Saturday 14 April 2018

Andhvishwas ke pujari : अंधविश्वास के पुजारी

खरी खरी - 207 : अंधविश्वास के पुजारी 

      अंधविश्वासियों ने बनारस को क्योटो नहीं बनने दिया और न बनने देंगे । उन्होंने कहा था, "मुझे गंगा ने बुलाया है ।"  गंगा वैसी की वैसी । 4  घण्टे की आरती देख सिंजो आबे भी कह गये, "आपके पास इस तरह बरबाद करने के लिए समय है,  वाह ।"  आज भी गंगा सहित देश की नदियों में अंधभक्त दूध बहा रहे हैं और जमकर धार्मिक विसर्जन कर रहे हैं । काश !  यह दूध मूर्तियों में बहने के बजाय किसी कुपोषित बच्चे के मुंह में जाता तो देश से कुपोषण दूर होता । भारतमाता को अंधविश्वास से मुक्त करो दोस्तो, तभी विश्वगुरु बनोगे । विश्व के 500 शीर्ष विश्वविद्यालयों में भारत का एक भी विश्वविद्यालय नहीं ।

     हमारा देश अंधविश्वास के मकड़जाल में फंसा हुआ है । जहां देखो अंधविश्वास का बोलबाला है । टेलीविजन के सैकड़ों चैनलों में प्रतिदिन अंधविश्वास परोसा जाता है जिसके कारण वैज्ञानिक दृष्टिकोण को धक्का लगता है । समाज को आज भी शनि- राहु - केतु की डोर से उलझाये रखा गया है । हमें ऐसे तथाकथित गुरु - चेलों से बचना है जो दोनों ही सत्य स्वीकारने को तैयार  नहीं हैं ।

जाका गुरु भी अन्धत्वा
चेला निरा निरंध,
अंध ही अंधा ठेलिया
दोऊं कूप पड़न्त ।

    ऐसे गुरु- चेले भारतमाता को कहां ले जाना चाहते हैं यह हमने सोचना है । भगवान तो केवल एक बूंद जल की श्रद्धा से सन्तुष्ट हो जाते हैं फिर यह मूर्ति के ऊपर से होता हुआ दूध नाली में क्यों बह रहा है ? मंथन करेंगे तो उत्तर अवश्य मिलेगा । जयहिन्द ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
15.04.2018

No comments:

Post a Comment