मीठी मीठी - 102 : 19 अप्रैल आर्यभट्ट का स्मरण
भारत में बनने वाला पहला उपग्रह 'आर्यभट्ट' 19 अप्रैल 1975 को लॉन्च किया गया था । इसका वजन 360 किलोग्राम था । एक्स-रे, खगोल विज्ञान, अंतरिक्ष विज्ञान और सौर भौतिकी में जानकारी हासिल करने के लिए वैज्ञानिकों ने इसका प्रयोग किया । 11 फरवरी 1992 में इसने दोबारा पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश किया । सैटेलाइट की विद्युत ऊर्जा प्रणाली में खामी के चलते इसका प्रयोग चार दिन रुका रहा । देश के पहले सैटेलाइट आर्यभट्ट को यह नाम प्राचीन भारत के जाने-माने खगोलविद् से मिला आर्यभट्ट के नाम पर मिला । तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्रीत्व काल की पोखरण अणु परीक्षण (18 मई 1974) के बाद यह दूसरी बड़ी वैज्ञानिक उपलब्धि थी ।
1975 में इस सैटेलाइट के लॉन्च होने के इस ऐतिहासिक क्षण को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने 1976 में दो रुपये के नोट के पिछले हिस्से पर छापा । 1997 तक दो रुपये के नोट पर आर्यभट्ट उपग्रह की तस्वीर छापी गई, बाद में इसके डिजाइन में बदलाव हो गया ।
आज भारत की अंतरिक्ष विज्ञान में बहुत ऊँची उड़ान है । अब तक हम कई विदेशी उपग्रहों को भी अंतरिक्ष में भेजने और उन्हें स्थापित करने में सफल हुए हैं । 15 फरवरी 2017 को इसरो ने एक ही रॉकेट से रिकार्ड 104 उपग्रहों जिनमें 101 विदेशों के थे, का सफल प्रक्षेपण कर इतिहास रच दिया । भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) को एक बड़ा वाला जयहिन्द ।
पूरन चन्द्र काण्डपाल
19 अप्रैल 2018
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