Sunday 7 February 2021

Rishi Ganga Glashiyar Tandav : ऋषि गंगा ग्लेशियर तांडव

खरी खरी - 786 : ऋषि गंगा में ग्लेशियर तांडव

      उत्तराखंड में फिर प्रकृति ने तांडव मचाया है ।  2013 की केदारनाथ त्रासदी जैसा ही मंजर फिर प्रकट हुआ । 7 फरवरी 2021 की सुबह करीब 0930 बजे चमोली जिले में कुदरत ने जो तांडव देखने में आया।  जोशीमठ के तपोवन इलाके में ग्लेशियर टूटने से तबाही मच गई । नदी में भीषण बाढ़ से 11 मेगावाट का  ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट बह गया  । तपोवन, श्रीनगर और ऋषिकेश डैम भी क्षतिग्रस्त हो गए । सरहद से सेना को जोड़ने वाला मलारी पुल भी देखते-देखते बह गया । इस आपदा में 10 लोगों की जान चली, जबकि करीब 170 लोग लापता बताए जा रहे हैं । भारी तबाही और जान माल के नुकसान से बचाने के लिए अलर्ट जारी किया गया । इस हादसे से एक बार फिर उत्तराखंड में अंधाधुंध बांध निर्माण पर प्रश्न चिन्ह लग गया है।

     NTPC के इस प्रोजेक्ट से 10 शव बरामद किए गए हैं जबकि टनल में फंसे कुछ लोगों को निकाला गया । प्रोजेक्ट पर करीब एक सौ से अधिक लोग काम कर रहे थे । एसडीआरएफ और लोकल प्रशासन राहत और बचाव कार्य में जुटा । NDRF की टीमें व सेना का भी सहयोग लिया गया ।  जून 2013 में केदारनाथ धाम में आए जल प्रलय के जख्म आज तक नहीं भरे हैं । 2013 की भीषण आपदा ने केदार घाटी और चमोली की खीरोंघाटी में भारी तबाही मचाई थी जिसमें सरकारी आंकड़े के अनुसार 5800 लोग जल पल्लवित हो गए थे जबकि स्थानीय लोगों के अनुसार यह संख्या दस हजार के करीब बताई गई ।

      निर्माणाधीन ऋषिगंगा पॉवर प्रोजेक्ट स्थानीय गांव रैणी के करीब था । इसी गांव के समीप ही विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी है। रैणी गांव के लोगों ने 2019 में जनहित याचिका दायर करते हुए उच्च न्यायालय को बताया था कि आसपास के क्षेत्र में ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट के बहाने अवैध खनन हो रहा है तथा मलबे का निस्तारण नहीं किया जा रहा है जिससे पर्यावरण को बहुत नुकसान हो रहा है तथा भूस्खलन का बड़ा खतरा पैदा हो गया है। समीपवर्ती गांव रैणी के निवासी शुरुआत से ही पॉवर प्रोजेक्ट कंपनी की मनमानी से त्रस्त थे । 

      स्थानीय निवासियों के अनुसार कंपनी ने रोजगार देने के बहाने ग्रामीणों की जमीन का उपयोग पहले बिना मुआवजा दिए किया था और उसके नियमों को ताक पर रखकर खतरनाक गतिविधियों को अंजाम दिए । कंपनी पर्यावरण मानकों को ताक पर रखकर नदी तट पर विस्फोटक से पत्थर तोड़ा, साथ ही आंदोलन की प्रणेता गौरा देवी व साथियों के जंगल में प्रवेश करने के लिए बनाए गए ऐतिहासिक मार्ग को भी बंद कर दिया था। 15 जुलाई 2019 को हाईकोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने पावर प्रोजेक्ट में विस्फोटक के प्रयोग पर रोक लगाने व इस संबंध में चमोली के जिलाधिकारी व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से जवाब मांगा था।  यह याचिका फिलहाल विचाराधीन हैं । ग्लोबल वार्मिंग और हिमालयी पर्यावरण से छेड़छाड़ के कारण हिमालयी ग्लेशियर बता रहे हैं कि यदि मानव विकास के बहाने हिमालय को सताते रहेगा तो हिमालय का भविष्य में भी इसी तरह रुष्ट होना निश्चित है ।

पूरन चन्द्र कांडपाल

08.02.2021

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