खरी खरी - 134 : कभैं आपूहैं पुछो !!
भाग्य क भरौस पर
तमगा नि मिलन
पुज-पाठ भजन हवन ल
मैदान नि जितिन,
पसिण बगूण पड़ूं
जुगत लगूण पणी,
कभतै हिटि माठु माठ
कभतै दौड़ लगूण पणी ।
पढ़ी -लेखी हाय
पढ़ी लेखियां जौस
काम नि करें राय ,
गिचम दै क्यलै जमैं थौ
आपू हैं नि पूछैं राय,
मरि-झुकुड़ि बेर कुण नि बैठो
ज्यौना चार कभें त जुझो,
क्यलै मरि मेरि तड़फ
क्यलै है रयूं चुप,
कभैं आपूहैं पुछो ?
पूरन चन्द्र काण्डपाल
02. 12 .2017
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