Monday 1 June 2020

Mask bol raha hoon : मास्क बोल रहा हूं

खरी खरी - 637 : मैं ' मास्क ' बोल रहा हूं सर !

     (आज अनलौक.1 का पहला दिन है । कल 31 मई 2020 को 68/68 दिन का लौकडाउन पूरा हो गया । संक्रामक रोग कोरोना पूरे विश्व में बढ़ते जा रहा है । आज तक विश्व में कोरोना संक्रमित/मृतक संख्या 62.63+/3.73+ लाख और देश में यही संख्या 1.9 लाख+/5.3+ हजार हो गई है । देश में करीब 86 हजार से अधिक संक्रमित ठीक भी हुए हैं । मास्क ठीक तरह से मुंह और नाक  को ढककर पहनिए । कुछ लोग केवल दिखाने के लिए मास्क लटकाकर चल रहे हैं । बेचारे मास्क की कोई नहीं सुन रहा है । इसलिए मास्क आज आपसे फरियाद कर रहा है । मास्क की सुनो और कोरोना को हराओ । जीतेगा भारत, हारेगा कोरोना ।)

        "जी आप मेरा निवेदन सुनिए । जी मैं एक भारतवासी के गले में लटका हुआ ' मास्क ' बोल रहा हूं । 25 मार्च 2020 को देश में आदेश हुआ कि घर से बाहर निकलने पर मुंह पर मास्क पहनना जरूरी होगा । इस बीच विगत 68 दिनों तक मैंने कई नागरिकों के मुंह पर मास्क बंधा देखा । मेरी बिरादरी के कई रूप और रंग के मास्क मैंने इस बीच देखे । सस्ते भी देखे और महंगे मास्क भी देखे । कई दुकानों ने मुझे आरम्भ में ऊंची कीमत पर भी बेचा । मेरे बारे में लिखने वाला ये मास्क पहना हुआ लेखक भी एक कैमिस्ट की दुकान पर गया और मास्क के बारे में पड़ताल की । कैमिस्ट ने इसे ₹ 10/- से लेकर ₹ 90/- तक के मास्क दिखाए । गरीब आदमी के लिए मास्क पर 10/- खर्च करना भी मुश्किल होता है । ज्यों ज्यों ये चीन का कोरोना देश में बढ़ता गया मास्कों की जरवत भी बढ़ने लगी । फिर लोगों ने घर में ही मास्क बनाने शुरू कर दिए और गले में लटकाकर वजह या बेवजह बाहर निकल पड़े । इस बीच कुछ देशप्रेमियों ने गरीबों को मुफ्त में भी मास्क बांटे ।"

      "इस बीच मैंने देखा कि लोग पुलिस की डर से मास्क लटका कर चलने लगे हैं । जैसे ही पुलिस ने देखा तो मुंह पर लपेट दिया और पुलिस के जाते ही गले में लटका दिया । मेरे देश के कुछ दुपहिए चालक भी तो हेलमेट को आगे लटकाकर ही चलाते हैं और पुलिस को देख सिर में रख लेते हैं । ठीक वैसा ही व्यवहार मेरे साथ भी हो रहा है । कुछ लोग मुझे उतार कर जहां - तहां सड़क/गली/फुटपाथ पर बेकद्री से फेंक भी रहे हैं जो बहुत खतरनाक हो सकता है और बीमारी का संक्रमण बढ़ सकता है । बहुत प्रचार के बाद भी कुछ लोग नहीं समझ पाए कि ठीक से नाक - मुंह ढका हुआ मास्क उन्हें इस संक्रामक से बचाता है । यदि केवल मुंह ढका है और नाक खुला है तो कोई लाभ नहीं होगा । यदि मास्क नहीं है तो रुमाल या गमछे से भी नाक - मुंह ढका जा सकता है परन्तु बार बार मुंह - नाक को हाथ से छूने से भी कोई लाभ नहीं होगा ।"

           " सर मैं बहुत व्यथित होकर आपको अपनी कहानी सुना रहा हूं ताकि आप भी बिना मास्क पहने हुए या सिर्फ गले में लटकाकर घुमक्कड़ी करने वाले दुर्योधनों को विनम्रता से समझाएं कि मास्क पुलिस या किसी की डर से नहीं बल्कि स्वयं और अपने परिवार को कोरोना राक्षस से बचाने के लिए जरूर पहनें और ठीक से नाक - मुंह ढकते हुए पहनें । यदि आप दिन में 2 - 4 दुर्योधन नों को भी समझा सके तो मैं आपको भारत माता का लाड़ला/लाड़ली कहते हुए साधुवाद दूंगा । मेरी इस विनती को आप तक पहुंचाने वाले इन पंक्तियों के लेखक ने कई दुर्योधनों हाथ जोड़कर समझाने में सफलता हासिल की है । आप भी समझाइए तो बात बनेगी सर । हारेगा कोरोना और जीतेगा भारत । जयहिंद ।"

पूरन चन्द्र कांडपाल
01.06.2020

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