Wednesday 4 April 2018

Sachin tendulkar : सचिन तेंदुलकर

मीठी मीठी - 98 : सचिन...सचिन...सचिन..

      वर्ष 2008 में साहित्य में एक नन्हा सा पुरस्कार मुझे भी मिला था । देश में जब पुरस्कार लौटाने की चर्चा चल रही थी तो छेड़खानी में पारंगत मेरे कुछ छेड़ू मित्र मुझ से कहते थे, "तेरे पास भी तो है एक, तू कब लौटा रहा है ?  उनको मेरा जबाब होता था, "यार जो राशि मिली थी वह तो मैंने उड़ा ली, अब क्या लौटाऊं ?" ख़ैर मैंने कभी भी ऐसा नहीं सोचा । चाहे छोटे -बड़े जैसे भी हों, सम्मान अमूल्य निधि होते हैं । इन्हें लौटाने से पहले सौ बार सोचना चाहिए । अगर कुछ लौटना ही हो तो फिर सचिन तेंदुलकर की तरह लौटाइये (दान करिये )।

      विनम्रता के अवतार, अपने हुनर में पारंगत क्रिकेट के महानायक भारत रत्न सचिन तेंदुलकर की भी कुछ लोगों ने आलोचना की थी कि वे संसद में नहीं आते । हाल ही में राज्यसभा में 6 वर्ष की अवधि पूर्ण करने के बाद सचिन जी पूर्व सांसद बन गए । उन्होंने कभी भी सांसद आवास नहीं लिया । अपनी सांसद निधि से कई कार्य भी कराए । जाते जाते वे 90 लाख रुपये से अधिक की उस पूरी राशि को भी प्रधानमंत्री राहत कोष में दे गए जो उन्हें वेतन और भत्ते के रूप में  6 वर्ष में प्राप्त हुई थी । आलोचकों का क्या है, आलोचना करते रहते हैं परन्तु सचिन का अनुसरण करना किसी के वश की बात नहीं । तभी तो हवा में सचिन...सचिन... की गूंज उठती थी । भारत के वास्तविक रत्न 'ग्रुप कैप्टन' सचिन तेंदुलकर को जयहिन्द के साथ एक बड़ा सलूट ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
05.04.2018

    

No comments:

Post a Comment