Monday 15 June 2020

Hira Singh Rana : हीरा सिंह राणा

मीठी मीठी- 471 : हीरा सिंह राणा : उनार शब्द - स्वर ज्यौंन रौल ।

      आपण दिल कि व्यथा - वेदनाल प्रकट शब्दों कैं गीत तली पुजुणी एक साधारण कलाकार बटि दिल्ली में कुमाउनी, गढ़वाली और जौनसारी अकादमीक उपाध्यक्ष पद तक पुजणी फकीरी पसंद हीरा सिंह राणा ज्यूक दिल्ली में आपण निवास स्थान विनोदनगर में 13 जून 2020 हुणि रत्तै हृदय गति रुक जाणल निधन हौछ । ऊं आपण पिछाड़ि घरवाइ  श्रीमती विमला राणा और च्यल हिमांशु राणा कैं छोड़ि गईं । दिल्ली में निगमबोध घाट पर 13 जून हुणि उनर दाह संस्कार हौछ । दिल्ली में कोरोना संक्रमण फैलाव कैं रोकणक उद्देश्यल उनरि शवयात्रा में ज्यादै लोग शामिल नहीं नि है सक ।

        राणा ज्यू गीतोंक माध्यमल लोगोंक दिलों तली पुजणी लोकप्रिय गायक/कवि छी । जनकवि राणा ज्यू (हिरदा ) क जन्म 16 सितम्बर 1942 हुणि मनीला (अल्मोड़ा, उत्तराखंड) में हौछ | ऊं विगत 60 वर्षों बटि आपण गीत- कविताओंक माध्यमल लोक में छाई रईं | उनरि लोकप्रियता कि विशेषता य छी कि ऊं आपण शब्दों कैं स्वर दिबेर उनुकैं गीत तली पुजूंछी । उनार कुछ किताब छीं- 'प्योलि और बुरांश ',  'मानिलै डानि ' और  'मनखों पड़ाव ' में जो हमार बीच हमेशा मौजूद रौल ।

       राणा ज्यू कुमाउनीक शीर्ष लोकगायक छी, ऊं  राज्य आन्दोलन दगै अंत तली जुड़िए रईं , भाषा आन्दोलन में लै संघर्षरत रईं और ऊं राजधानी गैरसैणक समर्थक लै छी । उनार कएक कैसेट–सीडी छीं जनुमें उनर गीतोंक संग्रह समाज में बतौर उनरि निशाणि उपलब्ध रौल । लोक गायनक अलावा राणा ज्यू कुमाउनी में कविता पाठ लै करछी और ऊं कएक सम्मान -पुरस्कारोंल लै विभूषित छी | वर्ष 2016 बटि हर साल उरातार चार ता उनुकैं पद्मश्री सम्मान दीणक लिजी मील निवेदन लै ज्ञापित करौ जो अणसुणिए रौ पर लोगोंल उनुकैं ये है लै ठुल सम्मान उनार गीत सुणि बेर दे ।

       उनरि संघर्ष गाथा किताबक रूप में वर्ष 2014 में प्रकाशित हैछ |  य संघर्ष यात्रा ‘संघर्षों का राही’ (संपादक- वरिष्ठ पत्रकार चारु तिवारी, प्रकाशक- उत्तराखंड लोकभाषा साहित्य मंच दिल्ली, परामर्श - डॉ विनोद बछेती, चेयरमैन डी पी एम आई, नई दिल्ली ) क लोकार्पण वर्ष 2014 में ई कांस्टीट्यूशन क्लब नई दिल्ली में डॉ बछेतीक सहयोगल करिगो | यूं पंक्तियोंक लेखक कैं राणा ज्यूक दगाड़ काव्यपाठ करणक कएक ता मौक मिलौ जनुमें अल्मोड़ा, सल्ट (रानीखेत - द्वि ता ), नोएडा, एन सी आर दिल्ली समेत कएक जाग शामिल छीं । चंडीगढ़ में 19 जनवरी 2020 हुणि लै राणा ज्यूक दगाड़ काव्यपाठ में भागीदारी निभूणक मिकैं मौक मिलौ ।

        भौत ज्यादै सरल, निश्चल, निष्कपट व्यवहार में रमी हुई राणा ज्यू जब मंच बै गीत गांछी तो लोगों कि फर्मैस कभैं लै ख़तम नि हिंछी । लोग उनार दगाड़ फोटो खैंचणक लिजी लालायित रौंछी । कएक ता ऊं फोटो सेशन में थाकि जांछी पर ऊं आपण प्रशंसकों कैं निराश नि करछी। ' म्येरि  मानिलै डानि,  लश्का कमर बाधा (राज्य मांग आंदोलन ),  त्यर पहाड़ म्यर पहाड़,  हाई हाई रे मिजाता, अणकसी छै तू, ह्यूं हैगो लाल, आहा रे जमाना... आदि उनार कएक कालजई गीत छीं जो हमारा बीच गूंजनै रौल, लोगोंक द्वारा हमेशा गुनगुनाई जाल । राणा ज्यू सही मायने में उत्तराखंडकि सांस्कृतिक धरोहर छी । य सांस्कृतिक धरोहरक जाण पर आज जनमानस दुखी छ, स्तब्ध छ और उनरि याद में डुबि बेर व्यथित छ । दिवंगत राणा ज्यूय कैं विनम्र श्रद्धांजलि ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
15.06.2020

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