खरी खरी - 781 : गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को ही क्यों ?
26 जनवरी 2021 को हम सबने 72वां गणतंत्र दिवस मनाया । किसी ने धूम- धाम से तो किसी ने सादगी से मनाया । कोई एक - दो दिन की छुट्टी का आनंद लेने बाहर (नानी- दादी के यहां भी) चला गया तो किसी ने जम कर नींद ली । किसी ने करीब 2 घंटे टी वी पर परेड देखी । मैंने 26 जनवरी को दिन भर प्रतिवर्ष की तरह कुछ स्त्री- पुरुष -बच्चों से बस एक ही सवाल पूछा, " गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है ?" अधिकांश ने बे-सिर बे -पैर के उटपटांग उत्तर दिये । कुछ ने बताया ,"इस दिन हमारा संविधान लागू हुआ ।" सवाल फिर अपनी जगह खड़ा था, "संविधान 26 जनवरी को ही क्यों लागू हुआ ? 24 - 25 या 27 -28 या किसी अन्य दिन लागू क्यों नहीं हुआ ? इस प्रश्न का उत्तर किसी ने भी नहीं दिया । ये है हमारे देशवासियों की हमारे गणतंत्र दिवस के बारे में जानकारी । आप में किसी को निराशा, किसी को दुख या किसी को आश्चर्य हो रहा होगा परन्तु मुझे ऐसा कुछ नहीं हुआ क्योंकि मैं जानता हूं इस बात की चर्चा या देश की चर्चा हमारे माहौल में बहुत कम ही होती है । हम तो अनचाही बेसिर - पैर की बहसों में उलझे रहते हैं या उलझा दिए जाते हैं ।
आप लोगों में कई मित्र अवश्य इस प्रश्न का उत्तर जानते होंगे फिर भी सही उत्तर देने का प्रयास कर रहा हूं । उत्तर - " 2 वर्ष 11 महीने 18 दिन में हमारा संविधान लिख कर 26 नवम्बर 1949 को तैयार हो गया । संविधान ड्राफ्टिंग समिति के अध्यक्ष डॉ बी आर अम्बेडकर थे जबकि संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद थे । संविधान लागू करने के लिए 26 जनवरी 1950 तक प्रतीक्षा इस लिए की गई क्योंकि दिसम्बर 1929 में रावी नदी के किनारे लाहौर के कांग्रेस अधिवेसन में पंडित नेहरू की अध्यक्षता में पूर्ण स्वराज की मांग की गई और 26 जनवरी 1930 को पूर्ण स्वराज दिवस मना कर ध्वज फहरा दिया गया । 26 जनवरी 1930 के दिन का स्मरण और महत्व को सम्मानित करने के लिए राष्ट्र द्वारा 26 जनवरी 1950 तक संविधान लागू होने की प्रतीक्षा की गई और 26 जनवरी 1950 से हमारा संविधान लागू हो गया ।" हमें अपने संविधान की समझ, संविधान का ज्ञान और संविधान का सम्मान करना चाहिए । यदि संविधान नहीं होता तो हमारे देश का क्या हाल होता या देश होता भी या नहीं ? जरूर मंथन करें और अपने संविधान को नमन करें ।
इस बार के गणतंत्र दिवस पर कोरोना कि धुंध तो थी ही उस दिन किसान आंदोलन का 62वां दिन भी था । उस दिन देश की राजधानी में क्या हुआ सबने देखा । प्रजातंत्र में सरकारों के विरोध में आंदोलन होना कोई नई बात नहीं है । संविधान भी आंदोलन करने का प्रत्येक नागरिक को अधिकार देता है । आज किसान आंदोलन का 71वां दिन है । आंदोलन को सुलझाना सरकार का काम है। यह आंदोलन जितनी जल्दी सुलझ जाए उतना अच्छा होगा। आंदोलन क्यों हो रहा है और किधर जा रहा है यह बताने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि देश के लोग अपनी अपनी समझ से इसे देख रहे हैं । कुछ लोग खुलकर शिष्टता से अपने विचार प्रकट करते हैं, कुछ अशिष्ट भाषा भी बोलते हैं, कुछ मसमसाते रहते हैं जबकि कुछ चुप रहते हैं । चुप रहना प्रजातंत्र के लिए शुभ नहीं होता है । देश में 1.54 लाख से अधिक लोगों की जान ले चुका कोरोना अभी समाप्त नहीं हुआ है भले ही कुछ रफ्तार कम जरूर हुई है । इसलिए सभी सावधानियां और अनुशासन बहुत जरूरी है । इसमें सिथिलता नहीं आनी चाहिए ।
पूरन चन्द्र काण्डपाल
04.02.2021
No comments:
Post a Comment