Tuesday 2 June 2020

kaamwali/baai/maid :कामवाली/बाई/मेड

खरी खरी - 638 : कामवाली/बाई/मेड

     (आज अनलौक.1 का दूसरा दिन है । 31 मई 2020 को 68/68 दिन का लौकडाउन पूरा हो गया । संक्रामक रोग कोरोना पूरे विश्व में बढ़ते जा रहा है । आज तक विश्व में कोरोना संक्रमित/मृतक संख्या 63.65+/3.77+ लाख और देश में यही संख्या 1.98 लाख+/5.6+ हजार हो गई है । देश में करीब 95 हजार से अधिक संक्रमित ठीक भी हुए हैं । मास्क ठीक तरह से मुंह और नाक  को ढककर पहनिए । कुछ लोग केवल दिखाने के लिए मास्क लटकाकर देह दूरी नियम की धज्जियां उड़ाकर चल रहे हैं जो गलत है ।)

      आज कामवाली की बात करते हैं । शहरों में कुछ लोग घर के काम ( झाड़ू - पोछा, बर्तन - कपड़े धोना, धूल साफ करना, खाना बनाना आदि ) में मदद के लिए जिस महिला को अपने घर में  कुछ घंटों के लिए बुलाते है उसे कहीं कामवाली या कहीं बाई और कहीं मेड या डोमेस्टिक हेल्प कहते हैं । कुछ लोगों को तो वास्तव में मदद की आवश्यकता होती है और कुछ पड़ोस को देखकर स्टेटस सिंबल के बतौर कामवाली रख लेते हैं । ये कामवालियां गरीब अशिक्षित होती हैं और मजबूरी में यह कार्य करतीं हैं । दिन में 4 - 5 घरों में खटने के बाद इन्हें शायद 9 - 10 हजार मासिक आय हो जाती होगी जिससे इनका गुजारा हो जाता है । कई बार सुनने को मिलता है कि इनके पति इस आय का कुछ भाग दारू के लिए छीन लेते हैं ।

        देश में 25 मार्च 2020 से लौकडाउन शुरू हुआ जिसे आज 2 जून 2020 को 70 दिन हो गए हैं भलेही 68 दिन बाद इसे अनलॉक.1 कहा जा रहा है । इस दौरान कामवाली का काम बंद हो गया । कुछ लोगों ने इनकी मदद इस दौरान भी जारी रखी । प्रश्न है इस दौरान कामवाली का काम इन घरों में किसने किया होगा ? कुछ घरों में यह कार्य परिवार के सदस्यों ने मिलजुलकर कर लिया और कुछ घरों में केवल घरवाली ही कामवाली बनी रही या पति ने चाहे - अनचाहे सहयोग दिया । यह जग जाहिर कि कुछ पति काम नहीं करते या कर नहीं सकते और कुछ पत्नियों को पति का कार्य पसंद नहीं आता क्योंकि ऐसी पत्नियों को अपना ही किया हुआ कार्य भाता है, अच्छा लगता है ।

        हमने अपने बच्चों को घर के कार्य में हाथ बंटाने का संस्कार देना छोड़ दिया और बच्चों की फरमाइश 100% पूरी करनी आरम्भ कर दी । क्या हमें अपने बच्चों में अपने भोजन किए हुए बर्तन धोने और अपने कपड़े स्वयं धोने ( कम से कम अंत: वस्त्र ) के संस्कार किशोर अवस्था से नहीं डालने चाहिए ? क्या बच्चों को झाड़ू - पोछा करना या डस्टिंग करना, चाय बनाना या सब्जी - सलाद काटना नहीं सिखाना चाहिए ? कई घरों के बच्चे ये सब काम बखूबी करते हैं । गांधी जी ने एन पी (नेहरू - पटेल ) से साबरमती आश्रम में भोजन करने के बाद थाली धुलवाई थी क्योंकि यह आश्रम का नियम था ।

     हमने अपने बच्चों को घरेलू कार्य में सहभागिता निभाने के संस्कार/नियम अवश्य डालने चाहिए । जिन्होंने ऐसा किया उनके बच्चे आज इस दौर में जब कामवाली नहीं है तो घर के काम में मदद कर रहे हैं । आदर्श परिवार तो उसे कहा जाएगा जहां सभी अपने अपने बर्तन स्वयं धोते हैं । हमारे देश में पुरुष द्वारा घर के बर्तन धोने को अच्छा नहीं समझा जाता था/जाता है । इसका टेंडर/ठेका पूर्ण रूप से महिलाओं के नाम होता था/ है । तब भी कुछ पुरुष बर्तन धोने में हाथ बंटाते थे/ आज भी बंटा रहे हैं ।  अब शिक्षा की बयार ने बराबरी का माहौल बना दिया है । इसलिए आपके लाडले को भी मालूम होना चाहिए कि आटा गूंथते समय आटे में कितना पानी गिराया जाता है । पुरुष इस लेख से मसमसाएं नहीं अपितु खुलकर मेरा मार्गदर्शन/सहमति/असहमति अवश्य दें । (इन पंक्तियों के लेखक पर महिलाओं को भड़काने/उकसाने का आरोप कई पुरुष मित्र पहले ही लगा चुके हैं जो एक सुखद अनुभूति है ।)

पूरन चन्द्र कांडपाल
2 जून 2020
प्यार से खाओ दो जून की रोटी ।

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