खरी खरी - 147 : गंगा रह गई मैली
हाल ही में 'नमामि गंगे' परियोजना पर हमारे नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ( कैग ) ने बजट में आबंटित राशि खर्च नहीं किये जाने पर सवाल उठाए हैं । 2014 के लोकसभा चुनाव प्रचार में गंगा नदी की गंदगी दूर करने पर जोर दिया गया । गंगोत्री से बहते हुए गंगा सागर में प्रवेश करने वाली जीवन दायिनी गंगा की लंबाई 2525 किलोमीटर है जो 5 राज्यों की आबादी को सीधे तौर से प्रभावित करती है ।
प्रश्न उठता है जब गंगा की स्वच्छता के लिए राशि है तो खर्च क्यों नहीं की जाती । केंद्र सरकार की यह सबसे महत्वाकांक्षी और सर्वोच्च प्राथमिकता वाली योजना है जिस पर कैग के अनुसार साढ़े तीन वर्ष में कार्य नहीं हुआ । आज गंगा की हालत बहुत खराब है । गंगा का जल पीने योग्य तो छोड़ो हरिद्वार और ऋषिकेश को छोड़कर कहीं पर भी स्नान योग्य भी नहीं रहा अर्थात उसके पानी की गुणवत्ता कम हो गई है ।
हमारे पी एम साहब ने 'मुझे गंगा मां ने बुलाया है' कह कर यह संदेश दिया था कि अब गंगा के अच्छे दिन आने वाले हैं । अब भी उम्मीद है कि गंगा का मैल जरूर धुलेगा वर्ना राजकपूर जी की फ़िल्म "राम तेरी गंगा मैली" रह गई नहीं भूलेगी । क्या मैली गंगा में डुबकी लगा कर पाप काटने की बात फिर कही जाएगी ?
पूरन चन्द्र काण्डपाल
22.12. 2017
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