1006 बहादुर बच्चों को प्रदान किया गया जिनमें 705 लड़के और 301 लड़कियां हैं । पुरस्कार में चांदी का पदक, नकद राशि, पुस्तक खरीदने के वाउचर और प्रशस्ति पत्र दिया जाता है । सर्वोच्च बहादुरी के लिए स्वर्ण पदक और विशेष बहादुरी के लिए भारत पुरस्कार, संजय चोपड़ा, गीता चोपड़ा सुर बापू गयाधानी पुरस्कार दिया जाता है । ये बच्चे गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेते हैं और राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री से भी मिलते हैं ।

    इस वर्ष  के( वर्ष 2019 के पुरस्कार ) गणतंत्र के ये पुरस्कार 22 बहादुर बच्चों को प्रदान किया गया जिनमें 1 मरणोपरांत हैं । इन बच्चों में 12 लड़के और 10 लड़कियां देश के 12 विभिन्न राज्यों के हैं जिनमें 10 वर्ष की राखी उत्तराखंड की है जिसने गुलदाड़ से अपने भाई को बचाया । इस वर्ष गणतंत्र दिवस परेड में ये बच्चे जीपों में बैठकर राजपथ से गुजर रहे थे । देश में अपने अपने राज्य का नाम ऊँचा करने वाले इन बहादुर बच्चों को बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं । हमें अपने बच्चों से इस पुरस्कार की चर्चा अवश्य करनी चाहिए ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
27.01.2020

Saturday 25 January 2020

71 waan Gantantr diwas : 71 वान गणतंत्र

बिरखांत- 302  : 71वां गणतंत्र दिवस  – संकल्प करने का दिन

    प्रतिवर्ष जनवरी महीने में चार विशेष दिवस एक साथ मनाये जाते हैं | 23,  24,  25 और 26  जनवरी |  23 को नेताजी सुभाष जयंती,  24 को राष्ट्रीय बलिका दिवस ( इस दिन 1966 में श्रीमती इंदिरा गाँधी देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनी थी ), 25 को मतदाता जागरूकता दिवस और 26 को 1950 में हमारा संविधान लागू हुआ था | वर्ष 2016 से 22 जनवरी को ‘बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ’ दिवस भी मनाया जाने लगा है | (इस बार शायद मनाना भूल गए ।) हमने विगत 70 वर्षों में बहुत कुछ पाया है और देश में विकास भी हुआ है परन्तु बढ़ती जनसंख्या ने इस विकास को धूमिल कर दिया | 70 वर्ष पहले हम 43 करोड़ थे और आज 132 करोड़ हैं अर्थात उसी जमीन में 89 करोड़ जनसंख्या बढ़ गई |

   हमने मिजाइल  बनाए,  ऐटम बम बनाया, अन्तरिक्ष में धाक जमाई, कृषि उपज बढ़ी, साक्षरता दर जो तब 2.55% थी अब 74.1% है | रेल, सड़क, वायुयान, उद्योग, सेना, पुलिस, अदालत आदि सब में बढ़ोतरी हुई | इतना होते हुए भी हमारी लगभग 25 % जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे है जिनकी प्रतिदिन की आय पचास रुपए से भी कम बताई जाती है | देश की सभी जनता के पास अभी भी शौचालय नहीं हैं | कई स्कूलों और आगनबाड़ी केन्द्रों में पेय जल नहीं है और दूर-दराज में कई जगह अभी बिजली नहीं पहुँची है | प्रतिवर्ष हजारों किसान आत्महत्या कर रहे हैं | अदालतों में करीब तीन करोड़ से भी अधिक मामले लंबित हैं और एक केस सुलझाने में कई वर्ष लग जाते हैं | ब्रेन ड्रेन भी नहीं थमा है |

    विदेशों की नजर में हम निवेश के लिए सुरक्षित नहीं हैं | 187 देशों में हमारा नंबर 169 है अर्थात उनकी नजर में 168 देश उनके लिए हमसे अधिक सुरक्षित हैं | विश्व के 200 श्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में हमारा नाम नहीं है | बताने के लिए तो बहुत कुछ है जिससे मनोबल को ठेस लगेगी | प्रतिवर्ष राजपथ पर गणतंत्र दिवस परेड हमारा मनोबल बढ़ाती है | हमारे सुरक्षा प्रहरी हिम्मत और शक्ति के परिचायक हैं जो सन्देश देते हैं कि हमारी सीमाएं सुरक्षित और चाकचौबंद हैं | हमें अपने देश में ईमानदारी के पहरुओं पर भी गर्व है | हम अभी विकासशील देश हैं क्योंकि हमारे पास विकसित देशों जैसा बहुत कुछ नहीं है |

   भारत को विकसित राष्ट्र बनने में देर नहीं लगेगी यदि ये मुख्य चार दुश्मनों – भ्रष्टाचार, बेईमानी, अकर्मण्यता और अंधविश्वास से उसे निजात मिल जाय | इसके अलावा नशा, आतंकवाद, अशिक्षा, गरीबी, गन्दगी और साम्प्रदायिकता भी हमारी दुश्मनों की जमात में हैं | यदि हम इन दस दुश्मनों को जीत लें तो फिर भारत अवश्य ही सुपर पावर समूह में शामिल हो सकता है | इन दुश्मनों की चर्चा हमारे राष्ट्र नायकों सहित देश के कई प्रबुद्ध नागरिकों ने पहले भी कई बार की है और आज भी हो रही है | आइये इस गणतंत्र पर संकल्प करें और इन सभी दुश्मनों को जड़ से उखाड़ फेंकने में सहयोग करते हुए देश को महाशक्ति समूह में शामिल करें | आप सबको 71वे गणतंत्र दिवस की बधाई |

पूरन चन्द्र काण्डपाल
26.01.2020

Friday 24 January 2020

Balika dIwas sarvbhaumik :बालिका दिवस सार्वभौमिक

मीठी मीठी -  413 :  बालिका दिवस - सार्वभौमिक संस्था द्वारा

     24 जनवरी 2020 को सायं 5 बजे गढ़वाल भवन नई दिल्ली में सार्वभौमिक संस्था दिल्ली द्वारा हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी राष्ट्रीय बालिका दिवस के सुवसर पर " आह्वान 2020 " (सशक्त बेटी सशक्त समाज) का दीप प्रज्वलन के साथ आयोजन किया गया । इस अवसर पर मुख्य कार्यक्रम थे -  नौनी विषय पर कविता पाठ, तनाव प्रबन्धन /किशोरावस्था परिवर्तन पर वार्ता द्वारा वार्ताकार - प्रोफेसर मोनिका रिखी (दिल्ली विश्वविद्यालय ) एवम् प्रोफेसर सुनिता देवी, प्रस्तुती डा॰ हिमानी बिष्ट (फिजियोथेरेपिष्ट व योगाथेरेपिष्ट ) एवम् कु. स्तुती दत्त । संगीत निर्देशनक राकेश गुसांई , नृत्य निर्देशक लक्ष्मी रावत पटेल, शास्त्रीय गायिका मधुबेरिया बिष्ट शाह ने सुंदर कार्यक्रम प्रस्तुत किया ।

      सुश्री संस्कृति गैरोला की सरस्वती वंदना से कार्यक्रम आरम्भ हुआ जिसमें दिवंगत डॉ विमल, मीरा गैरोला और हेमा गुसाईं को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की गई । इस आयोजन में सर्वश्री ब्रह्मानंद कंगड़ीयाल, रमेश घिल्डियाल और डॉ सतीश कालेश्वरी ने काव्य पाठ किया । प्रोफेसर रिखी एवम् प्रो. दत्त ने स्ट्रेस मैनेजमेंट (अवसाद मुक्ति ) पर सुरुचिपूर्ण वक्तव्य दिया और कई प्रश्नों के उत्तर दिए । आयोजन में कई साहित्यकार, कवि, पत्रकार, राजनीतिज्ञ एवम् गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे जिन्होंने बालिका दिवस के इस कार्यक्रम को देखा । सभागार में  सर्वश्री के सी पांडे, देवेन्द्र जोशी, पूरन चन्द्र कांडपाल, पत्रकार सुनील नेगी, चारु तिवारी, सत्येन्द्र रावत, गायक जगदीश ढौंढियाल, अनिल पंत, सुश्री करुणा भट्ट, प्रेमा धोनी, मधु बेरिया बिष्ट शाह, संगीतकार - गायक सर्वेश्वर बिष्ट आदि कई समाज से जुड़े हुए लोग इस अवसर पर मौजूद थे ।  कार्यक्रम संचालन संस्था के अध्यक्ष अजय बिष्ट ने किया । इस सफल आयोजन के लिए सार्वभौमिक की पूरी टीम को साधुवाद और शुभकामना ।

पूरन चन्द्र कांडपाल


25.01.2020

Thursday 23 January 2020

Bakika diwas : बालिका दिवस

मीठी मीठी - 412 : आज बालिका दिवस

      आज 24 जनवरी 'बालिका दिवस' छ । आजक दिन 1966 में दिवंगत प्रधानमंत्री 'भारत रत्न' इंदिरा गांधी देशकि पैली महिला प्रधानमंत्री बनी । तब बटि य दिन कैं 'बालिका दिवस' क रूप में  मनाई जांछ । इन्दिरा ज्यूक बार में किताब "लगुल'' बै याँ लेख उधृत छ । बालिका दिवस कि बधै और शुभकामना ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल

24.01.2020

Wednesday 22 January 2020

Neta ji Subhash : नेता जी सुभाष

मीठी मीठी - 411 : नेताजी सुभाष बोस जयंती

      आज 23 जनवरी स्वतंत्रता आन्दोलनक अमर सेनानी नेताजी सुभाषचंद्र बोस ज्युकि जयंती छ । "लगुल" किताब बै उनार बार में लेख उधृत छ । देश कैं "जयहिन्द" नारा दिणी नेताज्यू कैं विनम्र श्रद्धांजलि ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
23.01.2020

Tuesday 21 January 2020

Andekhi ni karo nanaa kain : अनदेखी नि करो नना कैं

खरी खरी - 553 : अणदेखी नि करो नना कैं

    बेई चनरदा मिलीं और अच्यालाक ननाक बार में कुछ ज्यादै चिंता में डुबि रौछी | बतूण लागीं, “ के कई जो हो महाराज हम आपण नना देखि डरै फै गोयूं और डरा मारि हमूल नना हैं के लै कौण छोड़ि हालौ | हर दुसार दिन खबर मिलीं या टी वी में हम देखनूं कि इज या बौज्यूकि डांट पड़ण पर फलाण नान घर बै भाजि गो या फंद पर लटकि गो | य डराक वजैल हमूल लै नना हैं के कौण छोडि है जो भलि बात न्हैति | हमूल नना कैं टैम दीण चैंछ | प्यारल समझै बेर लै नान मानि जानी  पर य काम बिलकुल नानछिना यानै शैशव काल बै शुरू हुण चैंछ | जता लै हमू कैं नना में क्वे लै अवगुण नजर ओ, हमूल धृतराष्ट्र या गांधारी नि बनण चैन | दुर्योधनाक अवगुणों कैं वीक इज- बौज्यूल देखीयक अणदेखी करि दे | उनूल गुरु द्रोणाचार्यकि बात कैं लै अणसुणी करि दे |

        जब लै क्वे हमूं हैं हमार नना कि बुराई करनी हमूल नक् मानणक बजाय चुपचाप विकि बात कैं जाचण –परखण चैंछ | कम उमराक नान लै हमार दिई मोबाइल या कंप्यूटर पर उत्तेजनात्मक दृश्य देखें रईं | देश में 13 साल है कम उम्र क 76 % नान रोज यू ट्यूब में वीडियो देखें रईं जनूल आपण अभिभावकों कि इजाजत ल आपण एकाउंट बनै रौछ | ननाकि भाषा लै गन्दी या अशिष्ट है गे | ऊँ आपण आम-बुबू कैं लै के नि समझन और नै उनरि सुणन | उनू कैं घर का खाण लै भल नि लागन | ऊँ चाउमिन, मोमोज, बर्गर, चिप्स, फिंगर फ्राई और बोतल बंद पेयल म्वाट लै हूं फैगीं या उनरि तंदुरुस्ती बिगड़ण फैगे |  घर में लै हाम नना पर के खाश अनुशासन नि लगून और उनुकें ज्यादै पुतपुतै दिनू | रतै उठण बटि रात स्येतण तक नना लिजी टैमक कैद-क़ानून हुण चैंछ | खेल और टी वी पर एक-एक घंट है ज्यादै टैम दींण ठीक न्हैति | 15 अगस्त या 26 जनवरी कि छुट्टी देर तक स्येतणक लिजी नि हुनि  बल्कि जल्दि उठि बेर य दिन कैं मनूणक लिजी हिंछ |

        कुछ लोग आपण अवयस्क लाडलों कैं स्कूटर, मोटरसाइकिल या कार चलूणकि खुलि छूट दीं रईं |  गली-मुहल्ल में अक्सर यौ दृश्य हाम देखैं रयूं | अवयस्क लाड़िल आपण वाहन ल नजीक में खेलणी नना कैं कुचलि द्युछ | कैकै निर्दोष नान मारी गाय और य लाड़िल कैं सजा लै नि हुनि क्यलै कि उ अवयस्क मानी जांछ | रात में यूं जोर जोरैल हॉर्न बजै बैर लोगों कैं परेशान करि बेर उड़नछू है जानी | पुलिस सब चैरीं पर चुप भैटी रैंछ | यास ननाक अभिभावकोंक लेसंस रद्द हुण चैंछ | हालकि रिपोटक अनुसार सड़क दुर्घटनाओं में हमार देश में हर साल डेड़ लाख बेक़सूर लोग मारी जानी और तीन लाख लोग घैल है जानी | य संख्या में अवयस्क लाडलों द्वारा मारी गईं निर्दोष लोग लै शामिल छीं |

      नना दगै देशप्रेम और शहीदोंकि चर्चा लै हुण चैंछ | हमूल आपण नना क व्यवहार, बोलचाल, संगत, आदत, आहार और स्वच्छता पर जरूर  नजर धरण चैंछ | अगर शुरू बटि अनुशासन ह्वल तो अघिल जै बेर डांटणक सवाल पैद नि हवा | नना दगै अभिभावकोंक मित्रवत व्यवहारल उनर भविष्य भल रांछ और नान एक समझदार नागरिक बननी | तो अंत में य कूण चानू कि आपण नना लिजी टैम जरूर निकालिया नतर एक दिन पछताण पड़ि सकूं |”

पूरन चन्द्र काण्डपाल
22.01.2020