Thursday 19 April 2018

Panchhi jaaye kahan : पंछी जाए कहाँ ।

खरी खरी - 218 : पंछी जाए तो जाए कहां ?

    देश के लगभग सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में महिलाओं पर दुराचार घटने का नाम नहीं ले रहे । दुराचारी क़ानून से बेखौप हैं । सम्पूर्ण मीडिया हर रोज महिला अपमान, दुष्कर्म, पड़ताड़ाना, चेन स्नैचिंग, छेड़छाड़ और महिला हत्या के समाचारों से भरा रहता है । राज्यों में किसी भी दल की सरकार हो, महिला सुरक्षा सब जगह खतरे में है । ऐसा क्यों हो रहा है ?  कैसे और कब थमेगा यह सामाजिक कलंक ?

      वर्ष 2012 के घृणित निर्भया कांड के दोषियों को अभी तक सजा नहीं मिली है । उन्नाव और कठुआ कांड से देश एक बार फिर व्यथित है । राजनैतिक संरक्षण से असामाजिक तत्व गुलजार हैं । इस दौर से डरी - सहमी महिला की व्यथा-वेदना और सिसकियों से हमारी संवेदना पिघलती क्यों नहीं ?

'चीं चीं करती चिड़िया पूछे
कहां जाऊं मैं आज ?
ऊपर पसरा बाज का पंजा
नीचे तीरंदाज ।'

पूरन चन्द्र काण्डपाल
16.04.2018

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