खरी खरी - 135 : रजिस्टर - जनेऊ की नहीं, जनहित के मुद्दों की बात हो !!
एक राष्ट्रीय हिंदी दैनिक समाचार पत्र में छपे सुधीश पचौरी का लेख "असली हिन्दू, नकली हिन्दू" देश का ध्यान इस ओर आकर्षित करता है कि सोमनाथ मंदिर (गुजरात) में गैर हिन्दुओं की प्रविष्टि के लिए अलग रजिस्टर क्यों रखा गया है ? इस मुद्दे पर हमारा मीडिया खूब टी आर पी बना रहा है । यह वही मीडिया है जो कुछ समय पहले शनि सिगनापुर मंदिर में स्त्री की प्रविष्टि नहीं होने पर बहुत आंदोलित था । क्या इसी मीडिया को इस विभाजनकारी रजिस्टर पर आंदोलित नहीं होना चाहिए था ?
हमारा मीडिया इस मुद्दे पर चुप रहा । एक ओर हम देश में संविधान में सबके बराबरी की बात करते हैं और दूसरी ओर हम यह सामाजिक खाई क्यों चौड़ी करते जा रहे हैं ? मंदिर में किसी भी श्रद्धालु को अपनी श्रद्धानुसार प्रवेश पर न कोई पाबंदी होनी चाहिए और न किसी प्रकार का जातीय भेदभाव इंगित किया गया नजर आना चाहिए । देश में सामाजिक विषमता को सिंचित करने के किसी भी कारक को नहीं बख्शा जाना चाहिए और इस तरह के राग-द्वेष उत्पन्न करने वाली प्रथाओं को शीघ्रता से बंद किया जाना चाहिए । इसके लिए कानून पहले से ही है जिसकी आएदिन अवहेलना होती है ।
इसी तरह इस बीच 'जनेऊ' विवाद पर भी मीडिया ने बहुत कोलाहल किया । यह एक व्यर्थ शोर था । जनेऊ पहनना या नहीं पहनना किसी भी व्यक्ति का अपना दृष्टिकोण है । कोई पहने या नहीं पहने इससे उस व्यक्ति की श्रेष्ठता से कोई लेना -देना नहीं । मीडिया को इस तरह के व्यर्थ मुद्दों पर समय नष्ट करने के बजाय देश हित की चर्चाओं जैसे किसान, जवान, शिक्षा, विज्ञान, पर्यावरण, सामाजिक सौहार्द आदि के विषय में वार्ता करनी चाहिए तथा देश में व्याप्त रुढ़िवाद, अंधविश्वास, अशिक्षा, सामाजिक विषमता, आतंकवाद और कट्टरता के विरोध में खुलकर चर्चा करनी चाहिए ।
पूरन चन्द्र काण्डपाल
05.12. 2017
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