खरी खरी - 224 :धरती गरम हो गई है, जीओगे कैसे ?
वर्ष में दो त्यौहार लकड़ी जलाने के- होली और लोहड़ी परंतु पौध रोपण का एक भी त्यौहार नहीं है यहां । सब बेलपत्री और आम की टहनी मंगाते हैं पूजा में । आज तक किसी ने पूजा के दौरान एक पौध रोपने की बात नहीं कही । ये तो होना ही था । धरती से सब कुछ लेते जाओ, इसे कुछ देने की सोच भी तो करो । वर्ष के 365 दिनों में 5 पेड़ तो रोपो ।
सालगिरह के दिन, पत्नी के जन्मदिन, बच्चों के जन्मदिन, कोई त्योहार या तिथि के दिन एक पौधा तो रोपो । अब भी जागें तो अच्छा है वर्ना कब मिजाज बिगड़ेगा इस गरम होती धरती का कह नहीं सकते । सहन करने की भी एक सीमा होती है । जिस दिन धरती का धैर्य टूटेगा उस दिन सबकुछ धरा रह जायेगा सिर्फ हम ही नहीं होंगे । अपनी नहीं तो अपनी भावी पीढ़ी की तो चिंता करो ।इसलिए इस चिंतन का गंभीर मंथन करें और पौध रोप कर धरती का श्रृंगार करें ।
पूरन चन्द्र काण्डपाल
25.04.2018
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