खरी खरी - 788 : ये कैसा विकास ?
ये कैसा चहमुखी विकास हो रहा है ?
दफन हुए लोग हिमालय रो रहा है ।
बड़े बड़े बांध विकास की दुहाई ?
बांध के लिए अंधाधुंध खुदाई ?
फिर पहाड़ में लंबी टनल बनाई ?
ये कैसी खुदाई? देख रोए खुदाई?
ये टनल में चीख चीख कौन रो रहा है ?
चुप रहो, विकास हो रहा है ।
ये ग्लोबल वार्मिंग कौन कर रहा है ?
ये हिमालय को कौन पिघला रहा है ?
ये जल को जलप्रलय बना कौन रहा है ?
ये बोल्डर नीचे दबकर कौन रो रहा है ?
चुप रहो, ये विकास हो रहा है ।
ये किसके लिए हिमालय खोद रहे हो ?
पहाड़ों के पर्यावरण को क्यों गोद रहे हो ?
टनल- दरिया में जिंदगी दबा क्यों रहे हो?
ये कैसी जबरदस्ती की मार कर रहे हो?
ये ऋषि गंगा गाद तले सिसक कौन रहा है?
चुप रहो, ये विकास हो रहा है ।
दो हजार तेरह में बाबा केदार रोया था,
हजारों जिंदगी को जलप्रलय ने धोया था,
अवैध निर्माण का बीज किसने बोया था ?
जिंदा दफन हुआ पर्यटक जब वो सोया था।
ये खुदान धार्मिक पर्यटन का क्यों हो रहा है?
चुप रहो, ये विकास हो रहा है ।
पूरन चन्द्र कांडपाल
13.02.2021
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