खरी खरी - 651 : चीनी सामानक त्याग " वीकै बणाई मोबाइलल फौंस- फसक "
कुमाउनी भाषाक ठुल साहित्यकार त्रिभुवन गिरी ज्यूक चीनी वस्तु वहिष्कार (संदर्भ - खरी खरी - 649, 20 जून 2020) विषय पर विचार आज कि 'खरी खरी ' में सादर प्रस्तुत छीं -
"चीनी सामान त्याग करण चैं जरूर। उहै पैली आपणि आवश्यकता में अंकुश लगूण चैं। आवश्यकता यसि कि जै बिना हम रई नि सकना। हम आपण मन मारि बेर कटरी जूंल। जैल कटरीण चैं उ चुप रौनी। असल में यो मलि बै तलि कै आली तो भलै ह्वल। हमर वाँ के भयै नैं। याँ चीज हमन भलि नि लागनि। हमर याँ बड़नि नैं। जो मोबाइल कैं हम हाथ में ल्हि बेर पचार मारनया, धैं दिन भरी लिजी पलि धरि बेर देखौ धैं, धरी नि सकना। चाण चितूण सामणि बै छु। याँ बड़न के लागिरौ? भितर लठ चलनई। इचाव लै म्यरै नीस लै म्यरै हैरै। भ्यार पन इचाव लै नीस लै लुठि है, पहरू मारि है।
हम कूणयाँ क्वे हमर बाव लै नि उपाड़ि सकन। भल भै। खुशी बात छु। पैं हका हाक क्यैकि। किस कै राखौ- '' जैक बुड़ बिगड़ वी कुड़ उजड़। '' काण्डपालज्यू तलि बै मली तक के देखीना भल? हम खपड़ियोलै में रै जानू। कामा नाम पर सिणका टोड़ि द्वी नि करि सक्याँ। हौर चीज पलि, पतंगक मंज, सिलाई डाब, बिजली माल रंग, पटाखा तक वैं बै ल्हिनयां। बाकि फैसन, इलेक्ट्रोनिक सामान दवाइ पाणि हौर हौर दुणी नमानक सामान वैं बै खरीदण लागि रयां। मणि मणि कै वी सामानक त्याग और याँ निर्माण करण में जोर दिण पड़ल। तबै भल्यामा लछण छन। हमर तुमर कैल के है सकूं? तुमरि हमरि बात मानणी छना क्वे? भल हैरौ, हाथ में वीकै बणाई मोबाइल छु। फौंस फसक लगै बेर दिन काटी जना। हां रोज रोजै मारामार भलि नि है रै। लणै बटी हासिल सिफर रौल। जय जवान जय हिन्दुस्तान।" ( समाज कैं चीनी सामानक त्याग करण संबंधी द्वि टूक आंखरों में आपण विचार धरणक लिजी गिरी ज्यू महाराजक हार्दिक आभार ।)
पूरन चन्द्र कांडपाल
22.06.2020
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