Tuesday 23 June 2020

Thookne waale : थूकने वाले

खरी खरी - 652 : ये जहां –तहां थूकने वाले

        शब्द-जालों के भ्रामक विज्ञापन पान मसालों के बारे में हम आए दिन देख-सुन रहे हैं | पाउच पर महीन अक्षरों में जरूर लिखा है, “पान मसाला चबाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है’ | पान मसाला, गुट्का, तम्बाकू, खैनी, जर्दा चबाने वालों और धूम्रपान करने वालों को अनभिज्ञता के कारण अपनी देह की चिंता नहीं है परन्तु इन्होंने सड़क, शौचालय, स्कूल, अस्पताल, दफ्तर, रेल-बस स्टेशन, कोर्ट-कचहरी, थाना, गली-मुहल्ला, सीड़ी-जीना, यहां तक कि श्मशान घाट तक अपनी गंदी करतूत से लाल कर दिया है |

       कोरोना के इस दौर में सार्वजनिक स्थानों पर थूकना बहुत गंभीर है । इस दौर में तो सभी तम्बाकू और गुटका उत्पाद बंद होने चाहिए क्योंकि इनसे थूकने की प्रवृति बढ़ती है ।  बस से बैठे-बैठे बाहर थूकना, कार से थूकना, दो-पहिये या रिक्शे से थूकना इनकी आदत बन गयी है | पान-सिगरेट की दुकान पर, फुटपाथ, दिवार या कोना सब इनकी काली करतूत से लाल हो गये हैं | जहां-तहां थूकने वालों का यह नजारा राजधानी दिल्ली सहित पूरे देश का है | क़ानून बना है पर उसकी अवहेलना हमारे देश में आम बात है | क़ानून बनाने वाले और क़ानून के पहरेदार भी क़ानून की परवाह नहीं करते | हरेक थूकने वाले के पीछे पुलिस भी खडी नहीं हो सकती है |

      इन थूकने वालों को देख मसमसाने के बजाय, दो शब्द इन्हें “थैंक यू” कहने की हिम्मत जुटा कर हम स्वच्छता अभियान के भागीदार तो बन सकते हैं | “थैंक यू” इसलिए कि न लड़ सकते हैं और लड़ने से बात भी नहीं बनने वाली | हम तो अपने घर के बन्दे से भी इस मुद्दे पर कुछ कहने से डरते हैं |  बाजार में प्रत्येक पान या गुटका विक्रेता की दुकान के बाहर लोगों ने थूक कर वहां की जमीन लाल कर दी है । इसे कौन रोकेगा ?

पूरन चन्द्र काण्डपाल
23.06.2020

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