Friday 22 December 2017

Bachcho ke hadse : स्कूल में हादसे

खरी खरी - 148 : मंडी डबवाली- वजीराबाद- कुतुबमीनार, भुलाए नहीं जाते ।

    हमने जीवन में कई हादसे देखे परन्तु तीन ऐसे हादसे हुए जिन्हें भुलाया नहीं जा सकता । इन तीनों हादसों में मनुष्य की लापरवाही से असामयिक मौत ने 560 स्कूली बच्चों को अपना ग्रास बना लिया ।

     पहला हादसा आज ही के दिन 23 दिसम्बर 1998 को सिरसा हरयाणा में डी ए वी पब्लिक स्कूल के वार्षिक पुरस्कार वितरण समारोह में हुआ जब चारों तरफ से घिरे हुए पंडाल में शार्ट सर्किट से आग लगने पर स्कूल के  500 से अधिक  बच्चे जल कर दम तोड़ गए और लगभग 200 बच्चे घायल हो गए । पंडाल में 1500 लोग थे और बाहर जाने का केवल एक रास्ता था । 

      दूसरा हादसा 18 नवम्बर 1997 को सुबह सवा सात बजे हुआ जब बच्चों सहित 120 लोगों से खचाखच भरी सरकारी स्कूल लुडलो कैसल -2, की बस दिल्ली वजीराबाद के पास यमुना में गिर गई । इस हादसे में 28 बच्चे यमुना में समा गए और 70 बच्चे घायल हो गए । 50 से अधिक बच्चों को एक निराले गोताखोर अब्दुल सत्तार ने बचाया जिसका वर्णन मैंने पुस्तक "जिंदगी की जंग" (वर्ष 2010 ) में किया है ।

     तीसरा हादसा 04 दिसम्बर 1981 को हुआ जब दिल्ली स्थित कुतुबमीनार के अंदर भगदड़ में पिकनिक मनाने आये 30 स्कूली बच्चे मारे गए और कई घायल हो गए । उस समय मीनार के अंदर लगभग 300 से अधिक लोग थे । शुक्रवार को टिकट फ्री होने के कारण अधिक भीड़ थी ।

    यदि हम सावधानी अपनाते तो ये तीनों हादसे टाले जा सकते थे । मंडी डबवाली के स्कूल आयोजन में आग लगी, बाहर जाने का एक ही रास्ता था जिससे भगदड़ में बच्चे मारे गए । वजीराबाद हादसा सड़क पर पड़ी रेत में बस के फिसलने से हुआ । आज भी दिल्ली की सड़कों पर जहां- तहां रेत के टीले देखे जाते सकते हैं जो भ्रष्ट कर्मचारियों को नजर नहीं आते । कुतुबमीनार में मीनार के अंदर जाने वाली भीड़ को नियंत्रित करने वाला कोई नहीं था । इस तरह हमारी लापरवाही से तीनों हादसों में कुल 560 से अधिक बच्चे मारे गए ।

     हमने इन हादसों से कोई सबक नहीं सीखा । आज भी लापरवाही के कारण आये दिन स्कूलों में नए -नए किस्म के हादसे हो रहे हैं । प्रतिदिन स्कूल से बच्चे सकुशल घर आ जाएं तभी चैन मिलता है । कब जागेगा तू इंसान...

पूरन चन्द्र काण्डपाल
23.12. 2017

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