Tuesday 9 June 2020

Gairsain pooran rajdhani : पूर्ण राजधानी

खरी खरी - 645 : पूर्ण राजधानी गैरसैण

     (आज अनलौक.1 का 10वाँ दिन है । 31 मई 2020 को 68 दिन का लौकडाउन पूरा हो गया । संक्रामक रोग कोरोना पूरे विश्व में बढ़ते जा रहा है । आज तक विश्व में कोरोना संक्रमित/मृतक संख्या 73.16+/4.13+ लाख और देश में यही संख्या 2.76 लाख+/7.7+ हजार हो गई है । दुखद बात यह है कि कोरोना संक्रमण में अब देश छठे स्थान पर है । देश में करीब 1.25 लाख से अधिक संक्रमित ठीक भी हुए हैं । मास्क ठीक तरह से मुंह और नाक  को ढककर चलें, केवल दिखाने के लिए मास्क लटकाकर न चलें । हाथ धोते रहना, मास्क ठीक से लगाए रखना, देह दूरी और भीड़ से बचाव; ये चार बातें ही तो याद रखनी हैं ।)

      आज गैरसैण की बात करते हैं । 8 जून 2020 को उत्तराखंड सरकार ने राज्य की आधी - अधूरी ग्रीष्मकालीन  राजधानी गैरसैण घोषित कर दी है । यह तो राज्य के लोगों के साथ धोखा है को मंजूर नहीं होगा क्योंकि राज्य आंदोलन में शहीद हुए 42 शहीदों ने स्थाई और पूर्ण राजधानी गैरसैंण की ही मांग की थी । उत्तराखण्ड की राजधानी बनाने के बारे में 11 जनवरी 2001 को सरकार ने दीक्षित आयोग का गठन किया जिसने 8 वर्ष बाद 31 जुलाई 2008 को अपनी रिपोर्ट दी ।  दीक्षित आयोग को कुल 268 सुझाव मिले जिसमें  से 142 गैरसैण के पक्ष में  तथा 42 देहरादून के पक्ष में थे । शेष सुझाव कुछ अन्य जगहों के लिए थे ।  सुझावों से स्पष्ट था कि 70% लोगों ने गैरसैण को राजधानी बनाने के लिए मुहर लगाई । 1994 में कौशिक समिति ने भी गैरसैण को ही राजधानी के लिए उपयुक्त जगह बताया । गैरसैण उत्तराखंड का केंद्र बिंदु है जो 13 जिला मुख्यालयों से लगभग 6 से 10 घंटे सड़क मार्ग से दूरी पर है ।

       विगत 20 वर्षों से राज्य के विभिन्न भागों और देश की राजधानी स्थित जंतर - मंतर, संसद मार्ग नई दिल्ली में सैकड़ों बार उत्तराखंड वासियों ने रैलियां निकाली और मुख्यमंत्री उत्तराखंड सहित देश के प्रधानमंत्री को कई ज्ञापन दिए । आधी - अधूरी राजधानी गैरसैण घोषित होने से काम नहीं चलेगा । राज्य का विकास तभी होगा और पलायन भी तभी थमेगा जब राज्य की स्थाई और पूर्ण राजधानी गैरसैण बनेगी । राज्य और राज्य की राजधानी के लिए शहीद हुए 42 आंदोलनकारियों की आत्मा को शांति भी तभी मिलेगी जब  पूर्ण और स्थाई राजधानी गैरसैण होगी । इस संबंध में आज से 12 वर्ष पहले 2012 में लिखा गया 'उज्याव ' पुस्तक का लेख यहां उद्धृत है ।

पूरन चन्द्र कांडपाल
10.06.2020

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