Thursday 12 April 2018

सेना : sena anushasit

बिरखांत - 207 :  अनुशासित है हमारी सेना

     कुछ अलगाववादी और असामाजिक तत्व जानबूझ कर हमेशा ही हमारी सेना को बदनाम करने की फिराक में रहते हैं ताकि सेना का मनोबल टूटे | हमारी अनुशासित सेना का मनोबल इनके षड्यंत्र से कभी भी नहीं गिरेगा | हमारी लाडली सेना से हमें बहुत उम्मीद है | वह राष्ट्र की सीमाओं की रक्षा तो करती है, हमें अन्य गर्दिशों जैसे सूखा, बाड़, भूकंप, दंगे जैसी मुश्किलों में भी मदद करती है | बर्फीला सियाचीन हो या थार का तप्त मरुस्थल, नेफा- लेह- लद्दाख हो या रण-कच्छ का दलदल | पूरब-पश्चिम, उत्तर-दक्षिण सहित देश की दशों दिशाओं में सेना का निरंतर पहरा रहता है जिससे हमारा देश सुरक्षित है ।

     अपने प्राणों को न्यौछावर करके सेना अपना कर्तव्य निभाती है | तिरंगे में लिपट कर जब हम अपने कुछ शहीदों के पार्थिव शरीर देखते हैं तो उनकी वीरता और साहस पर नम आँखों से हमें गर्व होता है | तिरंगे में लिपटा हुआ वह वीर शहीद हम में से किसी का बेटा होता है या किसी का पिता और या किसी का पति | उसके अलविदा कह जाने से कोई अनाथ होता है या कोई विधवा होती है या किसी की कोख सूनी होती है परन्तु पूरा राष्ट्र उस शहीद परिवार के साथ होता है और शहीद परिवार को श्रद्धा से नमन करता है | हम अपने इन शहीद महामानवों को प्रणाम करते हैं, सलाम करते हैं और गर्व से सलूट करते हैं |

     हमारी सेना को बदनाम करने की साजिश कुछ असामाजिक तत्व दुर्भावनावश स्वतंत्रता के बाद से ही करते आये हैं | इन पंक्तियों के लेखक को अपने देश की सीमाओं पर कर्तव्य निभाने का अवसर प्राप्त हुआ है | पंजाब (1970-71), नागालैंड, मणिपुर, मीजोराम, मेघालय (1976-78) तथा जम्मू-कश्मीर (1982-83) आदि जगहों पर स्थानीय जनता के बीच रह कर इन क्षेत्रों को अच्छी तरह देखा है |

     जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर में कुछ उग्रवादी संगठनों के बहकावे में लोग सेना पर जानबूझ कर लांछन लगाते हैं और वहाँ से सेना को हटाने का षड्यंत्र रचते रहते हैं क्योंकि सेना के रहते उनकी नापाक हरकतें कामयाब नहीं होती | वर्ष 1958 से पूर्वोत्तर में तथा 1990 से जम्मू-कश्मीर में आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर ऐक्ट (आफ्सा) लगा है ताकि सेना को कर्तव्य निभाने में रुकावट न रहे | अलगाववादी तत्व इस ऐक्ट को हटाना चाहते हैं, इसी कारण वे सेना पर अक्सर बलात्कार आदि जैसे घृणित लांछन लगाते रहते हैं और मानवाधिकार रक्षक संस्थाओं के पास जाने की धमकी भी देते रहते हैं |

     कुछ वर्ष पहले जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के हंदवाड़ा में अलगाववादियों ने सेना पर एक स्कूली छात्रा के साथ छेड़खानी करने का आरोप लगाया | छात्रा ने वीडियो जारी कर इस आरोप को सिरे से खारिज कर दिया और सेना पर लगे लांछन को स्थानीय असामाजिक तत्वों का षड्यंत्र बताया | इस बीच अलगाववादियों ने उपद्रव भी शुरू कर सेना के चौकी पर पथराव कर दिया | सेना को उन्हें तितर-बितर करने के लिए गोली चलानी पड़ी ।

         हमें सेना को बदनाम करने के लिए षड्यंत्रकारियों के नापाक मंसूबों को समझना पड़ेगा | हमारी सेना पर आरम्भ से ही दाग लगाने की साजिश चल रही है | भारत की सेना विश्व की सबसे अनुशासित सेनाओं में से एक है जिसका चरित्र और मनोबल बहुत ऊँचा है जिस पर इस प्रकार के अमानुषिक आरोप कुछ विकृत मानसिकता के लोग ही लगाते रहे हैं जो कभी भी सिद्ध नहीं हुए | हम अपनी सेना को दिल की गहराइयों से सलूट करते हैं |

पूरन चन्द्र काण्डपाल
13.04.2018

No comments:

Post a Comment