खरी खरी - 69 : अंधभक्ति की गुंडागर्दी
25 अगस्त 2017 को अपरान्ह देश ने वह दृश्य देखा जिसकी कभी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी । एक बलात्कारी बाबा के समर्थन में उसके अंधभक्त गुंडों ने उत्तर भारत के पांच राज्यों में कई स्थानों को आग के हवाले कर दिया । पंचकूला और सिरसा इस आगजनी के सबसे ज्यादा शिकार हुए । लगभग डेड़ लाख की भीड़ धारा 144 होने के बावजूद भी इन शहरों में घुस गई और इस तरह उत्पात मचाया कि पुलिस - शासन- प्रशासन इस खुल्लेआम गुंडागर्दी के आगे बेबस- बौने हो गए ।
चैनलों से पता चला कि इस तांडवी आगजनी में 30 लोग मारे गये, 250 घायल हो गए, सैकड़ों वाहन जलाये गए, कई इमारतें फूंकी गई, रेल स्टेशन, टेलीफोन एक्सचेंज और बिजलीघर जलाये गए । दिल्ली भी इस आंच में झुलस गई जहां दो रेल बोगियां, कुछ बसें आग के हवाले कर दी गईं ।
सिरसा डेरे के इस बलात्कारी बाबा को 2002 में किये गए कुकृत्य की सजा के लिए एक साध्वी की चिट्ठी सबूत बनी जिसकी पूरी शर्मनाक कहानी समाचार चैनलों ने खुलकर दिखाई है । जिन उदण्डियों ने यह तांडव मचाया उन्हें यह बलात्कारी क्या शिक्षा देता होगा, यह इनके तांडव से स्पष्ट है । प्रश्न उठता है कि अंधभक्तों की यह लाखों की भीड़ धारा 144 लगे होने के बावजूद भी पंचकूला कैसे पहुंच गई ?
राज्य के उच्च न्यायालय के संज्ञान से यह राहत की खबर है कि इस आगजनी से जो भी करोड़ो-अरबों का नुकसान हुआ उसकी भरपाई डेरे की संपत्ति बेच कर की जाएगी । पकड़े गए गुंडों को भी सख्त सजा मिलनी चाहये जो पेट्रोल बमों और हथियारों से सज -धज कर आये थे तथा अशांति और बवाल मचा कर बेतहा नुकसान करने में धड़ल्ले से जुटे रहे । क्या हमारा तंत्र इस तरह के ढौगियों से कुछ सबक सीखेगा या वोट बैंक के चक्कर में इन पाखंडियों के चरण चाटता रहेगा ।
पूरन चन्द्र काण्डपाल
26.08.2017
No comments:
Post a Comment