Thursday 18 February 2021

Andolan aur prajatantr : आंदोलन और प्रजातंत्र

खरी खरी - 781 : प्रजातंत्र में होते हैं आंदोलन

      प्रजातंत्र में आंदोलन होते रहे हैं और आंदोलन होते ही प्रजातंत्र में हैं । तीन तलाक के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाली तथा मुस्लिम समुदाय में प्रचलित बहुविवाह प्रथा के विरुद्ध घर से बाहर निकल कर संघर्ष करने वाली जिन पांच मुस्लिम वीरांगनाओं ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका प्रस्तुत की वे हैं - सायरा बानो (उत्तराखंड), आतिया साबरी सहारनपुर (उ प्र), आफरीन रहमान जयपुर (राजस्थान), इशरत जहां हावड़ा (प बंगाल) और गुलशन परवीन रामपुर (उ प्र) । पुरुषवादी कट्टर समाज के विरुद्ध इनकी यह लड़ाई बहुत कठिन थी फिर भी इन्होंने अपनी हिम्मत को टूटने नहीं दिया ।

     मुस्लिम महिलाओं के साथ अन्याय, शोषण और सामाजिक विषमता के खिलाफ इन पांचों महिलाओं ने लगातार तीन साल तक लड़ाई लड़ी । इस लड़ाई में इन्हें इनके परिजनों का साथ मिला । इन सबकी याचिकाओं को उच्चतम न्यायालय की पांच जजों की संविधान पीठ ने एकसाथ सुना । 22 अगस्त 2017 को उच्चतम न्यायालय ने 3-2 के बहुमत से फैसला दिया कि तीन तलाक के जरिये तलाक देना अमान्य, गैरकानूनी और असंवैधानिक है और यह कुर्रान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है ।

     सत्य तो यह है कि मुस्लिम समाज की महिलाएं तीन तलाक, निकाह-हलाला और बहुविवाह जैसी सामाजिक यातनाओं को एक गहरे दर्द और नाइंसाफी के साथ सह रही थीं । देश की करीब सात करोड़ विवाहित मुस्लिम महिलाओं के लिए 22 अगस्त 2017 का दिन एक बड़ी सौगात लेकर आया जिसका सेहरा इन पांचों मुस्लिम वीरांगनाओं के सिर पर बंध गया ।

      यदि ये महिलाएं न्यायालय के द्वार पर गुहार नहीं लगाती और अन्य महिलाओं की तरह घर की चौखट के अंदर मसमसाते रहती तो यह सम्मान की सौगात नहीं मिलती । इन पांचों याचिकाकर्ताओं को लाल सलाम । समाज में अभी भी महिलाओं के शोषण की कई कुप्रथाएं ( जैसे कि कुछ जगहों पर उनका प्रवेश आज भी वर्जित है।)  व्याप्त हैं जिनके विरुद्ध लड़ाई जारी रखनी होगी । सभी मुस्लिम महिलाओं को बधाई और शुभकामना ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
19.02.2021

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