Thursday 31 October 2019

pradooshan ke sakht kadam :प्रदूषण के सख्त कदम

बिरखांत -288 : प्रदूषण मुक्ति के सख्त कदम

    यदि महानगरों में प्रदूषण घटाना है तो सख्त कदम तो उठाने ही पड़ेंगे । अपने स्वास्थ्य के खातिर हमने कोई बदलाव स्वीकार नहीं किया । वर्त्तमान दिल्ली सरकार ने दो बार सम- विषम (ऑड -ईवन ) का  प्रयोग कर भी लिया है परंतु नियमित नहीं हो सका जो अब नियमित करना ही होगा । अपनी सुख-सुविधा के खातिर हम बच्चों के नाजुक फेफड़ों की तरफ नहीं देख रहे । अब पुनः इस महीने 15 दिन के लिए आड - इवन की बात हो रही है ।

     सरकार के भरसक प्रयास करने पर भी रुपए का गिरना जारी है जो ₹ 71.07 प्रति डालर हो चुका है । यह स्तिथि लगातार आयत के बढ़ने और निर्यात के घटने से उत्पन्न हुई । आयात की सूची में सबसे अधिक आयात कच्चे तेल का होता है। हम कुल खपत का 80 % तेल आयात करते हैं जिसकी कीमत डालर में देनी होती है। राजधानी के पड़ोसी राज्य धान की पराली जला रहे हैं । जन - जागृति उन पर बेअसर रही । सरकार रात - दिन जोर - शोर से कह रही है कि हम टेक्नोलोजी में बहुत आगे हैं परन्तु हम वह तकनीक नहीं खोज सके हैं जिससे पराली का कुछ सदुपयोग हो और किसान को पराली जलानी नहीं पड़े । हमारे देश में मानव जनित प्रदूषण अधिक है । दीवाली के पटाखे, धान की पराली और कंस्ट्रक्शन की धूल तथा कूड़े का जलना । इनसे सख्ती से नहीं निपटा जाता । भ्रष्टाचार की वजह से देश में बैन के बाद भी दीपावली पर अवैध पटाखे देर रात तक जले जिनकी आवाज कानून के रखवालों को नहीं सुनाई दी ।

     देश में सड़कों पर कारों  की संख्या बहुत है जिसे घटाया नहीं जा सकता बल्कि यह संख्या दिनोदिन बढ़ती रहेगी।  वर्षों से यह अपील जारी  है कि  लोग कार -पूलिंग करें अर्थात एक ही गंतव्य स्थान तक जाने के लिए दो-चार व्यक्ति बारी-बारी से एक ही कार का उपयोग करें जिससे चार कारों की जगह सड़क पर एक ही कार चलेगी। पेट्रोल भी बचेगा और सड़क पर वाहन भीड़ भी कम होगी।  इस अपील पर बिलकुल भी अमल नहीं हुआ। कार मालिक सार्वजानिक वाहन (बस ) की कमी और समय अनिश्चितता के कारण उसका उपयोग करना  पसंद नहीं करते।

          सरकार यदि देश के सभी महानगरों के लिए यह क़ानून बना दे कि सम और विषम संख्या की कारें बारी-बारी से सप्ताह में तीन-तीन दिन के लिए ही सड़क पर चलें अर्थात जिन कारों के अंत में 1, 3, 5 ,7 ,9  (विषम संख्या ) हो वें विषम तारीख को चलें और जिनके अंत में 2, 4, 6, 8, 0 (सम संख्या ) हो वे सम तारीख को चलें तथा रविवार को सभी वाहन चलें तो इससे सड़कों पर वाहन संख्या घट कर आधी रह जायेगी, तेल का आयात घटेगा, प्रदूषण कम होगा और प्रदूषण जनित बीमारियां कम हो जाएंगी क्योंकि बच्चों के फेफड़ों पर इस प्रदूषण का बहुत बड़ा कुप्रभाव पड़ रहा है ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
01.11.2019

Wednesday 30 October 2019

Dwi bharat ratn :द्वि भारत रत्न

मीठी - 375 : आज द्वि भारत रत्नों क स्मरण

      देश में 45 भारत रत्नों में बै आज द्वि भारत रत्नों का स्मरण दिवस छ । पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ज्यू क आज शहीदी दिवस छ जबकि पूर्व उप-प्रधानमंत्री और पैल गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ज्यू क जन्मदिन छ । इनार बार में पुस्तक 'महामनखी' में तीन भाषाओं में चर्चा छ । यूं द्विये महामनखियों कैं विनम्र श्रद्धांजलि ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल

31.10.2019

Tuesday 29 October 2019

T B se bacho : टी बी से बचो

खरी खरी - 515 : टी बी (क्षय, तपेदिक ) से कैसे बचे देश ?

         सरकार ने वर्ष 2025 तक टी बी को देश से खत्म करने का लक्ष्य रखा है लेकिन देश में इस रोग के मरीजों की संख्या बढ़ रही है । टी बी से हर साल करीब 5 लाख लोग हमारे देश में मर जाते हैं । देश में करीब 22 लाख से अधिक टी बी के रोगी हैं जिनमें करीब डेढ़ लाख बच्चे हैं ।

          टी बी रोग के मुख्य लक्षण हैं लगातार सूखी खांसी, बुखार, वजन कम होना, रात को पसीना आना, छाती में दर्द, भूख कम लगना और छोटी छोटी सांस लेना | यह एक मध्यम गति का संक्रामक रोग है जो हवा से (सांस द्वारा) फैलता है | रोगी के फेफड़े में अड्डा बनाए रोगाणु उसकी सांस से, खासने से या छींक से बाहर आते हैं जिससे उसकी नजदीकी हवा रोगाणुयुक्त हो जाती है | उस हवा को जब स्वस्थ व्यक्ति सांस लेता है तो ये रोगाणु उसके फेफड़े में परवेश कर उसे रोगी बना सकते हैं | किसी भी भीड़ में यदि एक भी रोगी टी बी का है तो वह किसी भी स्वस्थ व्यक्ति को यह रोग फैला सकता है ।

        जिन लोगों का इम्यून सिस्टम ( रोग प्रतिरोधक तंत्र) कमजोर है वे जल्दी टी बी की चपेट में आते हैं । कुपोषण इसका मुख्य कारण है । धूम्रपान जैसे बीड़ी, सिगरेट व तम्बाकू, हुक्का, सुल्पा आदि इस रोग को अधिक खतरनाक बनाते हैं । सड़क पर उड़ने वाली धूल - मिट्टी और कंस्ट्रक्शन कार्य से जनित प्रदूषण मनुष्य के फेफड़ों को रोग लगने में मदद करता है । दूषित खान - पान और जल से भी इस रोग की वृद्धि होती है जो फेफड़ों के आलावा दिमाग, हड्डी, गुर्दे, आंत, गर्भाशय सहित शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकता है । अतः टीबी से बचने के लिए उपरोक्त लक्षण होने पर रोगी को अस्पताल ले जाना तथा बच्चों को जन्म लेते ही बी सी जी का टीका लगाना बहुत जरूरी है ।

        नियमित संतुलित आहार नहीं मिलने पर भी रोग की संभावना रहती है । यही कारण है यह रोग गरीब तबके में अधिक पाया जाता है । जन जागृति ही टी बी का सबसे बड़ा बचाव है । अतः जिस व्यक्ति को आप निरन्तर खांसते हुए देखते हैं उसे एक बार सरकारी अस्पताल जाने में मदद करें । सरकारी अस्पताल में इलाज मुफ्त होता है । हम सब मिलकर अपने देश को टी बी मुक्त करने का संकल्प लें, यह भी एक देश सेवा है । आपके एक प्रयास से टी बी का फैलाव रुक सकता है ।

पूरन चन्द्र कांडपाल
30.10.2019

Monday 28 October 2019

Bahoo kahan se aayegee : बहू कहां से आएगी

खरी खरी - 514 : बहू कहां से आएगी ?

लड़की को है मार रहे

देना पड़े जो दहेज,

बेटा मेरा खाएगा जो

रखा है मैंने सहेज,

रखा है मैंने सहेज

बहू संग मौज करेगा,

वो भी तो कुछ लाएगी

घर उससे भरेगा,

कह 'पूरन' गुर्राए

मारे जोर से नड़की,

बहू कहां से आएगी

जब मारे तू लड़की ?

( कन्या भ्रूण हत्या के कसाइयों, 

दहेज लोभियों, पुत्र सिंड्रोम रोग ग्रसितों, 

पिंडदान - सराद के अभिलाषियों को समर्पित।)

पूरन चन्द्र काण्डपाल

29.10.2019

Sunday 27 October 2019

Der raat tak jale pataakhe : रात तक जले पटाखे

खरी खरी -513 : प्रतिबंध के बाद भी देर रात तक चले पटाखे

     27 अक्टूबर 2019 दीपावली की रात लोगों ने 10 बजे रात्रि के बाद भी खूब पटाखे जलाए । आरम्भ में करीब 8 बजे रात लग रहा था कि इस साल लोग प्रदूषण के कारण कम पटाखे चलाएंगे । लेकिन 9 बजे के बाद अंधाधुंध पटाखों का शोर होने लगा जो उच्च डेसीबल का था । सरकारी अपील और न्यायालय के आदेश की जमकर अवहेलना हुई । रात को ही हवा में प्रदूषण और धूल की परत दिखाई देने लगी ।

       राजधानी में 27 अक्टूबर की सुबह  कई जगह पर हवा में प्रदूषण 400 AQI  से अधिक था । 200 से कम AQI सामान्य माना जाता है । इस प्रदूषण का प्रचार पहले से ही किया गया था । इसके बावजूद लोगों ने पटाखे जलाए । कुछ नव धनाढ्यों और नम्बर दो की कमाई वाले मनचलों ने पटाखों के शोर और प्रदूषण से पूरे समाज को दुखित और पर्यावरण को प्रदूषित किया । लोग समाज के स्वास्थ्य से इस तरह कब तक खिलवाड़ करते रहेंगे, इस प्रश्न का उत्तर किसी के पास नहीं है ।

        28 अक्टूबर की सुबह धुएं की परतें कम नजर आईं । लोगों ने बताया कि इस बार पिछले साल की तुलना में कुछ कम पटाखे जले । जले पटाखों के अवशेष सड़क पर कई जगह अधिक और कई जगह कम दिखे । उन सभी लोगों को धन्यवाद जिन्होंने पटाखे नहीं जलाकर अपने मासूम बच्चों के फेफड़ों को प्रदूषण से बचाया और अपने बच्चों की समझाया । काश ! इस बात को सभी लोग समझते तो हमारी समस्याएं काम हो जाती ।

पूरन चन्द्र कांडपाल
28.10.2019

Shubh deepaawali : शुभ दीपावली

मीठी मीठी - 373 :  शुभ दीपावली

शुभ दीपावली सबके नाम,
एक दीप शहीदों के नाम,
चीनी सामान का नहीं नाम,
स्वच्छता हो सबका काम,
आतिशबाजी न लो नाम,
सुप्रीम कोर्ट को लाल सलाम ।

     जब चीन प्रत्येक अंतरराष्ट्रीय मामले पर संयुक्त राष्ट्र में हमारे विरुद्ध अड़ंगा लगा रहा है, सीमा पर घुसपैठ में पाक की मदद कर रहा है तो फिर हम चीन की मूर्तियां, लड़ियां, पटाखे और खिलौनों पर मोह क्यों करें ? चीन में बनी जिन वस्तुओं का विकल्प हमारे पास है उन चीनी वस्तुओं को भी नहीं खरीदा जाय । हमें हमेशा यह देशप्रेम प्रदर्शित करना ही होगा तभी चीन की बुद्धि काम करेगी ।

      पिछली दीपावली से इस दीपावली तक हमारे कई दर्जन सैनिक उग्रवाद से लड़ते हुए शहीद हो गए । इस दीपावली पर एक दीप शहीदों के नाम पर भी प्रज्ज्वलित करें और शहीदों को नमन करते हुए शहीद परिवारों के प्रति सम्मान प्रकट करें ।

      दीपावली दीप पर्व है । दीप प्रज्ज्वलित करें, घर की स्वच्छता और सजावट सर्वोपरि है । दीपावली स्वच्छता का त्यौहार है । आतिशबाजी स्वेच्छा से ही नहीं करें । उच्चतम न्यायालय को दीपावली की विशेष शुभकामनाएं जो उन्होंने हमें प्रदूषण से बचाने का कदम उठाया । हो सके तो प्रदूषण कम करने के लिए एक पेड़ लगाएं ।

     सभी मित्रों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं । मातृभूमि के उन वीर सपूतों को विनम्र श्रद्धांजलि के साथ एक निवेदन -

तुम गजल लिखो या
गीत प्रीत के खूब लिखो,
एक पंक्ति तो कभी
शहीदों पर लिखो,
लौट नहीं आये जो
गीत लिखो उनपर,
देह-प्राण न्यौछावर
कर गए राष्ट्र की धुन पर ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
27.10.2019
शुभ दीपावली

Friday 25 October 2019

patakhon par poorn pabandi ho : पटाखों पर पूर्ण पाबंदी हो

बिरखांत - 287 : पटाखों पर हो पूर्ण पाबन्दी

     पटाखों की पाबंदी पर पहले भी कई बार निवेदन कर चुका हूँ, ‘बिरखांत’ भी लिख चुका हूँ  | हर साल दशहरे से तीन सप्ताह तक पटाखों का शोर जारी रहता है जो दीपावली की रात चरम सीमा पर पहुंच जाता है |  शहरों में पटाखों के शोर और धुंए के बादलों से भरी इस रात का कसैलापन, घुटन तथा धुंध की चादर आने वाली सुबह में स्पष्ट देखी जा सकती है | दीपावली के त्यौहार पर जलने वाला कई टन बारूद और रसायन हमें अँधा, बहरा तथा  लाइलाज रोगों का शिकार बनाता है |

     पटाखों के कारण कई जगहों पर आग लगने के समाचार हम सुनते रहते हैं | पिछले साल छै से चौदह महीने के तीन शिशुओं की ओर से उनके पिताओं द्वारा देश के उच्चतम न्यायालय में जनहित याचिका दायर करते हुए कहा कि प्रदूषण मुक्त पर्यावरण में बड़े होना उनका अधिकार है और इस सम्बन्ध में सरकार तथा दूसरी एजेंसियों को राजधानी में पटाखों की बिक्री के लिए लाइसेंस जारी करने से रोका जाय |

      उच्चतम न्यायालय ने केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश दिया है कि वह पटाखों के दुष्प्रभावों के बारे में लोगों को शिक्षित करें और उन्हें पटाखों का इस्तेमाल नहीं करने की सलाह दें | न्यायालय ने कहा कि इस सम्बन्ध में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में व्यापक प्रचार करें तथा स्कूल और कालेजों में शिक्षकों, व्याख्याताओं, सहायक प्रोफेसरों और प्रोफेसरों को निर्देश दें कि वे पटाखों के दुष्प्रभावों के बारे में छात्रों को शिक्षित करें |

      यह सर्वविदित है कि सर्वोच्च न्यायालय का रात्रि दस बजे के बाद पटाखे नहीं जलाने का आदेश पहले से ही है परन्तु नव- धनाड्यों एवं काली कमाई करने वालों द्वारा इस आदेश की खुलकर अवहेलना की जाती है | ये लोग रात्रि दस बजे से दो बजे तक उच्च शोर के पटाखे और लम्बी-लम्बी पटाखों के लड़ियाँ जलाते हैं जिससे उस रात उस क्षेत्र के बच्चे, बीमार, वृद्ध सहित सभी निवासी दुखित रहते हैं |

     एक राष्ट्रीय समाचार में छपी खबर के अनुसार सरकार ने स्पष्ट किया है कि इस बार देश में विदेशी पटाखों को रखना और उनकी बिक्री करना अवैध होगा | इसकी अवहेलना करने पर निकट के पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट की जा सकती है | इन विदेशी पटाखों में पोटेशियम क्लोरेट समेत कई खरनाक रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक तो है ही इससे आग भी लग सकती है या विस्फोट हो सकता है | विदेश व्यापार  महानिदेशक ने आयातित पटाखों को प्रतिबंधित वस्तु घोषित किया है | ऑनलाइन पटाखा बिक्री पर भी अब रोक लग गई है ।

     कुछ  लोग अपनी मस्ती में समाज के अन्य लोगों कों होने वाली परेशानी की परवाह नहीं करते | उस रात पुलिस भी उपलब्ध नहीं हो पाती या इन्हें पुलिस का अभयदान मिला होता है | वैसे हर जगह पुलिस भी खड़ी नहीं रह सकती | हमारी भी कुछ जिम्मेदारी होती है | क्या हम बिना प्रदूषण के त्यौहार या उत्सव मनाने के तरीके नहीं अपना सकते ? यदि हम अपने बच्चों को इस खरीदी हुई समस्या के बारे में जागरूक करें या उन्हें पटाखों के लिए धन नहीं दें तो कुछ हद तक तो समस्या सुलझ सकती है | धन फूक कर प्रदूषण करने या घर फूक कर तमाशा देखने और बीमारी मोल लेने की इस परम्परा के बारे में गंभीरता से सोचा जाना चाहिए | उच्च शोर के पटाखों की बिक्री बंद होने पर भी ये बाजार में क्यों बिकते आ रहे हैं यह भी एक बहुत बड़ा सवाल है |

      हम अपने को जरूर बदलें और कहें “पटखा मुक्त शुभ दीपावली” | “ SAY NO TO FIRE CRACKERS”. पटाखों के रूप में अपने रुपये मत जलाइए , इस धन से गरीबों को गिफ्ट देकर खुशी बाँटिये । इस बार उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार पटाखों की बिक्री पर पाबंदी होने से दीपावली की रात कुछ प्रदूषण कम होने की उम्मीद है जिसके लिए सभी नागरिक धन्यवाद के पात्र हैं । अब समय आ गया है जब पटाखों के उत्पादन, भंडारण और बिक्री पर पूर्ण पाबंदी लगनी चाहिए । आप सभी को दीपावली की शुभकामनाएं ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
26.10.2019

Dhanteras :धनतेरस

खरी खरी - 512 : "धनतेरस" क्या है ?

   धनतेरस पर भगवान धनवंतरि की पूजा की जाती है, धन या लक्ष्मी की नहीं । भगवान धनवंतरि ब्रह्मांड की सबसे प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद के देव हैं ।

        हमारा सबसे बड़ा धन स्वास्थ्य है, इसलिए हमें धनवंतरी की पूजा करने के लिए शास्त्रों में बताया गया है । धनवंतरी के नाम में "धन " शब्द के कारण समयांतर - लोगों की धनराशि के प्रति बढती लालसा से वशीभूत, धनवंतरी भुला कर केवल धन की पूजा शुरू हो गई । सोसल मीडिया में लोग आभूषणों और सिक्कों के "कट- पेस्ट - फारवर्ड " चित्र अपने मित्रों को हवाई उपहार भेज रहे हैं ? सोचिए ? केवल "शुभकामना" लिखना उचित है ।

    धनवंतरी पूजा पर आपको धनतेरस की बहुत बहुत शुभकामनाएं, आपका तन मन सदा स्वस्थ रहे , ऐसी हमारी शुभकामनाएं ।

पूरन चन्द्र कांडपाल
25.10.2019

Thursday 24 October 2019

patakhon par nakel :पटाखों पर नकेल

खरी खरी - 511 : पटाखों पर नकेल

     बढ़ते हुए प्रदूषण को रोकने और पर्यावरण को बचाने के लिए देश के सर्वोच्च न्यायालय ने दिवाली और अन्य अवसरों पर आतिशबाजी के लिए दिशा-निर्देश पहले ही दिए हैं जिनके पालन करवाने की जिम्मेदारी क्षेत्रीय थाना प्रभारी की होगी । इन निर्देशों की अवहेलना पर थाना प्रभारी न्यायालय की अवमानना के दोषी माने जाएंगे ।

        सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार  दीपावली को रात 8 से 10 बजे तक और क्रिसमस -नया साल को रात 11.55 से 12.30 तक ही कम प्रदूषण और कम शोर वाले पटाखे ही जलाए जाएंगे । लाइसेंस धारक दुकानदार ही पटाखे बेच सकेंगे । पटाखों की ऑनलाइन बिक्री नहीं होगी । पटाखों की बिक्री से जुड़े निर्देश सभी त्योहारों और शादियों पर भी लागू होंगे । NCR क्षेत्र में सामुदायिक आतिशबाजी की जगह निर्धारित होनी चाहिए । लिथियम, आर्सेनिक, एंटीमनी (अंजन, सुरमा), सीसा और पारा युक्त पटाखे पूरी तरह प्रतिबंधित रहेंगे ।

     बम -पटाखों की आवाज पहले से निर्धारित 12 सितम्बर 2017 के आदेश के अनुसार होगी । न्यायालय ने पटाखों से पर्यावरण को भारी खतरा बताया । देशभर में कम प्रदूषण उत्पन्न करने वाले हरित पटाखे बनाने की अनुमति दे दी गई है । ये सभी आदेश पटाखों पर प्रतिबंध लगाने संबंधी एक याचिका के निस्तारण पर दिए गए ।

     समाज को जनहित और अपने बच्चों के हित में पटाखे नहीं जलाने चाहिए । प्रथा-परम्परा में भी सिर्फ दीप जलाकर रोशनी के साथ दीपावली मनाई जाती थी । पटाखों का प्रचलन वर्तमान में होने लगा जिससे स्वास्थ्य को खतरा पैदा हो गया । हमें पटाखे खरीदने, भेंट करने और जलाने से बचना चाहिए । यह हमारा प्रदूषण घटाने और पर्यावरण बचाने में अपनी भावी पीढ़ी के लिए बहुत बड़ा योगदान होगा । वैसे भी जब श्रीराम घर वापस आए थे तब पटाखे नहीं केवल दीप प्रज्ज्वलित किए गए थे । बाजारवाद ने इसमें पटाखे जोड़ दिए जो आज स्वास्थ्य समस्या, प्रदूषण और बीमारी के स्रोत बन गए हैं ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
25.10.2019

Wednesday 23 October 2019

Shabd sampada : शब्द संपदा

मीठी मीठी -371 : शब्द सम्पदा
(‘मुक्स्यार’ किताब बटि )

सिदसाद नान छी उ
दगड़ियां ल भड़कै दे /

बूबू कि उमर क ख्याल नि कर
नना चार झड़कै दे /

मान भरम क्ये नि हय
कुकुरै चार हड़कै दे /

खेल खेलूं में अझिना अझिन
नई कुड़त धड़कै दे /

कजिय छुडूं हूं जै भैटू
म्यर जै हात मड़कै दे /

बिराऊ गुसीं यस मर
दै हन्यड़ कड़कै दे /

तनतनाने जोर लगा
भिड़ जस दव रड़कै दे /

गिच जउणी चहा वील
पाणी चार सड़कै दे /

बाड़ में हिटणक तमीज निहय
डाव नउ जस टड़कै दे /

लकाड़ फोड़णियल ठेकि भरि छां
एकै सोस में चड़कै दे / 

गदुवक वजन नि सै सक
सुकी ठांगर पड़कै दे /

बीं हूं काकड़ धरी छी
रात चोरूल तड़कै दे / 

लौंड क कसूर क्ये निछी
खालिमुलि नड़कै दे /

पतरौवे कैं खबर नि लागि
बांजक डाव गड़कै  दे /

पूरन चन्द्र काण्डपाल
24.10.2019

Tuesday 22 October 2019

Sab kuchh roti ke liye : कुछ रोटी के लिए

खरी खरी - 510 : सब कुछ रोटी के लिए

     हम सब रोटी के लिए ही तो दर दर भटक रहे हैं । कहीं रोटी मिलती नहीं तो किसी को रोटी पचती नहीं । कोई किसी की आंच में रोटी सेक रहा है तो कोई रोटी को चौबाट में फेंक रहा है । किसी की रोटी भद्र नहीं है तो कहीं रोटी की कद्र नहीं है । कोई रोटी की बाट देख रहा है तो कोई रोटी के लिए जेब काट रहा है । कुछ लोग रोटी कमाने के लिए दौड़ रहे हैं तो कुछ रोटी पचाने के लिए दौड़ रहे हैं । सुबह से लेकर देर रात तक, कहीं कहीं तो रात भर भी लोग रोटी के लिए ही भाग रहे हैं । जिस आटे की रोटी देश का सबसे धनी आदमी खाता है उसी आटे की रोटी देश का सबसे गरीब आदमी भी खाता है । और जब यही रोटी बेकद्री से सड़क पर पड़ी रहती है तो कई बातें उस व्यक्ति के दिल को चीरने लगती हैं जो दो जून की रोटी के लिए कभी तड़फा हो या तड़फ रहा हो ।

        महानगर की एक पॉश कालोनी के पार्क के गेट पर फेंकी हुई रोटियों के ढेर हम प्रतिदिन देखते हैं । प्रश्न उठता है किसने फेंकी होंगी इतनी बेकद्री से ये रोटियाँ ? जिस घर से इन्हें फेंका गया होगा क्या वहाँ कोई रोटी की कद्र नहीं जानता होगा ?  शायद उसे रोटी कमाने का ज्ञान नहीं होगा या वह अब तक कभी भूख से तड़फा नहीं होगा । हम दिन में कम से कम तीन बार तो अपने पेट की आग इस रोटी से बुझाते हैं । एक बार रोटी न मिलने पर हमारी हालत बिगड़ने लगती है ।

        हमारे देश में आज भी करीब 20% लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं । कई लोग तो दिन में केवल एक बार की रोटी भी बड़ी मुश्किल से प्राप्त कर पाते हैं । मेरा मानना है रोटियाँ उसी घर से फेंकी जाती हैं जहाँ भोजन का अनुशासन नहीं है । जब रोटियाँ हिसाब से बनेंगी तो बचेंगी नहीं और जब बचेंगी नहीं तो फेंकी भी नहीं जाएंगी । वैसे भी सुबह की बची रोटी रात को और रात की बची रोटी वह व्यक्ति तो अवश्य खा सकता है जो जीवन में रोटी के लिए कभी न कभी तड़फा हो । रोटी हमारी जिंदगी है और रोटी ईश्वर का दिया हुआ एक अमूल्य उपहार है ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
23.10.2019

Monday 21 October 2019

Nari manyta : नारी मान्यता

ख़री खरी - 509 :  अब "मान्यता" को समझने लगी नारी

       अतीत में जितना भी महिलाओं को पुरुषों से कमतर दिखाने की बात कही-लिखी गई उसको लिखने वाले नर थे । सबकुछ अपने मन जैसा लिखा, जो अच्छा लगा वह लिखा । एक शब्द है "मान्यता" है । 'बहुत पुरानी मान्यता है' कहा जाता है । ये कैसी मान्यताएं थी जब जब औरत को बेचा जाता था, जुए के दाव पर लगाया जाता था, बिन बताए गर्भवती को घर से निकाला जाता था, उस पर मसाण लगाया जाता था, उसे लड़की पैदा करने वाली कुलच्छिनी कहा जाता था, उसे सती -जौहर करवाया जाता था और उसे मुँह खोलने से मना किया जाता था । महिला ने कभी विरोध नहीं किया । चुपचाप सुनते रही और सहते रही ।

       अब हम वर्तमान  में जी रहे हैं । अब सामंती राज नहीं, प्रजातंत्र है । 74% महिलाएं शिक्षित हैं । श्रध्दा के साथ किसी भी मंदिर जाइये,  नारियल फोड़िये, नेट विमान चलाइये, स्पीकर बनिये, प्रधानमंत्री बनिये, राष्ट्रपति बनिये और बछेंद्री की तरह ऐवरेस्ट पर चढ़िये । देश के लिए ओलंपिक से केवल दो पदक आये 2016 में, दोनों ही पदक महिलाएं लाई । पुरुष खाली हाथ आये । आज देश में हमारा संविधान है जिसके अनुसार हम सब बराबर हैं । जयहिंद के साथ सभी सीना तान कर आगे बढ़िए । जय हिन्द की नारी ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
22.10.2019

Jayanand Bharti Jayanti : जयानंद भारती जयंती

मीठी मीठी - 370 : जयानंद भारती जयंती

     कल 20 अक्टूबर 2019 को जयानंद भारती स्मारक निधि (पं) दिल्ली द्वारा गांधी शांति प्रतिष्ठान नई दिल्ली में स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक एवम् नागरिक अधिकारों के समर्थक जयानंद भारती का 139वीं जयंती मनाई गई । इस अवसर पर एक वक्ताओं ने भारती जी के बारे में अपने विचार प्रकट किए जिनमें प्रमुख थे सर्वश्री गणेश लाल शास्त्री ( अध्यक्षता), पूरन चन्द्र कांडपाल, दिनेश ध्यानी, रमेश हितैषी, डॉ प्रयासी, पत्रकार देवसिंह रावत, जितेंद्र गढ़वाली, हरी सिंह, ओपी शास्त्री, संदीप कुमार, दिनेश सिंह बिष्ट आदि । संचालन सुरेश चन्द्र जी द्वारा किया गया । इस अवसर पत्रकार सत्येन्द्र रावत, ओम प्रकाश आर्य और चंदन प्रेमी सहित कई साहित्यिक, सामाजिक और राजनैतिक व्यक्ति उपस्थित थे ।

        जयानन्द भारती (18 अक्टूबर 1881–09 सितम्बर 1952), भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं सामाजिक चेतना के अग्रदूत थे। उन्होने ‘डोला-पालकी आन्दोलन’ चलाया। यह वह आन्दोलन था जिसमें शिल्पकारों के दूल्हे-दुल्हनों को डोला-पालकी में बैठने के अधिकार बहाल कराना था। लगभग 20 वर्षों तक चलने वाले इस आन्दोलन के समाधान के लिए भारती जी ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में मुकदमा दायर किया जिसका निर्णय शिल्पकारों के पक्ष में हुआ। स्वतन्त्रता संग्राम में भारती जी के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। 28 अगस्त 1930 को इन्होंने राजकीय विद्यालय जयहरीखाल की इमारत पर तिरंगा झंडा फहराकर ब्रिटिश शासन के विरोध में भाषण देकर छात्रों को स्वतन्त्रता आन्दोलन के लिए प्रेरित किया।

       भारती जी पर आर्य समाज का गहरा प्रभाव पड़ा । स्वामी श्रद्धानंद जी ने उनका मार्गदर्शन कर उनमें सामाजिक चेतना को समाज और राष्ट्र हित में जागृत किया । उन्होंने गांधी जी के असहयोग और सत्याग्रह आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई । आज हमें  कर्मवीर भारती जी के आंदोलन से प्रेरित होकर सामाजिक विषमता को दूर करने की आवश्यकता है क्योंकि ये विषमताएं आज भी समाज में मौजूद हैं । इस आयोजन के लिए स्मारक निधि की पूरी टीम को शुभकामनाएं ।

पूरन चन्द्र कांडपाल
21.10.2019