मीठी मीठी - 294 : पितृ -स्नेह
( पितृ दिवस पर कुमाऊनी कविता का "बौज्यू " का हिंदी रूपांतर । )
माली की बगिया की तरह
तुमने मुझे संवारा है,
चित्रकार की अनुपम कृति सा
जीवन मेरा निखारा है ।
चाक अंगुली ज्यों कुम्हार की
मिट्टी को जीवित करती,
उसी तरह जीवन की खूबी
तुमने है मुझ में भर दी ।
पाठ गुरु से जो नहीं सीखा
वह सिखलाया है तुमने,
शिक्षक बन कर दीप ज्ञान का
मन में जगाया है तुमने ।
लक्ष्य जीवन का मुझे बताया
स्वावलंबन का पाठ दिया,
सत्य के मारग पर ही हमेशा
चलने का दृष्टांत दिया ।
जब जब रूठा हूं मैं तुमसे
तुम मनाते ही चले गये,
बचपन, यौवन से अब तक तुम
गले लगाते चले गए ।
जब तक प्राण तन में मेरे
स्मृति मन में बनी रहे,
'पितृ देव' की पावन ज्योति
प्रज्ज्वलित मेरे उर में रहे ।
(स्मृति ,लहर' से)
पूरन चन्द्र काण्डपाल
19 जून 2019, पितृ दिवस)
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