Thursday 4 February 2021

Bahaduri ke purskaar kam mat karo : बहादुरी के पुरस्कार कम मत करो

खरी खरी 782 : बहादुरी के पुरस्कार कम मत करिए

       हमारे देश में प्रतिवर्ष  गणतंत्र दिवस के अवसर पर 'राष्ट्रीय बाल वीरता पुरस्कार' भारतीय बाल कल्याण परिषद ( वर्ष 2019 के गणतंत्र दिवस से यह सम्मान महिला और बाल विकास मंत्रालय के अंतर्गत ) द्वारा वर्ष 1957 से प्रधानमंत्री के हाथ से प्रदान किये जाते हैं । प्रत्येक राज्य में परिषद की शाखा है । प्रतिवर्ष 1 जुलाई से 30 जून के बीच 6 वर्ष से बड़े और 18 वर्ष से छोटी उम्र के वे बच्चे ग्राम पंचायत, जिला परिषद, प्रधानाचार्य, पुलिस प्रमुख एवं जिलाधिकारी की संस्तुति के बाद परिषद की राज्य शाखा को आवेदन कर सकते हैं जिन्होंने अपनी जान की परवाह नहीं करते हुए दूसरों की जान बचाई ।

     इस पुरस्कार के लिये पुलिस रिपोर्ट एवं अखबार की कतरन प्रमाण के बतौर होनी चाहिए । 1957 से 2019 तक यह पुरस्कार 1006 बहादुर बच्चों को प्रदान किया गया जिनमें 705 लड़के और 301 लड़कियां हैं । पुरस्कार में चांदी का पदक, नकद राशि, पुस्तक खरीदने के वाउचर और प्रशस्ति पत्र दिया जाता है । सर्वोच्च बहादुरी के लिए स्वर्ण पदक और विशेष बहादुरी के लिए भारत पुरस्कार, संजय चोपड़ा, गीता चोपड़ा सुर बापू गयाधानी पुरस्कार दिया जाता है । ये बच्चे गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेते हैं और राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री से भी मिलते हैं ।

     वर्ष 2019 के पुरस्कार 22 बहादुर बच्चों को प्रदान किया गया जिनमें 1 मरणोपरांत था । इन बच्चों में 12 लड़के और 10 लड़कियां देश के 12 विभिन्न राज्यों के थे। इस बार (नाम बदल कर "राष्ट्रीय बाल पुरस्कार " कर दिया गया।) 2021 के लिए कुल 32 बच्चों का चयन हुआ है। यह पहली बार है कि जीतने वाले बच्चे गणतंत्र दिवस परेड का हिस्सा नहीं बन पाए। कोरोना गाइडलाइन के कारण इस बार बच्चों को आमंत्रित नहीं किया गया । इस गणतंत्र दिवस पर इस पुरस्कार को विभिन्न श्रेणियों में कर दिया जो इस प्रकार है -  कला और संस्कृति - 7, इनोवेशन - 9,  शैक्षिक उपलब्धि - 5, खेल - 7, बहादुरी - 3 और  समाज सेवा - 1,  कुल मिलाकर 21 राज्यों के 32 बच्चे सम्मानित हुए ।

        बहादुरी के लिए पूरे देश से इस बार मात्र 3 बच्चे पुरस्कृत हुए जबकि देश में 27 राज्य हैं और 9 केंद्र शासित प्रदेश हैं । बाल विकास मंत्रालय से अनुरोध है कि कम से कम कुल राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के एक तिहाई अर्थात 12 बच्चे तो बहादुरी के लिए पुरस्कृत होने चाहिए । अन्य विधाओं में बच्चों को पुरस्कृत करना अच्छी बात है परन्तु यह बहादुरी के क्षेत्र की संख्या घटा कर नहीं होना चाहिए । उत्कृष्ट वीरता के लिए दिए जाने वाले - विशिष्ट  भारत पुरस्कार,  संजय चोपड़ा, गीता चोपड़ा और बापू गयाधानी पुरस्कार बंद नहीं होने चाहिए जो इस बार नहीं दिए गए ।

पूरन चन्द्र कांडपाल

05.02.2021

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