Sunday 31 December 2017

Rock garden : रॉक गार्डन नेक चंद

मीठी मीठी - 61: रॉक गार्डन में जिंदा हैं नेकचंद

     चंडीगढ़ में सुखना झील के नजदीक स्थित विश्वप्रसिद्ध रॉक गार्डन के सृजक (निर्माता) पद्मश्री नेक चंद जी भलेही अब इस दुनिया में नहीं हैं परन्तु जो अमूल्य निधि वे इस धरा में बना कर छोड़ गए उससे वे अमर हो गए । 30 दिसम्बर 2017 को नेक चंद जी की इस अद्भुत सृजनता को देखने का अवसर मिला तो वास्तव में देखता ही रह गया ।

     नेक चंद जी का जन्म 15 दिसम्बर 1924 को हुआ । युवा होकर वे चंडीगढ़ में सरकारी नौकरी पर एक रोड इंस्पेक्टर नियुक्त हुए । वर्ष 1957 से वे बिना किसी को बताये चुपचाप एक जंगल की अन -उपजाऊ जमीन में लोगों द्वारा फैंकी गई वस्तुओं से सृजनता करते हुए उन्हें सजीव आकृति या वस्तु काआकार देने लगे । यह कार्य वे प्रतिदिन सरकारी नौकरी करने के बाद करते थे । 1975 में सरकार को उनके इस कार्य का पता चला । लोगों में इस सृजन की लोकप्रियता देख सरकार ने नेक चंद जी को इस कार्य का इंचार्ज बनाते हुए  उन्हें कुछ मजदूर भी दे दिए और उनकी सृजन यात्रा जारी रही ।

     नेक चंद जी ने इस सृजनता को साकार रूप देते हुए कांच, चूड़ी के टुकड़े, कप- प्लेट -बोतल और घड़े के टुकड़े, बिजली के टूटे हुए सामान,पत्थर आदि को कलात्मक रूप दे दिया । इन आकृतियों को उन्होंने ऊंट, हाथी, भालू , मानव आदि कई रूपों में प्रस्तुत कर दिया । 1997 में इस सृजन को नेक चंद फाउंडेसन बना दिया गया जो अब चंडीगढ़ टूरिज़्म के अंतर्गत है । राष्ट्र ने नेकचंद के इस नेक कार्य हेतु उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया ।

      40 एकड़ क्षेत्र में फैले हुए इस सृजन स्थल में 5000 आकृतियां हैं । यहां प्रतिदिन लगभग पांच हजार लोग आते हैं जो ₹ 30/- के टिकट(बच्चों-विद्यार्थियों के लिये ₹ 10/-) से प्रवेश पाते हैं । इस सृजनता को अवश्य देखना चाहिए । नेक चंद जी 12 जून 2015 को इस दुनिया से चल बसे परन्तु इन सजीव कलाकृतियों ने उन्हें अमर कर दिया । बेकार- बेजान वस्तुओं में प्राण फूंकने वाले इस महान कलाकार को विनम्र श्रद्धांजलि ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
31.12. 2017

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